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Tuesday, 8 December 2020

सुंदरकांड के पाठ से मिलती है कष्टो से मुक्ति

🍂सुंदरकांड के पाठ से मिलती है कष्टो से मुक्ति🍂 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सुंदरकांड के पाठ से मिलती है कष्टो से मिलने मुक्ति के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ। 
भगवान हनुमान को कलियुग के देवता कहा जाता है। मान्यता है कि बजरंगबली बड़ी ही जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता है और इनकी पूजा आराधना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। चाहे समस्या कितनी भी बड़ी हो अगर हनुमानजी की सच्चे मन से स्मरण करें तो हर समस्या सुलझ सकती है।
सुंदरकांड का पाठ करने से हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है जो निम्नलिखित है -
हर मंगलवार और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं खत्म हो सकती है।
अगर शनि,राहु और केतु जैसे ग्रहों की महादशा आपके ऊपर चल रही हो तो तिल के तेल का दीपक जलाकर शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से ग्रह दशा ठीक हो सकती है।
अगर नौकरी में किसी तरह की परेशानी आ रही हो या फिर नौकरी छूटने का डर हो तो रोज सुंदरकांड का पाठ करें और साथ ही मंगलवार को व्रत भी रखना चाहिए।
अगर घर का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार हो तो इसके लिए मंगलवार और शनिवार को सुबह-शाम सुंदरकांड का पाठ करनाचाहिए।
अगर घर बनवाते समय वास्तुदोष रह गए हो अथवा किसी भी वजह से परेशानियां आ रही है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हर मंगलवार के रोज सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार के दिन श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ चालीस सप्ताह तक लगातार करने से सारे मनोरथ पूर्ण होते है। 
सुंदरकांड करने के भी नियम और एक विशेष विधी है जिसका पालन सभी को करना चाहिए जो कि निम्नलिखित प्रकार से है -
सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हनुमानजी और श्री राम की प्रतिमा पर फूलमाला चढ़ायें दीप जलाकर और भोग अर्पित करे। पाठ शुरू करने से पहले गणेश की पूजा करे फिर राम की वंदना करके सुन्दरकाण्ड का पाठ शुरू करे। सुन्दरकाण्ड प्रारम्भ करने के पहले हनुमानजी और प्रभु श्री राम चन्द्र जी का आवाहन जरूर करें। पाठ के पूर्ण होने के बाद श्री हनुमान आरती और श्री राम जी आरती करे,जब सुन्दर कांड पूर्ण हो जाये तो भगवान को भोग लगाकर, आरती करके, उनकी विदाई भी करें। सुन्दर कांड के पाठ में भाग लेने वालो को आरती और प्रसाद दे और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। सुंदरकांड के पूर्ण होने के बाद पुस्तक को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान पर रख दें।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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