☀सूर्य☀
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है।यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं।अगर किसी महिला कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय में विश्वास करती है और संकट की घड़ी में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मगर सूर्य का आत्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा-डूबा सा रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है। पति से लगातार शिकायतें बनी रहती है। मन दुखों के बोझ से भरा हुआ रहता है। ऐसे में सूर्य का अर्घ्य देने की सलाह दी जाती है। ❃चंद्रमा❃
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चन्द्रमा स्त्री की कुंडली में इसका महत्व और भी अधिक है।चन्द्रमा स्त्री की कुंडली में स्त्री का स्वभाव, प्रकृति, गुण -अवगुण आदि निर्धारित होते है। मन, मस्तिष्क, बुद्धिमत्ता, स्वभाव, जननेन्द्रियाँ, प्रजनन सम्बंधी रोगों, गर्भाशय अंडाशय, मूत्र -संस्थान, छाती और स्तन का कारक है। इसके साथ ही स्त्री के मासिक -धर्म ,गर्भाधान एवं प्रजनन आदि महत्वपूर्ण क्षेत्र भी इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।जिस स्त्री जातक की कुंडली में चंद्रमा अच्छी स्थिति में होता है तो वे महिलाएँ हंसमुख,सुहृदय,कल्पनाशील धार्मिक,जनसेवी एक सटीक विचारधारा युक्त और रचनात्मक होती हैं। हर काम में सक्रिय रहती हैं और उनमें नया काम करने की ललक होती है। राहू, केतू, बुध और शनि के कारण चंद्रमा पीडित हो तो स्त्री कर्कशा, रूदन करने वाली या कलहप्रिय होती है। ऎसी स्त्रियों को रोजाना सुबह खाली पेट मिश्री के साथ मक्खन खाने की सलाह दी जाती है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चंद्रमा पीडित होने पर शरीर में खनिज तत्वों और कैल्शियम की कमी हो जाती है। मक्खन में उपलब्ध खनिज तत्व एवं कैल्शियम जातक के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को फिर से दुरूस्त करता है और जातक हंसने खिलखिलाने लगता है। चन्द्रमा नीच का होने पर महिला सदैव भ्रमित ही रहेगी। हर पल उसे एक भय सताता है कि कोई भूत -प्रेत का साया उसको परेशान कर रहा है। कमजोर या नीच का चन्द्र किसी भी महिला को भीड़ भरे स्थानों से दूर रहने को उकसाएगा और एकांतवासी कर देता है। हिस्टीरिया जैसी बिमारी का शिकार हो जाती है। पांच रति का मोती अंगुली में पहनना तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
❁बृहस्पति❁
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पुरूष कुंडली में जहां शुक्र सांसारिकता और दैहिक सुख के लिए देखा जाता है वहीं स्त्री जातक के लिए गुरू महत्वपूर्ण है। स्त्री जातक के लिए उसके पति का प्रगति करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिस स्त्री जातक की कुंडली में वृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलते हैं। वृहस्पति खराब होने पर स्त्री जातक को अपमान और उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ऐसे में अधिकांश स्त्री जातकों को गुरू का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज रत्न सोने की अंगूठी में पहनने से गुरू का प्रभाव बढ़ जाता है। जिन जातकों के गुरू मारक या बाधक स्थान का अधिपति होता है उनके अलावा सभी स्त्री जातकों को बेधड़क पुखराज पहनाया जा सकता है।
✿मंगल✿
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शुभ मंगल से स्त्री अनुशासित,न्यायप्रिय,समाज में प्रिय और सम्मानित होती है।जिन स्त्रियों की जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में हो तो वह आलसी,बुजदिलऔर थोड़ी सी डरपोक भी होती है।मानसिक अवसाद में घिरती चली जाती है। नीच राशि का मंगल स्त्री को मान -मर्यादा भूलने वाली,क्रूर और हृदय हीन भी बना देता है। मंगल रक्त और स्वभाव में उत्तेजना, उग्रता और आक्रामकता लाता है इसीलिए जन्म-कुंडली में विवाह से संबंधित भावों-जैसे द्वादश, लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम व अष्टम भाव में मंगल की स्थिति को विवाह और दांपत्य जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार समाज में वैधव्य का दंश दोष स्त्रियों को भोगना पडता है अगर स्त्री मांगलिक हो और उसका पति मांगलिक नहीं हो तो स्त्री हावी रहेगी और दांपत्य जीवन में तनाव रहेगा। अगर मंगल और शनि आठवें स्थान पर हो तो उसे चूंदड़ी मंगल कहा जाता है। ऐसी स्थिति में मंगल वैधव्य के योग बनाता है। विधुर की तुलना में विधवा को पुरूष प्रधान समाज में अधिक समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए कुंडली मिलान के समय पुरूष की तुलना में स्त्री के मंगल पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
❃बुध❃
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिष में बुध और शनि ग्रह को नपुंसक ग्रह माना गया है। पुरूष कुण्डली में जहां शनि पीड़ादायी ग्रह है वहीं स्त्री जातक के लिए बुध पीड़ादायी ग्रह सिद्ध होता है। उच्च बुध के प्रभाव में जिस किसी भी स्त्री का बुध शुभ प्रभाव में होता है वे अपनी वाणी के द्वारा जीवन की सभी ऊँचाइयों को छूती हैं,अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान् और चतुर और एक अच्छी सलाहकार साबित होती है। व्यापार में भी अग्रणी तथा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी समस्याओं का हल निकाल लेती हैं।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नीच का बुध स्त्री को कटु भाषी, अपनी बुद्धि से काम न लेने वाली यानि दूसरों की बातों में आने वाली अर्थात कानो की कच्ची होती है। भविष्य की अघटित घटना की चिंता करने वाली और चर्मरोगों से ग्रसित हो जाती है।बुध बुद्धि का परिचायक भी है अगर यह दूषित चंद्रमा के प्रभाव में आ जाता है तो स्त्री को आत्मघाती कदम की तरफ भी ले जा सकता है।
❁शुक्र❁
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कुंडली का अच्छा शुक्र स्त्री के चेहरे को आकर्षण का केंद्र बनाता है। यह जरुरी नहीं की स्त्री का रंग गोरा है या सांवला। सुन्दर नेत्र और सुंदर केशराशि से पहचाना जा सकता है स्त्री का शुक्र शुभ ग्रहों के सानिध्य में है। वह सोंदर्य-प्रिय भी होती है। अच्छे शुक्र के प्रभाव से स्त्री को हर सुख सुविधा प्राप्त होती है। वाहन, घर, ज्वेलरी, वस्त्र सभी उच्च कोटि के। किसी भी वर्ग की औरत हो, उच्च, मध्यम या निम्न उसे अच्छा शुक्र सभी वैभव प्रदान करता ही है।अगर आय के साधन सीमित भी हो तो भी वह ऐशो आराम से ही रहती है। अच्छा शुक्र किसी भी स्त्री को गायन, अभिनय, काव्य -लेखन की और प्रेरित करता है। चन्द्र के साथ शुक्र हो तो स्त्री भावुक होती है। और अगर साथ में बुध का साथ भी मिल जाये तो स्त्री लेखन के क्षेत्र में पारंगत होती है और साथ ही में वाक्पटु भी, बातों में उससे शायद ही कोई जीत पाता हो। अच्छा शुक्र स्त्री में मोटापा भी देता है और यह मोटापा स्त्री को ज्यादा आकर्षक बनाता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मगर बुरा शुक्र या पापी ग्रहों का सानिध्य या कुंडली के दूषित भावों का साथ स्त्री में चारित्रिक दोष भी उत्पन्न करवा सकता है। यह विलम्ब से विवाह, कष्ट प्रद दाम्पत्य जीवन, बहु विवाह, तलाक की और भी इशारा करता है। अगर ऐसा हो तो स्त्री को हीरा पहनने से परहेज करना चाहिए। कमजोर शुक्र स्त्री में मधुमेह,थाइराईड, यौन रोग, अवसाद और वैभव हीनता लाता है।
❃शनि❃
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार स्त्री की कुंडली में अच्छा शनि उसे उदार,लोकप्रिय बनाता है और तकनीकी ज्ञान में अग्रणी रखता है। वह हर क्षेत्र में अग्रणी हो कर प्रतिनिधित्व करती है। राजनीति में भी उच्च पद प्राप्त करती है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दूषित शनि स्त्री को ईर्ष्यालु और हिंसक भी बना देता है। यह स्त्री में निराशा, उदासीनता और नीरसता का समावेश कर उसके दाम्पत्य जीवन को कष्टमय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता और धीरे-धीरे स्त्री अवसाद की तरफ बढ़ने लग जाती है। स्त्रियों में कमर-दर्द, घुटनों का दर्द या किसी भी तरह का मांसपेशियों का दर्द दूषित शनि का ही परिणाम है।चंद्रमा के साथ शनि स्त्री को पागलपन का रोग तक दे सकता है।
✾राहु✾
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार राहु से प्रभावित स्त्री एक अच्छी जासूस या वकील, अच्छी राजनीतिज्ञ हो सकती है। वह आने वाली बात को पहले ही भांप लेती है। विदेश यात्राएं बहुत करती है। कुंडली में राहु जिस राशि में स्थित होता है वैसे ही परिणाम देने लगता है। अगर बृहस्पति के साथ या उसकी राशि में हो तो स्त्री को ज्योतिष में रूचि होगी। शनि के प्रभाव में हो तो तांत्रिक-विद्या में निपुण होगी। चंद्रमा के साथ हो तो वह कई सारे वहमों में उलझी रहेगी। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार खराब राहु से प्रभावित स्त्री की वाणी में कटुता आ जाती है। वह थोड़ी घमंडी भी हो जाया करती है। भ्रमित रहने के कारण वह कई बार सही गलत की पहचान भी नहीं कर पाती जिसके फलस्वरूप उसका दाम्पत्य जीवन भी नष्ट होते देखा गया है। राहु के दूषित प्रभाव के कारण स्त्री चर्म -रोग, मति-भ्रम,अवसाद रोग से ग्रस्त हो सकती है। ✾केतु✾
पंंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केतु से प्रभावित महिला कुछ भ्रमित सी रहती है।अच्छा केतु महिला को उच्च पद, समाज में सम्मानित, तंत्र-मन्त्र और ज्योतिष का ज्ञाता बनाता है।पंंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुरा केतु महिला की बुद्धि भ्रमित कर उसे सही निर्णय लेने में बाधित करता है। चर्म रोग से ग्रसित कर देता है। काम-वासना की अधिकता भी कर देता है जिसके फलस्वरूप कई बार दाम्पत्य -जीवन कष्टमय हो जाता है। वाणी भी कटु कर देता है। केतु का प्रभाव अलग-अलग ग्रहों के साथ युति और अलग-अलग भावों में स्थिति होने के कारण ज्यादा या कम हो सकता है।
Pandit Anjani kumar Dadhich
Nakastra jyotish Hub
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