पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में वैदिक परंपरा के अनुसार अनेक प्रकार के रीति-रिवाज और संस्कार जो कि व्यक्ति के गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत तक किये जाते हैं। अंत्येष्टि को भी अंतिम संस्कार माना जाता है। लेकिन अंतिम संस्कार के पश्चात भी कुछ ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें मृतक की संतान को करना होता है श्राद्ध कर्म उन्हीं में से एक है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्त श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाले कर्म को श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रगट करने से है। वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म किया जा सकता है परन्तु श्राद्ध पक्ष अपने पूर्वजों को जो इस धरती पर नहीं है उन्हें एक विशेष समय में 15 दिनों की अवधि तक सम्मान दिया जाता है। इस अवधि को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहते हैं जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक एक पूरा पखवाड़ा पितरो हेतु किया जाने वाला कर्म विधान है। इस वर्ष पितृ पक्ष का प्रारंभ 17 सितंबर 2024 से होगा और पितृपक्ष का समापन 02 अक्टूबर 2024 को होगा। मान्यता है कि इस दौरान पितरों के निमित तर्पण करते हुए ब्राह्मणों को भोजन, गायों को चारा खिलाने और दान-पुण्य करने से साधक को सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण में वर्णित है कि इस पितृ पखवाड़े में घर के पुर्वज या पितृ धरती पर पंछी (कौए) के रूप मे रहने के लिए आते हैं।
श्राद्ध पक्ष का महत्व
पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्तम माना गया है और शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों को पितृ उनसे प्रसन्न नहीं होते उन्हें पितृ दोष का श्राप मिलता है और जिस भी घर में पितृ दोष का श्राप लगता है उस घर के सदस्य कभी भी सुखी नहीं रहते और न हीं वह जीवन में सफलता को प्राप्त करते। इसी कारण से पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता है और उनसे श्रमा याचना की जाती है।पितृ पक्ष में व्यक्ति मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। जिस तिथि पर व्यक्ति की मृत्यु होती है उसी तिथि पर उसके लिए श्राद्ध करना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है तो उसके लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है।
श्राद्ध कर्म करने का तरीका
✾ श्राद्ध कर्म के दिन साधक को सुबह जल्दी उठना चाहिए और बिना सिले वस्त्र धारण करने चाहिए।
✾ श्राद्ध के दिन अपने पूर्वजों को तर्पण देने के लिए काले तिल, कुशा,चावल और जौ को सम्मिलित कर तर्पण उन्हें अर्पित करें।
✾ तर्पण अर्पित करने के बाद पितरों की शांति हेतु एक छोटा सा यज्ञ या हवन करना चाहिए।
✾ पितरों का पसंदीदा भोजन बनवाएं और भोजन की पिंडी बनाकर उन्हें अर्पित करें।
✾सबसे पहले गाय कुता और कौओं को भोजन करवाए। क्योंकि पितृ पक्ष में कौए को पितरों का रूप माना जाता है।
✾इसके बाद जनेऊ धारी ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें।
✴️पितृ पक्ष की तिथियां ✴️
✿17 सितंबर 2024 (मंगलवार) - पूर्णिमा श्राद्ध
✿ 18 सितंबर 2024 (बुधवार)- प्रतिपदा श्राद्ध
✿ 19 सितंबर 2024 (गुरुवार)- द्वितीया श्राद्ध
✿ 20 सितंबर 2024 (शुक्रवार) - तृतीया श्राद्ध
✿ 21 सितंबर 2024 ( शनिवार)- चतुर्थी श्राद्ध
✿ 22 सितंबर, 2024 (रविवार) - पंचमी श्राद्ध
✿ 23 सितंबर, 2024 (सोमवार) - षष्ठी श्राद्ध + सप्तमी श्राद्ध,y999v
✿ 24 सितंबर, 2024 (मंगलवार) - अष्टमी श्राद्ध
Q✿25 सितंबर, 2024 (बुधवार) - नवमी श्राद्ध
✿26 सितंबर, 2024 (गुरुवार) - दशमी श्राद्ध
✿27 सितंबर, 2024 (शुक्रवार) - एकादशी श्राद्ध
✿ 28 सितंबर, 2024 (शनिवार) - कोई श्राद्ध नहीं
✿29 सितंबर, 2024 (रविवार) - द्वादशी श्राद्ध
✿29 सितंबर, 2024 (रविवार) - माघ श्राद्धrr
✿30 सितंबर, 2024 (सोमवार) - त्रयोदशी श्राद्ध
✿ 1cvgdd ji अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) - चतुर्दशी श्राद्ध
✿ 2 अक्टूबर, 2024 (बुधवार) - सर्व पितृ अमावस्या
Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच [पुरोहित कर्म (यज्ञ-हवन - पुजा-अनुष्ठान) विशेषज्ञ, वैदिक ज्योतिषी, अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद ]
Nakshatra Jyotish Sansthaan
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान
panditanjanikumardadhich@gmail.com
सम्पर्क सूत्र - 06377054504
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