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Tuesday, 16 March 2021

होलाष्टक

होलाष्टक 
प्रिय पाठकों, 
16 मार्च 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज होलाष्टक और विभिन्न उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक होली के त्योहार से पहले के 8 दिनो को शुभ नहीं माना जाता है। इन आठ दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के बाद होलाष्टक  समाप्त हो जाता है। होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य को करना वर्जित माना गया है। इस वर्ष होलाष्टक 22 मार्च 2021 से  शुरू होकर 28 मार्च 2021 तक रहेगा। पुराणों की एक कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या इसी दौरान भंग कर दी थी। जिससे नाराज होकर फाल्गुन की अष्टमी तिथि को ही भगवान शिवजी ने प्रेम के देवता कामदेव को भस्म कर दिया था। जिसके बाद पूरी सृष्टि नीरस हो गयी थी फिर भी बाद में कामदेव की पत्नी रति ने शिव जी की अराधना करके दोबारा अपने पति कामदेव को पुर्नजीवित करवाया।जिसके बाद भक्तों ने 8 दिनों तक शुभ कार्य करने को वर्जित माना जाता है। वही दूसरी एक कथा के अनुसार भक्त प्रहलाद को होलिका के साथ दहन करने से पहले आठ दिन तक मरणतुल्य कष्ट दिया और राक्षस हिरष्णकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बेटे को जलाकर भष्म करने का निर्देश दिया लेकिन, उस आग में वे खुद जल गयी। इन आठ दिनों के दौरान ही नन्हें प्रह्लाद को प्रताड़ित किया जा रहा था इसी कारण ही होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही  लोगों के द्वारा की गई थी जो अब भी जारी है। 
वही ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में वातावरण में नेगेटिव एनर्जी काफी रहती है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक अलग-अलग ग्रहों की नकारात्मकता काफी बढ़ती है। जिस कारण इन दिनों में शुभ कार्य न करने की सलाह दी जाती है। इनमें अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चुतर्दशी को मंगल तो पूर्णिमा को राहु की ऊर्जा काफी नकारात्मक रहती है. इसी कारण यह भी कहा जाता है कि इन दिनों में जातकों के निर्णय लेने की क्षमता काफी कमजोर होती है जिससे वे कई बार गलत निर्णय भी कर लेते हैं जिससे हानि होती है। 
होलाष्टक के दौरान शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी वार्तालाप, सगाई, किसी नए कार्य, नींव आदि रखने, नया व्यवसाय आरंभ या किसी भी मांगलिक कार्य आदि का आरंभ शुभ नहीं माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस मध्य 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लग जात है। इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।हालांकि इस दौरान पूजा पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं।होलाष्टक की अवधि में भगवान के नाम स्मरण और तप करना ही अच्छा रहता है। होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं। इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं। इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है। जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक के दिन की शुरुआत होलाष्टक के दिनों में ही संवत और होलिका की प्रतीक लकड़ी या डंडे को गाड़ा जाता है।भारत के अलग अलग क्षेत्रों मे इस दौरान लोग विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर गैर या गींदड़ जैसे नृत्य कर अबीर और गुलाल एक दूसरे को लगाते हुए बुराई रुपी होलीका पर भक्त प्रहलाद की भक्ति की जीत की खुशीयां मनाई जाती है। होलाष्टक के पूरे समय में भगवान शिव या कृष्ण जी की उपासना की जाती है।होलाष्टक में भगवद्प्रेम के लिए किए गए सारे प्रयास सफल होते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार होलाष्टक के दौरान निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
❁होलाष्टक के दौरान मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर की भक्ति और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए। ताकि उसे अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिल सके। 
❁होलाष्टक के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे रोग से पीड़ित है जिसका उपचार करवाने के बाद भी उसे लाभ नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे रोगी व्यक्ति को भगवान शिव का पूजन करना चाहिए और इसके अलावा ब्राह्मण द्वारा महामृत्युंजय मंत्र के अनुष्ठान के साथ घर में गुगल से हवन करना चाहिए। 
❁लक्ष्मी प्राप्ति व ऋण मुक्ति हेतु होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करते हुए कमल गट्टे,साबूदाने की खीर से हवन करने चाहिए। 
❁अपार धन-संपदा के लिए होलाष्टक के दौरान गुड़,कनेर के पुष्प, हल्दी की गांठ व पीली सरसों से हवन करना चाहिए। 
❁सौभाग्य की प्राप्ति के लिए होलाष्टक के दौरान चावल,घी, केसर से हवन करना चाहिए। 
❁कन्या के विवाह के लिए होलाष्टक के दौरान कात्यायनी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
❁होलाष्टक के दौरान अगर बच्चों का पढाई में मन नहीं लग रहा है तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए और गणेश जी को मोदक का भोग लगाए व दूर्वा से हवन करना चाहिए। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294

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