हनुमान बाहुक स्तोत्र-एक चमत्कारी पाठ
प्रिय पाठकों,
02 मार्च 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज हनुमान बाहुक स्तोत्र-एक चमत्कारी पाठ के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना गया है। हनुमान जी को रामभक्त, बजरंगबली, पवन पुत्र, आंजनेय आदि नामों से पुकारा जाता है । हनुमान जी के अनगिनत भक्त हैं जिनकी गणना करना असंभव है। ऐसी मान्यता है कि संसार में जहाँ पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरित मानस, रामायण, हनुमान बाहुक आदि का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी वहां जरूर मौजूद होते हैं। वे किसी ना किसी वेश में भक्तों के बीच उपस्थित होते हैं। हनुमान जी के प्रति भक्ति भावना और श्रद्धा से मनाता है उसका जीवन हनुमान जी सफल बना देते हैं। हनुमान बाहुक पाठ की संरचना कैसे हुई और किसने पहली बार इसका जाप किया इसके पीछे एक रोचक कहानी है।
संत तुलसीदास जी श्रीराम व हनुमान जी के परम भक्त माने जाते हैं। उन्होंने ही रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा लिखी थी। तुलसीदास जी ने हनुमान बाहुक नामक एक ऐसे स्तोत्र की रचना की जिसके पाठ व्यक्ति के शारीरिक कष्टों को दूर करता है। जनश्रुतियों के मुताबिक एक बार जब कलियुग के प्रकोप से उनकी भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई तो वे काफी बीमार पड़ गए। उन्हें वात ने जकड़ लिया था और शरीर में काफी पीड़ा भी हो रही थी। इस पीड़ा भरी आवाज में ही उन्होंने हनुमान नाम का जाप आरंभ कर दिया। अपने भक्त की पीड़ा देखते हुए हनुमान जी प्रकट हुए तो गोस्वामी तुलसीदास ने उनसे एक ऐसे श्लोक की प्रार्थना की जो उनके सभी शारीरिक कष्टों को हर ले तब हनुमान जी ने उन्हें एक ऐसे स्त्रोत्र की रचना करने की प्रेरणा दी जो पाठ करने वाले इंसान के सभी कष्ट दूर कर सके। तब तुलसीदास जी ने "हनुमान बाहुक" नामक स्त्रोत की रचना की। 44 पद्यों के प्रसिद्ध स्तोत्र के रूप में प्रचलित हनुमान बाहुक स्तोत्र के द्वारा हनुमान जी की वंदना कर गोस्वामी तुलसीदास ने अपने सारी कष्टों से छुटकारा पाया था। हनुमान जी की कृपा से उनकी सारी व्यथा नष्ट हो गयी थी। हनुमान बाहुक का निरन्तर पाठ करने से मनोवांछित मनोरथ की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र से शारीरिक रोगों के अतिरिक्त और भी सब प्रकार की लौकिक बाधाएँ भी समाप्त होती हैं। इससे मानसरोग मोह, काम, क्रोध, लोभ एवं राग-द्वेष आदि तथा कलियुग कृत बाधाएँ भी नष्ट हो जाती हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान बाहुक का पाठ आप नियमित भी कर सकते हैं। पर इस पाठ को करने की विधि और नियम है जिनका पालन करना भी आवश्यक है जो निम्नलिखित है -
❃कोई भी साधक 41 दिन के पाठ का संकल्प के साथ हनुमान बाहुक का पाठ कर सकते हैं।
❃41 दिन तक प्रात:काल नित्यक्रम से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र पहन कर साधक को इसका पाठ करना चाहिये।
❃इन 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करे।
❃व्यभिचार से बचें और मांस- मदिरा का सेवन न करे।
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए एक चौकी पर लाल रंग के कपड़े पर श्री राम जी के मूर्ति एवं हनुमान जी की एक-एक तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद दोनों तस्वीरों के सामने घी का दिया जलाएं और हनुमान बाहुक स्तोत्र के पाठ करने वाले व्यक्ति को शुद्ध होकर पहले श्री राम जी का ध्यान तथा पूजन करने के बाद हनुमान जी का पूजन करें और पूजा के दौरान हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। यह पवित्र तुलसी के पत्ते पूजा को अधिक सकारात्मक बनाते हैं। पूजन के बाद गुड़ एवं चने का भोग लगा कर पाठ आरम्भ करें तथा पाठ खत्म होने पर पीड़ित व्यक्ति को तुलसी के ये पत्ते भी खिला दें।
इसी तरह से 40 दिनों तक पाठ करने से किसी भी व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा सभी तरह के कष्टों का निवारण हनुमान जी की कृपा से निश्चय हीं हो जायेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान बाहुक के लाभ निम्नलिखित है -
❁यदि कोई भी व्यक्ति जो गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 41 दिनों तक प्रतिदिन पाठ करना चाहिए और पाठ करते समय एक साफ जल से भरकर गिलास या लौटा रखें। पाठ करने के बाद उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें।हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। हनुमान जी को संकटमोचक कहा गया है और उनके हनुमान बाहुक पाठ का कुछ ऐसा ही असर है। इस पाठ को पढ़ने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
❁हनुमान बाहुक का पाठ करने से व्यक्ति के आसपास एक रक्षा कवच बन जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसे छू भी नहीं सकती और उससे भूत-प्रेत जैसी बाधाओं एवं किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति भी दूर रहती है।
❁हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से दूर रहता है। अत: पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार केवल कष्ट होने पर ही नहीं बल्कि हनुमान बाहुक का पाठ प्रतिदिन करना भी फलदायी होता है।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
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