सूर्य ग्रहण
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सूर्य ग्रहण के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दिन सोमवार को 14 दिसंबर 2020 को भारतीय समय के अनुसार शाम 7 बज-कर 03 मिनट से मध्य रात्रि 12 बज-कर 23 मिनट तक रहेगा। पन्द्रह दिनों के अंतराल पर लगने वाला ये दूसरा ग्रहण है। इससे पहले 30 नवंबर को पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगा था।
यह सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण में सोमवती अमावस्या के साथ पांच ग्रह सूर्य,चंद्र, बुध, शुक्र और केतु ग्रह वृश्चिक राशि में रहेंगे।
सूर्य ग्रहण कहाँ कहाँ दिखाई देगा
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अटलांटिक महासागर,अर्जेंटीना, दक्षिण प्रशांत महासागर और चिली में पूर्ण रुप से दिखाई देगा।इसके अतिरिक्त यह ग्रहण कुछ अन्य जगहों पर आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में भी देखा जाएगा जिनमें पेरू, ब्राजील, उरुग्वे और पराग्वे के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। परन्तु यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसी कारण ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण का जनजीवन पर प्रभाव
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण हमारी राशियों पर प्रभाव डालते हैं। जिसकी वजह से हमारे जीवन में बदलाव होते हैं। ग्रहण के दौरान सूतक काल लग जाता है। इस समय शोर मचाना, खाना-पीना और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण चाहे कोई भी हो उसका सूतक काल हमेशा महत्वपूर्ण माना जाता है। सूतक काल ग्रहण लगने से पूर्व की अवधि होती है और सूतक काल ग्रहण के समाप्त होने के बाद पूर्ण होता है। इस ग्रहणकाल के दौरान मांगलिक कार्यों पर भी रोक नहीं लगेगी। सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी।
चाहे यह सूर्य ग्रहण भारत में नजर ना आए लेकिन इसका प्रभाव राशियों पर पूर्ण रूप से पड़ेगा। 14 दिसंबर को लगने वाला ये सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लग रहा है। इस ग्रहण काल के दौरान इस राशि वालों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। ग्रहण के प्रभाव से इनके मान-सम्मान में कमी आ सकती है और इन लोगों को मानसिक पीड़ा भी उठानी पड़ सकती है। वृश्चिक राशि वालों को इस दौरान सूर्य की आराधना करनी चाहिए।
ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें अथवा शिव चालीसा का पाठ करे। ग्रहणकाल के बाद गंगाजल छिड़क कर घर का शुद्धिकरण कर लें। सूर्य ग्रहण के अगले दिन धनु संक्रांति है तो आप सूर्य से संबंधित कोई वस्तु दान करें। तांबा, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र और तांबे की कोई वस्तु दान कर सकते हैं।
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