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Friday, 31 July 2020

दुर्घटना होने के योग

जन्म कुंडली में दुर्घटना होने के योग- 
आजकल हर दिन अखबार में वाहन दुर्घटनाओं की खबरे छपती रहती है जिसे हम पढते भी है और कभी अपने रिश्तेदारों या जान पहचान वालो की दुर्घटना के बारे मे सुनने को मिलता है। जन्मकुंडली मे कुछ दुर्घटनाओं के विभिन्न योग पाये जाते हैं कि वो वाहन दुर्घटना, आग से जलना जैसी दुर्घटना के योग बनाते हैं जो निम्नलिखित हैं-

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली में आठवाँ भाव अथवा अष्टमेश, मंगल तथा राहु से पीड़ित होने पर दुर्घटना होने के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सारावली के अनुसार शनि, चंद्रमा और मंगल दूसरे, चतुर्थ व दसवें भाव में होने पर वाहन से गिरने पर बुरी दुर्घटना देते हैं। 
 
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली में सूर्य तथा मंगल चतुर्थ भाव में पापी ग्रहों से दृष्ट होने पर दुर्घटना के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य दसवें भाव में और चतुर्थ भाव से मंगल की दृष्टि पड़ रही हो तब दुर्घटना होने के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार निर्बल लग्नेश और अष्टमेश की चतुर्थ भाव में युति हो रही हो तब वाहन से दुर्घटना होने की संभावना बनती है। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार लग्नेश कमजोर हो और षष्ठेश, अष्टमेश व मंगल के साथ हो तब गंभीर दुर्घटना के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली में लग्नेश कमजोर होकर अष्टमेश के साथ छठे भाव में राहु, केतु या शनि के साथ स्थित होता है तब गंभीर रुप से दुर्घटनाग्रस्त होने के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली में आत्मकारक ग्रह पापी ग्रहों की युति में हो या पापकर्तरी में हो तब दुर्घटना होने की संभावना बनती है। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली का अष्टमेश सर्प द्रेष्काण में स्थित होने पर वाहन से दुर्घटना के योग बनते हैं। 

✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली में यदि सूर्य तथा बृहस्पति पीड़ित अवस्था में स्थित हों और इन दोनो का ही संबंध त्रिक भाव के स्वामियों से बन रहा हो तब वाहन दुर्घटना अथवा हवाई दुर्घटना होने की संभावना बनती है। 

✿ जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव तथा दशम भाव पीड़ित होने से व्यक्ति की गंभीर रुप से दुर्घटना होने की संभावना बनती है। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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मिथुन राशि

🌻मिथुन राशि के बारे में 🌻 
मिथुन- (अक्षर तालिका- का, की, कू, घ, ड़, छ, के, को, ह) पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बारह राशियों में मिथुन को तृतीय(तीसरा)स्थान प्राप्त है।मिथुन राशि का प्रतीक चिन्ह स्त्री-पुरुष का एक जोड़ा है।ज्योतिष की यह पहली राशि है जिसमें मानवाकृति बनी हुई है। यह जोड़ा स्त्री-पुरुष का साथ बताता है।यह राशि स्वभाव से द्वि-स्वभाव मानी जाती है अत: इसके प्रभाव से आप द्वि-स्वभाव व्यक्तित्व के हो सकते हैं। बुध के प्रभाव स्वरुप इस राशि के लोगों को बुद्धिमान व हाजिर-जवाब माना गया है।  
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह सम संज्ञक, पुरुष प्रधान, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, शीर्षोदय,रात्रीबली, जलाश्रयी, वैश्य वर्ण हरे रंग की अधिपति तथा लग्न में बली मानी जाती है। 
🌹भौतिक लक्षण🌹
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसारमिथुन राशि का जातक का शरीर लंबा, सुडौल शरीर, पतले और लंबे हाथ मध्यम रंग, ठोढ़ी के पास गढ्ढ़ा, सक्रिय स्पष्ट वचन तीखी-सक्रिय काली आंखें, लंबी नाक चेहरे पर मस्सा आदि होते हैं। 
🏵स्वभाव🏵 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप बहुत ही चुलबुले,कुशल-वक्ता, सोन्दर्य प्रेमी कल्पनाशील, विचारशील,चतुर,परिश्रमी,मस्तमौला,रोमांटिक, जिन्दादिल,बहुत बोलने वाले और हर बात में तर्क वितर्क करने वाले हैं तो अपने दूसरे रुप में बहुत ही धीर गंभीर रहने वाले, व्याकुल,अशांत कुशल कूटनीतिज्ञ राजनीतिज्ञ और चिन्तन मनन करने वाले होते हैं। 
✍गुण एवं चारित्रिक विशेषताएं✍
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वायु तत्त्व होने के कारण आपके मन के घोड़े सदा दौड़ते ही रहेंगे और आप सदा कोई ना कोई योजना बनाने में मशगूल रहेंगे। चिन्तन मनन बहुत करेंगे,विचारशील व्यक्ति होगें।आप परिश्रमी तथा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति होगें।आप हर परिस्थिति में स्वयं को ढ़ालने में अनुकूल होगें, आप बहुत ही तर्कपूर्ण तरीके से अपने शब्दों की अभिव्यक्ति करते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपकी सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि आप एक समय में दोहरा व्यक्तित्व अपनाते हैं लेकिन दोनो व्यक्तित्व में संतुलन बनाकर रखते हैं।आपके एक रुप में क्रोधी तो दूसरे रुप में शांत चित कोई भी रुप सामने आए, आप दोनो में ही परिस्थिति अनुकूल स्वयं को ढ़ालने में सक्षम होते हैं।इसीलिए आप कहीं भी क्यूँ ना चले जाएँ, आपके आसपास के लोग कभी बोरियत महसूस नहीं करते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप एक जिन्दादिल व्यक्ति हैं और सदा मौज मस्ती के मूड में रहते हैं। प्रेम संबंधों को लेकर आप सदा ही जोश में रहते हैं लेकिन अपने प्रेम संबंधों का इजहार करने में आप झिझकते बहुत हैं।प्रेम संबंधों को पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश करते हैं, आपको मित्रों के साथ घूमना-फिरना भी बहुत अच्छा लगता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप समाज के नियमो का पालन भी बखूबी करते हैं और आप कभी अधिक समय तक अकेले नहीं रह सकते हैं।आपको अच्छी बाते करना, गपशप और तर्कपूर्ण बाते करना अच्छा लगता है। यही सभी खूबी आप सामने वाले व्यक्ति में भी तलाशते हैं और सामने वाला व्यक्ति आपके समान नही है तब आप एक कदम पीछे हटा लेते हैं क्योकि आपको साफ व स्पष्ट बात करना अच्छा लगता है। इन्ही सभी खूबियों के कारण आप महिलाओं को अत्यंत प्रिय होते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसारय ह मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जातक के अन्दर माया के प्रति भावना पाई जाती है और जातक जीवनसाथी के लिए हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है। साथ ही, घरेलू कारणों के चलते कई बार आपस में तनाव रहते है मंगल और शुक्र की युति के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है।जातक वाहनों की अच्छी जानकारी रखता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है। इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है।मंगल के कारण जातक वचनों का पक्का बन जाता है।
गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का शिष्य, दोनों मिलकर जातक में ईश्वरीय ताकतों को बढ़ाते हैं।इस राशि के लोगों में ब्रह्माण्ड के बारे में पता करने की योग्यता जन्मजात होती है। वह वायुयान और सेटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाता है।राहु-शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उत्पादित होती है। जातक का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जातक एक दायरे में रह कर ही कार्य कर पाता है और पूरा जीवन कार्योपरान्त फलदायक रहता है। जातक के अंदर एक मर्यादा होती है जो उसे धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपने को रत रखता है।गुरु जो ज्ञान का मालिक है, उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिए और रक्षा आदि विभागों की ओर ले जाता है।जातक अपने ही विचारों, अपने ही कारणों से उलझता है।
👩‍🎓कैरियर👨‍🎓
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जातक हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफलता लेते रहते हैं और पत्रकार, लेखक,मीडियाकर्मी, विभिन्न भाषाओं की जानकारी, योजनाकार भी बन सकते हैं।मिथुन राशि का होने से जातक के लिए मीडिया में जाना उचित हो सकता है क्योकि वहाँ वाकपटु होना जरुरी है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इसके अतिरिक्त आप ज्योतिष, अकाउंट्स, आंकड़ो से जुड़े काम भी कर सकते हैं।आप लेखन अथवा संपादन में भी अपना कैरियर बना सकते हैं। इंजीनियरिंग, शिक्षण तथा सलाहकारिता के काम भी आप कर सकते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसारआप अनुवादक,अच्छे आलोचक, साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारी, प्रकाशक, विश्लेषक तथा डाक-तार विभाग में
 भी आप भाग्य आजमा सकते हैं। मार्केटिंग फील्ड या वाणी के प्रभाव से होने वाला हर कार्य आपके लिए उपयुक्त होगा।
 🚫कमियाँ🚫
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इनमें असंगतता, सनकीपन भी झलकने लगता है। दरअसल इनका दोहरा व्यवहार इनके लिये कई बार सकारात्मक तो कई बार नकारात्मक साबित होता है। एक और ये शांत व गंभीर होते हैं तो दूसरी और मजाक उड़ाने में भी देर नहीं लगाते। संगत का रंग इन पर बहुत जल्दी चढ़ता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुरी संगत में ये बहुत बूरे हो जाते हैं तो अच्छी संगत इन्हें बहुत अच्छा बनाती है। इनके व्यक्तित्व का एक गुण मूडी होना भी है।
📖विवेचना📖
मिथुन - तीसरी राशि
राशि स्वरूप - स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध 
राशि स्वामी - बुध। स्वभाव- उग्र
दिशा - पश्चिम। वर्ण - शुद्र
लिंग - पुरुष। गुण - तम
तत्त्व - वायु। योनि - मनुष्य
प्रभुत्व - कंठ व भुजा
रंग - हरा। रत्न - पन्ना। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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Wednesday, 29 July 2020

स्त्री व्यवहार और ज्योतिष

स्त्रीयों का व्यवहार एवं ज्योतिष -

☀सूर्य☀ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है।यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं।अगर किसी महिला कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय में विश्वास करती है और संकट की घड़ी में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मगर सूर्य का आत्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा-डूबा सा रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है। पति से लगातार शिकायतें बनी रहती है। मन दुखों के बोझ से भरा हुआ रहता है। ऐसे में सूर्य का अर्घ्य देने की सलाह दी जाती है।          ❃चंद्रमा❃ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चन्द्रमा स्त्री की कुंडली में इसका महत्व और भी अधिक है।चन्द्रमा स्त्री की कुंडली में स्त्री का स्वभाव, प्रकृति, गुण -अवगुण आदि निर्धारित होते है। मन, मस्तिष्क, बुद्धिमत्ता, स्वभाव, जननेन्द्रियाँ, प्रजनन सम्बंधी रोगों, गर्भाशय अंडाशय, मूत्र -संस्थान, छाती और स्तन का कारक है। इसके साथ ही स्त्री के मासिक -धर्म ,गर्भाधान एवं प्रजनन आदि महत्वपूर्ण क्षेत्र भी इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।जिस स्त्री जातक की कुंडली में चंद्रमा अच्छी स्थिति में होता है तो वे महिलाएँ हंसमुख,सुहृदय,कल्पनाशील धार्मिक,जनसेवी एक सटीक विचारधारा युक्त और रचनात्मक होती हैं। हर काम में सक्रिय रहती हैं और उनमें नया काम करने की ललक होती है। राहू, केतू, बुध और शनि के कारण चंद्रमा पीडित हो तो स्त्री कर्कशा, रूदन करने वाली या कलहप्रिय होती है। ऎसी स्त्रियों को रोजाना सुबह खाली पेट मिश्री के साथ मक्खन खाने की सलाह दी जाती है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चंद्रमा पीडित होने पर शरीर में खनिज तत्वों और कैल्शियम की कमी हो जाती है। मक्खन में उपलब्ध खनिज तत्व एवं कैल्शियम जातक के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को फिर से दुरूस्त करता है और जातक हंसने खिलखिलाने लगता है। चन्द्रमा नीच का होने पर महिला सदैव भ्रमित ही रहेगी। हर पल उसे एक भय सताता है कि कोई भूत -प्रेत का साया उसको परेशान कर रहा है। कमजोर या नीच का चन्द्र किसी भी महिला को भीड़ भरे स्थानों से दूर रहने को उकसाएगा और एकांतवासी कर देता है। हिस्टीरिया जैसी बिमारी का शिकार हो जाती है। पांच रति का मोती अंगुली में पहनना तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। 
 ❁बृहस्पति❁ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पुरूष कुंडली में जहां शुक्र सांसारिकता और दैहिक सुख के लिए देखा जाता है वहीं स्त्री जातक के लिए गुरू महत्वपूर्ण है। स्त्री जातक के लिए उसके पति का प्रगति करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिस स्त्री जातक की कुंडली में वृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलते हैं। वृहस्पति खराब होने पर स्त्री जातक को अपमान और उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ऐसे में अधिकांश स्त्री जातकों को गुरू का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज रत्न सोने की अंगूठी में पहनने से गुरू का प्रभाव बढ़ जाता है। जिन जातकों के गुरू मारक या बाधक स्थान का अधिपति होता है उनके अलावा सभी स्त्री जातकों को बेधड़क पुखराज पहनाया जा सकता है। 
 ✿मंगल✿ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शुभ मंगल से स्त्री अनुशासित,न्यायप्रिय,समाज में प्रिय और सम्मानित होती है।जिन स्त्रियों की जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में हो तो वह आलसी,बुजदिलऔर थोड़ी सी डरपोक भी होती है।मानसिक अवसाद में घिरती चली जाती है। नीच राशि का मंगल स्त्री को मान -मर्यादा भूलने वाली,क्रूर और हृदय हीन भी बना देता है। मंगल रक्त और स्वभाव में उत्तेजना, उग्रता और आक्रामकता लाता है इसीलिए जन्म-कुंडली में विवाह से संबंधित भावों-जैसे द्वादश, लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम व अष्टम भाव में मंगल की स्थिति को विवाह और दांपत्य जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार समाज में वैधव्य का दंश दोष स्त्रियों को भोगना पडता है अगर स्त्री मांगलिक हो और उसका पति मांगलिक नहीं हो तो स्त्री हावी रहेगी और दांपत्य जीवन में तनाव रहेगा। अगर मंगल और शनि आठवें स्थान पर हो तो उसे चूंदड़ी मंगल कहा जाता है। ऐसी स्थिति में मंगल वैधव्य के योग बनाता है। विधुर की तुलना में विधवा को पुरूष प्रधान समाज में अधिक समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए कुंडली मिलान के समय पुरूष की तुलना में स्त्री के मंगल पर अधिक ध्यान दिया जाता है। 
❃बुध❃ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिष में बुध और शनि ग्रह को नपुंसक ग्रह माना गया है। पुरूष कुण्डली में जहां शनि पीड़ादायी ग्रह है वहीं स्त्री जातक के लिए बुध पीड़ादायी ग्रह सिद्ध होता है। उच्च बुध के प्रभाव में जिस किसी भी स्त्री का बुध शुभ प्रभाव में होता है वे अपनी वाणी के द्वारा जीवन की सभी ऊँचाइयों को छूती हैं,अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान् और चतुर और एक अच्छी सलाहकार साबित होती है। व्यापार में भी अग्रणी तथा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी समस्याओं का हल निकाल लेती हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नीच का बुध स्त्री को कटु भाषी, अपनी बुद्धि से काम न लेने वाली यानि दूसरों की बातों में आने वाली अर्थात कानो की कच्ची होती है। भविष्य की अघटित घटना की चिंता करने वाली और चर्मरोगों से ग्रसित हो जाती है।बुध बुद्धि का परिचायक भी है अगर यह दूषित चंद्रमा के प्रभाव में आ जाता है तो स्त्री को आत्मघाती कदम की तरफ भी ले जा सकता है।
❁शुक्र❁ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कुंडली का अच्छा शुक्र स्त्री के चेहरे को आकर्षण का केंद्र बनाता है। यह जरुरी नहीं की स्त्री का रंग गोरा है या सांवला। सुन्दर नेत्र और सुंदर केशराशि से पहचाना जा सकता है स्त्री का शुक्र शुभ ग्रहों के सानिध्य में है। वह सोंदर्य-प्रिय भी होती है। अच्छे शुक्र के प्रभाव से स्त्री को हर सुख सुविधा प्राप्त होती है। वाहन, घर, ज्वेलरी, वस्त्र सभी उच्च कोटि के। किसी भी वर्ग की औरत हो, उच्च, मध्यम या निम्न उसे अच्छा शुक्र सभी वैभव प्रदान करता ही है।अगर आय के साधन सीमित भी हो तो भी वह ऐशो आराम से ही रहती है। अच्छा शुक्र किसी भी स्त्री को गायन, अभिनय, काव्य -लेखन की और प्रेरित करता है। चन्द्र के साथ शुक्र हो तो स्त्री भावुक होती है। और अगर साथ में बुध का साथ भी मिल जाये तो स्त्री लेखन के क्षेत्र में पारंगत होती है और साथ ही में वाक्पटु भी, बातों में उससे शायद ही कोई जीत पाता हो। अच्छा शुक्र स्त्री में मोटापा भी देता है और यह मोटापा स्त्री को ज्यादा आकर्षक बनाता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मगर बुरा शुक्र या पापी ग्रहों का सानिध्य या कुंडली के दूषित भावों का साथ स्त्री में चारित्रिक दोष भी उत्पन्न करवा सकता है। यह विलम्ब से विवाह, कष्ट प्रद दाम्पत्य जीवन, बहु विवाह, तलाक की और भी इशारा करता है। अगर ऐसा हो तो स्त्री को हीरा पहनने से परहेज करना चाहिए। कमजोर शुक्र स्त्री में मधुमेह,थाइराईड, यौन रोग, अवसाद और वैभव हीनता लाता है।            
❃शनि❃ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार स्त्री की कुंडली में अच्छा शनि उसे उदार,लोकप्रिय बनाता है और तकनीकी ज्ञान में अग्रणी रखता है। वह हर क्षेत्र में अग्रणी हो कर प्रतिनिधित्व करती है। राजनीति में भी उच्च पद प्राप्त करती है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दूषित शनि स्त्री को ईर्ष्यालु और हिंसक भी बना देता है। यह स्त्री में निराशा, उदासीनता और नीरसता का समावेश कर उसके दाम्पत्य जीवन को कष्टमय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता और धीरे-धीरे स्त्री अवसाद की तरफ बढ़ने लग जाती है। स्त्रियों में कमर-दर्द, घुटनों का दर्द या किसी भी तरह का मांसपेशियों का दर्द दूषित शनि का ही परिणाम है।चंद्रमा के साथ शनि स्त्री को पागलपन का रोग तक दे सकता है।     
 ✾राहु✾ 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार राहु से प्रभावित स्त्री एक अच्छी जासूस या वकील, अच्छी राजनीतिज्ञ हो सकती है। वह आने वाली बात को पहले ही भांप लेती है। विदेश यात्राएं बहुत करती है। कुंडली में राहु जिस राशि में स्थित होता है वैसे ही परिणाम देने लगता है। अगर बृहस्पति के साथ या उसकी राशि में हो तो स्त्री को ज्योतिष में रूचि होगी। शनि के प्रभाव में हो तो तांत्रिक-विद्या में निपुण होगी। चंद्रमा के साथ हो तो वह कई सारे वहमों में उलझी रहेगी। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार खराब राहु से प्रभावित स्त्री की वाणी में कटुता आ जाती है। वह थोड़ी घमंडी भी हो जाया करती है। भ्रमित रहने के कारण वह कई बार सही गलत की पहचान भी नहीं कर पाती जिसके फलस्वरूप उसका दाम्पत्य जीवन भी नष्ट होते देखा गया है। राहु के दूषित प्रभाव के कारण स्त्री चर्म -रोग, मति-भ्रम,अवसाद रोग से ग्रस्त हो सकती है।                ✾केतु✾ 
 पंंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केतु से प्रभावित महिला कुछ भ्रमित सी रहती है।अच्छा केतु महिला को उच्च पद, समाज में सम्मानित, तंत्र-मन्त्र और ज्योतिष का ज्ञाता बनाता है।पंंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुरा केतु महिला की बुद्धि भ्रमित कर उसे सही निर्णय लेने में बाधित करता है। चर्म रोग से ग्रसित कर देता है। काम-वासना की अधिकता भी कर देता है जिसके फलस्वरूप कई बार दाम्पत्य -जीवन कष्टमय हो जाता है। वाणी भी कटु कर देता है। केतु का प्रभाव अलग-अलग ग्रहों के साथ युति और अलग-अलग भावों में स्थिति होने के कारण ज्यादा या कम हो सकता है। 
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5 नंबर

🌻मूलांक (5) के बारे में🌻 



पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, और 23 को हुआ है तो आपका मूलांक 5 होगा। मूलांक पांच के अधिष्ठाता ग्रह बुध हैं इसलिए मूलांक पांच के व्यक्तियों पर बुध ग्रह के विशेषताओं का विशेष प्रभाव होता है। 

👉स्वाभाविक विशेषताएं👈

पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार मूलांक 5 का संरक्षक ग्रह बुध है। ज्योतिष में बुध “बुद्धि” का कारक है। इस मूलांक के व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहते है। ऐसा व्यक्ति झगड़ा करना पसंद नहीं करता है। इस मूलांक वाला व्यक्ति विलक्षण प्रतिभा से युक्त होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही तार्किक होता है।इस मूलांक वाले व्यक्ति निर्णय लेने मे निपुण होते है। ऐसे व्यक्ति परिश्रम करने से करने से बचते है। आप बहुत ही आसानी से धन कमाने की कोशिश करते है। पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आप हमेशा धनोपार्जन के नये रास्ते और तरीके खोजने का की कोशिश करते रहते है। आप दोहरी नीति के धनि व्यक्ति होंगे। कई बार तो आप करे या न करे के भवर जाल में भी झूलते रहते है।
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आप अपने आपको परिस्थिति के अनुरूप ढाल लेते हैं। मूलांक 5 वाले व्यक्ति किसी विषय को लेकर ज्यादा गम्भीर नहीं होते। आप न तो ज्यादा देर तक खुश रह सकते है और न ही ज्यादा देर तक दुखी रह सकते है।
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार मूलांक पांच का स्वामी बुध है।ये तार्किक, विचारशील और बौद्दिक क्षमता से परिपूर्ण होते हैं।नित्य नयी सूझ बूझ के साथ स्वयं को प्रदर्शित करने में इनका कोई शानी नहीं है।ये साहसिक,आत्म-विश्वास से भरे अपने मानसिक क्षमता से जाने जाते हैं।आप साहसिक, बेचैन और निरंतर कुछ न कुछ करते रहने वाले हैं।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार बदलाव और नवीनता आपको सबसे ज़्यादा पसंद है।आप साहसिक कार्यों में सबसे ज़्यादा आनंद लेते हैं और आप की साहस आप को एक नए मुकाम पर ले जाती है।शायद यही स्वभाव आपको अच्छा व्यवसायी बनता है।व्यवसाय में बुद्धिमत्ता, साहस और अनुशासन तीनों की आवश्यकता होती है और यही तो आपका स्वभाव है।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार नए बदलाव, नयी संभावनाएं आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता।नए विचारों पर प्रयास करना, नए लोगों से मिलना-जुलना, नए दोस्त बनाना आपका स्वाभाव है।आपको पुरातनपंथी कहना पूरी तरह से गलत होगा।आप लोगों को प्रोत्साहित करते हैं और अपनी बात मना पाते हैं और इसलिए आप एक अच्छे दुकानदार या व्यवसाई हो सकते हैं।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आपका जॉब अगर यात्रा करने से सम्बंधित है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि, एक जगह ठहर कर रहना आपका स्वभाव नहीं है।

👪पारिवारिक तथा दाम्पत्य जीवन👪

पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आपका पारिवारिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है। आपको अपने भाइयों, बहनो और परिजनों के साथ रिश्ता सामान्य बना रहेगा। आप के मित्र जल्दी बनते है। और उन्हें भूल में देर नही लगती वैसे आप भूलना नही चाहते है। मित्रों से आपको उतना लाभ नही मिलता जितना अन्य को मिलता है।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आपका वैवाहिक सम्बन्ध ठीक होगा। अधिक मिलनसार स्वभाव के होने के कारण महिला मित्र भी अधिक होते हैं। परन्तु मूलांक 5 वालों के प्रेम सम्बन्ध स्थायी रहता है दो विवाह की भी संभावनाए बानी रहती हैं। संतान को लेकर कुछ चिंताएं बनी रहेगी। ससुराल पक्ष से आपका रिश्ता सामान्य बना रहेगा।
🌷रोग🌷
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आपके शरीर में पीड़ा तथा तनाव हो सकता है। आप अनिद्रा के शिकार हो सकते है। शरीर में बदहजमी,नजला, सिर दर्द, नाक व आंखों की तकलीफ़ हो सकती है। 
🎓शिक्षा🎓
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आप पढाई करेंगे कई बार यह भी देखा गया है कि मूलांक 5 वाले पूरी उम्र कुछ न कुछ पढाई करते ही रहते है।अगर कोई विपरीत परिस्थिति न हो तो आप अपनी पढाई पूरा करेंगे। यदि आप अन्वेषणात्मक पढाई करते है तो आपको लाभ मिलेगा। पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसारआपकी रूचि वाणिज्यिक विषय में होगी। अर्थात आप कामर्स का अध्ययन करे तो अच्छा रहेगा। आप मेनेजमेंट की पढाई कर सकते है।आप कई भाषाओं के जानकार होते हैं। यदि आपकी शिक्षा कम भी रह जाती है तो भी आप समाज तथा परिवार में बुद्धिमान ही कहलाते हैं।धार्मिक ग्रंथों तथा गुप्त विद्याओं का भी अध्ययन करने में रूचि रखते है।
📰कार्यक्षेत्र📰
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आप शिक्षा व व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़कर अच्छा काम कर सकते है और इस क्षेत्र में एक नये मुकाम हासिल कर सकते है। आप अपने लाभ के लिए किसी भी हद तक जा सकते है इसमें कोई संदेह नहीं है। आप निरंतर अपने काम में लगे रहते है और नये-नये परिवर्तन तथा आविष्कारों से अपने नाम को रौशन करने का प्रयास करते हैं।आप हर काम करने से पहले कई बार सोचते है। आप अपने कामों में नीत नवीनता लाने के लिए हमेशा कोशिश करते हैं। आप नौकरी और व्यवसाय दोनों से लाभ प्राप्त कर सकते है। पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार आप ब्रोकर, सेल्समैन, क्लर्क तथा अध्यापक का कार्य कर सकते है। आपके जीवन का मूल रहस्य यह है अपने लक्ष्य को पाना।गुप्त विद्या और धार्मिक ग्रन्थों में रुचि होने के कारण आप ज्योतिषी का भी कार्य कर सकते है।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार मूलांक 5 वाले व्यापार और उद्योग धंधों में सफलता पाते हैं। आप अच्छे मैनेजर, वकील, जज, लेखाधिकारी, शिक्षाविद, डाक्टर, पत्रकार पब्लिक रिलेशन अधिकारी हो सकते हैं।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार इन्हें अर्थशास्त्र और संगीत का भी अच्छा ज्ञान होता है। ज्योतिष के क्षेत्र में आप अच्छा नाम कमा सकते है।आप निर्णय तुरंत लेते है तथा कार्य को बड़ी तेजी के साथ पूर्ण करते है। आपको अपना व्यवसाय करना ज्यादा अच्छा लगता है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि ऐसा जातक नौकरी के साथ कोई न कोई व्यवसाय भी करता है इसका मुख्य कारण यह होता है कि नौकरी से मिलने वाली निश्चित आय से आत्मसन्तुष्टि नहीं होती। वस्तुतः व्यवसाय इनके स्वभाव में होता है।
❌कमियाँ❌
पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार साहस और जिज्ञासा आपको नित्य नयी चीज़ों की तरफ ले जाता है और यही आपके रिश्तों में कड़वाहट लाता है। आप भावुक स्वाभाव के होने के बावजूद कभी कभी अच्छे पति या प्रेमी नहीं साबित होते।आप रिश्तों में थोड़ा स्थायीत्व लाऐ।साहस और नित्य नये विचारों को क्रियान्वित करने में आपका जीवन दिशाहीन हो सकता है।इन पर एक हद तक नियंत्रण लगा कर आगे बढे।याद रखें, एक मुकाम पर चीज़ों को एक दिशा में ही ले जाना पड़ता है।आपका साहस कभी कभी आपको जुआ,सट्टा या लाटरी की तरफ ले जाता है और आप कभी-कभी अपना सब कुछ दांव पर लगा देते है।ध्यान रहे, बहुत कुछ कुछ पाने की चाहत में आप सब कुछ न खो दें।पंडित अंंजनी कुुुुुुमार दाधीच के अनुसार अगर आपकी घूमने की इच्छा नहीं पूरी होती है तो आप निराशा के गर्त में चले जाते हैं।आप बहुत सोचते है जिसके कारण मानसिक उलझन में रहते है।आपके स्वभाव में दोहरापन रहता है यह उचित नहीं है।इसके कारण आपको नुकसान भी उठाना पड़ता है।आपका स्वभाव तथा सोच सबसे अलग है यह आपके लिए तो ठीक है परन्तु सब के लिए नहीं।आप स्वार्थी व्यक्ति है यह आपके ये तो ठीक है परन्तु अन्य के लिए ठीक नहीं होता।
✔️सलाह✔️
आपको बुध ग्रह की उपासना करनी चाहिए
माता सरस्वती की उपासना सभी समस्याओं का हल है। 
भगवान् गणपति की उपासना तथा प्रतिदिन गणपति के द्वादश नाम का जप करने से आर्थिक समृद्धि, मान सम्मान तथा यश की प्राप्ति होगी। 
किसी कार्य को हल्के में लेना सबसे बड़ी कमजोरी है।
दूसरे के स्वभाव को समझने की कोशिश करें।
आपके लिए शुभ दिशा है उत्तर।
आपके लिए शुभ धातु है चांदी। 
आपके लिए मूलांक 1,3,5,6 वाले जातक सच्चे मित्र हो सकते है।आपके लिए शुभ रंग हरा, सफेद रंग तथा नीला हैं। यदि आप अपने ऑफिस तथा शयनकक्ष के पर्दे, बेडशीट एवं दीवारों के रंग का प्रयोग निर्दिष्ट शुभ रंग में करे तो भाग्य आपका साथ देगा।
🏵विवेचना🏵
स्वामी ग्रह : बुध। इष्टदेव- भगवान लक्ष्मीनारायण
श्रेष्ठ प्रभाव : 21 मई से 22 जून तथा 21 अगस्त से 20 सितम्बर के मध्य उत्पन्न जातक
श्रेष्ठ तारीखें : 5, 14, 23
उन्नत समय : 21 मई से 21 जून, 21 अगस्त से 20 सितम्बर
निर्बल समय : मई, सितम्बर, दिसम्बर
शुभ दिन : बुध, सोम, गुरु, शुक्र
सर्वोत्तम दिन : बुधवार शुभ रंग- हल्का खाकी, सफेद, चमकीला, उज्ज्वल, हरा
शुभ रत्न- पन्ना 
रोग- फ्लू, लू लगना, जुकाम, स्नायु निर्बलता, मस्तिष्क रोग, ब्लडप्रेशर, चर्मरोग
श्रेष्ठ वर्ष- 5, 14, 23, 32, 41, 50, 59, 68
व्रत- पूर्णिमा, रविवार
दान पदार्थ- पन्ना, स्वर्ण, मूंगा, कांस्य पात्र, हरा वस्त्र, घृत, शक्कर, कर्पूर, हाथी दांत, पंचरत्न
विवाह श्रेष्ठता- 15 अगस्त से 14 सितम्बर, 15 मार्च से 15 अप्रैल व 15 जनवरी से 14 फरवरी के मध्य जन्मे जातकों से
मित्र अंक- 1, 3,5,6
शत्रु अंक- 2, 9
व्यवसाय- तार, टेलीफोन विभाग, ज्योतिष, सेल्समैन, बीमा, बैंकिंग, बजट, निर्माण, रेलवे, इंजीनियरिंग, संपादन, तम्बाकू, लेखन, पत्रकारिता, राजनीति, पुस्तक, ट्रांसपोर्ट, पर्यटन आदि
अनुकूल दिशा- उत्तर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम
अशुभ दिशा- दक्षिण-पश्चिम
pandit anjani kumar dadhich
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Monday, 27 July 2020

राखी

🏵रक्षाबंधन पर्व🏵


पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारत में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को राखी, श्रावणी, सावनी, और सलूनों के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन राखी के धागे को कवच सा शक्तिशाली माना गया है, जो कच्चे सूत, रंगीन कलावे और रेशमी धागे से निर्मित है। राखी का यह धागा रक्षा के संकल्प का पवित्र प्रतीक है। यह आंतरिक और बाह्य भय के उन्मूलन का पर्व है। इस पर्व भाई-बहन, गुरु-शिष्य, प्रकृति और मनुष्य के मध्य तारतम्य स्थापित कर सक्षम और समर्थ से अबला और कमजोर की सुरक्षा के संकल्प का त्योहार है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार 3 अगस्त 2020 को यानि सावन के समापन के साथ पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व  सर्वार्थ सिद्धी योग एवं आयुषमान योग की संधि में मनाया जाएगा। इसी दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रक्षाााबंधन के दिन भद्रा प्रातः 9:28 बजे तक रहेेेेेेेेेगी। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार राखी बांधने के महुर्त निम्नलिखित है-
शुभ का चोघड़िया प्रातः 9:30 से 11:00 बजे तक रहेगा। 
अभिजित मुर्ख दोपहर 12:18 से1:10 बजे तक रहेगा। 
लाभ -अमृत का चोघड़िया दोपहर 4:02 से 7:20 बजे तक रहेगा। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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Sunday, 26 July 2020

मूलांक 4

🌻मूलांक (4) के बारे में 🌻
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22 और 31 को हुआ है तो आपका मूलांक 4 होगा। मूलांक चार के अधिष्ठाता ग्रह राहु हैं इसलिए मूलांक चार के व्यक्तियों पर राहु ग्रह के विशेषताओं का बहुत प्रभाव होता है। परन्तु पाश्चात्य विद्वानों के मतानुसार मूलांक चार का स्वामी हर्षल ग्रह को माना है।
🌹स्वाभाविक विशेषताएं🌹
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक 4 वाले जातक के जीवन में परिस्थितियां और घटनाएं अचानक ही घटित होती हैं जिनकी इन्होंने कल्पना भी नहीं की होती है।आप लोग निरंतर क्रियाशील रहते हैं।आप लोग सामाजिक और व्यावहारिक सोच रखने वाले लोगों में से हैं।आप मेहनती हैं और मेहनत से अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं।ये लोग कभी बहुत संपन्न तो कभी बहुत विपन्न भी देखे गए हैं।धन का गमनागमन, उन्नति-पतन, यश-अपयश, जय-पराजय, हानि-लाभ, सौभाग्य-दुर्भाग्य इत्यादि इनके जीवन में आता-जाता रहता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ये नवीनता के उपासक और प्राचीन रूढ़िवादिता का विरोध करते हैं।आपको प्राचीन प्रथा पर श्रद्धा और विश्वास नहीं होता है। आप प्राचीन परम्पराओ को उखाड़-फेकने तथा आधुनिक प्रथा के संस्थापक के रूप में कार्य कर सकते है। आप समाज में व्याप्त रूढ़ियों को दूर करने का भरसक प्रयास करते हैं। 
ये पूर्णरूप से सामाजिक होते हैं और उसका निर्वहन करते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप लोग संगठित रहते हैं और दूसरों से भी यही उम्मीद रखते हैं।घर पर साज सज्जा के साथ रहना इन्हे पसंद है और अगर इन्हे असंगठित देखें तो जान लीजिये की कुछ ठीक नहीं है।आप लोग त्यौहार, पर्व, पार्टी मानाने के शौक़ीन होते हैं और इसी से अपना दिमाग शांत रखते हैं।इनका सही और गलत का परख अच्छा रहता है और ये खुद ईमानदार होते हैं और दूसरों की ईमानदारी का सम्मान करते हैं।आप लोगों के सपने सत्यता के करीब होते हैं और उन्हें मेहनत से पूरा करने में आप कभी पीछे नहीं हटते।आप निर्माण कार्य जैसी चीज़ों में ज्यादा निपुण होते हैं। आप कभी भी अपने आस पास लोगों को शिक्षित करने में कभी नहीं चूकते।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप लोग वफादार, भरोसेमंद और अपनी बात के पक्के होते हैं और एक अच्छा मित्र या साथी साबित होते हैं. कुल मिला जुला कर आप एक सामाजिक, व्यवहारिक और भरोसेमंद इंसान हैं। मूलांक चार के व्यक्ति की सोच सामान्यजन से प्रायः अलग होती है। इसी कारण आपके मित्र भी कभी कभी दुश्मन हो जाते हैं।आपके व्यवहार में विरोध की प्रमुखता होती है जो जीवन के प्रत्येक स्तर पर दिखाई देती है। इस कारण लोग इन्हें लड़ाकू व झगडा़लू भी समझ बैठते हैं।आप समाज सुधारक के रुप में कार्य कर सकते हैं। आप जैसे लोग समाज में नई परम्परा को स्थापित करते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक चार का जातक राहु के प्रभाव में होता है इस कारण इस मूलांक के लोगों में विध्वंसात्मक तथा साहसिक कार्य करने कि प्रवृत्ति होतीे है। आपके व्यक्तित्व को आसानी से समझ पाना आसान नहीं होता। आप अपनी गोपनीयता को गोपनीय बनाये रखना चाहते है परन्तु अंततः आपकी पोल खुल ही जाती है।आप सहजतापूर्वक अथवा जल्द ही किसी से संबंध स्थापित या दोस्ती नहीं कर पाते हैं किंतु जब एक बार दोस्त बना लेते हैं तो बहुत अच्छे मित्र साबित होते हैं।मूलांक चार के जीवन में अचानक प्रगति होती है।जीवन में अनेक असंभावित घटनायें भी घट सकती हैं।  
👪पारिवारिक तथा दाम्पत्य जीवन👪
मूलांक चार के जातकों का पारिवारिक और दाम्पत्य जीवन कुछ क्लेशयुक्त भी रहता है। इन्हें पत्नी के स्वास्थ्य की सदैव चिंता बनी रहती है। यदि परिवार के सदस्य उनकी देखभाल करते हैं, तो भी वे अपने को हमेशा अकेला ही समझते हैं इनका अकेलापन दूर नहीं हो पाता है। प्रेम विवाह की संभावना रहती हैं। भाई तथा बहिनों से कम ही बनती है। परन्तु मूलांक 6 तथा 8 से संबंध सहजता से स्थापित कर लेते हैं। 
👨‍🎓 शिक्षा👩‍🎓
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप पढाई करेंगे लेकिन 14 से 16 वर्ष की अवस्था में पढाई में दिक्कत आ सकती है। आप अपनी पढाई पूरा कर सकेंगे। यदि आप अन्वेषणात्मक पढाई करते है तो आपको लाभ मिलेगा।आपकी विज्ञान विषय में रुचि होती है। कंप्यूटर की पढाई आपके लिए सबसे अच्छा होगा। आप मेडिकल की भी पढाई कर सकते है। पैथोलॉजी का कोर्स आपके बहुत अच्छा रहेगा।
👉कार्यक्षेत्र👈
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप सामाजिक व राजनीति क्षेत्र से जुड़कर काम कर सकते है और इस क्षेत्र में एक नये मुकाम हासिल कर सकते है।आपको अपने जीवन यात्रा में दो प्रकार से आय प्राप्त होती है। आप नौकरी और व्यवसाय दोनों का लुफ्त उठा सकते है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप डॉक्टर, ब्रोकर, वैज्ञानिक, सेल्समैन, समाजसुधारक, क्लर्क, राजनितिज्ञ तथा पुलिस का कार्य कर सकते है। इसके अलावा आप अच्छे इंजीनियर, वकील, मैकेनिक या अकाउंटेंट भी हो सकते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपके जीवन का मूल रहस्य यह है कि आप बिना किसी का परवाह किये अपने लक्ष्य को पाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। आप परिस्थिति का दास न बनकर परिस्थितियों को ही दास बनाने के लिए दृढ संकल्प ले लेते हैं।
❌कमियाँ❌
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अपने तरीके से काम करने के वजह से आप लोग कभी कभी जिद्दी या गुस्सैल हो जाते हैं और अपनी जिद्द में दूसरों की बातों को नज़रअंदाज़ कर जाते हैं।आप लोगों के मुह पर बिना लिहाज़ किये ऐसे बातें बोल देते हैं जिससे आप के बहुत से शत्रु बन जाते हैं।ऐसी परिस्तिथियों से बचे और अपने ज़बान और लिहाज़ का ख्याल रखें।व्यवहारिक होने के बावजूद आप अपनी योजनाओं को मूर्त रूप देने में इतना विलम्ब करते हैं जिससे सही मौका हाथ से निकल जाता है।आप कभी कभी ऐसा महसूस करने लगते हैं की सब ठीक चल रहा है और कुछ भी करने की ज़रुरत नहीं है,आप का यही स्वभाव अच्छे मौकों को छोड़ देता है और बाद में बहुत देर हो चुकी रहती है।आप अपनी निरंतरता बनाये रखे और यही आप का स्वाभाव भी है।अगर आप उम्मीद से कम आराम या मज़ा करते हैं तो आप निराशा के गर्त में जाने लगते हैं।हालाँकि, आराम आपका स्वाभाव नहीं हैं।आप अति व्ययी है जिसके कारण धन संग्रह अधिक नहीं कर पाते हैं।आप सामजिक सोहरत पाने के चक्कर में अनेक दुश्मन बना लेते है यह उचित नही है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार क्रोधी स्वभाव होने के कारण कभी-कभी बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।आपका स्वभाव तथा सोच सबसे अलग है यह आपके लिए तो ठीक है परन्तु सब के लिए नहीं। 
दूसरों को हानि पहुँचाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना क्षणिक आनंददायक तो देता है परन्तु अंतिम परिणाम दुखदायक होता है।
🎭रोग एवं उपचार🎭
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपको हृदय रोग, रक्तचाप, अनिंद्रा, पीठ दर्द, रक्ताल्पता, श्वांस रोग, टांगों में चोट और नैत्ररोग आदि होने की संभावना बनी रहती है। दुर्घटना में मृत्यु होने का भय बना रहता है। स्थायी स्वास्थ्य के लिए पालक, हरी सब्जियां एवं अंकुरित मूंग का सेवन विशेष लाभदायक है। 
📖सलाह📖
आपको गोमेद या काले हकीक की अगुंठी धारण करनी चाहिए।
भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए। 
भगवान् शिव की उपासना तथा रुद्राभिषेक से आर्थिक समृद्धि, मान सम्मान तथा यश की प्राप्ति होगी।आपके लिए शुभ दिशा है नैऋत्य कोण।
आपके लिए शुभ धातु चांदी है । 
आपके लिए मूलांक 6, 8 वाले जातक सच्चे मित्र हो सकते है।
आपके लिए शुभ रंग काला, आसमानी, मैरून, हरा, पीला तथा नीला हैं। यदि आप अपने ऑफिस तथा शयनकक्ष के पर्दे, बेडशीट एवं दीवारों के रंग का प्रयोग निर्दिष्ट शुभ रंग में करे तो भाग्य आपका साथ देगा।
किसी कार्य को हल्के में लेना सबसे बड़ी कमजोरी है।
आप अपने शुभचिंतकों को समय पर नहीं पहचान पाते तथा ‍जिद्द और अहंकार में आकर अपना नुकसान कर लेते हैं। अतः आपको सहज रुख अपनाना चाहिए। 
अधिक धन खर्च करने से बचे तथा धन संचय करने के लिए योजना बनाये।अपनी संघर्ष करने की प्रवृत्ति पर अंकुश रखकर, सहनशील तथा सहिष्णु बन सकें और शत्रुता कम पैदा करें।दूसरे के स्वभाव को समझने की कोशिश करें।
🔔विवेचना🔔
स्वामी ग्रह - राहु या हर्षल ग्रह
शुभ समय - 21 जून से 30 अगस्त
निर्बल समय - अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर
शुभ तिथियां - 4, 13, 22, 31
सहायक तिथियां : 2, 11, 20, 29
शुभ वर्ष - 4, 13, 22, 31, 40, 45, 58, 67
सहायक वर्ष - 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74
शुभ दिन - रविवार, सोमवार, शनिवार
सर्वोत्तम दिन - शुक्रवार तथा शनिवार
शुभ रंग - धूप-छांव, नीला, भूरा या स्लेटी रंग
रत्न - गोमेद। धातु - लौह।
रोग - रक्तदोष, संक्रामक रोग, पशु से आघात प्रभावित अंग- पिंडलियां व श्वास क्रिया
देव - गणपति। व्रत - गणेश चतुर्थी
दान - लाल पदार्थ व खाद्यान्न
विवाह संबंध - 15 जुलाई से 15 अगस्त, 15 मई से 14 जून तथा 15 अक्टूबर से 18 नवम्बर के मध्य जन्मे जातक से संबंध उचित। 
व्यवसाय - स्प्रिट, तेल, कैरोसिन, पारा, इत्र, रेल विभाग, वायु सेना, टेक्नीशियन, इंजीनियरिंग, रंगसाजी, छापे का कार्य, टेलीफोन आपरेटर, पत्रकारिता, शिल्प कार्य, विद्युत कार्य, भाषण, उपदेशक, राज्यकर्मचारी, ठेकेदारी
शुभ दिशा - दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम
अशुभ दिशा - उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Saturday, 25 July 2020

सूर्य के उपाय

☀सूर्य के उपाय एवं शान्ति ☀

सूर्य - पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य ग्रह सभी ग्रहों का राजा माना गया है। वैदिक ज्योतिष में इसे आत्मा, मान-सम्मान, राजा, उच्च पद, सरकारी सेवा, लीडरशिप आदि का कारक माना जाता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। यह तुला राशि में नीच का होता है। जबकि मेष राशि में यह उच्च का होता है।शनि और शुक्र इसके शत्रु ग्रह हैं।
❄अशुभ सूर्य का प्रभाव❄
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है। मुँह में थूक बना रहता है। यदि घर पर या घर के आसपास लाल गाय या भूरी भैंस है तो वह खो जाती है या मर जाती है। यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हों तो घर की स्त्री को कष्ट होता है। यदि सूर्य और मंगल साथ हों और चंद्र और केतु भी साथ हों तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट। सूर्य के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति अपना पद भी खो बैठता है।
🌻क्या ना करें🌻
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य कमजोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवा किसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको गेहूं और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है। पिता और पिता तुल्य व्यक्ति का अपमान नही करना चाहिए। 
✍उपाय ✍
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय करके सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। जो निम्नलिखित हैं - 
∆ "ओम् ह्रां ह्रीं ह्रूं स: सूर्याय नमः" या "ओम् घृणि सूर्यायः नमः"। इन दोनों में से कोई एक मंत्र का 108 बार जाप किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार से शुरू कर प्रतिदिन करे। 
∆ प्रतिदिन सूर्येदेव को प्रणाम करके ताम्र पात्र में जल सामने रखकर लाल वस्त्र धारण करके पूर्व दिशा की तरफ मुख करके 1 माला सूर्यमंत्र जाप करने के पश्चात ताम्र पात्र से अर्ध्य दे। 
∆ पिता की सेवा करने से भी सूर्येदोष शान्त होता है
∆ भगवान विष्णु की पुजा कर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते हुए रविवार का व्रत करना चाहिए। 
∆ दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए। सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष के व्यक्ति को देना चाहिए।
∆ गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए। 
∆ किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है। अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमजोर है तो आपको अपने पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। 
∆ प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है। 
∆ सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
∆ रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
∆ ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
∆ लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
∆ किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
∆ हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
∆ लाल चन्दन को स्नान के जल में डालकर स्नान करना चाहिए।
∆ सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।  
∆ गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य का अशुभ प्रभाव कम होता है। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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वृष राशि के बारे में

🌻वृष राशि के बारे में🌻

वृष राशि(अक्षर तालिका- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वृष राशि बारह राशियों में द्वितीय स्थान रखने वाली राशि है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है तथा वृष राशि का चिह्न बैल है। बैल के समान ही स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। यह स्त्री राशि, हृस्वाकार,सोम्य स्वभाव, स्थिर राशि, रात्रि बली, पृष्ठोंदय प्रधान, जलाश्रयी, चतुष्पदी प्रधान और दक्षिण दिशा की स्वामिनी मानी जाने वाली यह राशि दशम भाव में बली या प्रखर होती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वृष का अर्थ होता है बैल  जो कि स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी, शक्तिशाली और बहुत अधिक वीर्यवान होता है और प्राय वह शांत रहता है किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है।
✍चारित्रिक विशेषताएं ✍
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वृष राशि के पुरुष हठी, जिद्दी, भावुक महत्वाकांक्षी,एवं परिश्रमी होते हैं। इनका उद्देश्य सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य के साधन जुटाने का होता है। ये व्यवहार कुशल, सहनशील एवं दृढ़ता से कर्मरत रहकर अन्त में लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। प्रेम के क्षेत्र में पूर्ण व्यवहारिक होते हैं। ये अनुभवी एवं सफल गृहस्थी होतें है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वृष राशि की स्त्री कुशल गृहणी, व्यवहार कुशल, सहनशील, हठी, मितव्ययी और जिद्दी होती है। ये अपनी प्रशंसा सुनना सुनने की इच्छुक होती है। ये जिस पर भी विश्वास करती है तो उस पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहती है। ये निष्कपट और सहज रूप से प्रेम करती है। ये अपने एकत्रित धन को अचानक प्रकट कर सबको आश्चर्य चकित कर देती है।
🌷स्वभाव🌷
आप संयमी व धैर्यवान व्यक्ति हैं इसलिए धैर्य आपका विशिष्ट गुण होता है। आपको लोगों पर अधिकार जमाना बखूबी आता है। शुक्र का प्रभाव होने के कारण दिल से सौम्य, विद्वान व गुरुओं का आदर करने में सिद्धहस्त होते हैं।मित्रता और शत्रुता दोनों को निभाना इनको बखूभी आता है।आप अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह बहुत अच्छी तरह से करते हैं। घर के सभी कर्तव्यों का पालन करना अपना धर्म समझते हैं और परिवार की सुख समृद्धि के लिए जितना आपके वश में होता है उससे बढ़कर करते हैं। आप एक मजबूत विचारधारा रखते हैं और खासियत यह भी है कि आप जो काम आरंभ करते हैं उसे तब तक करते रहते हैं जब तक कि आप किसी परिणाम पर नहीं पहुंच जाते हैं।आप अपनी विचारधारा के लोगों के साथ ही तालमेल बिठा पाते हैं और अन्य व्यक्तियों से आपको तालमेल जमाने में दिक्कत होती है। इसलिए अपने समान बुद्धि के लोगों से मिलना आपको ज्यादा आरामदायक लगता है। ऐसे तो आप निर्णय लेने में समय लेते हैं परन्तु कई बार क्रोध में निर्णय लेने में जल्दबाजी कर देते हैं और यह क्रोध हल्का फुल्का नहीं होता है, भले आप लोगों की नजर में शांत हो जाएँ पर जब तक बदला नहीं ले लेते क्रोध शांत नहीं होता है।
🏵कमियाँ🏵
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप जिद्दी स्वभाव के व्यक्ति होंते है और आपको स्थिर रहना पसंद होता है। आप आसानी से अपनी जगह से हिलना पसंद नहीं करते हैं।यदि आपको अचानक से और अनायास कोई फैसला या किसी बदलाव के लिए कहा जाए तब आपका मूड खराब हो जाता है क्योंकि बिना विचार, मनन किए शीघ्रता से आप कोई काम करना पसंद नहीं करते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आलस्य आपकी आकांक्षाओं की पूर्ति में बाधक होता है इसलिए आप चिड़चिड़े भी हो जाते है। आपका क्रोध भंयकर होता है।
🎭जीवन विश्लेषण🎭
वृष राशि के जातक का पिता से अक्सर मतभेद रहता है।जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है।जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है।पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो स्वाभिमान की बात करता है सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मंगल के प्रभाव से जातक के अंदर मानसिक गर्मी प्रदान करता है।कल-कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता के जीवन में परेशानी ज्यादा होती है।ये अधिक सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामंजस्यता लाता है, जातक अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है आपके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है।अपने मन का राजा होता है।
🎭कैरियर🎭
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वृष राशि का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और शुक्र ग्रह की गिनती सौम्य ग्रहों में होती है।शुक्र ग्रह के प्रभाव से कला पक्ष प्रभावी रहता है। गीत, संगीत, फिल्म, टी.वी. इत्यादि से जुड़े हुए कार्य।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शुक्र भोग का कारक है इसलिए सभी भोगवादी वस्तुएं इस ग्रह के अन्तर्गत आती हैं, इसलिए आप उच्च स्तर की भोग की वस्तुओं से जुड़ा व्यवसाय कर सकते हैं। वाहन, पर्यटन संबंधी,फैशन, डिजायनर कपड, ग्राफिक्स व वेब डिजायनिंग, होटल, फोटोग्राफी, कवि या न्यूज़ एंकर भी हो सकते हैं।
📖विवेचना 📖
राशि स्वरूप- बैल
राशि स्वामी- शुक्र
स्वभाव - सौम्य
दिशा -  दक्षिण
वर्ण -    वैश्य
लिंग -    स्त्री
गुण -   रजो
तत्त्व - भूमि
योनि-  पशु
प्रभुत्व - मुख
रंग- श्वेत
रत्न - हीरा
शुभ अंक - 6
उपरत्न- ओपल
Pandit Anjani kumar Dadhich
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Friday, 24 July 2020

नाग पंचमी

नाग पंचमी 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हर वर्ष श्रावण 
मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 25 जुलाई 2020 को देशभर में नागपंचमी मनाई जाएगी। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। इस दौरान मंगल वश्‍चिक लग्न में होंगे खास संयोग यह है कि इसी दिन कल्कि भगवान की जयंती भी है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नाग पंचमी के दिन भगवान शिव शंकर और उनके गले में आभूषण की तरह विराजमान नाग देवता के स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। इसके अलावा जिन जातकों पर काल सर्प दोष है उनके लिए भी यह दिन बहुत अहम माना गया है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली में राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा करते हैं। इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पुजा करते है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मान्यता है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता और महादेव प्रसन्न होते हैं और काल सर्प दोष से ग्रसित जातकों को इस दोष से मुक्ति से मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उन्हें विशेष तौर पर नागपंचमी को विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
नाग पंचमी मनाने का कारण-
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नागपंचमी मनाने के पीछे मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शिव ने उसे पी लिया। भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूंदें नीचे गिरीं और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग पर विजय के उपलक्ष में भी नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नागपंचमी पूजा के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख आदि अष्टनागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी पर वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग की पूजा का विधान है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नाग पंचमी के दिन सर्वप्रथम भगवान महादेव और पार्वती की विधि-विधान से पूजन कर महादेव का रुद्राभिषेक करें। इसके बाद नाग-नागिन की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर दूध, अक्षत, फूल, चंदन और मीठा अर्पित करें।पूजन साम्रगी अर्पित करने के बाद महादेव और नाग देवता से अपनी बाधाओं को दूर करने की कामना करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करे।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
इसके बाद सर्प देव की आरती करें।कालसर्प शांति की प्रार्थना करें।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नागपंचमी पर कालसर्प दोष की शांति के अन्य उपाय जो  कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाते है वो निम्नलिखित हैं-
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सर्पों(नागो) का पूजन कर राहु केतु का जप स्वयं करें या किसी ब्राह्मण से करवाए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी सपेरे से सर्पों का जोड़ा ले पूजा कर जंगल में छोड़ें। परन्तु यह उपाय जोखिम भरा है।अतः मैं इसका पक्षधर कदापि नहीं हुं
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भगवान शिव को तांबे या चांदी की धातु से बना सर्प अर्पित करें और कालसर्प शांति की प्रार्थना करें।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नागपंचमी को दूध, जल, शहीद, फलों का रस, चंदन, इत्र से रुद्राभिषेक करें।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कालसर्प दोष शान्ति की पुजा करवाना। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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मूलांक 3 के बारे में।

🌻मूलांक (3) के बारे में🌻

पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21 और 30 को  हुआ है तो आपका मूलांक 3 होगा। अंक शास्त्र में मूलांक तीन का स्वामी ग्रह गुरु (बृहस्पति) हैंं। इसलिए मूलांक तीन के व्यक्तियों पर बृहस्पति ग्रह के विशेषताओं का बहुत प्रभाव होता है।
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप महत्वाकांक्षी, नेतृत्व का गुण रखने वाले, कलात्मक, अनुशासन-प्रेमी और स्पष्टवादी स्वभाव के हैं। आप की कलात्मकता और अभिव्यक्ति कुशलताा प्राप्त व्यक्ति बनाते हैं। आप अपने आस पास एक सकारात्मक ऊर्जा रखते है जो सबको पसंद आता है और आप जल्दी लोगों का दिल जीत लेते है और लोग आपके मुरीद हो जाते हैं।लोग आप के साथ सहज महसूस करते हैं।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप लोग आज पर कल से ज्यादा यकीन रखते हैं, इसी वजह से आप अपने जीवन का भरपूर आनंद लेते है।आपकी सोच इतनी सकारात्मक है कि आप सोचते हैं कि अपने आप समस्याएं सुलझ जाएंगी।इस सोच के अपने फायदे और नुकसान हैं।आपके विचारों में धार्मिकता और विचारों का स्पष्ट अनुमोदन करने की क्षमता होती है।मानसिक रूप से समृद्ध होने के कारण आप गूढ़ विषयों में भी अच्छी समझ रखते है।आपका आकर्षक स्वभाव लोगों में लोकप्रिय बना देता है।
✏️स्वभाव✏️
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप स्वभाव से शांतिप्रिय, कोमल हृदय, मृदुवाणी एवं सत्य वक्ता हैं। मूलांक 3 वाले साहसिक होते है। उनमे नेतृत्त्व करने की क्षमता है। आप में आध्यात्मिकता का भाव भरा होता है इसी कारण आप हमेशा सकारात्मक सोचते है। प्रत्येक स्थिति में अपने आप को खुश रखने का प्रयास करते हैं।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक 3 के जातक बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रवृत्ति के होते हैं।आप के अंदर वो सारे गुण है जो एक प्रशासक में होता है।आप स्वयं अनुशासन प्रिय है और चाहते है कि जो भी आप से जुड़ा है वह अनुशासित हो। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक 3 वाले व्यक्ति किसी का भी अहित नहीं करते हैं परन्तु अगर कोई इनका अहित करे तो कदापि नहीं छोड़ते बल्कि उनके लिए वे विषधर सर्प जैसे होते है।आप स्पष्ट वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। अपने कार्यों को लेकर हमेशा चौकन्ना रहते हैं। विवादों से दूर रहना आपको पसंद हैं। आपके विचारों में धार्मिकता कूट-कूट कर भरा होगा। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार धार्मिक कार्यो में आपकी रूचि रहती है। यदि धार्मिक संस्था से जुड़कर कोई कार्य करते है तो आपकी ख्याति कोने -कोने में फैलेगा साथ ही मान-सम्मान  में बृद्धि होगी। आप मानसिक रूप से पूर्ण विकसित होते हैं। आप अपने तर्क एवं ज्ञान शक्ति से दूसरों को प्रभावित करते हैं।
👉कमियाँ👈
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार अनुशासन के प्रति आपकी कठोरता आप के नीचे काम करने वालों के लिए समस्या बना देती है।आप खुद भी अनुशासित हैं और वही सबसे अपेक्षा रखते हैं।किसी भी नए कार्य को प्रारम्भ कर के उसे बीच में छोंड देना आपकी एक और समस्या है।आप हमेशा सफल होना चाहते हैं और यही पलायनवाद को जन्म देता है और आप सफलता हाथ न आने पर आप घोर निराशा प्राप्त करते हैं।अगर आप किसी से भावनात्मक तौर से आहात होते हैं, तब आप कठिन से कठिन बातों से उसपर हमला करते हैं और सत्य को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप किसी का एहसान नहीं लेना चाहते।आप किसी की रोक-टोक पसंद नहीं करते और और स्वाभिमान आहात होने पर क्रोधित हो जाते हैं।सफलता न मिलने पर निराश हो जाना आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है।जोश में आकर अधिक व्यय कर देते है बाद में परेशान होते है यह ठीक नहीं है।अपने सिद्धान्तों से समझौता नही करने के कारण मानसिक रूप से परेशान होते है जिसके कारण परिवार के लोग भी असहज जीवन व्यतीत करते है।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार तानाशाही प्रवृत्ति से दोस्त भी दुश्मन बन जाते है।आप स्वाभिमानी है अच्छी बात है परन्तु आपके अपने लिए न कि दूसरे लिए, इसे दूसरे के ऊपर न थोपे तो अच्छा रहेगा।
👪पारिवारिक तथा दाम्पत्य जीवन👪
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक तीन वाले लोगों के विचार परिवार में स्थित अन्य सदस्यो से किंचित भिन्न होता है यही कारण है कि कई बार आपको अपने परिवार में रहना पसन्द नहीं होता है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार इसका मुख्य कारण है की आप एक सैद्धान्तिक व्यक्ति है और अपने सिद्धान्त से हटना नहीं चाहते है परिणामस्वरूप पारिवारिक अंतर्विरोध बना रहता है और यह अंतर्विरोध शादी के बाद सबके सामने आ जाता है और आप अपने परिवार से दूर रहने का फैसला कर बैठते है। आपका दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। यदि आप शादी से पूर्व प्यार के चक्कर में फसे हुए है तो सावधान हो जाइये उस प्यार के कारण आपकी शादी देर से हो सकती है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार इनके दो विवाह भी हो सकते हैं क्योंकि पहले विवाह से कई  बार हानि होती है। ज्येष्ठ संतान की खातिर परेशानी झेलनी पड़ती है।
🎓शिक्षा🎓
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक 3 के लोग अध्ययनशील होते है। आप तो निरन्तर नए नए खोज में लगे रहते है। कुछ नया करना आपके स्वभाव में  ही है। पढाई के क्षेत्र में आप चाहते है की कोई ऐसा कार्य कर जो दुनिया के लिए मिशाल हो। आप अध्यनशील होकर लगातार अन्वेषण में लिप्त रहते हैं इसी कारण पढाई तथा लेखन जैसे बौद्धिक कार्यों के बल पर अपार सफलता प्राप्त करते हैं। आप जैसे लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करते है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार ऐसा जातक मेडिकल, इंजिनियरिंग तथा प्रबंधन शिक्षा में डिग्री प्राप्त करते है। आप 32 साल तक शिक्षा प्राप्त कर सकते है।16 से 19 और  22 से 25 साल में आपकी पढाई में बाधा आ सकती है।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप अपनी पूरी आत्मशक्ति से पढाई करते है तो शिक्षा के उच्च पद को हासिल करेंगे परन्तु जैसे ही पढ़ाई के प्रति उत्साह कम हुआ की आप धड़िम से नीचे पहुच जायेंगे। अतः अपने एनर्जी को लगातार बनाये रखे सफलता कदम चूमेगी।
📰कार्यक्षेत्र 📰
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप नौकरी तथा व्यवसाय दोनों कार्य कर सकते है। आपके लिए निम्न कार्य में आगे बढ़ सकते है यथा लेक्चरर, टीचर, अधिवक्ता,जज तथा लेखक जैसे कार्यो में मिल का पत्थर साबित हो सकते है। आप कोई भी कार्य आत्मविश्वास, धैर्य एवं शांत चित होकर करते हैं। आप जैसे लोग सरकार में अहम् पद पर कार्य करते है। प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में कार्य करते है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आप कवि, रेडियो संचालक, लेखक और संगीतकार भी होते है। बहुत से कवि, गायक, रेडियो संचालक मूलांक तीन के पाये गए हैं।
🔔सलाह🔔
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक तीन वाले जातकों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे हमेशा अपने गुरुदेव से आशीर्वाद ले और उनका स्नेह और आशीर्वाद से उच्च पदासीन होंगे।आपको वृहस्पति की उपासना करनी चाहिए। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार भगवान् विष्णु की उपासना करनी चाहिए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि, मान सम्मान तथा यश की प्राप्ति होगी। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार आपके लिए शुभ दिशा ईशान कोण है।आपके लिए शुभ धातु सोना है। मूलांक 1एवं 9 वाले जातक आपके सच्चे मित्र हो सकते है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक 3 के जातकों के लिए शुभ रंग पीला, लाल तथा नारंगी हैं। यदि आप अपने ऑफिस तथा शयनकक्ष के पर्दे, बेडशीट एवं दीवारों के रंग का प्रयोग निर्दिष्ट शुभ रंग में करे तो भाग्य आपका साथ देगा।किसी कार्य को हल्के में लेना सबसे बड़ी कमजोरी है।आप हमेशा अपने घर के सबसे बड़ो का आशीर्वाद लेकर कोई कार्य प्रारम्भ करते है तो निश्चित ही सफलता मिलेगी। नियमित ध्यान योग करे इससे स्वास्थ्य एवम भाग्य दोनों की वृद्धि होगी।
😂रोग एवं उपचार😂
पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार पीठ तथा पैरों में दर्द, चर्मरोग, गले का रोग एवं लकवा होने का भय होता है। लहसुन व अदरक का उपयोग कम करे। गुलकंद खाए।पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार केले की जड़ को पीले रंग के धागे से लपेट कर गले में धारण करने से बृहस्पति का दुष्प्रभाव कम होता है। पंंडित अंजनी कुमार दाााधीच के अनुसार मूलांक तीन वाले जातकों को पुखराज पहनना कारगर साबित होगा। पुखराज के अलावा सोनेला, टाईगर आई और पीला रंग का हकीक भी पहन सकते हैं।
👓 विवेचना 👓
स्वामी- देवगुरु वृहस्पति
विशेष प्रभावी- 19 फरवरी से 21 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक
शुभ तिथियां- 3, 12, 21, 30
सहायक तिथियां- 6, 15, 24 एवं 9, 18, 27
शुभ वर्ष- 3, 12, 21, 30, 39, 48, 57, 66, 75
सहायक वर्ष- 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69 एवं 9, 18, 27, 36, 45, 54, 63, 72
शुभ दिन- गुरुवार, शुक्रवार, मंगलवार
श्रेष्ठ दिन- गुरुवार
शुभ रंग- पीला, चमकीला, गुलाबी, हल्का जामुनी
उन्नत समय- मार्च, जून, सितम्बर, 19 फरवरी से 20 मार्च व 20 नवम्बर से 21 दिसम्बर
निर्बल समय- 7, 16, 23 तिथियां व जनवरी, जुलाई माह
शुभ रत्न- पीला पुखराज
प्रभावित अंग- जंघा और उसके आसपास के अवयव
रोग- चर्मरोग, रक्त दोष, वायु प्रकोप, मधुमेह, ज्वर, खांसी
देव- विष्णु
व्रत-पूर्णिमा
दान- पुखराज, पीला कपड़ा, पुस्तक, चने की दाल, नींबू, नारंगी, कांस्य पात्र, शंख, चीनी, घी, हल्दी
विवाह संबंध- 15 दिसम्बर से 14 जनवरी, 15 मार्च से 14 अप्रैल, 15 नवम्बर से 14 दिसम्बर व 15 अप्रैल से 14 मई के मध्य उत्पन्न जातक से
व्यवसाय- वस्त्र, भोजनालय, धर्मोपदेश, लेखन, संपादन, कानूनी सलाहकार, व्याख्याता, वकील, क्लर्क, चिकित्सा कार्य, दलाली, आढ़त, विज्ञापन, अभिनय, जल जहाज कार्य, पुलिस विभाग, दार्शनिक, प्रबंधन व जलीय व्यापार
शुभ दिशा- दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, उत्तर- पश्चिम
अशुभ दिशा- ईशान कोण
धातु- सुवर्ण।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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पितर दोष

🌻पितृश्राप दोष की शान्ति और उपाय🌻 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितृश्राप दोष एक अदृश्य दोष है।यह दोष जब घर के पितर अपने वंशजों के द्वारा अंत्येष्टि कर्म में हुई किसी त्रुटि के कारण, श्राद्ध कर्म ना करने से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से,अपने वंशजो के आचरण से पितर रुष्ट होने के बहुत से कारण होती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह दोष तब भी लागु होता है जब घर के परिजनों के द्वारा श्रद्धापूर्वक किसी भी अवसर पर याद नहीं करते हैं। और ना ही उन्हें कोई प्यार, स्नेह और आदर देते है। उनके प्रति अपने ऋण को चुकाने का प्रयास ही नहीं करते हैं तो ये पवित्र पितृ आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं, जिसे "पितृश्राप दोष" कहा जाता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न ,पंचम ,अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य ,चन्द्रमा ,गुरु ,शनि और राहू -केतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है।इनमें से भी गुरु ,शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है इनमें सूर्य से पिता या पितामह, चन्द्रमा से माता या मातामह , मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।
🙏पितृश्राप दोष का प्रभाव🙏
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ये दोष पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है इसका परिणाम जातक को मानसिक अवसाद, व्यापार में नुकसान, परिश्रम के अनुसार फल न मिलन, वैवाहिक जीवन में समस्याएं, कैरिअर में समस्याओं के रुप में प्रदर्शित होती है या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
✍पितृश्राप दोष के उपाय✍
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितृश्राप दोष के निवारण के उपाय निम्नलिखित है जिनके कारण इस दोष को कुछ हद तक कम किया जा सकता है - 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर के सभी बड़े बुजर्ग को हमेशा प्रेम, सम्मान,और पूर्ण अधिकार दिया जाए। उनका आशीर्वाद लेने, उन्हे पूर्ण रूप से प्रसन्न एवं संतुष्ट रखने से भी निश्चित रूप से पित्र दोष में लाभ मिलता है। 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अपने ज्ञात अज्ञात पूर्वजो के प्रति ईश्वर उपासना के बाद उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने उनसे अपनी जाने अनजाने में की गयी भूलों की क्षमा माँगने से भी पित्र प्रसन्न होते है। 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अमावस्या को दूध की खीर बनाकर पितरों को अर्पित करने के बाद किसी ब्राह्मण को या भूखे व्यक्ति को खिलाने से भी इस दोष में कमी होती है ।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ पर मीठा जल मिष्ठान एवं जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुए कम से कम सात या 108 परिक्रमा करे तत्पश्चात् अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी खिलाने चाहिए।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अमावस्या को बबूल के पेड़ पर संध्या के समय भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन शिव लिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्यूंजय का जाप करना चाहिए ।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माँ काली की नियमित उपासना से भी पितृ दोष में लाभ मिलता है।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप घर में भोजन बनने पर सर्वप्रथम पित्तरों के नाम की खाने की थाली निकालकर गाय को खिलाने से उस घर पर पित्तरों का सदैव आशीर्वाद रहता है घर के मुखियां को भी चाहिए कि वह भी अपनी थाली से पहला ग्रास पित्तरों को नमन करते हुये कौओं के लिये अलग निकालकर उसे खिला दे।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितरों के निमित घर में दीपक, अगरबत्ती को प्रात:काल पूजा के समय ऊँ पितृय नम: कम से कम 21 बार उच्चारण करें।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार श्रीमद भागवत गीता का ग्यारहवां अध्याय का पाठ करें।
❃पित्र पक्ष अथवा अमावस्या के दिन पितरों को ध्यान करके सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण पूजन के बाद गरीबों को दान करने से पितर खुश होते हैं। ब्राह्मण के माध्यम से पितृपक्ष में दिये हुऐ दान-पुण्य का फल दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार पिंडदान, तिलांजली और ब्राह्मणों को पूर्ण श्रद्धा से भोजन कराने से जीवन में सभी सांसारिक सुख और भोग प्राप्त होता है। 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार के दिन पीपल की जड़ में गंगा जल, काला तिल चढाकर आटे के द्वारा निर्मित चौमुखी दिपक जलाए और ओम् पिप्लाद मुनि मंत्र का जाप करते हुए पिपल की परिक्रमा करे। पीपल और बरगद के वृ्क्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है ।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अपने पूर्वजो के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने उन्हे पूर्ण रूप से संतुष्ट करने उनको प्रसन्न रखने वाले व्यक्ति पर हमेशा दैवी कृपा बनी रहती है।उसके कार्यों में कोई भी अवरोध नही होता है।उसकी सर्वत्र जय जयकार होती है ।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार "ओम् नमो भगवते वासुदेवाय" की एक माला का नित्य जाप करें। 
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जब भी किसी तीर्थ पर जाएं तो अपने पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से उनका तर्पण अवश्य ही करें । 
 ❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पितृपक्ष मे अपने पितरों की याद मे वृक्ष, विशेषकर पीपल लगाकर, उसकी पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने से भी पितृदोष समाप्त होता है ।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितृ सूक्त का पाठ करने से पितृदोष की शांति होती है। इस पाठ को शाम के समय तेल का दीपक जलाकर करना चाहिए।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृ दोष उत्पन्न करती है तो तो ऐसी स्थिति में मोह को त्याग कर उसकी सदगति के लिए "गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र " का पाठ करना चाहिए।
❃पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना चाहिए।लेकिन ये सहयोग पूरे दिल से होना चाहिए ,केवल दिखावे या अपनी बढ़ाई कराने के लिए नहीं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी भी नदी के किनारे जहाँ शिववास भी हो वहाँ पर त्रिपिंडि श्राद्धकर्म पुजा करके भी पितृश्राप दोष का निवारण होता है। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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Thursday, 23 July 2020

आग्नेय मुखी भवन या भुखंड का वास्तु

आग्नेयमुखी भवन अथवा भूखण्ड का वास्तु -
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जिस भवन के मुख्य द्वार के दक्षिण-पूर्व दिशा जिसे आग्नेय दिशा भी कहा जाता है उस दिशा की ओर मार्ग होता है वह आग्नेयमुखी भवन कहलाते है। आग्नेय का मतलब होता है आग का स्थान।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) दिशा के स्वामी भगवान श्री गणेश तथा इस दिशा का प्रतिनिधि ग्रह शुक्र ग्रह है। इस तरह के भवन का शुभ अशुभ परिणाम का प्रभाव सीधे घर की स्त्रियों, बच्चो पर ज्यादा पड़ता है ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिशा के भवन में निवास करने वाले लोगो को आर्थिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का ज्यादा सामना करना पड़ता है और इस दिशा के भवन में कलह भी ज्यादा होती है। लेकिन यदि वास्तु के सिद्दांतो या उपायों का पालन किया जाय तो यह भवन भी अवश्य ही शुभ साबित होते है। वास्तु के कुछ उपायों का वर्णन निम्नलिखित हैं-
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा के भवन के मुख्य द्वार पर सिद्धि विनायक गणेश जी की मूर्ति अन्दर बाहर दोनों तरफ से अवश्य लगाये।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिशा के भवन में यदि आग्नेय कोण दक्षिण की तरफ ज्यादा बढ़ा हो तो शत्रुता एवं घर की स्त्रीयों को रोग की सम्भावना होती है। इसके विपरीत भवन का पूर्व, ईशान की तरफ ज्यादा बढ़ा होना शुभ होता है ।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस तरह के भवन में मुख्य द्वार अग्नेय और दक्षिण की जगह पूर्व की तरफ अवश्य ही होना चाहिए । यदि किसी जरुरी कारणवश पूर्व की तरफ मुख्य द्वार संभव ना हो तो भी पूर्व में एक द्वार अवश्य ही बनाना चाहिए एवं इसी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए ।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा के भवन में मुख्य द्वार नैऋत्य में भी कतई न बनाएं। इससे चोरी व धन हानि का सदैव भय बना रहता है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा को बंद न करें, इस दिशा में छोटा दरवाजा अथवा खिड़की अवश्य ही रखें। इस दिशा को बंद करने से विकास में गतिरोध आ जाता है और आकस्मिक दुर्घटनाओं की सम्भावना भी रहती है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस तरह के भवन में चारदीवारी का निर्माण उत्तर, ईशान एवं पूर्व से ऊँचा लेकिन दक्षिण और नैत्रत्य से नीचा होना चाहिए। उत्तर, ईशान एवं पूर्व में रिक्त स्थान ज्यादा से ज्यादा छोड़ना चाहिए लेकिन दक्षिण और नैत्रत्य में रिक्त स्थान नहीं होना चाहिए ।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा अग्नि की दिशा है अत: इस दिशा में रसोई घर होना हर तरह से शुभ होता है । चूँकि घर की स्त्रियों का काफी समय रसोई में गुजरता है अत: आग्नेय दिशा में रसोई होने पर ना केवल घर की स्त्रियों का वरन घर के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  घर के सभी सदस्यो में प्रेम भावना भी बनी रहेगी लेकिन किचन किसी-भी प्रकार से गोल न हो वरन उसे वर्गाकार रखना चाहिए, अन्यथा मकान के निवासीयों का सुख चेन बाधित रह सकता है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस तरह के भवन के सामने की ओर अर्थात आग्नेय कोण की फर्श यदि नीची हुई या इस दिशा में सेफ्टिक टेंक या गड्डा होने घर के मालिक या उसकी संतान को दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा ईशान (उत्तर-पूर्व) और वायव्य (पश्चिम-उत्तर) से ऊँची होनी चाहिए लेकिन यह नैऋत्य(पश्चिम-दक्षिण) से अवश्य ही नीची होनी चाहिए। इससे यश की प्राप्ति होती है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस तरह के भवन में बिजली के मीटर, जनरेटर, बिजली का खम्भा आदि की स्थापना अग्नेय कोण में ही करनी चाहिए ।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा के भवन में सामने की तरफ अर्थात अग्नेय दिशा में कुआं, बोरिंग नल आदि का निर्माण भूलकर भी ना करवाएं। ऐसा करने से घर की स्त्री व संतान को कष्ट होने की सम्भावना रहती है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा के भवन के ईशान में उत्तर की ओर सैप्टिक टैंक एवं ईशान दिशा में पूर्व की ओर कुआं बनाना शुभ माना जाता है।
✿ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आग्नेय दिशा के भवन के सामने की ओर अर्थात अग्नि कोण में बाथरूम बहुत ही अशुभ होता है। इस दिशा में बाथरूम होने पर पत्नी हावी रहती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर में कलह होगी और सास बहू में सदैव विरोध रहने की सम्भावना होगी।
अत: यदि आप अपने आग्नेयमुखी भवन का निर्माण यहाँ पर बताये गए वास्तु के सिद्दांतों के अनुसार करेंगे तो आप निश्चय ही सुखी जीवन व्यतीत कर पाएंगे।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakashtra Jyotish Hub

केतु के उपाय

केतु की शान्ति एवं उपाय
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है।अत: जिनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। केतु रात की ‍नींद हराम कर देता है।धन का अनावश्यक अपव्यय करा देता है। पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह का कारण भी केतु है। बच्चों से संबंधित परेशानी, बुरी हवा या अचानक धोखा होने का खतरा भी केतु के अशुम होने के कारण बना रहता है।इसकी दशा होने पर शांति हेतु जो उपाय जातक कर सकता हैं उनमें दान का स्थान प्रथम है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केतु की शांती के उपाय निम्नलिखित हैं -
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केतु से पीड़ित व्यक्ति को बकरे का दान करना चाहिए।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गाय की बछिया और केतु से सम्बन्धित रत्न लहसुनिया का दान भी उत्तम होता है।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सोमवार के दिन दुध, जल मे काले और सफेद तिल मिलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करे तथा 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मंगलवार के दिन किसी गरीब मजदूर नेत्रहीन, कोढ़ी, अपंग को पकौड़ी खिलाने तथा दुरंगा कपड़े का दान करने से केतू ग्रह शान्त होता है। बजरंग बली की पूजा आराधना करें।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गणपति की आराधना करने पर भी केतु का प्रभाव क्षीण होता है।अतः भगवान गणेश की पूजा करें। गणेश के द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करें। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी भी रविवार या बुधवार के दिन कोयले के आठ टुकड़े, कीले और ब्लेड को एक कुल्हड़ मे डाल कर उस कुल्हड़ को काले और सफेद कपड़े से बांध कर बहते पानी में प्रवाहित करें। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दुरंगे कुत्तों या गाय को खाने का सामग्री दें। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ब्राह्मणों को भात खिलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत प्रदान करता है। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार काले या सफेद तिल को काले वस्त्र में बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पानी में लोबान मिलाकर स्नान करें।
∆पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार काले रंग का रुमाल अपने छोटे भाई या मित्र को उपहार में दें। 
∆  पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केतु के मूल मंत्र  'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:' का रात्रि में 40 दिन में 18,000 बार बुधवार को जप करें। कुशा का आसन उसके ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर लाल वस्त्र भी धारण करके दक्षिण दिशा के तरफ मुख करके तांबे के कटोरी में जल भरकर जाप आरम्भ करें तत्पश्चात जाप समाप्त होने पर जल का पान कर लें। 
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कपिला गाय, दुंरगा कंबल, लहसुनिया, लोहा, तिल, तेल, सप्तधान्य, शस्त्र, बकरा, नारियल, उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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मूलांक २

मूलांक (2)के बारे में 


 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अंकशास्त्र में मूलांक 2  का विशेष महत्त्व है। यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 और 29 को  हुआ है तो आपका मूलांक 2 होगा और आप जीवनभर दो अंक से किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित होते रहेंगे।     पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक दो के लिए निर्धारित स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा मन का कारक है। "चंद्रमा मनसो जातः।" अर्थात चन्द्रमा हमारे अंतर्मन में उठाने वाले सुख -दुःख की भावनाओं का संचालन करता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यही कारण है की कुंडली में अशुभ चंद्रमा हमें मन को व्यथित और बात-बात में परेशान करता है। मानसिक बीमारियां तथा मन के उलझन का कारण भी तो चंद्रमा ही है। हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या ख़राब है इसका प्रथम फैसला तो मन ही करता है हां यह भी सही है कि यदि आपके कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थिति में है आपका मन सुविचारो को जन्म देता है। परन्तु यदि चंद्रमा अशुभ स्थिति  में है तो कुविचारों, कुदृष्टि को जन्म देता है इसमें कोई संदेह नहीं है।अतः यह स्पष्ट है की चंद्रमा की शुभता और अशुभता हमारे जीवन यात्रा को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
चारित्रिक विशेषताएं
आपका चन्द्रमा जैसा शीतल स्वभाव और जैसे चन्द्रमा हृदयता और मन का प्रतीक होता है, वैसे ही आप मन के धनी है। और बौद्धिक कार्यों में ज्यादा सफल साबित होते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप मृदुभाषी, कल्पनाशील, शांत और कोमल स्वाभाव के हैं। आप अन्वेषक हैं परन्तु मूलांक एक के जैसे उसे क्रियान्वित नहीं कर पाते। आपका बुद्धि चातुर्य अच्छा रहता है और इसी वजह से आप दूसरों से ज्यादा सम्मान प्राप्त करते हैं और लोकप्रिय बन जाते हैं।आप विचारों और सिद्धांतों के धनी हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा-स्रोत हैं।आप कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर पाते है और दूसरों से बाजी मार लेते हैं।मूलांक दो के जातक वफादार होते हैं अगर वे कहते हैं आप को प्यार करते हैं तो आप उनपर विश्वास कर सकते हैं। ये भावुक स्वभाव के अच्छे मित्र साबित होते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  दूसरों के दुःख-दर्द की इनमे अच्छी समझ होती है। इनमें दूसरों के मन की स्थिति जान लेने की क्षमता होती है। दूसरों के लिए भी संवेदनशील होते हैं और अच्छे श्रोता होते हैं।आप लोग मित्र बनाने मे सक्षम हैं, सौंदर्य प्रेमी भी होते है आपमें सौंदर्य-बोध कि अच्छी समझ होती हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मृदु-भाषी और अच्छी छवि के कारण इनमें राजनयिक या राजनेता बनने के गुण होते हैं और अपने प्रतिद्वंदियों के लिए एक प्रबल दावेदार साबित होते हैं।मूलांक दो के जातक निश्छल, निष्कपट, सत्यवादी और वफादार होते हैं।आप लोग अकेले रहना पसंद नहीं करते और आपको कोई न कोई साथ में चाहिए रहता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी भी व्यक्ति की बुराई में भी अच्छाई ढूंढ लेना आपके लिए प्लस पॉइंट है।आप की प्रवृत्ति सहज, सहृदय, सुशील और मृदुभाषी होती है।आप के अंदर दुसरे के अंतर्मन को शीघ्र ही जान लेते है।आप में स्पष्ट बोलने की शक्ति है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सामाजिक कार्यो से आपका लगाव रहता है सेवा भावना से काम करने में आप अपने आप को गौरवान्वित महसुस करते हैं।  

प्राकृतिक स्वभाव
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दो मूलांक वाले व्यक्ति का मन अस्थिर तथा चंचल  होता हैं। आप निरन्तर कुछ पाने के लिए कार्य करते रहते है। चाहे कोई भी विषय हो आप उसके मूल तक जाने का प्रयास करते है परन्तु सातत्य के अभाव में बीच में छोड़ देते है।  हमेशा अपने मन रुपी बुद्धि का इस्तेमाल करना आपकी फिदरत है ऐसा जान पड़ता है। आप कल्पना शक्ति के धनी है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  तन से ज्यादा आपका मन काम करता है। आप मन और बुद्धि का इस्तेमाल हर समय करते है इसलिए आप बुद्धिमान की श्रेणी में गिने जाते हैं। इस मूलांक के व्यक्ति कलाप्रिय तथा कलाप्रेमी होते हैं। आप सरल, सुशील, सभ्य, सहृदय तथा मृदुभाषी होते हैं। यदि कहा जाए कि भावुकता आप की पहचान है तो गलत नहीं होगा। आप  कोमल स्वभाव के होते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक दो  वाले लोग सहिष्णु, कल्पनाशील, कलात्मक प्रवृत्ति के और रोमांटिक होते है। आपकी बुद्धि चातुर्य काफी अच्छी है तथा बुद्धि विवेक के कार्यों में दूसरों से आगे निकल जाते हैं। एक लोकप्रिय व्यक्ति होते हैं तथा स्वयं की मेहनत से अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्राप्त कर लेते हैं।

कमियाँ
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप लोग किसी कार्य को लम्बे समय तक कर पाने में सक्षम नहीं होते।जैसे चन्द्रमा की कला बदलती रहती है उसी प्रकार से आपका विचार, मनः-स्तिथि और योजना बदलती रहती है।अस्तिरथा आपकी बड़ी योजनाओं के विफल होने का मुख्य कारण बनती है।आप में एकाग्रता की कमी और आत्म-विश्वास की कमी आपको निराशा के गर्त में ढ़केल देता है।अगर मन मुताबिक माहौल न मिले तो आप जल्दी निराश हो जाते हैं और अपना स्वाभाविक कार्य-संपादन करने में भी असफल हो जाते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अधिक संवेदनशीलता आपको भावुक और शर्मीला बनता है।इसी स्वाभाव से आप बहुत सी बातें सबको बता नहीं पाते अपने विचार रख नहीं पाते और इससे आपको समझ पाने में काफी समय लगता है।आपके विचार और योगदान इसी वजह से सामने नहीं आ पाते।दूसरों के दुःख दर्द से परेशान होना आपके स्वभाव की कमजोरी है। ऐसे में धोखा खाना भी संभव है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  मूलांक दो द्वैतवाद का प्रतीक है। आप जो हैं उसी छवि में दिखें या बने रहे। आप जो नहीं हैं आप उसे दिखाने का कोई प्रयास न करें। आप खुद को जानते हैं।दोहरे व्यक्तित्व से आपका जीवन कठिन बना सकता है, इससे बचें।आप जल्दी अनिर्णय की स्तिथि में पहुंच जाते है और आत्म-विश्वास की कमी उसमें आग में घी का कार्य करता है।अपने विचारों का सम्मान करें और अपनी ऊपर विश्वास रखें। 

पारिवारिक तथा दाम्पत्य जीवन 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपके पारिवारिक जीवन में कोई न कोई परेशानी बनी रहेगी जिसका मुख्य कारण होगा उचित समय पर उचित फैसला न लेना। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अक्सर यह देखा गया है की मूलांक २ वाले जातक का जन्म स्थान जरूर छूट जाता  है। ऐसे लोग अपने संयुक्त परिवार से अलग हो जाते है।आपका दाम्पत्य जीवन में भी दिक्कत आती है। कम उम्र में बहुत कम ही शादी होते हुए देखा गया है। आप लव मैरिज भी कर सकते है। शादी के तीन-साल बाद दाम्पत्य जीवन में समस्या आती है।



शिक्षा 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप शैक्षणिक योग्यता उत्तम होगा। दो मूलांक वाले व्यक्ति की पढाई में व्यवधान आते हुए देखा गया है कई बार पढाई बीच में ही छूट जाती है। इसका मुख्य कारण है एकाग्रता और निरन्तरता का अभाव होना। आप कमाने के चक्कर में पढाई छोड़ सकते है। इक्कीसवाँ साल पढाई के लिए महत्त्वपूर्ण होगा। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार साहित्य संगीत की पढाई में आपकी अधिक रूचि होनी चाहिए। यदि आप पेंटिंग का कार्य करते है तो सफलता प्राप्त कर सकते है।

कार्यक्षेत्र 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप नौकरी और व्यापार दोनों तरह के काम कर सकते है। आप को वैसे कार्य में विशेष सफलता मिलेगी जिसमे कूटनीति का प्रयोग होता हो अर्थात आप एक अच्छे सलाहकार हो सकते है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक  2 वाले लोग कवि, अभिनेता, अध्यापक, लेखक, रिपोर्टर पब्लिशर इत्यादि का कार्य करे तो अपार सफलता मिल सकती है अथवा आप एक अच्छे एजेंट की भूमिका निभा सकते है।   

स्वास्थ्य
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक २ वाले जातक कफ प्रकृति के होते है। आप को अपने पेट का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सर्दी-जुकाम, गैस, ब्लड प्रेशर तथा हृदयाघात की बिमारी हो सकती है। बाएँ आँख में परेशानी आ सकती है। जीवन काल में कोई न कोई ऑपरेशन की स्थिति बनेगी और ऑपरेशन कराना भी पड़ेगा। 40 वर्ष के बाद निरन्तर  जांच कराते रहना चाहिए।

कमजोरी 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक दो वाले जातक कार्य में एकाग्रता और निरन्तरता का अभाव होने से बीच में ही कार्य छोड़ने देते है।आत्मविश्वास कि कमी होती है।कार्य के प्रति उतावलापन बहुत होता है परन्तु निरन्तरता नहीं।अत्यधिक भावुक एवम संवेदनशील होते हैं। यही कारण है की अन्य के दु:ख दर्द से बहुत जल्द परेशान हो जाते है।आप बहुत जल्द निराश हो जाते है और स्वभाव से शंकालु होते हैं।
सलाह 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मूलांक दो वाले जातक को चंद्रमा तथा शिव की उपासना करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि तथा मान संम्मान व यश की प्राप्ति होगी।आपके लिए शुभ दिशा वायव्य तथा पश्चिम है।आपके लिए शुभ धातु चांदी है।आपके लिए 1, 9 मूलांक वाले जातक सच्चे मित्र होंगे।आपके लिए शुभ रंग सफेद , पीला, तथा  हरा हैं। यदि आप अपने ऑफिस तथा शयनकक्ष के पर्दे, बेडशीट एवं दीवारों के रंग का प्रयोग निर्दिष्ट शुभ रंग में करे तो भाग्य आपका साथ देगा।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  किसी कार्य को हल्के में लेना सबसे बड़ी कमजोरी है।आप हमेशा अपने माता का आशीर्वाद लेकर ही कोई कार्य प्रारम्भ करे तो निश्चित ही सफलता मिलेगी।गो ग्रास और गो सेवा करना आपके स्वास्थ्य परिवार तथा कार्यक्षेत्र के लिए वरदान है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपमें आत्मविश्वास कि कमी होती है अपने आत्मविशवास को बढ़ाये। कार्य में एकाग्रता और निरन्तरता का अभाव होने से आप बीच में ही कार्य छोड़ने देते है। अतः नियमित ध्यान योग करके एकाग्रता बढ़ाये। कोई कार्य प्रारम्भ करने से पहले पूरा करने के लिए समय का निर्धारण कर ले।आप अत्यधिक भावुक एवम संवेदनशील होते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यही कारण है की अन्य के दु:ख दर्द से बहुत जल्द परेशान हो जाते है यह उचित नहीं है।आप बहुत जल्द निराश हो जाते है।आप अपनी शक करने की आदत छोड़ दे तो बहुत अच्छा रहेगा। 

विवेचना

स्वामी ग्रह - चंद्रमा। आराध्य देव - शिवजी।

विशेष प्रभावी - 20 जुलाई से 21 अगस्त के मध्य जन्म लेने वाले जातक

अत्यंत शुभ तिथियां - 2, 11, 20, 29
मध्यम फलदायी तिथियां : 4, 13, 22 31 एवं 3, 16, 25
सर्वोत्तम वर्ष - 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65
मध्यम वर्ष - 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67 एवं 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70
शुभ दिन - सोमवार, शुक्रवार, रविवार
सर्वोत्तम दिन - सोमवार
शुभ रंग - सफेद, कर्पूरी, धूप-छांव, अंगूरी तथा हल्का हरा रंग
अशुभ रंग - लाल, काला, नीला
शुभ रत्न - मोती, चंद्रकांता मणि, स्फटिक, दूधिया
प्रभावित अंग - फेफड़े, छाती, हृदय, वक्षस्थल, जिह्वा, तालु, रक्त संचार
रोग - हृदय और फेफड़े संबंधी, अपच, डिप्थीरिया,निद्रा, अतिसार, जीभ पर छाले, रक्ताल्पता, गुर्दे संबंधी रोग, जलोदर, आंत रोग, कुंठा, उद्वेग
विवाह शुभता - 15 मई से 14 जून, 15 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 15 फरवरी से 14 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक से
शुभ मास - फरवरी, अप्रैल, जून, सितम्बर, नवम्बर
व्यवसाय - द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल, दूध-दही, संपादन, लेखन, अभिनय, नृत्य, ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन
शुभ दिशा - उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम
अशुभ दिशा - दक्षिण-पूर्व, पश्चिम
दान पदार्थ - मोती, स्वर्ण, चांदी, कपूर, श्वेत वस्तु, पुस्तक, धार्मिक ग्रंथ, मिश्री, दूध, दही, श्वेत पुष्प, शंख, कागज व चीनी
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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मेष राशि

मेष राशि के बारे में

मेष-(अक्षर तालिका-चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,आ) पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिष में बारह राशियाँ  होती है और जिसमें से सबसे प्रथम राशि मेष राशि होती है।मेष राशि का प्रतीक चिन्ह मेढा होता है जिसे आम बोलचाल की भाषा में भेड़ा कहा जाता है।इसके प्रभाव स्वरूप वाले जातक के स्वभाव में मेढे वाले गुण देखे जा सकते हैं। मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है और यह एक अग्नि तत्व राशि है।मंगल से प्रभावित होने पर इस राशि के लोगों में  क्रूरता और दबंगई का भाव अवश्य होता है।
∆स्वभाविक विशेषताएँ ∆
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि वाले जातक प्रायः चंचल स्वाभाव के, सदाचारी परन्तु क्रोधी स्वाभाव के होते हैं। अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पित रहने वाले होते है और अपने लक्ष्य को किसी भी प्रकार से हासिल कर लेने की कोशिश आप में रहते है। अपने लक्ष्य को पाने में आप निरंतर प्रयासरत रहते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेंष राशि वाले जातकों में  स्थिरता की कमी होती है। एक स्थान पर टिक कर बैठना आपको नहीं आता है सदैव व्यस्त रहते हैं मेष राशि वाले अपने कर्म क्षेत्र में भी बदलाव करते रहते हैं।अचानक या अनायास होने वाले फैसलों या बदलावों के लिए तैयार रहते हैं।कभी-कभी बिना विचार,मनन किए बिना भी शीघ्रता से कोई काम करना शुरू कर सकते हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि एक चर राशि है इसलिए अधिकतर समय आप गतिशील रहते हैं।मेष राशि वाले जातक  बड़ी से बड़ी चुनौती से भी नहीं घबराते बल्कि कोई भी चुनौती को अच्छे से निपटा देते हैं। आपको नेतृत्व करने की चाह रहती है एवं प्रत्येक कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लेना आपको अच्छा लगता है। मेष राशि वाले जातक सभी स्थानों में सबसे आगे रहना चाहते हैं, खेल कूद में भाग लेना पसंद होता है इसी के साथ साथ नए-नए परिधानों को पहनने का शौक भी हो सकता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि वाले जातक शारीरिक श्रम करने से पीछे नहीं हटते हैं।साहस, दृढ़ता, संकल्पशक्ति, उत्साह व आत्मविश्वास आपकी अन्य विशेषताएं होती हैं।मंगल का प्रभाव होने के कारण क्रोध जल्दी आता है पर उतनी ही जल्दी चला भी जाता है।इनकी तर्कशक्ति अच्छी होती है एवंविचार स्वतंत्र होते हैं।मेष राशि वाले जातक को पसीना अधिक निकलता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिषचक्र में प्रथम राशि होने के कारण लगभग हमेशा से ही मेष राशि की उपस्थिति कुछ ऊर्जावान और उग्र शुरुआत को इंगित करती है। वे लगातार गतिशील,तेज और प्रतियोगिता के लिए देख रहे होते हैं। वे हर चीज में हमेशा से आगे रहते हैं - काम से लेकर सामाजिक समारोहों तक।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इसके स्वामी ग्रह मंगल की कृपा से मेष राशि सबसे सक्रिय राशियों में से एक है। मेष राशि में पैदा हुए लोग व्यक्तिगत और आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर की खोज पर जोर देने के लिए बने हैं। यह इस अवतार की सबसे बड़ी विशेषता है। इनका उग्र स्वभाव उनके उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल को प्रभावित करता है। जब वे अधीर,आक्रामक हो कर दूसरों पर गुस्सा उतारते हैं तो चुनौतियां बढ़ जाती हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष सिर को नियंत्रित करता है और सिर से ही आगे बढ़ता है।वास्तव में आगे झुकते हुए गति और ध्यान केन्द्रित करने के लिए अक्सर सिर को पहले चलाता है। वे स्वाभाविक रूप से बहादुर होते हैं और परीक्षण एवं जोखिम से शायद ही डरते हैं। भले ही उनकी उम्र कितनी भी हो, उनमें युवा शक्ति और ऊर्जा रहती है और वे रिकार्ड समय में कार्य पूरा करते हैं। खुद के साथ समायोजित करने से वे सबसे बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

∆प्यार,परिवार और मित्र∆
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अग्नि राशि से संबंधित होने के कारण मेष राशि वाले जातक प्रेम पसंद करते हैं और वे प्रेम संबंध में पहल करेंगे। जब मेष राशि के जातक प्यार में पड़ जाते हैं, तो बिना कोई सोच विचार किये वे सीधे अपने प्यार को व्यक्त कर देते हैं। प्यार में मेष राशि के जातक अपनी प्रेमिका पर उदार स्नेह, कभी-कभी अतिरिक्त स्नेह की बौछार भी कर सकते हैं। मेष राशि वाले जातक बहुत ऊर्जावान,भावुक होते हैं और उन्हें रोमांच पसंद है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि जातक के साथ रिश्ता मजबूत और लंबे समय तक चल सकता है।मेष राशि वाले जातक लगातार गतिशील रहते हैं, इसलिए इस राशि के लिए गतिविधि मुख्य शब्द है। जब मित्रों की बात आती है, जितने अधिक भिन्न मित्र हो बेहतर है। इस राशि में पैदा हुए लोग आसानी से संवाद शुरू कर लेते हैं, जीवन में आगे बढ़ते हुए संबंधों और परिचितों की एक अविश्वसनीय संख्या प्राप्त करते हैं।फिर भी लंबे समय तक और असली मित्र पूरी तरह से अलग होते हैं। केवल ऐसे लोग उनके साथ रहेंगे जो ऊर्जावान हैं और लंबे समय तक साथ चलने के लिए इच्छुक हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि के जातक अपने परिवार के साथ अक्सर संपर्क में नहीं रहते हैं लेकिन वे उनके दिल में हमेशा होते हैं। आप हमेशा मेष राशि से एक सीधे और ईमानदार दृष्टिकोण की उम्मीद कर सकते हैं।  

∆कैरियर एवं पैसा∆
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि के होने से आप सेना, पुलिस, सुरक्षाबल,खिलाडी़, सर्जन, अस्त्र-शस्त्र से जुड़े कार्य अथवा धातु से संबंधित कार्य कर सकते हैं। प्रशासनिक विभाग में कार्य करने वाला, वन्य विभाग में कार्यरत, चिकित्सा में, नेता के रूप में कार्यरत हो सकते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सबसे उपयुक्त क्षेत्र या व्यवसाय अनुसंधान, यांत्रिकी, एथलेटिक्स और खेल, अग्निशमन, साहसिक यात्रा, इंजीनियरिंग, मनोविज्ञान, और सबसे महत्वपूर्ण बात उद्यमिता। बिक्री एजेंट, डीलर, प्रबंधक, संचालक और कंपनी के मालिक के रूप में उनका भव्य करियर हो सकता है।

∆गुण∆
मेष राशि वाले खाने और खिलाने के भी शौक़ीन होते हैं साथ साथ अच्छा खाना बनाना भी इनका शौक होता है। इस एक क्षेत्र में मेष राशि के लोग सबसे अधिक चमकदार प्रभाव छोड़ते है। महत्त्वाकांक्षी और रचनात्मक मेष के लिए काम का माहौल एकदम उपयुक्त स्थान है, जो अक्सर सबसे बेहतर संभव होने की जरूरत द्वारा संचालित हैं। मेष राशि वाले जातक जन्मजात नेता गुण वाले होते है जो आदेश प्राप्त करने के बजाय उन्हें जारी करना पसंद करेंगे। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हालांकि, मेष राशि के लोग समझदार होते है और कठिन दिनों के लिए कुछ पैसे बचा सकते हैं।अक्सर मेष राशि के लोगों को शॉपिंग, जुआ और व्यापार पर पैसा खर्च करने में आनंद मिलता है।इसी वजह से मेष राशि वाले पैसे को पुंजी रूप में जमा नहीं रख पाते हैं।मेष राशि वर्तमान में रहते हैं और भविष्य पर ध्यान केंद्रित नहीं करते। मेष राशी वाले जातको का दर्शन है कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि के लिए पैसे की कमी दुर्लभ है क्योंकि उन्हें काम करना पसंद है। ये कभी उम्मीद नहीं छोड़ते, सदैव कार्य करने में तत्पर रहते हैं, ईमानदार होते है, हर कार्य करने के लिये तत्पर बहादुर, रोमांच पसंद करने वाले प्राणी होते है, खुश रहने वाले और हर बात को जानने के इच्छुक होते हैं। बहस में हारते नहीं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि वाले जातक की सिक्स्थ सेन्स अच्छी होती हैं जिसके कारण इनमें भविष्यवाणी करने की एक उत्कृष्ट क्षमता होती है जो उन्हें हमेशा एक कदम आगे रखती है और सब कुछ व्यवस्थित करती है। उन्हें केवल अपने चुने हुए मार्ग का अनुसरण करने की ज़रूरत है।एक चुनौती से सामना होने पर, मेष राशि के जातक जल्दी से स्थिति का आकलन करते हुए एक समाधान निकाल लेंगे। प्रतियोगिता से उन्हें परेशानी नहीं होती, बस उन्हें और ज्यादा चमकने के लिए प्रोत्साहित करती है। 

∆कमियाँ ∆
मेष राशि वाले जातक अक्सर उग्रवादी एवं क्रोधी स्वभाव के होते हैं।मेष वाले अधीर,अविवेकी, स्वार्थी, ईर्ष्यालु, व्यर्थ घमंडी, अहंकारी, मोटे, क्रूर, स्वत्वबोधक, हिंसक होते हैं। मंगल ग्रह ख़राब होने की स्थिति में अपने रक्तसंबंध वालो से संबंध खराब होते है।निर्णय लेने में जल्दबाजी करते है।स्वभाव कभी-कभी विरक्ति का भी रहता है।सोचते बहुत ज्यादा है जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से करते हैं।इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं।अपनी जिद पर अड़े रहना,यह भी मेष राशि के स्वभाव में पाया जाता है।अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों को चलाना चाहते हैं।इससे आपके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं।आपके भीतर प्रतिभा का भंडार होता है लेकिन आप उसका समय पर सदुपयोग नहीं कर पाते हैं,अधीर प्रवृत्ति के व्यक्ति होते हैं।अक्सर आप कुतर्क और मूर्खतापूर्ण बातें करने से भी परहेज नहीं करते हैं।
मेष राशि वाले जातक तुनकमिजाज होते हैं खासकर जब आपको बाधाओं और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता हैं। 
∆स्वास्थ्य∆
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि के जातक का मंगल खराब है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिपता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव,अनिंद्रा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएँ आदि होने लगती हैं। 

∆सावधानी व उपाय∆
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मेष राशि वाले जातक को कुछ सावधानियां और उपाय करने चाहिए जो निम्नलिखित हैं-
किसी से मुफ्त में कुछ लेंगे तो बरकत जाती रहेगी। 
भाई और पिता से झगड़ा न करें। 
अपने बच्चों को जन्मदिवस पर नमकीन वस्तुएँ बाँटें। 
मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएँ। 
विधवाओं की निस्वार्थ मदद करें। 
हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहें। कभी-कभी गुलाबी या लाल चादर पर सोएँ।
आँत और दाँत साफ रखें।
हनुमानजी की भक्ति करें।
मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आँखों में डालना चाहिए। 
गुड़ खाना चाहिए। 
भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए। 
क्रोध न करें। 
इन्हे अपने आहार का ख्याल रखना चाहिए है | 
इन्हे कॉफी और चीनी से बचना चाहिए,इन पदार्थों से उन्हें तनाव हो सकता हैं। 
आपके अगर मंगल अशुभ होता है तो माँस खाने से,भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से बचना चाहिए। 
∆विवेचना ∆
राशिस्वामी- मंगल। स्वभाव - उग्र 
दिशा - पूर्व। वर्ण - क्षत्रिय 
लिंग - पुरुष । गुण - रज
तत्त्व - अग्नि । योनि - पशु
प्रभुत्व - मस्तक। रंग - लाल 
रत्न - मूंगा । शुभ अंक - नौ। राशि स्वरूप - मेंढा
 Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakastra Jyotish Hub