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Friday, 10 December 2021

गोरोचन और उसके उपाय

गोरोचन और उसके उपाय
प्रिय पाठकों, 
10 दिसंबर 2021,शुक्रवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गोरोचन और उसके उपयोग के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन पीले रंग का एक सुगंधित पदार्थ होता है जिसमें हल्की लालिमा होती है। यह मोम की तरह होता है और सूखने पर कड़ा हो जाता है। इसे गो पित्त भी कहा जाता है क्योंकि यह गाय के पित्त में बनने वाला एक पत्थर है जिसे गाय की मृत्यु के बाद निकाला जाता है। गोराचन सभी गायों में नहीं पाया जाता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में ही यह गायों के पित्त में बनता है। यह पूजा-पाठ की सामग्री की दुकान पर मिल जाता है। लेकिन इसे हासिल करने के लिए गाय का वध करना सर्वथा वर्जित है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन के गुणधर्म एवं प्रभाव निम्नलिखित हैं- गोरोचन का रस तिक्त होता है। यह गुण में रुक्ष है। गोरोचन का वीर्य उष्ण होता है। पचने पर गोरोचन का विपाक कटु होता है। गोरोचन पित्त सारक होता है एवं यह वात एवं कफ का शमन करने वाला होता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन का औषधि रुप में उपयोग भी किया जा सकता है जो निम्नलिखित हैं- गोरोचन बच्चों के रोगों में उपयोगी होता है। इसके अलावा शिरोरोग, रक्त की कमी, पीलिया, अपस्मार आदि में गोरोचन का प्रयोग किया जाता है। 
नोट- गोरोचन की सेवन मात्रा-125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक प्रयोग कर सकते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर में गोरोचन रखने के लाभ निम्नलिखित हैं-
☞धन की कमी नहीं रहती। 
☞असफलता द्वार पर दस्तक नहीं देती। 
☞ घर में पीड़ा नहीं आती। 
☞ घर में सरस व मधुर वातावरण बना रहता है। 
☞ संतानहीनता, दरिद्रता और क्लेश से छुटकारा मिलता है।   
गोरोचन का उपयोग - गोरोचन एक ऐसी सिद्ध वस्तु है जिसका उपयोग अनेक कर्मों में किया जाता है। धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, जमीन में गड़े धन का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रयोग वशीकरण में किया जाता है। इसका तिलक करने से तीव्र वशीकरण और आकर्षण प्राप्त होता है।
❁ गोरोचन को रवि पुष्य नक्षत्र में सिद्ध किया जाता है। जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र हो उस दिन नहाकर अपने पूजा स्थान में बैठकर सोना या चांदी की कटोरी, डिबिया या छोटे पात्र में गोराचन रखकर इसका पंचोपचार पूजन करें। इसके बाद ओम् शांति शांत: सर्वारिष्टनाशिनि स्वाहा: और ओम् श्रीं श्रीयै नम: इन दो मंत्रों की एक-एक माला जाप करने के बाद इसे चांदी की डिबिया में भरकर पुजास्थल पर सुरक्षित रख कर रोज उसका पुजन करे।
❁ आर्थिक स्थिति सुधारने और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए गोरोचन को एक चांदी की डिबिया में भरकर अपने पूजा स्थान में रखें और रोज देवी-देवताओं की तरह इसकी भी पूजा करें। इससे घर में बरकत आने लगती है। घर में यदि कोई वास्तु दोष है तो वह दूर हो जाता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
 घर में कोई सदस्य बीमार है तो रविवार या मंगलवार के दिन एक छोटा चम्मक गुलाब जल में थोड़ा सा गोरोचन मिलाकर उस व्यक्ति को पिला दें। गोरोचन का तिलक प्रतिदिन बीमार व्यक्ति को लगाएं तो जल्द ही वह स्वस्थ होने लगेगा।
 मिर्गी या हिस्टीरिया के मरीज को गुलाबजल में थोड़ा गोराचन घिसकर तीन दिन तक पिलाने से रोग में आराम मिलता है। लेकिन यह प्रयोग किसी जानकार की देखरेख में ही करें।
 समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए गोरोचन को रवि पुष्य नक्षत्र में पंचोपचार पूजन कर चांदी या तांबे के ताबीज में भरकर अपने गले में धारण कर लें। इससे कार्यों में आने वाली बाधाएं समाप्त होंगी और सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
 गोरोचन की स्याही बनाकर इससे भोजपत्र पर मोरपंख की कलम से सिद्ध बीसा यंत्र लिखकर पंचोपचार पूजन करके चांदी के ताबीज में बांधकर अपने पास रखें। इससे आर्थिक संकट दूर हो जाता है।
 यदि आप अपने आकर्षण प्रभाव में वृद्धि करना चाहते हैं तो गोरोचन के साथ सिंदूर और केसर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चांदी की डिबिया में भरकर रख लें। प्रतिदिन सूर्योदय के समय इसका तिलक करने से आपके वशीकरण प्रभाव में जबर्दस्त तरीके से वृद्धि होगी। हर व्यक्ति आपकी बात मानने लगेगा।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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नक्षत्र ज्योतिष हब
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फोन नंबर - 6377054504, 9414863294

Thursday, 7 October 2021

नवरात्रि मंत्र जाप

✧・゚: *✧・゚:*नवरात्रि मंत्र जाप ✧・゚: *✧・゚:*
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वैसे तो नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक अपने कष्ट निवारण या मनोवांछित वर पाने के लिए दुर्गा सप्तशती,अर्गला स्त्रोत्र, किलक स्त्रोत्र, दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच आदि का पाठ कर सकते हैं या दुर्गा माता के नाम की माला का जाप कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका पाठ करने से माता अति प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार पर आए बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं। अगर आप नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते तो दुर्गा सप्तशती में मौजूद कुछ विशेष मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप अवश्य करें जो निम्नलिखित हैं -
यदि मेहनत के बावजूद आपका भाग्य साथ नहीं देता है तो दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदलने के लिए आपको नौ दिनों तक माता के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
❖ देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्‌,
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।
मां दुर्गा का ये चमत्कारिक मंत्र आपको हर विपत्ति से दूर रखता है और आपके आसपास एक रक्षाकवच बनाता है। मां शक्ति की आराधना के नौ दिनों तक इसका जाप करने से आपके सारे संकट दूर होते हैं और आपके बुरे दिन भी अच्छे में बदल जाते हैं -
❖ शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते। 
मां दुर्गा के इस मंत्र को अत्यंत शक्तिशाली माना गया है। इसका नियमित रूप से जाप करने से महामारी से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को हर तरह के संकट से बचाता है-
❖ ओम् जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते। 
परिवार को किसी भी तरह की अनहोनी से बचाने के लिए नौ दिनों तक मातारानी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए- 
❖ देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य,
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य। 
इन सभी मंत्रों के अलावा दुर्गा सप्तशती के इन मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं -
❖ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
❖ ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
❖ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
❖ माता दुर्गा के नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप भी अधिक से अधिक कर सकते हैं।
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Wednesday, 6 October 2021

नवरात्रि पर्व विशेष

⋇⋆✦⋆⋇ नवरात्रि पर्व विशेष ⋇⋆✦⋆⋇ 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में नवरात्रि के इस त्योहार का बेहद ही खास महत्व होता है।शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि (नौ दिन) तक मनाया जाता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों (शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है।इस वर्ष नवरात्रि का त्योहार 7 अक्टूबर 2021 से शुरू होगा और नवरात्रि पर्व का समापन 15 अक्टूबर 2021 को होगा। इस बार माता जगदम्बा (दुर्गा)डोली में सवार होकर आएगी। जिसका प्रभाव यह होगा कि इस दौरान भारत के पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध स्थापित होंगे और प्राकृतिक आपदा की आशंका कम होगी।   
देवी भगवद पुराण के अनुसार यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार के दिन से शुरू होती है तो माँ दुर्गा डोली में सवार होकर आती हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कलश(घट)स्थापना महुर्त निम्नलिखित है
नवरात्र पर्व पर कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना का विशेष महत्व है। घट स्थापना के दिन चित्रा नक्षत्र जैसे शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन कन्या राशि में चर्तुग्रही योग का शुभ संयोग बन रहा है। घट स्थापना मुहूर्त 7 अक्टूबर 2021 को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के बीच है। जो लोग इस शुभ योग में कलश स्थापना न कर पाएं, वे दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक लाभ का चौघड़िया में और 1 बजकर 42 मिनट से शाम 3 बजकर 9 मिनट तक अमृत के चौघड़िया में कलश-पूजन कर सकते हैं।
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Wednesday, 9 June 2021

सूर्य जनित ग्रहण योग

सूर्य जनित ग्रहण योग

पंडित अंजनी कुमार के अनुसार जन्म कुंडली के किसी भी भाव में सूर्य के साथ राहु बैठे हों तो ग्रहण योग बनाते हैं। ग्रहण योग होने से जीवन की शुभता पर ग्रहण लग जाता है। ग्रहण योग से व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित होती है। इस योग के कारण जीवन में स्थिरता नहीं होती। उसे न चाहते हुए भी नौकरी और व्‍यवसाय में बार-बार बदलाव करते रहना पड़ता है।ग्रहण योग होने से सबसे अधिक प्रभावित जातक की आंखें होती हैं और पिता के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पिता से प्राप्त होने वाले सुख एवं सहयोग में कमी आती है।पंडित अंजनी कुमार के अनुसार अगर सूर्य के ग्रहण योग हो तो व्‍यक्ति किसी विषय पर गंभीरता से विचार किये बिना कार्य बैठते हैं जिसका इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे लोग भी विषयों को अधिक समय तक याद नहीं रख पाते हैं। ऐसे लोग पैतृक स्थान से दूर जाकर कैरियर बनाते हैं।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार यह ग्रहण योग दोष कुंडली में 2,6,8 या 12वें भाव में बन रहा हो तो पितृदोष भी बनाता है।ऐसे जातक को अपने जीवन के तमाम क्षेत्रों में अवरोध का सामना करना पड़ता है। मुसीबतों के पीछा न छोड़ने की वजह से जातक का अपने ऊपर से से भी आत्मविश्वास उठ जाता है।
सूर्य जनित ग्रहण योग के उपाय निम्नलिखित हैं जिनको करने से ग्रहण योग के दोषों का निवारण या उन्हें कम किया जा सकता है -
❁ सूर्य जनित ग्रहण योग की शांति के लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन भगवान सूर्य को "ओम् घृणि सूर्यायः नम:"मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दे साथ ही आदित्‍यहृदय स्‍तोत्र का नि‍यमित पाठ करना चाहिए। इससे ग्रह दोष का प्रभाव कम होता है।
❁ कुंडली में यदि सूर्य ग्रहण या पितृदोष का प्रभाव हो तो जातक को गेहूं, गुड़ व तांबे का दान जरूर करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान ये चीजें दान जरूर करनी चाहिए।
❁ जिसकी कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष हो उसे गुड़ खाने से परहेज करना चाहिए।
❁ पितृदोष और ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए बहते जल में छह नारियल अपने सिर पर से वार कर बहा दें।
❁ ऐसे जातकों को अपनी मां की सेवा करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। साथ ही मां के हाथ से दूध और चावल लेकर उसे दान करें।
❁ जिनपर सूर्य ग्रहण हो अथवा पितृदोष हो उसे कभी भी किसी से मुफ्त में कोई चीज नहीं लेनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को खुद नेत्रहीन लोगों की मदद करनी चाहिए।
❁ ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए बहते हुए जल में जौ को दूध या गौ मूत्र से धोकर बहा दें।
❁जिन जातकों पर ऐसा दोष हो उसे प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए साथ ही उसे हमेशा सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
❁पीपल का पेड़ लगाएं अथवा पीपल के पेड़ की सेवा करें। पानी दें और उसकी देखरेख करें।
❁जब भी सूर्य ग्रहण लगे उस समय तिल, नींबू, पका केला बहते पानी में बहा दें।
❁परिवार के सभी सदस्यों के हाथ से सिक्के लें और उसे एकत्र कर किसी भी मंदिर में दान कर आएं। इससे परिवार पर आपके ग्रहण के प्रभाव का असर नहीं होगा।
❁ एकादशी और रविवार का व्रत रखें और नमक का सेवन न करें।
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Wednesday, 2 June 2021

मंगल ग्रह के राशि परिवर्तन

मंगल ग्रह के राशि परिवर्तन

प्रिय पाठकों, 
01/06 /2021,
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज मंगल का राशि परिवर्तन के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ​वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के सेनापति, पराक्रम शक्ति व आत्मबल का प्रतीक ग्रह मंगल ग्रह 2 जून 2021 को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में मंगल 20 जुलाई 2021 तक विराजमान रहेंगे। कर्क चंद्रमा की राशि है और यह मंगल ग्रह की नीच राशि मानी जाती है। जबकि मकर राशि में ये उच्च के माने जाते हैं
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मंगल ग्रह के राशि परिवर्तन का शुभ असर वृष, कन्या,तुला और कुंभ राशि पर पड़ेगा। इन राशि वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और पराक्रम बढ़ेगा। वृश्चिक और मीन राशि पर इसका मिला-जुला असर देखने को मिलेगा। वहीं, मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, धनु और मकर राशि वाले लोगों को खासतौर से संभलकर रहना होगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मंगल को क्रूर ग्रह भी माना जाता है और शनि की दृष्टि पड़ने से देश-दुनिया में आगजनी, भूकंप, जनविद्रोह और कुछ जगह रक्तपात जैसे गंभीर हालात भी बन सकते हैंमंगल के कारण प्राकृतिक आपदा के साथ गैस दुर्घटना, वायुयान दुर्घटना होने की आशंका है। पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा। पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जाएगा। देश के कुछ हिस्सों में हवा के साथ बारिश रहेगी।
मंगल के अशुभ असर से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
❖ मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
❖ लाल चंदन या सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए। 
❖ तांबे के बर्तन में गेहूं रखकर दान करने चाहिए। 
❖ लाल कपड़ों का दान करें। 
❖ मसूर की दाल का दान करें। 
 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Tuesday, 16 March 2021

होलाष्टक

होलाष्टक 
प्रिय पाठकों, 
16 मार्च 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज होलाष्टक और विभिन्न उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक होली के त्योहार से पहले के 8 दिनो को शुभ नहीं माना जाता है। इन आठ दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के बाद होलाष्टक  समाप्त हो जाता है। होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य को करना वर्जित माना गया है। इस वर्ष होलाष्टक 22 मार्च 2021 से  शुरू होकर 28 मार्च 2021 तक रहेगा। पुराणों की एक कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या इसी दौरान भंग कर दी थी। जिससे नाराज होकर फाल्गुन की अष्टमी तिथि को ही भगवान शिवजी ने प्रेम के देवता कामदेव को भस्म कर दिया था। जिसके बाद पूरी सृष्टि नीरस हो गयी थी फिर भी बाद में कामदेव की पत्नी रति ने शिव जी की अराधना करके दोबारा अपने पति कामदेव को पुर्नजीवित करवाया।जिसके बाद भक्तों ने 8 दिनों तक शुभ कार्य करने को वर्जित माना जाता है। वही दूसरी एक कथा के अनुसार भक्त प्रहलाद को होलिका के साथ दहन करने से पहले आठ दिन तक मरणतुल्य कष्ट दिया और राक्षस हिरष्णकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बेटे को जलाकर भष्म करने का निर्देश दिया लेकिन, उस आग में वे खुद जल गयी। इन आठ दिनों के दौरान ही नन्हें प्रह्लाद को प्रताड़ित किया जा रहा था इसी कारण ही होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही  लोगों के द्वारा की गई थी जो अब भी जारी है। 
वही ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में वातावरण में नेगेटिव एनर्जी काफी रहती है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक अलग-अलग ग्रहों की नकारात्मकता काफी बढ़ती है। जिस कारण इन दिनों में शुभ कार्य न करने की सलाह दी जाती है। इनमें अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चुतर्दशी को मंगल तो पूर्णिमा को राहु की ऊर्जा काफी नकारात्मक रहती है. इसी कारण यह भी कहा जाता है कि इन दिनों में जातकों के निर्णय लेने की क्षमता काफी कमजोर होती है जिससे वे कई बार गलत निर्णय भी कर लेते हैं जिससे हानि होती है। 
होलाष्टक के दौरान शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी वार्तालाप, सगाई, किसी नए कार्य, नींव आदि रखने, नया व्यवसाय आरंभ या किसी भी मांगलिक कार्य आदि का आरंभ शुभ नहीं माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस मध्य 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लग जात है। इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।हालांकि इस दौरान पूजा पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं।होलाष्टक की अवधि में भगवान के नाम स्मरण और तप करना ही अच्छा रहता है। होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं। इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं। इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है। जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक के दिन की शुरुआत होलाष्टक के दिनों में ही संवत और होलिका की प्रतीक लकड़ी या डंडे को गाड़ा जाता है।भारत के अलग अलग क्षेत्रों मे इस दौरान लोग विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर गैर या गींदड़ जैसे नृत्य कर अबीर और गुलाल एक दूसरे को लगाते हुए बुराई रुपी होलीका पर भक्त प्रहलाद की भक्ति की जीत की खुशीयां मनाई जाती है। होलाष्टक के पूरे समय में भगवान शिव या कृष्ण जी की उपासना की जाती है।होलाष्टक में भगवद्प्रेम के लिए किए गए सारे प्रयास सफल होते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार होलाष्टक के दौरान निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
❁होलाष्टक के दौरान मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर की भक्ति और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए। ताकि उसे अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिल सके। 
❁होलाष्टक के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे रोग से पीड़ित है जिसका उपचार करवाने के बाद भी उसे लाभ नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे रोगी व्यक्ति को भगवान शिव का पूजन करना चाहिए और इसके अलावा ब्राह्मण द्वारा महामृत्युंजय मंत्र के अनुष्ठान के साथ घर में गुगल से हवन करना चाहिए। 
❁लक्ष्मी प्राप्ति व ऋण मुक्ति हेतु होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करते हुए कमल गट्टे,साबूदाने की खीर से हवन करने चाहिए। 
❁अपार धन-संपदा के लिए होलाष्टक के दौरान गुड़,कनेर के पुष्प, हल्दी की गांठ व पीली सरसों से हवन करना चाहिए। 
❁सौभाग्य की प्राप्ति के लिए होलाष्टक के दौरान चावल,घी, केसर से हवन करना चाहिए। 
❁कन्या के विवाह के लिए होलाष्टक के दौरान कात्यायनी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
❁होलाष्टक के दौरान अगर बच्चों का पढाई में मन नहीं लग रहा है तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए और गणेश जी को मोदक का भोग लगाए व दूर्वा से हवन करना चाहिए। 
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Thursday, 11 March 2021

महाशिवरात्रि के विभिन्न उपाय

महाशिवरात्रि के विभिन्न उपाय
प्रिय पाठकों, 
11 मार्च 2021,गुरुवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज महाशिवरात्रि के विभिन्न उपाय के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व पर महादेव की उपासना से व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था। इस दिन विधीवत से भगवान भोलेे की पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सभी प्रकार की समस्या जैसे विवाह की बाधाओं के निवारण, ग्रह जनित पीड़ा और आयु संंबंधित परेशानी के लिए इस दिन शिव जी की उपासना अमोघ अस्त्र साबित होती है। शिवरात्रि का व्रत,उपवास, मंत्रजाप तथा रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि को प्रातः काल स्नान करके शिव पूजा का संकल्प लेने के बाद सूर्य को अर्घ्य देंने के बाद शिव जी को जल अर्पित कर पंचोपचार पूजन के साथ "ओम्  नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। महाशिवरात्रि के रात्रि में शिव मन्त्रों के अलावा रुद्राष्टक अथवा शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं। अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजन करना चाहिए। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हर पहर में शुद्ध जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए और साथ ही साथ निम्नलिखित उपायों का उपयोग कर जीवन में आ रही समस्याओ का निवारण भी कर सकते है -
❁रोजगार के लिए और मनचाही नौकरी के लिए-महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखें और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शहद और जलधारा से भगवान शिव का अभिषेक "ओम् नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए शिव जी से रोजगार प्राप्ति की प्रार्थना करें। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर अनार का फुल चढ़ाएं। महाशिवरात्रि के संध्याकाल में शिव मंदिर में 11 घी के दीपक जलाएं। ऐसा करने से व्यापार में तेजी आएगी और नौकरी संबंधित समस्या का भी अंत होगा।
❁शिक्षा और एकाग्रता के लिए- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का दूध मिश्रित जल का अभिषेक करना चाहिए पर इस बात का ध्यान रखें कि इसकी धारा लगातार शिवलिंग पर गिराते रहें उस समय "ओम् नमः शिवाय" कहते जाएं और शिव लिंग से स्पर्श कराके पांच-मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
❁संतान के लिए- शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार शुद्ध घी और बाद में जल धारा से इनका जलाभिषेक कर भगवान शिव से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें यह प्रयोग पति पत्नी एक साथ करें तो उत्तम होता है। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
❁शीघ्र विवाह के लिए- अगर कोई भी अपनी शादी को लेकर बैचैन हैं तो इस महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव से श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करनी चाहिए कि हे भगवान आप मेरी शादी इसी साल में करवा दीजिए। उनसे जिस प्रकार के वर या वधू को आप चाहते हैं आप अपनी शादी को लेकर भगवान शिव से इस महा शिवरात्रि पर अपने मन में प्रार्थना करें। और आपकी शादी शीघ्र ही आपकी मनचाहे जीवन साथी से हो जाएगा।महाशिवरात्रि के दिन जहां माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति एक साथ हो उस मंदिर में पीले वस्त्र धारण करके शिव मंदिर जाना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव के प्रतिक शिव लिंग पर उतने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए जितनी उस युवक या युवती की उम्र है हर बिल्व पत्र के साथ " ओम् नम शिवाय" का जाप करते हुए भगवान शिव को अर्पित करे और बाद में माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित कर दोनों की पूजा साथ में करनी चाहिए। इसके बाद मौली को हाथ में लेकर सात बार शिव-पार्वतीजी की परिक्रमा करते हुए सात बार मौली से शिवलिंग और पार्वती जी के बंधन कर देना चाहिए।अंत में भगवान शिव और माता पार्वती से शीघ्र विवाह की प्रार्थना करनी चाहिए इसके बाद वहाँ शिव चालीसा का पाठ करें। यह पुजा महाशिवरात्रि के व्रत के साथ 16 सोमवार तक लगातार करे और व्रत भी करना चाहिए। 
❁शीघ्र विवाह के लिए दूसरा उपाय - महाशिवरात्रि की शाम के समय मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन जरूर करना चाहिए और इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर हो और "ओम् नमः शिवाय" पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। उसके बाद दूध से भी अभिषेक  सवा घंटा तक कर सकें। शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा करनी चाहिए और नंदी के कान में शीघ्र विवाह की कामना कहनी चाहिए। 
❁महशिवरात्रि के दिन का विवाह के लिए तीसरा उपाय- सूर्योदय से पूर्व नित्य कर्म से निवृत्ति के बाद स्नान करें। स्नान करने के दौरान पानी मे गंगा नदी का जल डाले और भगवान शिव एवं माता पार्वती का ध्यान करें। स्नान के बाद एक साफ तांबे के गिलास या लोटा में सवा पाव कच्चा दूध लेकर उसमें थोड़ी पिसी शक्कर मिलाएं और पूजा का सामान लें। सबसे पहले शिवलिंग को जलाभिषेक कराएं। फिर कच्चे दूध से और उसके बाद दूध में बूरा या मीठा डाल कर स्नान करवाएं। अभिषेक के बाद भगवान शिव को कच्चा सूत रुपी वस्त्र अर्पित करे। इसके बाद उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। उनको आक के फूलों की माला समर्पित करें और भगवान शिव को 108 बिल्व पत्र ''ओम् नमः शिवाय" का मंत्र जाप करते हुए अर्पित करे और हर बेलपत्र को अर्पित करते हुये भोलेनाथ से सुयोग्य वर या सुयोग्य पत्नी की कामना करें। 
❁आमदनी में वृद्धि हेतु उपाय- शिवरात्रि पर घर में पारद के शिवलिंग या स्फटिक के शिवलिंग की स्थापना योग्य ब्राह्मण से सलाह कर स्थापना कर प्रतिदिन पूजन जल, दूध ,दही, घी, शहद और शक्कर से शिवलिंग का अभिषेक "ओम् नमः शिवाय" मंत्र का जाप करे। प्रति दिन ओम् नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करने और शिवलिंग पुजा करने से आमदनी में वृद्धि होती हैं।
❁पितृदोष की शांति हेतु उपाय महाशिवरात्रि भगवान शिव के शिवलिंग का पानी में काले तिल मिलाकर 101 बार अभिषेक करें और "ओम् नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। इसके बाद गरीबों और जरूरत मंदो को भोजन कराना चाहिए। इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी और पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी और मन को शांति मिलेगी।
❁बिमारी में लाभ के लिए- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक रुद्रीपाठ के साथ ही महामृत्युंजय मंत्र जो हैं- 
"ओम् हौं जूं सः। ओम् भूरभूव स्वः। ओम् त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात्। ओम् स्वः भुवः भूः ओम्। सः जूं हौं ओम्" का जाप करते रहें। इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
❁सुख समृद्धि और परेशानी के अंत के लिए- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करे और उसके बाद भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं और 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से 'ओम् नम: शिवाय' लिखकर उन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं।इसके बाद किसी नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा। ऐसा करने से आपकी धन संबंधी समस्या खत्म होती है और रुके हुए धन की प्राप्ति भी होती है।
❁दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के बाद अनाथ आश्रम में जाकर फल और खाने की वस्तुओं का वितरण करें और जरूरतमंदों की मदद करने से जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होगा और भाग्य भी साथ देगा।
❁वैवाहिक जीवन की परेशानी का अंत के लिए- अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी चल रही है तो महाशिवरात्रि पर 16 सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान दें और गरीब और जरूरतमंद महिलाओं की मदद करें। ऐसा करने से आपके वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत होगा और दाम्पत्य जीवन मधुर हो जाएगा।
❁ग्रह जनित अशुभ परिणाम से बचने के लिए - अगर आपकी जन्मकुंडली में कोई भी ग्रह शुभ परिणाम नहीं दे रहा हैं तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का दुग्धाभिषेक कर विधि-विधान से पूजा करें और "ओम नम: शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र" का जप करने से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रह शुभ फल देना शुरू कर सकते हैं।
❁मोक्ष प्राप्ति के लिए- महाशिवरात्रि के दिन एक मुखी रूद्राक्ष भगवान शिव के समक्ष रखकर गंगाजल से अभिषेक कर विधी-विधान से पूजा करें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर रूद्राक्ष रख दें। उसके बाद "ओम् नम: शिवाय" मंत्र का एक लाख बार जप करें और हर दिन एक माला का जाप करें। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
❁स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए- जो व्यक्ति स्थायी लक्ष्मी पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाने चाहिए।चावल पूरे यानी अखंडित होने चाहिए। 
❁लम्बी उम्र के लिए- यदि कुंडली में अल्पायु योग है तो लंबी उम्र के लिए महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक दुर्वा रस से महामृत्युंजय मंत्र के साथ करना चाहिए और दूर्वा(दूब) और आक के फुल और धतुरे को भी चढ़ाना चाहिए। इससे शिवजी और गणेशजी की कृपा से आयु में वृद्धि के साथ-साथ सुख-समृद्धि भी बढ़ती हैं। 
❁शत्रु पर विजय के लिए - महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक करें और वहीं रूद्राष्टक का पाठ करें। ऐसा करने से कोई शत्रु परेशान कर रहा है या फिर किसी झूठे मुकदमे में फंसे हैं तो महाशिवरात्रि पर यह विजय दिलाएगा। 
❁शिवपुराण के अनुसार बिल्व वृक्ष महादेव का रूप हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन बिल्व वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और रात्रि में बिल्व वृक्ष के पास दीपक जलाएं। बाद में भगवान शिव की पुजा के लिए बिल्व पत्रो को तोड़ कर ले जाए। फिर शिवलिंग का जलाभिषेक करे। जल चढ़ाते समय शिवलिंग को हथेलियों से रगड़ना चाहिए। महाशिवरात्रि की रात में किसी शिव मंदिर में या बिल्व वृक्ष के पास दीपक जलाएं। शिवपुराण के अनुसार कुबेर देव ने पूर्व जन्म में रात के समय शिवलिंग के नजदीक दीपक जलाकर रोशनी की थी। इसी वजह से अगले जन्म में वे देवताओं के कोषाध्यक्ष बने।
❁शिवरात्रि का महाउपाय- महाशिवरात्रि में शिवजी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें शमी पत्र अर्पित करना चाहिए। साथ में शिवलिंग के समक्ष रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष भी रखकर पुजा करनी चाहिए और "ओम् नमः शिवाय"  मंत्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिए। अपनी मनोकामना के पूर्ण हो जाने की प्रार्थना नंदीश्वर के कान में कहनी चाहिए। इसके बाद उस रुद्राक्ष को गले में धारण कर लें। ऐसा करने से आपकी मन इच्छा जरूर पूरी होगी। 
❁कालसर्प दोष की शांति के लिए - महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंदिर में जहाँ शिवलिंग पर सर्प मूर्ति नहीं है वहाँ शिवलिंग पर चांदी से बना कर सर्प मूर्ति बना कर चढाये और बाद में शिव लिंग का पंचामृत से अभिषेक महामृत्युंजय मंत्र के साथ करना चाहिए। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294

Sunday, 7 March 2021

महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार

महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार
प्रिय पाठकों, 
07 मार्च 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय हिन्दू पंचाग के मुताबिक हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन का भगवान भोलेनाथ के भक्तों को पूरे साल इंतजार रहता है जिसको लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। महाशिवरात्रि पर्व हिंदू धर्म में का बहुत महत्वपूर्ण पर्व है जो देश के हर कोने में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव एवं माता पार्वती के मिलन का महापर्व कहलाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च 2021 गुरूवार को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। इस दिन शिव जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करके व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पूरे दिन शिव योग लगा रहेगा और साथ ही नक्षत्र घनिष्‍ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है। इस साल शिवरात्रि की पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पौराणिक कथाओं के  आधार पर ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन,सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उन्‍हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्‍ठान और रुद्राभिषेक व महा महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिन  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विशेष महत्‍व होता है और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। इस दिन देश भर में कई स्‍थानों पर शिव बारात निकाली जाती है और धूमधाम से यह त्‍योहार मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के व्रत रखने वालों को सौभाग्य, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। शिव जी को महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ के नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने ही धरती पर सबसे पहले जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया था इसीलिए भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व निम्नलिखित हैं-
महाशिवरात्रि के दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखते हुए रात्रि को शिवजी की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित ब्राहम्णों तथा शारीरिक रुप से अस्मर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महाकल्याणकारी और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है। अलौकिक सिद्धियाँ एवं ऋद्धि- सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह दिन सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है।ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि के समय करोड़ों सूर्य के तेज के समान ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार- चाहे सागर सूख जाए, हिमालय टूट जाए, पर्वत विचलित हो जाएं परंतु शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं जाता। भगवान राम भी यह व्रत रख चुके हैं।
महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा सामग्री निम्नलिखित है -
प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें। कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध,दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें। रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कल्याणकारी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित कार्यो का ध्यान रखना चाहिए जो बहुत महत्वपूर्ण है -  
❃महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के शिवलिंग का पूजन शुभ शुभफलदायी रहता है इसलिए शिवलिंग अवश्य करना चाहिए।  
❃भगवान शिव की पूजा में सफेद फूलों का प्रयोग करना चाहिए और यदि आक के फूल हो तो और भी श्रेष्ठ रहता है।
❃शिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ हैै तो उनकी विवाह की बाधाएं दूर होती है।
❃महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ नंदी का पूजन अवश्य करना चाहिए क्योंकि नंदी पूजन के बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। 
❃भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन बैल को हरा चारा खिलाना चाहिए।
❃बिल्वपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। बिल्वपत्र पर चंदन से ''ओम् नमः शिवाय: '' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
❃महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के साथ चारो प्रहर की पूजा करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है - 
❁महाशिवरात्रि के दिन सवेरे बिल्कुल भी देर तक न सोएं। यदि महाशिवरात्रि का व्रत नहीं भी किया है तो बिना स्नान और भगवान शिव के पूजन के बिना भोजन नहीं करें।
❁शिवरात्रि के दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र धारण न करें। 
❁शिवलिंग की परिक्रमा करते समय जल स्थान को भूलकर भी न लांघे।
❁शिव जी की पूजा में हल्दी, तुलसी और कुमकुम का प्रयोग न करें।
❁शिव जी को भूलकर भी शंख से जल न चढ़ाएं।
❁शिव जी की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है इसके अलावा चंपा के फूल का प्रयोग भी न करें।
❁भगवान शिव पशुपतिनाथ कहलाते हैं इसलिए ❁महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी किसी पशु-पक्षी को न सताएं।
❁महाशिवरात्रि पर घर में या आस-पास किसी से भी कलह करने से बचें। किसी को अपशब्द न कहें और न ही निंदा करें।
❁महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को बिल्कुल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को ग्रहण करना शुभ नहीं माना जाता है।
❁महाशिवरात्रि पर सात्विकता बनाएं रखें। इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें।
 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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नक्षत्र ज्योतिष हब
📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294


Wednesday, 3 March 2021

वैवाहिक जीवन के कष्टों का निवारण - सीता अष्टमी व्रत

वैवाहिक जीवन के कष्टों का निवारण - सीता अष्टमी व्रत
प्रिय पाठकों, 
03 मार्च 2021,बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज वैवाहिक जीवन के कष्टों का निवारण - सीता अष्टमी व्रत के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार सिंधु पुराण में माता सीता के जन्म के बारे में वर्णन एक पद के द्वारा बताया गया है- "फाल्गुनस्य च मासस्य कृष्णाष्टम्यां महीपते।
             जाता दाशरथे: पत्‍‌नी तस्मिन्नहनि जानकी॥"
अर्थात फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रभु श्रीराम की पत्नी जनकनंदिनी माता सीता प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस तिथि को सीता अष्टमी के नाम से जाना जाता है और हर साल सीता जयंती या जानकी जयंती मनाई जाती है। इस साल सीता जयंती 6 मार्च 2021रविवार के दिन को आ रही है। रामायण की कथा के मुताबिक माता सीता महाशक्ति स्वरूपा माता लक्ष्मी का अवतार थी जो जनकपुरी के महाराज जनक को हल जोतते हुए पृथ्वी से पुत्री रुप में प्राप्त हुई। माता सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के साथ हुआ था। माता सीता एक आदर्श पत्नी मानी जाती है। विवाह के पश्चात उन्होंने अपने आप को राजा दशरथ की संस्कारी बहू के रुप में स्थापित करते हुए एक आदर्श पत्नी की तरह वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम के कर्तव्यों का पूरी तरह पालन किया। अपने दोनों पुत्रों लव-कुश को वाल्मीकि के आश्रम में अच्छे संस्कार देकर उन्हें तेजस्वी बनाया। और आखिर में उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए धरती में ही समाना पड़ा। माता सीता को भगवान श्रीराम की श्री शक्ति भी माना गया है।
लोक मान्यताओं के अनुसार सीता अष्टमी का व्रत सुहागिन स्त्रियों और शादी योग्य युवतियों के लिए खास होता है। इस खास दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती है और वैवाहिक जीवन से जुड़े सभी कष्टों का नाश होकर उनसे मुक्ति मिलती है। सीता अष्टमी के इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को समस्त तीर्थों के दर्शन करने जितना फल भी प्राप्त होता है और शादी योग्य युवतियां भी यह व्रत माता सीता की तरह एक आदर्श पत्नी बनने की कामना से करती है। 
यह व्रत एक आदर्श पत्नी और शादी योग्य युवतियां माता सीता जैसे गुण हमें भी प्राप्त हो इसी भाव के साथ रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं और सुखद दांपत्य जीवन की भी प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जिन लड़कियों को शादी में बाधा आ रही हो वो भी इस व्रत को रखने से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। 
सीता अष्टमी के व्रत और माता सीता की पुजा की विधि निम्नलिखित हैं -
सीता अष्टमी के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर माता सीता और भगवान श्रीराम की मूर्ति या फोटो को प्रणाम कर उनके समक्ष व्रत का संकल्प करें।
संकल्प के बाद सबसे पहले भगवान गणेश और माता अंबिका(पार्वती)की पूजा करें और उसके बाद माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें।
माता सीता के समक्ष पीले फूल, पीले वस्त्र और और सोलह श्रृंगार का सामान समर्पित करें। 
माता सीता को भोग में पीली चीजें अर्पित करें और विधिपूर्वक पूजा के बाद माता सीता की आरती करें।
आरती के बाद "श्री जानकी रामाभ्यां नमः" मंत्र का 108 बार (1 माला का) जाप करें।
दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें और शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
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पति-पत्नी के बीच मतभेद और बेडरूम वास्तु

पति-पत्नी के बीच मतभेद और बेडरूम वास्तु
प्रिय पाठकों, 
16 फरवरी 2023, गुरुवार 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज पति-पत्नी के बीच मतभेद और बेडरूम वास्तु के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शादीशुदा जीवन में पति-पत्नी के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है। जहां भी दो लोग होते हैं वहां पर मतभेद होना सामान्य सी बात है। लेकिन अगर छोटे-मोटे मतभेद बड़े होकर मनमुटाव में परिवर्तित हो जाए तो यह चिंता का विषय बन जाता है और आगे चलकर यह निरंतर होने वाले झगड़ों और वाद-विवादों का कारण बनता है जिसका नकारात्मक असर स्वयं पति-पत्नी के अतिरिक्त बच्चों पर भी पड़़ता है। 
बेहतर वैवाहिक जीवन के लिए उत्तर वायव्य दिशा का वास्तु सम्मत होना जरूरी है। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ बनाये रखें। 
नव विवाहित जोड़े के लिए बेडरूम की व्यवस्था भी उत्तरी वायव्य दिशा में ही होनी चाहिए। यहां स्थित बेडरूम में रह रहे पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के प्रति रूचि बनी रहती है और दोनों में अच्छे सम्बन्ध स्थापित होते हैं।
उत्तरी वायव्य में बना बेडरूम नए शादीशुदा जोड़ों के लिए बहुत अच्छा होता है तो वहीं अगर लम्बे समय तक रहने के लिए बेडरूम का चुनाव करना हो या फिर आप घर के मुखिया है तो आपके बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा अधिक बेहतर विकल्प है।यह जीवन को स्थिरता प्रदान करने के साथ ही रिश्तों को बेहतर बनाने का काम करेगा।
बेड (पलंग) का आकार वर्गाकार हो और यह लकड़ी का बना हो। इसके अलावा बेड का डिजाईन बहुत पेचीदा और अजीब नहीं होना चाहिए वरना सोते समय यह मानसिक रूप से असुविधाजनक महसूस कराएगा। शयनकक्ष में बेड व्यवस्थित होने के साथ-साथ सोते वक्त सिर भी दक्षिण या पश्चिम दिशा की रहना चाहिए।
वैवाहिक जिंदगी में किसी भी प्रकार के तनाव से बचने के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा में बेडरूम ना बनाये और 
अगर यहां पर पहले से ही बेडरूम बना हुआ है तो शादीशुदा लोग उसका उपयोग न करना चाहिए।
बेडरूम में दीवारों और फर्नीचर के लिए हल्के रंगों का ही प्रयोग करें। 
कमरे को अनावश्यक सामानों से न भरे।
किचन का निर्माण उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं करना चाहिए। शयनकक्ष के पास किचन पति-पत्नी के बीच संबंधों को खराब करता है। अतः किचन का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में करना सर्वोत्तम है।
शादी और परिवार से जुडी तस्वीरें, फोटो एलबम्स इत्यादि को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे के प्रति अच्छी समझ देखने को मिलती है और परिवार में सौहार्द का माहौल बना रहता है। 
घर का वास्तु कहीं न कहीं पति-पत्नी के रिश्तों पर भी प्रभाव डालता है। 
अगर घर में सब कुछ उचित है और सभी चीजें वास्तु के अनुसार है तो पति-पत्नी का रिश्ता मधुर रहता है। लेकिन यदि पति-पत्नी का रिश्ता ठीक नहीं है और आए दिन लड़ाइयां होती रहती है और बात-बात पर विवाद होने लगा है तो समझ लें ये सब वास्तु दोष के कारण हो सकता है।
बेडरूम में गलत जगह पर रखी गलत चीजें पति-पत्नी के रिश्तों में रुकावटें डालती है।  
कमरे की साज-सज्जा वास्तु शास्त्र के हिसाब से करनी चाहिए।
पति-पत्नी के बीच झगड़ा होने का सबसे बड़ा कारण बेडरूम की खिड़की का वास्तु दोष हो सकता है। 
अगर आपके मास्टर बेडरूम का बेड खिड़की के पास है या उससे सटा हुआ नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर पति-पत्नी के बीच बहुत झगड़े होते हैं। अगर ऐसा है तो उस बेड को वहां से हटा दें या खिड़की और बेड के बीच पर्दा लगा दें। इससे दोष का निवारण हो जाएगा।
बेडरूम में दो या उससे अधिक औरतों की तस्वीर लगाने से भी पति-पत्नी के बीच झगड़े होते हैं। कमरे में ऐसी कोई भी तस्वीर रखना जिसमे 2 या अधिक औरते हो तो उसे तुरंत कमरे से हटा देना चाहिए। ये तस्वीर ना केवल घर में वास्तु दोष लाती है बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को भी खराब करती है।
पति-पत्नी के बेडरूम में कभी भी मंदिर नहीं बनवाना चाहिए। पति-पत्नी के बीच बेडरूम में कितना कुछ होता है। ऐसे में क्या वो सब भगवान के सामने करना शुभ है। इतना ही नहीं, रात को सोने का तरीका, पैरों की दिशा और बाकी सारी चीजें भी मंदिर के सामने अच्छा नहीं है। खुद भी ऐसा नहीं चाहेंगे। इसलिए मंदिर हमेशा शयनकक्ष के बाहर होना चाहिए। क्यूोंकि मंदिर में पूर्ण शुद्धता होनी चाहिए और बेडरूम में ये संभव नहीं।कपति-पत्नी के बेडरूम में ऑफिस, स्टडी रूम या टीवी रूम बनाना ठीक नहीं होता। वास्तु के अनुसार, ये पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े के मुख्य कारणों में से एक है। कमरे में ऑफिस बनाने से प्राइवेसी नहीं रहती, जबकि स्टडी रूम होने से रात में देर तक लाइट के कारण परेशान होना पड़ सकता है। बैडरूम में टीवी रूम बनाने से अच्छी-बुरी हर तरह की चीजों का प्रभाव वहां मौजूद लोगों के व्यवहार और मानसिकता पर पड़ता है। इसीलिए बेडरूम केवल सोने के लिए ही रखें।
बेडरूम में कभी भी बेड के ठीक ऊपर बीम नहीं होना चाहिए। और अगर है भी तो पति-पत्नी को सिरहाना उस तरफ नहीं रखना चाहिए। क्योंकि यह बीम भी पति-पत्नी के बीच होने वाली कलह का कारण होता है।
बेड के निचले हिस्से में बॉक्स में अक्सर लोग जरूरत के सामान रख देते हैं। लेकिन बेड के बॉक्स में रखा यही सामान उनके रिश्तों में कड़वाहट लाने का काम करता है। 
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पति-पत्नी के बेड के अंदर बर्तन, किताबें, टूटा सामान, खराब इलेक्ट्रॉनिक और दवाइयां नहीं रखनी चाहिए। इससे दोनों के रिश्ते में दर्द आ सकती है।शयनकक्ष में लाइट हमेशा हल्की होनी चाहिए और उन्हें ऐसे लगाएं की बेड पर सीधा प्रकाश ना पड़े। लाइट हमेशा पीछे या बायीं ओर से आनी चाहिए।पति-पत्नी के बेडरूम में कहीं भी पानी की तस्वीर वाली पेंटिंग नहीं लगानी चाहिए। यह दांपत्य जीवन में कलह का कारण बनती है। लव बर्ड, बत्तख जैसे पक्षी प्रेम का प्रतीक होते हैं। इनकी तस्वीर या छोटी मूर्तियों को बेडरूम में रखना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन सुखी रहेगा और वास्तु दोष का भी निवारण होगा।पति-पत्नी के बेडरूम में कभी भी आइना नहीं लगाना चाहिए।  वो पलंग के ठीक सामने नहीं होना चाहिए और खिड़की के सामने भी नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है और दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं।कमरे में गलत स्थान पर रखा पलंग भी पति-पत्नी की बीच कलह का कारण बनता है। इसीलिए शयनकक्ष में पलंग हमेशा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। सोते समय सिर हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में पलंग रख सकते हैं। इस दिशा में पलंग होने पर मुख पूर्व दिशा में और सिरहाना पश्चिम दिशा में रहना चाहिए।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
Panditanjanikumardadhich@gmail.com
Phone No-6377054504,9414863294

Tuesday, 2 March 2021

हनुमान बाहुक स्तोत्र-एक चमत्कारी पाठ

हनुमान बाहुक स्तोत्र-एक चमत्कारी पाठ
प्रिय पाठकों, 
02 मार्च 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज हनुमान बाहुक स्तोत्र-एक चमत्कारी पाठ के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना गया है। हनुमान जी को रामभक्त, बजरंगबली, पवन पुत्र, आंजनेय आदि नामों से पुकारा जाता है । हनुमान जी के अनगिनत भक्त हैं जिनकी गणना करना असंभव है। ऐसी मान्यता है कि संसार में जहाँ पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरित मानस, रामायण, हनुमान बाहुक आदि का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी वहां जरूर मौजूद होते हैं। वे किसी ना किसी वेश में भक्तों के बीच उपस्थित होते हैं। हनुमान जी के प्रति भक्ति भावना और श्रद्धा से मनाता है उसका जीवन हनुमान जी सफल बना देते हैं। हनुमान बाहुक पाठ की संरचना कैसे हुई और किसने पहली बार इसका जाप किया इसके पीछे एक रोचक कहानी है। 
संत तुलसीदास जी श्रीराम व हनुमान जी के परम भक्त माने जाते हैं। उन्होंने ही रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा लिखी थी। तुलसीदास जी ने हनुमान बाहुक नामक एक ऐसे स्तोत्र की रचना की जिसके पाठ व्यक्ति के शारीरिक कष्टों को दूर करता है। जनश्रुतियों के मुताबिक एक बार जब कलियुग के प्रकोप से उनकी भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई तो वे काफी बीमार पड़ गए। उन्हें वात ने जकड़ लिया था और शरीर में काफी पीड़ा भी हो रही थी। इस पीड़ा भरी आवाज में ही उन्होंने हनुमान नाम का जाप आरंभ कर दिया। अपने भक्त की पीड़ा देखते हुए हनुमान जी प्रकट हुए तो गोस्वामी तुलसीदास ने उनसे एक ऐसे श्लोक की प्रार्थना की जो उनके सभी शारीरिक कष्टों को हर ले तब हनुमान जी ने उन्हें एक ऐसे स्त्रोत्र की रचना करने की प्रेरणा दी जो पाठ करने वाले  इंसान के सभी कष्ट दूर कर सके। तब तुलसीदास जी ने "हनुमान बाहुक" नामक स्त्रोत की रचना की। 44 पद्यों के प्रसिद्ध स्तोत्र के रूप में प्रचलित हनुमान बाहुक स्तोत्र के द्वारा हनुमान जी की वंदना कर गोस्वामी तुलसीदास ने अपने सारी कष्टों से छुटकारा पाया था। हनुमान जी की कृपा से उनकी सारी व्यथा नष्ट हो गयी थी। हनुमान बाहुक का निरन्तर पाठ करने से मनोवांछित मनोरथ की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र से शारीरिक रोगों के अतिरिक्त और भी सब प्रकार की लौकिक बाधाएँ भी समाप्त होती हैं। इससे मानसरोग मोह, काम, क्रोध, लोभ एवं राग-द्वेष आदि तथा कलियुग कृत बाधाएँ भी नष्ट हो जाती हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान बाहुक का पाठ आप नियमित भी कर सकते हैं। पर इस पाठ को करने की विधि और नियम है जिनका पालन करना भी आवश्यक है जो निम्नलिखित है -
❃कोई भी साधक 41 दिन के पाठ का संकल्प के साथ हनुमान बाहुक का पाठ कर सकते हैं। 
❃41 दिन तक प्रात:काल नित्यक्रम से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र पहन कर साधक को इसका पाठ करना चाहिये।
❃इन 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करे। 
❃व्यभिचार से बचें और मांस- मदिरा का सेवन न करे। 
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए एक चौकी पर लाल रंग के कपड़े पर श्री राम जी के मूर्ति एवं हनुमान जी की एक-एक तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद दोनों तस्वीरों के सामने घी का दिया जलाएं और हनुमान बाहुक स्तोत्र के पाठ करने वाले व्यक्ति को शुद्ध होकर पहले श्री राम जी का ध्यान तथा पूजन करने के बाद हनुमान जी का पूजन करें और पूजा के दौरान हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। यह पवित्र तुलसी के पत्ते पूजा को अधिक सकारात्मक बनाते हैं। पूजन के बाद गुड़ एवं चने का भोग लगा कर पाठ आरम्भ करें तथा पाठ खत्म होने पर पीड़ित व्यक्ति को तुलसी के ये पत्ते भी खिला दें।
इसी तरह से 40 दिनों तक पाठ करने से किसी भी व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा सभी तरह के कष्टों का निवारण हनुमान जी की कृपा से निश्चय हीं हो जायेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान बाहुक के लाभ निम्नलिखित है -
❁यदि कोई भी व्यक्ति जो गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 41 दिनों तक प्रतिदिन पाठ करना चाहिए और पाठ करते समय एक साफ जल से भरकर गिलास या लौटा रखें। पाठ करने के बाद उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें।हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। हनुमान जी को संकटमोचक कहा गया है और उनके हनुमान बाहुक पाठ का कुछ ऐसा ही असर है। इस पाठ को पढ़ने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
❁हनुमान बाहुक का पाठ करने से व्यक्ति के आसपास एक रक्षा कवच बन जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसे छू भी नहीं सकती और उससे भूत-प्रेत जैसी बाधाओं एवं किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति भी दूर रहती है।  
❁हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से दूर रहता है। अत: पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केवल कष्ट होने पर ही नहीं बल्कि हनुमान बाहुक का पाठ प्रतिदिन करना भी फलदायी होता है। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294






Sunday, 28 February 2021

फाल्गुन मास और त्योहार

फाल्गुन मास और त्योहार
प्रिय पाठकों, 
28 फरवरी 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज फाल्गुन मास और इसकेे त्योहारों के बारे में यहाँ सुक्ष्म जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विक्रमी संवत (भारतीय हिन्दू वर्ष) का आखिरी महीना फाल्गुन मास होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इसे फाल्गुन कहा जाता है। फाल्गुन का महीना खुशियों व उल्लास का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि फाल्गुन महीना ग्रीष्म ऋतु यानी गर्मी के आगमन का संकेत देता है।इस माह में कई मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें से मुख्य होली, महाशिवरात्रि, फुलेरा दूज, फाल्गुन पूर्णिमा, फाल्गुन अमावस्या और आमलकी एकादशी हैं। फाल्गुन माह 28 फरवरी से 28 मार्च तक रहेगा। 
इस महिने के दौरान भगवान शिव, श्री कृष्ण, विष्णु व चंद्र देव की भी पूजा करने का विशेष महत्व होता है।फाल्गुन माह के दौरान माता सीता की भी पूजा की जाती है। 
❁महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का दिन होता है। महाशिवरात्रि में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाने चाहिए। 
❁पूरे फाल्गुन महीने में श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है। फाल्गुन माह में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और उनके बालरुप की पुजा के लिए फल फूल अबीर एवं गुलाल से पूजन करना चाहिए।फाल्गुन माह मे पर्व मनाया जाता है जिसे फुलेरा दूज कहा जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण कई शादियां होती है। 
❁फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक रुप में भारत में होली मनाई जाती है। इस दिन लोग गींदड़ और गैर नृत्य करते हुए एक दूसरे को गुलाल एवं रंग लगाते है और इसकी शुरुआत में देवी देवताओं को अबीर और गुलाल जरूर अर्पित करना चाहिए। ❁आर्थिक सुख समृद्धि एवं दांपत्य सुख लिए माता पार्वती, मां लक्ष्मी एवं माता सीता की उपासना करना भी बेहद शुभ माना गया है। उन्हें लाल रंग की चीजें एवं सुहाग की चीजें अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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Thursday, 25 February 2021

गुरु पुष्य योग

गुरु पुष्य योग और इसके उपाय
प्रिय पाठकों, 
25 फरववरी 2021,बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गुरु पुष्य योग और इसके उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ब्रह्माण्ड में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ और मांगलिक माना गया है और पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। यह नक्षत्र इतना शुभ है कि जिस दिन यह नक्षत्र पड़ रहा हो उस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार को पड़ता है तब इसे गुरुपुष्य योग के नाम से जाना जाता है। 25 फरवरी 2021 गुरुवार को गुरु पुष्य योग बन रहा है जो कि इस साल का दूसरा गुरु पुष्य योग है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवताओं के गुरु बृहस्पति देव हैं। इस दिन पूजा पाठ के अलावा खरीददारी करना भी बेहद शुभ माना जाता है। गुरुवार और पुष्य नक्षत्र से बनने वाले यह संयोग कई शुभ योग भी अपने साथ लेकर आ रहा है। इस दिन चंद्रमा अपनी ही राशि कर्क में रहने वाले हैं। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि नामक योग भी बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्व कई गुणा और बढ़ जाता है। इस दिन रवि योग के साथ अमृत योग भी रहेगा। एक दिन में इन सभी दुर्लभ योगों का एक साथ आना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।गुरुवार को दिन भगवान विष्णु के साथ बृहस्पति देव की भी पूजा की जाती है जिन्हें सुख, वैभव और धन प्रदान करने वाला माना जाता है और इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। इसलिए गुरुपुष्य योग पर शनिदेव और बृहस्पति देव दोनों का प्रभाव रहता है और दोनों के बीच समभाव भी रहता है। शुभ योग के बीच दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सबसे अच्छा दिन रहेगा। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए और उनके उपाय से अपनी सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए खास माना गया है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में यह बेहद दुर्लभ और श्रेष्ठतम योगों में से एक माना गया है। इस दिन नई वस्तु, जमीन-मकान की खरीददारी, वाहन, स्वर्ण आभूषण आदि खरीदने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन अगर नया व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं। इस योग में किया गया धन का निवेश या फिर नया काम धंधा हमेशा फायदा देता है। हालांकि इस योग में विवाह संस्कार जैसे कार्य नहीं किए जाते क्योंकि इस योग ब्रह्माजी का शाप भी मिला हुआ है।
गुरुपुष्य योग के मुहूर्त निम्नलिखित है-
❃गुरु पुष्य योग – सुबह 06 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 01 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
❁सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग – सुबह 06 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 01 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
❁रवि योग – दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ होगा और अगली सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
❁अमृत काल – सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगा और 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुरु पुष्य योग के दिन निम्नलिखित उपाय कर धन धान्य ऐश्वर्य यश, और कीर्ति को प्राप्त किया जा सकता है -
❁गुरु पुष्य योग के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए और धन संबंधित समस्या को खत्म करने के लिए लक्ष्मी नारायण की पूजा करें। पूजा में ‘ओम श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:’ मंत्र का कमलगट्टे की माला के साथ 108 बार जप करें। इस शुभ योग में इस लक्ष्मी मंत्र जप करने से धन प्राप्ति का योग बनने लगते हैं।
❁गुरु पुष्य योग के दिन घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। 
❁इस शुभ योग में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करें और इस शंख से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पानी एवं दुध मिलाकर अभिषेक एवं पूजा करे तथा लक्ष्मीनारायण स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में प्रगति होती है। 
❁गुरु पुष्य योग वाले दिन धन-धान्य में वृद्धि के लिए अपने घर के पुजाघर में श्रीयंत्र की स्थापना कर लक्ष्मी स्त्रोत और कनकधारा स्तोत्र का भी पाठ करना चाहिए। यह पाठ कल्याणकारी माना गया है। इन स्तोत्र के मात्र पढ़ने और सुनने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और आपके आसपास एक सकारात्मक ऊर्जा का चक्र बन जाता है। नियमित इनका पाठ करने से वैभव व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेमभाव बन रहता है। इनका पाठ करने से शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है।इससे ना केवल शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है बल्कि माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है और ऐशवर्य में भी वृद्धि होती है।
 ❁माँ लक्ष्मी श्री सूक्त के पाठ से भी अति प्रसन्न होती है। जो जातक पुष्य नक्षत्र के दिन श्री सूक्त एवं श्री महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करते है करते है माँ लक्ष्मी की उस घर परिवार पर पीढ़ियों तक कृपा बनी रहती है और वह जातक इस जन्म में तो ऐश्वर्य का भोग करता ही है इस पुण्य के कारण अगले कई जन्मो तक भी उस धन की कोई भी कमी नहीं रहती है।
❁कार्यस्थल जैसे दुकान या व्यापार क्षेत्र में पारद लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करने से धन व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से कारोबार में तेजी आती है और आर्थिक संकट दूर होता है। नौकरी प्राप्त करने के लिए या फिर नौकरी में तरक्की के लिए गुरु पुष्य योग में पारद लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं। 
❁गुरु पुष्य योग के दिन व्यापारिक क्षेत्र या दुकान में एकाक्षी नारियल की स्थापना कर उसकी पूजा कर सकते हैं। एकाक्षी नारियल को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इस नारियल की विधि पूर्वक पूजा करने के बाद धन के स्थान पर रखने से घर या व्यापार में कभी पैसे की कमी नहीं रहती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
❁गुरु पुष्य योग के दिन आप मां लक्ष्मी के चमत्कारिक कनकधारा स्तोत्र और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। कनकधारा स्तोत्र के रचियता आदि शंकराचार्य हैं। उन्होंने इस स्तोत्र का पाठ करने से धन की वर्षा करवा दी थी। नियमित इस दोनों का पाठ करने से वैभव व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है।
❁गुरु पुष्य योग के दिन सियार सिंगी, हत्थाजोडी और बिल्ली की जर आदि को मां लक्ष्मी का रुप मानकर विधीवत पुजन अर्चन करना चाहिए। 
❁गुरु पुष्य योग के दिन पांच गोमती चक्र, पांच धनकोड़ी, पांच साबूत हल्दी गांठ, पांच साबूत नमक की डली, थोड़ा हरे मुंग, थोड़े साबूत धनियां एक लाल कपड़े में लेकर उसकी पोटली तैयार कर मां लक्ष्मी की मूर्ति के समक्ष रखकर विधीवत पुजन कर उस पोटली को तिजोरी या गल्ले में रखे। जिससे अक्ष्क्षुण लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Tuesday, 23 February 2021

बुध प्रदोष व्रत के बारे में

बुध प्रदोष व्रत के बारे में

प्रिय पाठकों, 
23 फरववरी 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज बुध प्रदोष व्रत के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए किया जाने वाला व्रत है। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष का यह व्रत हर माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख, शांति और खुशहाली हमेशा बनी रहती हैं।  इस बार प्रदोष के व्रत तारीख 24 फरवरी बुधवार को रखा जाएगा। माना जाता है कि बुधवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत व्यक्ति को बुध ग्रह की शुभता प्रदान करता है।
किसी भी बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष कहते हैं। वैसे प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। पर यह दोष व्रत बुधवार के दिन आए तो बुध-प्रदोष का शुभ संयोग बन जाता है।
बुध प्रदोष व्रत विशेषकर अपनी संतानों की खुशहाली, सर्वत्र रक्षा और उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है।  बुधवार भगवान श्रीगणेशजी का भी दिन है। इसलिए इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर शिव-गणेश की पूजा करता है। उसकी संतानें हमेशा खुशहाल रहती हैं। भगवान शिव उनकी रक्षा करते हैं और श्रीगणेश उन्हें अच्छी बुद्धि प्रदान करते हैं। जिन लोगों की संतानें गलत रास्ते पर चल पड़ी हैं या जिनकी संतानों को कोई गंभीर रोग है तो उन्हें बुध प्रदोष व्रत करके शिव-गणेश की पूजा अवश्य करना चाहिए।बुध प्रदोष का व्रत करके जीवन में धन की वृद्धि की जा सकती है और सभी रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। बुध प्रदोष व्रत करके भगवान गणेश की विशेष कृपा से हर कार्य का विघ्न भी दूर होता है। 
किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुध प्रदोष व्रत के लाभ निम्नलिखित हैं-
❁बुध प्रदोष व्रत खासतौर पर संतान की कुशाग्र बुद्धि और उनकी रक्षा के लिए किया जाता है।
❁जो बच्चे मंदबुद्धि हैं या जिनका मन पढ़ाई में नहीं लगताहै या जो बच्चे अच्छे अंक नहीं ला पाते है तो उनके माता-पिता दोनों को यह व्रत करना चाहिए।
❁जिन दंपती के बच्चे गलत संगत में पड़ गए हैं और उनका कहना नहीं मानते हैं। नशे के आदी हो गए हैं तो उन्हें भी बुध-प्रदोष व्रत करना चाहिए।
❁जिन दंपती के बच्चों को कोई गंभीर रोग है या बार-बार बीमार पड़ते हैं उन्हें बुध प्रदोष जरूर करना चाहिए।
❁बच्चों की जन्मकुंडली के लग्न स्थान में यदि पापी ग्रह बैठे हों तो वे अक्सर बीमार रहते हैं तो ऐसे बच्चों के माता-पिता को यह व्रत करना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुध प्रदोष के दिन घर के कष्टों को दूर करने का निम्नलिखित उपाय करे-
शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल में कच्चा दूध मिलाकर अभिषेक करें और तिल के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं और ओम् नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके अलावा बुध प्रदोष के दिन ही घर में लाल रंग के भगवान गणेश की पूर्व दिशा में स्थापना कर बुध प्रदोष के दिन से लेकर लगातार 27 दिनों तक उन्हें रोजाना लाल गुड़हल के 11 फूल और हरी दूर्वा की पत्तियां अर्पित कर "ओम् वकतुण्डाय हुम्" मंत्र की एक माला का जाप लाल चंदन की माला से करें और इस दौरान रोज प्रभु से घर के संकट दूर करने के लिए प्रार्थना करें। जाप पूर्ण होने के बाद जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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Wednesday, 17 February 2021

शयनकक्ष के लिए प्रभावी टिप्स

शयनकक्ष के लिए प्रभावी टिप्स
प्रिय पाठकों, 
17 फरववरी 2021,बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज शयनकक्ष के लिए प्रभावी उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हर घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है उस घर का शयनकक्ष या बेडरूम 
क्योंकि यहीं लोग आराम करते हैं और अपने जीवन से जुड़े निजी अनुभव शेयर करते हैं। इंसान के जीवन का एक बहुत बड़ा समय बैडरूम में ही गुजरता है। लेकिन कई बार पलंग के वास्तु विपरीत होने के कारण इसका असर व्यक्ति की कार्यक्षमता और लव लाइफ पर भी पड़ जाता है। यदि वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पति-पत्नी का जीवन स्वास्थ्यपूर्ण व खुशहाल हो सकता है।अतः मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज कुछ शयनकक्ष से सम्बन्धित वास्तु टिप्स की जानकारी दे रहा हूँ जो सुखी और स्वस्थ जीवन दे सकती है। यह निम्नलिखित हैं-
❁अपने बेडरूम में गोल या अंडाकार शेप का बेड न रखें।बेडरूम में बेड(पलंग)आकार में धनुषाकार, अर्धचंद्राकार या वृत्ताकार नहीं होना चाहिए। बेड (पलंग) आयताकार, चौकोर होना ही वास्तु में शुभ माने गए हैं।
❁बेड में हमेशा सिर टिकाने की जगह होनी चाहिए। 
❁कभी भी बेड को बीम के नीचे नहीं लगाना चाहिए। बीम अलगाव का प्रतीक होता है। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो बीम के नीचे बांसुरी या विंड चाइम लटका देना चाहिए।
❁वास्तु के अनुसार बेडरूम में आईना नहीं होना चाहिए। यदि है तो सोते वक्त उसे ढककर अवश्य रखें।
❁वास्तु दोष से बचने के लिए कमरे में लाइट बहुत तेज नहीं होनी चाहिए और न ही पलंग पर सीधा प्रकाश पड़ना चाहिए। प्रकाश हमेशा पीछे या बाई ओर से आना चाहिए।
❁वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण या पूर्व दिशा में सिर करके सोएं ताकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के अनुसार आप दीर्घायु और गहरी नींद प्राप्त कर सकें।
❁शयनकक्ष में बहती नदी या झरने की तस्वीरें, नुकीले बर्फ के पहाड़ या एक्वेरियम कभी न रखें।
❁पूर्वजों की तस्वीरें दीवार पर टंगी हुई नहीं होनी चाहिए।
बेडरूम में मंदिर न रखें।
घर से टूटी हुई चीजों को बाहर फेंक दें।
❁अगर इस्तेमाल में न हो तो अटैच टॉयलेट का दरवाजा बंद रखें।
❁फर्श को सप्ताह में एक बार पानी में समुद्री नमक घोलकर साफ करें क्योंकि यह नकारात्मक ताकतों को दूर करता है।
❁लकड़ी के बेड सबसे अच्छे होते हैं जहां तक मुमकिन हो लोहे के बेड से परहेज करे। 
❁सोते वक्त कभी भी अपने सिर के पीछे की खिड़की खोलकर न सोएं। 
❁बेडरूम में ऐसे दरवाजे नहीं होने चाहिए जो चरचर या किसी अन्य तरह की आवाज करें अगर ऐसा है तो बेडरूम के दरवाजे को जितनी जल्दी हो सके उन्हें ठीक करा लें। 
❁बेडरूम में डबल बेड पर भी सिंगल मैट्रेस बिछाएं, खासकर तब जब यह किसी कपल का बेड हो.
❁अगर अलमारी है तो उसे साउथ/वेस्ट दीवार पर रखें। ❁दक्षिण/ पश्चिम की दीवारें आपके बिस्तर को रखने के लिए सबसे अच्छी हैं। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो दीवार और बिस्तर के बीच चार इंच की दूरी सुनिश्चित करें। 
❁बच्चों के लिए साउथ-वेस्ट में बेडरूम सबसे अच्छा है। 
❁बेडरूम की दीवारों के लिए मिट्टी के रंग जैसे बादामी शेड अच्छे हैं। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
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