अंगारक योग
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज कुंडली में अंगारक योग दोष बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वैदिक ज्योतिष के शास्त्रों में बताया गया कि अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ किसी घर में बैठकर युति कर रहे हों अथवा मंगल व राहू के बीच दृष्टि संबंध बन रहा हो तो ऐसी जन्मकुंडली में अंगारक योग निर्मित होता है।
जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में अंगारक दोष पाया जाता है तो उस व्यक्ति का स्वभाव हिंसक पशु जैसा हो जाता है। अंगारक दोष वाले व्यक्तियों के अपने बंधुओं, मित्रों व रिश्तेदारों के साथ कटु संबंध स्थापित होते हैं। वैदिक ज्योतिष के फलित खंड अनुसार अंगारक दोष वाले व्यक्ति शुभाशुभ दशा-अंतर्दशा आने पर अपराधी बन जाते हैं व उसे अपने असामाजिक कार्यों के चलते लंबे समय तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ता है। कुंडली में किस भाव में अंगारक दोष बनता है उसके अनुसार ही फल प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं। जमीन जायदाद से जुड़ी परेशानियां व धन संबंधित परेशानियां बनी रहती हैं। माता के सुख में कमी आती है या संतान प्राप्ति में परेशानियां आती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार राहू व मंगल की युति अथवा दृष्टि संबंध को लाल किताब में "पागल हाथी" अथवा "खूंखार शेर" कहकर संबोधित किया गया है। लाल किताब ज्योतिष अनुसार अगर यह योग किसी की कुंडली में होता है तो वो व्यक्ति अपनी मेहनत से नाम व पैसा कमाता है। ऐसे लोगों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। यह योग अच्छा और बुरा दोनों तरह का फल देने वाला है। वास्तविकता में वैदिक ज्योतिष व लाल किताब में अंगारक दोष की व्याख्या यह है कि व्यक्ति की क्रूर मानसिकता को परिभाषित करना।
अंगारक दोष का अशुभ फल तब प्राप्त होता है जब कुंडली में मंगल व राहु दोनों ही अशुभ होते हैं। कुंडली में मंगल व राहु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अशुभ फल प्राप्त नहीं होते। कुंडली में मंगल व राहु दोनों के शुभ होने पर शुभ फलकारी अंगारक योग बनाता है। यह योग शुभ व अशुभ दोनो रूप से फल देता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कुंडली में अंगारक की स्थिति होने पर इसकी शांति आवश्यक है अन्यथा लंबे समय तक परेशानियां बनी रहती है। कुंडली में अशुभ मंगल तथा अशुभ राहु अथवा केतु के संयोग से बनने वाला अंगारक योग सबसे अधिक अशुभ फलदायी होता है जबकि इन दोनों ग्रहों में से किसी एक के शुभ हो जाने की स्थिति में यह योग उतना अधिक अशुभ फलदायी नहीं रह जाता।
किसी जातक को अंगारक योग के साथ जोड़े जाने वाले अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल तथा राहु अथवा केतु दोनों ही अशुभ हों तथा कुंडली में मंगल तथा राहु केतु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते और कुडली में मंगल तथा राहु केतु दोनों के शुभ होने की स्थिति में इन ग्रहों का संबंध अशुभ फल देने वाला अंगारक योग न बना कर शुभ फल देने वाला अंगारक योग बनाता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली के तीसरे घर में अशुभ मंगल का अशुभ राहु अथवा अशुभ केतु के साथ संबंध हो जाने की स्थिति में ऐसी कुंडली में निश्चय ही अशुभ फल प्रदान करने वाले अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके चलते इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अधिक आक्रामक तथा हिंसक होते हैं तथा कुंडली में कुछ अन्य विशेष प्रकार के अशुभ प्रभाव होने पर ऐसे जातक भयंकर अपराधी जैसे कि पेशेवर हत्यारे तथा आतंकवादी आदि बन सकते हैं। दूसरी ओर किसी कुंडली के तीसरे घर में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, कुशल योद्धा आदि बन सकते हैं जो अपनी आक्रमकता तथा पराक्रम का प्रयोग केवल मानवता की रक्षा करने के लिए और अपराधियों को दंडित करने के लिए करते हैं।
अंगारक योग हमेशा अशुभ फलदायी न होकर शुभ फलदायी होता है जिसके शुभ प्रभाव में आने वाले जातक अपने साहस पराक्रम तथा युद्ध नीति के चलते संसार भर में ख्याति प्राप्त कर सकते हैं तथा ऐसे जातक अपने साहस और पराक्रम का प्रयोग केवल नैतिक कार्यों के लिए ही करते हैं। इसलिए विभिन्न कुंडलियों में बनने वाला अंगारक योग जातकों को भिन्न भिन्न प्रकार के शुभ अशुभ फल प्रदान कर सकता है तथा इन फलों का निर्धारण मुख्य रूप से कुंडली में मंगल, राहु तथा केतु के स्वभाव, बल तथा स्थिति के आधार पर किया जाता है।
जन्मकुंडली के द्वादश भाव में आंगरक योग का फल निम्नलिखित हैं -
❁पहले भाव में अंगारक योग होने से पेट रोग, शरीर पर चोट,अस्थिर मानसिकता, क्रूरता होती है।
❁दूसरे भाव में अंगारक योग होने से धन में उतार-चढ़ाव व व्यक्ति का घर-बार बरबाद हो जाता है।
❁तीसरे भाव में अंगारक योग होने से भाइयों से कटु संबंध बनते हैं परंतु व्यक्ति धोखेबाजी से सफल हो जाता है।
❁चौथे भाव में अंगारक योग होने से माता को दुख व भूमि संबंधित विवाद होते हैं।
❁पांचवें भाव में अंगारक योग होने से संतानहीनता व जुए-सट्टे से लाभ होता है।
❁छठे भाव में अंगारक योग होने से ऋण लेकर उन्नति होती है। व्यक्ति खूनी या शल्य-चिकित्सक भी बन सकता है।
❁सातवें भाव में अंगारक योग होने से दुखी विवाहित जीवन, नाजायज संबंध, विधवा या विधुर होना परंतु सांझेदारी से लाभ भी मिलता है।
❁आठवें भाव में अंगारक योग होने से पैतृक सम्पत्ति मिलती है परंतु सड़क दुर्घटना के प्रबल योग बनते हैं।
❁नवें भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी व तंत्रमंत्र में लिप्त होते हैं।
❁दसवें भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति अति कर्मठ, मेहनतकश, स्पोर्टसमेन व अत्यधिक सफल होते हैं।
❁ग्यारवें भाव में अंगारक योग होने से प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है। व्यक्ति चोर, कपटी धोखेबाज होते हैं।
❁बारहवें भाव में अंगारक योग होने से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट व रिश्वतख़ोरी से लाभ। ऐसे व्यक्ति बलात्कार जैसे अपराधों में भी लिप्त होते हैं।
अंगारक योग दोष की अशुभता को दूर करने हेतु कुछ उपाय निम्नलिखित हैं -
✾उज्जैन के अंगारेश्वर मंदिर में जाकर भात पूजा कराएं।
✾मंगलचंडिका में माध्यम से मंगल-राहु अंगारक योग की शांति होती है।
✾मोती या ओपल धारण करना चाहिए।
✾चाँदी का कड़ा या चैन धारण करना चाहिए।
✾"ओम् अंग अंगारकाय नमः" मन्त्र का नियमित जाप करें।
✾मंगलवार के दिन व्रत करें साथ ही मंगल ग्रह के बीज मन्त्र का जाप करें।
✾भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की आराधना करें और मोर को दाना खिलाना चाहिए।
✾प्रतिदिन अंगारक स्त्रोत का पाठ लाभदायक रहता है।
✾हनुमान जी की आराधना करने से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होते हैं। अतः प्रत्येक दिन हनुमानमान चालीसा का पाठ करें।
✾प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।
✾भगवान शिव का गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करे।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakastra Jyotish Hub
📧 panditanjanikumardadhich@gmail.com
No comments:
Post a Comment