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Sunday, 19 July 2020

शिव रुद्राभिषेक एक विश्लेषण

शिव रुद्राभिषेक एक विश्लेषण

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप की विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु रुद्राभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे भगवान शिव प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करते है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि "सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका" अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं। इनका अभिषेक करने से सभी ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ किया जाता है।अभिषेक के कई प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी भगवान शिव को जलधारा प्रिय माना जाता है क्योंकि वह अपनी जटा में गंगा को धारण किये हुए हैं। जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करता है वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे हैं उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए और इससे कौनसे लाभ प्राप्त होते है उनका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है।जिसके निम्नलिखित लाभ इस प्रकार हैं- 
∆ अगर किसी भी स्थान पर वर्षा नहीं हो रही है तो भगवान शिव के रुद्राभिषेक में केवल जल से अभिषेक करते है तो उस स्थान पर वर्षा होती है।
∆ अगर कोई भी व्यक्ति असाध्य रोग से ग्रस्त है तो भगवान शिव के रुद्राभिषेक कुशोदक से करें तो असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है। अथवा आप अगर इत्र मिले जल से अभिषेक करते हैं तो उससे बीमारी नष्ट होती है।
∆ अगर आप स्वयं का मकान और वाहन चाहते हैं तो उसके लिए आपको दही से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
∆ आपको लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
∆ अगर आप अपने धन में वृद्धि चाहते है तो उसके लिए आपको शहद एवं घी से अभिषेक करना चाहिए।
∆ आप किसी तीर्थ के जल से अभिषेक करते हैं तो आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 ∆ अगर आप संतान प्राप्ति के लिए दुग्ध से रुद्राभिषेक करने से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
∆ आपको तेज ज्वर पीड़ा से मुक्ति शीतल जल अथवा गंगाजल से रुद्राभिषेक करने पर प्राप्त होती है।
∆ शिव के सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विकास होता है।
∆ अगर किसी को भी प्रमेह रोग की शांति चाहिए तो भी दुध द्वारा रुद्राभिषेक करने से हो जाती है। गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा  रुद्राभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
∆ यदि शकर मिले दूध से रुद्राभिषेक करे तो पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
∆ यदि आप किसी भी प्रकार के कोर्ट केस में फंसे हुए हो और अपने शत्रु की हार चाहते हो तो सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना चाहिए तो शत्रु पराजित होता है।
∆ अगर कोई भी अगर तपेदिक रोग से ग्रसित है तो शहद के द्वारा रुद्राभिषेक करने पर वह कष्ट भी दूर हो जाता है।पातकों को नष्ट करने की कामना करने वाले को भी शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए। 
∆ व्यक्ति को पुत्र कामना की इच्छा से शकर मिश्रित जल से रुद्राभिषेक करना चाहिए। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रुद्राभिषेक करने के लिए कुछ नियम भी है जो निम्नलिखित है
❀ यदि किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करेंगे तो बहुत उत्तम रहेगा।
❀ किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक का अवसर मिल जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं।
❀ नदी किनारे या किसी पर्वत पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी है।
❀ कोई ऐसा मंदिर जहां गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
❀ घर में भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है किंतु यदि पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है। रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।
Pandit Anjani kumar Dadhich
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