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Saturday, 18 July 2020

शनि प्रदोष व्रत

शनि प्रदोष व्रत
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भगवान शिव की प्रसन्नता व आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत  किया जाता है।हर महीने में दो बार एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में प्रदोष का व्रत आता है। यह व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। प्रदोष व्रत में शिवजी जी की उपासना व पूजा की जाती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म के अनुसार यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी है क्योंकि प्रत्येक प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। लेकिन शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना की जाती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सावन के पवित्र माह में दोनों प्रदोष शनिवार को पड़ रहे है। जिसके कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि अगर आपकी कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती, शनि की लघु कल्याणी ढैय्या आदि है तो आज 18 जुलाई और 1 अगस्त को जरूर प्रदोष व्रत करें। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहते हैं।शनिवार का प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के इच्छुक भक्तों के लिए फलदायक है। अगर आप संतान प्राप्ति की कामना कर रहे हैं तो यह व्रत जरूर करें।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रदोष व्रत करने की विधी निम्न लिखित है -
प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी वाले दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निर्वित होकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
इस व्रत में व्रती को सफ़ेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
इस व्रत में भोजन करना निषेध है। अत: यह व्रत निराहार रखा जाता है।
सांयकाल के समय शिवालय जाये या फिर घर पर ही पूजास्थान पर बैठे।भगवान शंकर का ध्यान करते हुए, व्रत कथा और आरती पढ़नी चाहिए।
भगवान शिव का दूध और जल आदि से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद में शिवजी जी को फल, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र और ऋतुफल अर्पित करें।
प्रदोष व्रत में अपने सामर्थ्य अनुसार किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान दक्षिणा देनी चाहिए। व्रति अपनी संध्या काल के पूजा के बाद ही सात्विक भोजन या फलाहार ले सकता है।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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