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Wednesday, 12 August 2020

गणेश चतुर्थी उत्सव

🌻गणेश चतुर्थी के बारे में 🌻
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारत में गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेशजी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के त्यौहार को विनायक चतुर्थी और कुछ जगहों पर डंडिया चोथ के रूप में भी मनाई जाती है। जो भगवान गणेश को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वेदों और शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिवस है और उनकी पूजा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस साल में 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी  मनाई जाएगी।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। इसीलिए गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर के दौरान की जाती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गणेश उत्सव का आरंभ भगवान गणपति प्रतिमा की स्थापना करने के साथ उनकी पूजा से होता है और लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए और नाचते गाते हुए गणेशजी की प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।
⚜गणेश चतुर्थी का पुजन विधी⚜
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्य कर्म से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाना चाहिए।यह प्रतिमा सोने,तांबे,मिट्टी,या गाय के गोबर आदि से बनाना चाहिए। एक कोरे कलश को लेकर उसमें जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधाना चाहिए। इसके बाद एक चोकी स्थापित करे और उस पर कलश और गणेश प्रतिमा की स्थापना करे।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली आदि चढाकर षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करे। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाऐ। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट देने चाहिए। गणेश जी की पूजा मध्याह्न के समय करनी चाहिए।इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी देनी चाहिए। शाम के समय में गणेश जी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें।अंत में गणेश जी की आरती करें और "ओम् गं गणपतये नमः" मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए। पूजा के पश्चात सायंकाल में दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। 
🏵गणेश चतुर्थी की तारीख और मुहूर्त🏵
✾ गणेश पूजा मुहूर्त मध्याह्न - सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक। 
✿ इस दिन ही लोग गणपति की मूर्तियां लाकर अपने घरों में रखते हैं। 
✾ चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - रात 11 बजकर 02 मिनट से (21/08/ 2020)
✾ चतुर्थी तिथि समाप्त - शाम 07 बजकर 57 मिनट तक (22/8/2020)
✿ मूर्ति विसर्जन 1 सितंबर, 2020 को किया जाएगा।
Pandit Anjani kumar Dadhich
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