प्रेम विवाह असफल क्यों?
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज कुंडली के अनुसार प्रेम विवाह के असफल होने के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आज के समय में ज्यादातर लोग अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनते है और उस जीवन साथी से प्रेम विवाह भी करते है। लेकिन ऐसा होता है कि प्रेम विवाह(लव मैरिज)करने के बाद से दोनों के विचारों में परिवर्तन हो जाता है।जिसके चलते दोनों में छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगते हैं। अंत में बात तलाक तक पहुंच जाती है। ज्योतिष के अनुसार प्रेम विवाह के योग का निर्माण जातक की कुंडली में बन जाता हैं जिसकी वजह से तथा ग्रहों की दशा के अनुसार प्रेम विवाह के योग बनते हैं। लेकिन यह जरुरी नहीं कि सभी प्रेम विवाह सफल हों। आजकल के समय में अनेकों उदाहरण ऐसे मिल जाते हैं जिसमें लड़का और लड़की प्रेम विवाह तो कर लेते हैं मगर शादी के कुछ समय बाद ही उनमें अनबन होना शुरू हो जाती है। कुछ ग्रहों के कारण ही व्यक्ति प्रेम करता है और इन्हीं ग्रहों के प्रभाव से दिल भी टूटता हैं और प्रेम विवाह असफल भी होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर किसी का प्रेम विवाह सफल नहीं होता है तो उसकी कुंडली में शुक्र,गुरु बुध और राहु आदि ग्रहों के कमजोर होने की भारी आशंका होती है।इनमें कमजोर शुक्र के कारण व्यक्ति की कामुक और प्रेम भावना कमजोर हो जाती है। वहीं गुरु के पीड़ित या कमजोर होने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में खुशियां ओझल हो जाती हैं। कमजोर बुध हो तो व्यक्ति को विवाह में फरेब मिलने की संभावना रहती हैं। जबकि कमजोर राहु वैवाहिक जीवन में कल्पना और भ्रम की स्थिति पैदा करता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इनके अलावा प्रेम विवाह को असफल होने के लिए जो कारण उतरदायी है वो निम्नलिखित हैं -
❁शुक्र व मंगल की स्थिति व प्रभाव प्रेम संबंधों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। यदि किसी जातक की कुण्डली में सभी अनुकूल स्थितियाँ होते हुई भी, शुक्र की स्थिति प्रतिकूल हो तो प्रेम संबंध टूटकर दिल टूटने की घटना होती है।
❁पंचम भाव अथवा शुक्र पापक्रान्त हों अर्थात पाप ग्रहों के मध्य में हों तो प्रेम विवाह होने में बाधा आती है। ❁जन्म कुंडली में पंचमेश अथवा प्रेम विवाह कारक ग्रह शुक्र लग्न से छठे,आठवें, बारहवें हों तो प्रेम विवाह नहीं हो पाता अथवा विवाह के पश्चात परेशानियां आती हैं।
❁पंचमेश और सप्तमेश यदि लग्न और चन्द्र से छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठ जायें और शुभ ग्रहों से किसी भी तरह का दृष्टि युति सम्बंध नहीं बनाते हों तो प्रेमियों को अपने लव लाइफ का बलिदान करना पड़ता है।
❁सप्तम भाव या सप्तमेश का पाप पीड़ित होना, पापयोग में होना प्रेम विवाह की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। पंचमेश व सप्तमेश दोनों की स्थिति इस प्रकार हो कि उनका सप्तम-पंचम से कोई संबंध न हो तो प्रेम की असफलता दृष्टिगत होती है।
❁एकादश भाव पापी ग्रहों के प्रभाव में होता है तब प्रेमियों का मिलन नहीं होता है।
❁यदि लड़के की कुंडली का शुक्र लड़की की कुंडली में राहू के साथ स्थित हो जाये तो लड़के के काम विकृति के कारण विवाह विच्छेद के योग बन सकते हैं।
❁लड़के की कुंडली का राहू यदि लड़की की कुंडली में शुक्र के साथ स्थित हो तो विवाह विच्छेद या दीर्घकालीन विवाद और विषाद के योग बनेंगे।
❁शुक्र का सूर्य के नक्षत्र में होना और उस पर चन्द्रमा का प्रभाव होने की स्थिति में प्रेम संबंध होने के उपरांत या परिस्थितिवश विवाह हो जाने पर भी सफलता नहीं मिलती। शुक्र का सूर्य-चन्द्रमा के मध्य में होना असफल प्रेम का कारण है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रेम विवाह को मजबूत करने के उपाय निम्नलिखित हैं-
❃शुक्र ग्रह की पूजा करें अथवा शुक्र ग्रह की शांति के उपाय करें।
❃कुंडली में पंचम भाव और पंचमेश को मजबूत करने के लिए पंचमेश का रत्न धारण करें अथवा पंचमेश की पुजा करे।
❃पन्ना या पुखराज धारण करें।
❃रोजाना सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं
❃शुक्रवार को छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें।
❃सुबह गायत्री मंत्र का जप करें।
❃शुक्रवार और पूर्णिमा का व्रत रखें
❃सुखद दाम्पत्य के लिए ब्ल्यू टोपाज पहनें।
❃चन्द्रमणि प्रेम प्रसंग में सफलता प्रदान करती है ।
❃कुंडली में सप्तम भाव और सप्तमेश को मजबूत करने के लिए सप्तमेश की पूजा करें।
❃गुरु की शांति के उपाय करनें।
❃बुध ग्रह की शांति के उपाय करें।
❃राहु की शांति के उपाय करें।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आपको अपने प्रेम संबंध का परिणाम सफल विवाह होगा या नहीं यह आप ज्योतिष का आश्रय लेकर काफी हद तक भविष्य के संभावित परिणामों के बारे में जान सकते है।इस हेतु प्रेमी-प्रेमिका को अपनी जन्मपत्रिका के ग्रहों की स्थिति किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य पूछ लेनी चाहिए। प्रेम ईश्वर का वरदान है। प्रेम अवश्य करे लेकिन सोच-समझकर और कुंडली दिखाकर।
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