महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार
प्रिय पाठकों,
07 मार्च 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय हिन्दू पंचाग के मुताबिक हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन का भगवान भोलेनाथ के भक्तों को पूरे साल इंतजार रहता है जिसको लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। महाशिवरात्रि पर्व हिंदू धर्म में का बहुत महत्वपूर्ण पर्व है जो देश के हर कोने में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव एवं माता पार्वती के मिलन का महापर्व कहलाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च 2021 गुरूवार को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। इस दिन शिव जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करके व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पूरे दिन शिव योग लगा रहेगा और साथ ही नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है। इस साल शिवरात्रि की पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पौराणिक कथाओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन,सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्ठान और रुद्राभिषेक व महा महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व होता है और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। इस दिन देश भर में कई स्थानों पर शिव बारात निकाली जाती है और धूमधाम से यह त्योहार मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के व्रत रखने वालों को सौभाग्य, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। शिव जी को महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ के नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने ही धरती पर सबसे पहले जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया था इसीलिए भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व निम्नलिखित हैं-
महाशिवरात्रि के दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखते हुए रात्रि को शिवजी की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित ब्राहम्णों तथा शारीरिक रुप से अस्मर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महाकल्याणकारी और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है। अलौकिक सिद्धियाँ एवं ऋद्धि- सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह दिन सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है।ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि के समय करोड़ों सूर्य के तेज के समान ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार- चाहे सागर सूख जाए, हिमालय टूट जाए, पर्वत विचलित हो जाएं परंतु शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं जाता। भगवान राम भी यह व्रत रख चुके हैं।
महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा सामग्री निम्नलिखित है -
प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें। कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध,दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें। रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कल्याणकारी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित कार्यो का ध्यान रखना चाहिए जो बहुत महत्वपूर्ण है -
❃महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के शिवलिंग का पूजन शुभ शुभफलदायी रहता है इसलिए शिवलिंग अवश्य करना चाहिए।
❃भगवान शिव की पूजा में सफेद फूलों का प्रयोग करना चाहिए और यदि आक के फूल हो तो और भी श्रेष्ठ रहता है।
❃शिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ हैै तो उनकी विवाह की बाधाएं दूर होती है।
❃महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ नंदी का पूजन अवश्य करना चाहिए क्योंकि नंदी पूजन के बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
❃भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन बैल को हरा चारा खिलाना चाहिए।
❃बिल्वपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। बिल्वपत्र पर चंदन से ''ओम् नमः शिवाय: '' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
❃महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के साथ चारो प्रहर की पूजा करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है -
❁महाशिवरात्रि के दिन सवेरे बिल्कुल भी देर तक न सोएं। यदि महाशिवरात्रि का व्रत नहीं भी किया है तो बिना स्नान और भगवान शिव के पूजन के बिना भोजन नहीं करें।
❁शिवरात्रि के दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र धारण न करें।
❁शिवलिंग की परिक्रमा करते समय जल स्थान को भूलकर भी न लांघे।
❁शिव जी की पूजा में हल्दी, तुलसी और कुमकुम का प्रयोग न करें।
❁शिव जी को भूलकर भी शंख से जल न चढ़ाएं।
❁शिव जी की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है इसके अलावा चंपा के फूल का प्रयोग भी न करें।
❁भगवान शिव पशुपतिनाथ कहलाते हैं इसलिए ❁महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी किसी पशु-पक्षी को न सताएं।
❁महाशिवरात्रि पर घर में या आस-पास किसी से भी कलह करने से बचें। किसी को अपशब्द न कहें और न ही निंदा करें।
❁महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को बिल्कुल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को ग्रहण करना शुभ नहीं माना जाता है।
❁महाशिवरात्रि पर सात्विकता बनाएं रखें। इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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