पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आजकल के समय में कैन्सर एक भयानक बिमारियों में से एक है जिसमें समय पर इलाज ना होने से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।मानव शरीर में कैंसर की उत्पत्ति में कोशिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कोशिकाओं में श्वेत एवं लाल रक्त कण होते हैं।भारतीय ज्योतिष के अनुसार श्वेत रक्त कण कोशिकाओं का सूचक चन्द्रमा तथा लाल रक्त कण कोशिकाओं का सूचक मंगल माना गया है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कर्क राशि का राशि चिह्न केकड़ा है। केकड़े की प्रकृति होती है कि वह जिस स्थान को अपने पंजों से जकड़ लेता है तो उसे अपने साथ लेकर ही छोड़ता है। इसी प्रकार कैन्सर रोग में पीड़ित व्यक्ति की कोशिकाएं मानव शरीर के जिस अंग को अपना स्थान बना लेती है उसे शरीर से अलग करके ही कोशिकाओं को हटाया जाता है। इसलिए ज्योतिष में कैंसर जैसे भयानक रोग के लिए कर्क राशि के स्वामी चंद्र का विशेष महत्व है। इसके साथ साथ राहु, केतु, मंगल एवं शनि आदि ग्रह भी कैन्सर का कारण बनते है। ज्योतिष में राहु को कैंसर का कारक माना गया है लेकिन शनि व मंगल भी यह रोग देते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार छठा भाव रोग और आठवाँ भाव लम्बी अवधि तक होने वाले रोग का भाव माना जाता हैं।कैंसर एक लम्बी अवधि तक होने वाला रोग हैं। इसलिए छ्ठे भाव व अष्टम भाव का संबंध बनना आवश्यक है।शनि और राहु लम्बे समय तक चलने वाले रोगो की सूचना देते हैं इसलिए इन दोनो ग्रहों की भूमिका भी कैंसर रोग के होने में मुख्य होती है। कैंसर रोग का संबंध राहु, पीड़ित चंद्रमा, पीड़ित पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बृहस्पति या शनि से होता है और यह मेष, वृष, कर्क, तुला और, मकर राशियों से संबंधित होता है। किसी व्यक्ति की कुण्डली में चंद्रमा जब षष्ठेश या अष्टमेश होकर पीड़ित होता है और साथ ही दशा भी प्रतिकूल चल रही हो तब व्यक्ति को कैंसर रोग होने की संभावना बनती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनि असाध्य एवं भयानक लंबे समय तक चलने वाले रोगों का परिचालक है। इसके संयोग से या इसकी दृष्टि पीड़ादायक मानी जाती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शरीर में किसी भी प्रकार की व्याधि का मुख्य कारण जल ही होता है। जल राशियों कर्क, वृशचिक और मीन। ये जल राशियां हैं। इनके पाप ग्रस्त होने पर भी कैंसर की संभावना प्रबल होती है ।
Pandit Anjani kumar Dadhich
Nakastra jyotish Hub
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