google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : November 2020

Monday, 30 November 2020

कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा  

 मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज कार्तिक पूर्णिमा पर्व केे बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ
कार्तिक माह को श्रीहरि विष्णु और भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। हिंदू धर्म के सभी बड़े त्योहार इस महीने में आते हैं। इसे परम पावन और पुण्यदायी महीना माना जाता है।इसी महीने का अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस साल 30 नवंबर, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। पंडित अंजनी कुमार दाधीच कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।कार्तिक पूर्णिमा के खास दिन पर जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों और कुण्डों आदि में स्नान करना चाहिए। अगर संभव ना हो तो घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। फिर भगवान लक्ष्मी नारायण की आराधना करें और उनके समक्ष घी या सरसों के तेल का दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करें।साथ ही आप घर पर हवन कर सकते हैं और इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा कहनी या सुननी चाहिए। अब उन्हें खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें। शाम के समय लक्ष्मी नारायण जी की आरती करने के बाद तुलसी जी की आरती करें और साथ ही दीपदान भी करें। घर की चौखट पर दीपक जलाएं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंद को भोजन करवाएं।

कार्तिक पूर्णिमा पर उपछाया चंद्र ग्रहण 

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान है और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि,उपछाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा।कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला यह ग्रहण कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहेगा।जबकि 3:13 मिनट पर यह अपने चरम पर होगा।यह चंद्रग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में पड़ने वाला है। यह चंद्र ग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में दिखाई दे सकता है। 

पूर्णिमा के कुछ अचूक उपाय -

पूर्णिमा के कुछ अचूक उपाय निचे वर्णित किया जा रहा है जिनका उपयोग कर आप अपने जीवन को सुखी और धन धान्य से परिपूर्ण कर सकते हैं। 
❁दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। 
❁जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" 
अथवा 
" ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:। " मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए । इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है । 
❁पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें । अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है। इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे। आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी । 
❁हर पूर्णिमा के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए।इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें। उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें ।
❁हर जातक को अपने घर के मंदिर में प्रेम, शुभता और धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख आदि माता लक्ष्मी की प्रिय इन दिव्य वस्तुओं को अवश्य ही स्थान देना चाहिए । इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए और हर पूर्णिमा को इन चावलों को जिनको आसान के रूप में स्थान दिया गया है उन्हें अवश्य ही बदल कर नए चावल रख देना चाहिए।पुराने चावलों को किसी वृक्ष के नीचे अथवा बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए । 
❁ पूर्णिमा की रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें अर्थात चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है एवं पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा की रौशनी में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति बढती है। 
❁आयुर्वेद के अनुसार पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की चाँदनी सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यदि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है अत: गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ देर अवश्य ही चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए । 
वैसे तो सभी पूर्णिमा का महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि अति विशेष मानी जाती है। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Sunday, 29 November 2020

शराबी या नशेड़ी बनने के कारण और उनका निराकरण

शराबी या नशेड़ी बनने के कारण और उनका निराकरण
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शराब या किसी और तरह के नशे का आदी बनने के बाद हर व्यक्ति कहता है कि उसे बुरी संगत ने इनका आदी बना दिया गया पर वह खुद दूर रहना चाहता था। अक्सर कोई सदमा, कोई खुशी या किसी के साथ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। सच तो यह है ये सब व्यक्ति की कुण्डली में मौजूद ग्रहों का प्रभाव होता है। 
कोई व्यक्ति शराब या नशे का सेवन तभी करता है जब उसकी कुण्डली का चन्द्रमा- राहु के साथ आर्द्रा, स्वाति अथवा शतभिषा नक्षत्र में होता है। कुण्डली में राहु की अन्य स्थिति भी व्यक्ति को शराबी बनाती है। 
राहु अगर अपनी नीच राशि वृश्चिक में हो और चन्द्रमा पर शनि, मंगल, केतु की दृष्टि हो तो व्यक्ति को शराब की लत लग सकती है। लेकिन चन्द्रमा पर गुरू की दृष्टि होने पर व्यक्ति नशीली चीजों के सेवन से मुक्त हो सकता है। 
जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में राहु और शुक्र का संबंध बनता है तो व्यक्ति शराबी हो सकता है। शुक्र अगर नीच का हो तो व्यक्ति शराब एवं अन्य नशीली चीजों का भी आदी होता है। 
शराबी या नशेड़ी बनने से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय है-
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शास्त्रों में प्रत्येक
समस्याओं के साथ उनका समाधान भी बताया गया है। यदि शुक्र ग्रह को मजबूत और शुभ बनाएं तो नशे से मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए शुक्रवार के दिन व्रत रख सकते हैं। 
शुक्रवार को किसी सुहागन स्त्री को सुहाग सामग्री दान दें। एक बोतल में ओपल रत्न रख दें। कुछ दिनों तक इस पानी को पिएं तो शराब की लत छूट जाती है। कटैला और ईरानी फिरोजा भी नशे से मुक्ति दिलाने वाला रत्न है। 
इन दोनों रत्नों पर शनि का प्रभाव होता है जो नशे के प्रभाव को कम कर देता है जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे स्वयं नशा छोड़ देता है। कटैला के इसी गुण के कारण प्राचीन काल में यूनानी लोग शराब पीकर भी खुद को होश में रखने के लिए कटैला के बर्तन में शराब पीते थे।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakastra Jyotish Hub, Degana

Thursday, 26 November 2020

कुंडली में पागल होने के कारण

कुंडली में पागल होने के कारण

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पागल होने के योग बन रहे हैं तो ऐसे लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता होती है। ऐसे योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बताए गए उपाय अपनाने चाहिए।पागलपन की बीमारी किसी को बचपन से ही रहती है तो किसी को बड़ी उम्र में इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्मकुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं जो पागलपन की संभावना बताते हैं। 
कुंडली में पागल होने के उतरदायी योग निम्नलिखित है- 
❃यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा,बुध की युति केंद्र स्थान में हो अथवा यह दोनों ग्रह लग्र भाव में स्थित हो तो व्यक्ति उन्मादी या अल्पबुद्धि वाला हो सकता है।
❃जब व्यक्ति की कुंडली के भाग्य एवं संतान भाव में सूर्य, चंद्रमा हो तो व्यक्ति का मानसिक विकास ठीक से तरिके से नहीं हो पाता और वह मानसिक रुप से कमजोर रह जाता है।
❃गुरु और शनि केंद्र में स्थित हो और शनिवार या मंगलवार का जन्म हो तो व्यक्ति पागल हो सकता है।
यदि कुंडली में मंगल सप्तम स्थान में हो तथा लग्न में गुरु हो तो व्यक्ति के किसी सदमे के कारण पागल होने की आशंका होती है।
❃यदि कमजोर चंद्रमा, शनि के साथ द्वादश भाव में युति करता है तो जातक पागल हो जाता है।
❃मंगल, पंचम, सप्तम, नवम भाव में हो तो भी जातक पागल हो सकता है।
❃कमजोर बुध केंद्र में या लग्र में बैठा हो तो वह व्यक्ति मंदबुद्धि होता है।
❃जब किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि बुध-मंगल एक साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को खून से जुड़ा रोग होता है। साथ ही जब मंगल के कारण बुध ज्यादा खराब हो तो यह ब्‍लड प्रेशर की परेशानी देता है। मंगल-बुध दोनों के बहुत अधिक खराब होने की स्‍थिति में व्यक्ति को पागलपन की बीमारी हो जाती है।
❃यदि कुंडली में गुरु और शनि केंद्र में स्थित हो और शनिवार या मंगलवार का जन्म हो तो व्यक्ति पागल हो सकता है।
❃यदि कुंडली में सूर्य-मंगल एक साथ हों अथवा सूर्य-शनि एक साथ हो या फिर सूर्य-शनि और मंगल एक साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को क्रोध बहुत अधिक आता है। और इस स्थिती में वह व्यक्ति अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाते। जन्मकुंडली के इन योगों के साथ कुछ परिस्थितियों में दूसरे ग्रहों के प्रभाव ये अशुभ फल अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। पूरी कुंडली व ग्रहों का अध्ययन किए बिना कीसी भी कुंडली के व्यक्ति की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।
इन सभी योगों के साथ ही कुंडली के अन्य योगों और ग्रहों की स्थिति का भी अध्ययन किया जाना चाहिए।
 इन पागल बनाने वाले योगो से बचने के कुछ उपाय निम्नलिखित है-
❁गौमूत्र का सेवन करें। 
❁बुध के मंत्रों का जाप करें।
❁प्रतिदिन शिवजी की विधि-विधान से पूजा करें।
❁बुधवार के दिन गाय को चारा खिलाएं।
❁प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
❁बुधवार को गणेशजी को दूर्वा और लाल फूल अर्पित करें।
❁किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श लेकर अशुभ योगों का ज्योतिषीय उपचार करवाना चाहिए।
Pandit Anjani Kumar Dadhich 
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Tuesday, 24 November 2020

देवप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी

देवप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज देवप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी केे बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इसलिए इस तिथि को देवप्रबोधिनी  या देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। देवउठनी एकादशी25 नवंबर 2020 बुधवार को है। इस दिन से ही हिन्दू धर्म में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम का देवी तुलसी से विवाह होने की परंपरा भी है। माना जाता है कि जो भक्त देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। वहीं एकादशी व्रत को लेकर मान्यता है कि साल के सभी 24 एकादशी व्रत करने पर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यदि विशेष उपाय किए जाएं तो विशेष फल मिलता है और साधक की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं -
देवउठनी एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक लगाएं और ऊँ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। इस उपाय से घर में सुख-शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आता।एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके बाद विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला माना गया है।यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो एकादशी पर समीप स्थित किसी विष्णु मंदिर जाएं और भगवान विष्णु को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इससे भगवान विष्णु जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
एकादशी पर एक नारियल व थोड़े बादाम भगवान विष्णु के मंदिर में चढ़ाएं। यह उपाय करने से आपको जीवन के सभी सुख प्राप्त हो सकते हैं और अटके कार्य भी बन सकते हैं।
एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। ये करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकती हैं।भगवान श्रीविष्णु को पीतांबरधारी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है पीले रंग के वस्त्र धारण करने वाला। एकादशी के दिन आप पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज पहले भगवान विष्णु को अर्पण करें, इसके बाद ये सभी वस्तुएं गरीबों व जरूरतमंदों में दान कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहेगी।यदि आप निरंतर कर्ज में फंसते जा रहे हैं तो एकादशी पर समीप स्थित किसी पीपल के वृक्ष पर पानी चढ़ाएं और शाम के समय दीपक लगाएं। पीपल में भी भगवान विष्णु का ही वास माना गया है। इस उपाय से जल्दी ही आप कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीविष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं।धन की कामना रखने वाले साधक एकादशी के दिन इस मंत्र का 5 माला जाप करें- "ऊं ह्लीं ऐं क्लीं श्री:।।" 
एकादशी के दूसरे दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दक्षिणा, वस्त्र, आदि भेंट स्वरूप प्रदान करें। इससे आपको लाभ हो सकता है।
एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा करते समय कुछ पैसे विष्णु भगवान की मूर्ति या तस्वीर के समीप रख दें। पूजन करने के बाद यह पैसे फिर से अपने पर्स में रख लें। इससे धन लाभ होने की संभावना बन सकती है।
 काफी कोशिशों के बाद भी यदि आमदनी नहीं बढ़ रही है या नौकरी में प्रमोशन नहीं हो रहा है तो एकादशी पर 7 कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराएं। भोजन में खीर अवश्य होना चाहिए। कुछ ही दिनों में आपकी कामना पूरी हो सकती है।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Sunday, 22 November 2020

आंवला नवमी को कैसे मनाए

आंवला नवमी को कैसे मनाए
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज आंवला नवमी या अक्षय नवमी में महापर्व की यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ। 
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार आंवला नवमी 23 नवंबर मनाई जाएगी। इस दिन मुख्य रूप से आंवले के वृक्ष का पूजन करने का विधान है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आरोग्यता और सुख-समृद्धि बनी रहती है।आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी या अक्षय नवमी अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन दान, जप एवं तप सभी अक्षय होकर मिलते हैं अर्थात इनका कभी क्षय नहीं होता हैं। भविष्य, स्कंद, पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है।इस दिन पूजा करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा भी प्राप्त होती है। आंवला के बारे में उल्लेख मिलता है कि जहां पर आंवला का वृक्ष होता है वहां विष्णु जी का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। महिलाओं सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के आंवले पेड़ की पूजा करती हैं। आंवला नवमी के दिन अगर कोई महिला आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करती है, तो भगवान विष्णु और शिवजी उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु तथा अच्छे स्वास्थ्य लेकर कामना करती हैं। सुबह उठकर स्नानदि करने के पश्चात पहले माँ लक्ष्मी जी की पुुुजा करे उसके बाद आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध अर्पित करें। उसके बाद रोली,अक्षत,पुष्प, गंध चढ़ानी चाहिए। उसके बाद दीपक प्रज्वलित करें और विधिवत रूप से आंवले के पेड़ की पूजा करें और कथा सुने।आंवला नवमी की कथा को सुनने से व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी भी उनके परिवार पर प्रसन्न होती है। इसके बाद सात बार वृक्ष की परिक्रमा अवश्य करें। पूजा के बाद इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है।माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Saturday, 21 November 2020

गोपाष्टमी महापर्व

गोपाष्टमी महापर्वमैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गोपाष्टमी महापर्व की यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ। 
हिन्दू धर्म संस्कृति में गाय का विशेष महत्व माना गया है और गाय को माता का स्थान दिया गया है। अत: गाय को गौ माता भी कहा जाता है। और उन्हीं को समर्पित हैं गोपाष्टमी पर्व। दिपावली के ठीक बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। गाय बछड़ों की पूजा का पावन त्योहार गोपाष्टमी इस साल 22 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। इस दिन गो, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का महत्व है। गोपाष्टमी पर्व यानि गायों की रक्षा, संवर्धन एवं उनकी सेवा के संकल्प का ऐसा महापर्व जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि को पोषण प्रदान करने वाली गाय माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु गाय-बछड़ों का पूजन किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने जिस दिन से गौचारण शुरू किया। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस शुभ दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी का दिन था। इसी दिन से गोपाष्टमी पर्व का प्रारम्भ हुआ।गोपाष्टमी के दिन प्रातःकाल में ही गायों को स्नान आदि कराया जाता है और गऊ माता को मेहंदी, हल्दी, रोली के थापे लगाए जाते हैं। इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है। धूप, दीप, गंध, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र आदि से गायों का पूजन किया जाता है और आरती उतारी जाती है। इसके बाद गायों को गो-ग्रास दिया जाता हैं। पौराणिक मान्यता है कि गाय की परिक्रमा करके गायों के साथ कुछ दूरी तक चलना भी चाहिए। ऐसा कर उनकी चरण रज को माथे पर लगाने से सुख- सौभाग्य में वृद्धि होती है। गाय की रक्षा एवं पूजन करने वालों पर सदैव श्रीविष्णु की कृपा बनी रहती है। तीर्थों में स्नान-दान करने से, ब्राह्मणों को भोजन कराने से, व्रत-उपवास और जप-तप व हवन-यज्ञ करने से जो पुण्य मिलता है वहीं पुण्य गौ को चारा या हरी घास खिलाने अथवा किसी भी रूप में गाय की सेवा करने से प्राप्त हो जाता है। जो व्यक्ति इस दिन गायों को ग्रास खिलाए और उनकी सेवा करें तथा सांय काल मे गायों का पंचोपचार से पूजन करे तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आधुनिक युग में यदि हम गोपाष्टमी पर गौशाला के लिए दान करें और गायों की रक्षा के लिए प्रयत्न करें तो गोपाष्टमी का कृत्य पूर्ण होता है और उसका पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। गायों को स्नान कराकर पैरों में मेहंदी आदि लगाकर श्रृंगार करें। गायों के सींगों में मुकुट आदि धारण कराएं। गायों की परिक्रमा कर उनके पैरों की मिट्टी को अपने सिर पर लगाएं।संध्याकाल में गायों के जंगल से वापस लौटने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाए। गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है।गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गो संवर्धन हेतु गौ पूजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Thursday, 19 November 2020

सौभाग्य पंचमी के कुछ उपाय

सौभाग्य पंचमी के कुछ उपाय  
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सौभाग्य पंचमी महापर्व पर यहाँ कुछ उपायों की जानकारी दे रहा हूँ। 
सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सौभाग्य आता है तथा कारोबार में फायदा होता है। व्यापार में फायदा प्राप्त करने के लिए सौभाग्य पंचमी के कुछ उपाय निम्नलिखित है-
(1) गणेश पूजा के समय दो सुपारी लें और उन्हें इकट्ठा करके एक मौली लेकर उस पर लपेटकर चावल से बने अष्टदल पर रख दें। पूजा के बाद मौली लिपटी हुई सुपारी को मन्दिर में रख दें और चावलों को उठाकर पक्षियों को डाल दें।
(2) सौभाग्य पंचमी के दिन एक सूखा नारियल लेकर उसे ऊपर से काट दें। अब इस कटे हुए नारियल में बुरा तथा घी मिलाकर भर दें और फिर कटा हुआ हिस्सा वापस उस पर रख दें। इस नारियल को चींटियों के बिल के पास मिट्टी में दबा दें। इस उपाय से धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और समृद्धि मिलती है।बरगद का एक बड़ा-सा पत्ता लें और उसे घर पर लाकर, साफ पानी से धोकर उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर अपने घर के मन्दिर में रख लें।
(3)अगर आज आप किसी शुभ कार्य के लिए जा रहे हैं, किसी नौकरी की तलाश में जा रहे हैं या लड़की के लिये रिश्ता देखने जा रहे हैं तो घर की किसी महिला से कहें कि वह आपके ऊपर से मुट्ठी में काली उड़द की दाल लेकर, वारकर नीचे जमीन पर छोड़ दें। ऐसा करने से आपको अपने कार्य में सफलता जरूर मिलेगी।
(4) सौभाग्य पंचमी के दिन किसी देवी मंदिर में जाकर इत्र चढ़ाना भी विशेष शुभदायक है। इससे महिला को सदा सुहागन के आशीर्वाद के साथ पति का प्यार भी मिलता है। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Tuesday, 17 November 2020

सौभाग्य पंचमी

सौभाग्य पंचमी मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सौभाग्य पंचमी
महापर्व की कुछ जानकारी दे रहा हूँ। 
सौभाग्य पंचमी का व्रत रखने से मनुष्य के भाग्य में सौभाग्य की वृद्धि होती है। और व्यक्ति के जीवन में आने वाली प्रत्येक मुसीबत से मुक्ति मिलती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को सौभाग्य पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस बार 19 नवंबर 2020 को सौभाग्य पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सौभाग्य आता है तथा कारोबार में फायदा होता है। सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी मुख्य रूप से इच्छाओं की पूर्ति का त्यौहार होता है। मुख्य रूप से यह पर्व दिवाली का ही एक हिस्सा होता है जिसे व्यापार में वृद्धि तथा तरक्की के तौर पर शुभ मानकर मनाया जाता है। सौभाग्य पंचमी पर शुभ तथा लाभ की कामना से प्रेरित होकर गणेश भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन को ‘ज्ञान पंचमी’, ‘लखेनी पंचमी’, ‘सौभाग्य पंचमी’ या ‘लाभ पंचम’ के रूप में भी जाना जाता है।कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को 'सौभाग्य पंचमी' के नाम से जाता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार लाभ पंचमी के दिन शंकर भगवान की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा इस शुभ दिन गणेश जी की भी पूजा होती है जिससे घर में सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं तथा कारोबार में वृद्धि होती है। 
सौभाग्य पंचमी पर प्रातः काल स्नान कर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर व श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। भगवान शंकर को भस्म,बेलपत्र,धतूरा,भांग,सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भगवान शंकर को दुग्ध से निर्मित सफेद पकवानों व गणेशजी को मोदक का भोग लगाना चाहिए और शिवजी को किसी सफ़ेद पकवान का भोग लगाएं।
वैसे तो सौभाग्य पंचमी मनाने का चलन पूरे भारत में है लेकिन यह पर्व गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है तथा वहां का सबसे लोकप्रिय पर्व है। वहां सौभाग्य पंचमी के अवसर पर लोग उत्साह पूर्ण तरीके से नयी ऊर्जा की कामना से प्रेरित होकर भगवान की प्रार्थना करते हैं। सौभाग्य पंचमी की शाम को लोग अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान और दुकान खोलते हैं। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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छठ पुजा महापर्व

छठ पुजा महापर्व 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज छठ पुजा महापर्व की कुछ जानकारी दे रहा हूँ। 
छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस बार षष्ठी तिथि 20 नवंबर 2020 को है। इस उत्सव का उत्साह पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलता है। सूर्य उपासना के इस पर्व को प्रकृति प्रेम और प्रकृति पूजा का सबसे उदाहरण भी माना जाता है।चार दिन तक चलने वाले छठ पूजा पर्व पर यूपी, बिहार और झारखंड का प्रमुख उत्सव है। छठ पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पूर्व चतुर्थी से हो जाती है जो कि इस बार बुधवार को है। चतुर्थी को नहाय-खाय होता है। नहाय-खाय के दिन लोग घर की साफ-सफाई या पवित्र करके पूरे दिन सात्विक आहार लेते हैं। इसके बाद पंचमी तिथि को खरना शुरू होता है जिसमे व्रती को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे- गुड़ की खीर या कद्दू की खीर आदि लेना होता है। पंचमी को खरना के साथ लोहंडा भी होता है जो सात्विक आहार से जुड़ा है।छठ पूजा के दिन षष्ठी को व्रती को निर्जला व्रत रखना होता है। यह व्रत खरना के दिन शाम से शुरू होता है। छठ यानी षष्ठी तिथि के दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ देकर अगले दिन सप्तमी को सुबह उगते सूर्य का इंतजार करना होता है। सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ ही करीब 36 घंटे चलने वाला निर्जला व्रत समाप्त होता है। छठ पूजा का व्रत करने वालों का मानना है कि पूरी श्रद्धा के साथ छठी मइया की पूजा-उपासना करने वालों की मनोकामना पूरी होती है। 
छठ पूजा की तिथियां-18 नवंबर 2020, बुधवार- चतुर्थी (नहाय-खाय)
19 नवंबर 2020, गुरुवार- पंचमी (खरना)
20 नवंबर 2020, शुक्रवार- षष्ठी (डूबते सूर्य को अर्घ)
21 नवंबर 2020, शनिवार- सप्तमी (उगते सूर्य को अर्घ्य)
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Wednesday, 11 November 2020

धनतेरस कैसे मनाएं

धनतेरस मनाएं
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज धनत्रयोदशी पर्व पर कुछ उपायों की जानकारी दे रहा हूँ। 
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के 5 पर्वो का इसी दिन से प्रारंभ होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुए थे। वे भगवान विष्णु के अशान्श अवतार माने गये है। उनका स्वरूप अत्यंत मनोहर है और वो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है। इस दिन प्रभु धन्वंतरि की सच्चे मन से पूजा,अर्चना, और प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है।
इस संसार में हर मनुष्य को जीवन में किसी ना किसी रोग का अवश्य ही सामना करना पड़ता है और बच्चो एवं बड़े बुजुर्गो तो आसानी से किसी ना किसी रोग की पकड़ में आ ही जाते है। दीपावली से दो दिन पूर्व पड़ने वाले पर्व धनतेरस को वैध शिरोमणि भगवान धन्वन्तरि का दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जिस घर में इनकी विधिवत पूजा,ओरआराधना होती है उस घर पर किसी भी प्रकार के रोग की छाया भी नहीं पड़ती है। 
धन्वंतरी को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। 
इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था। इन्हे भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। भगवान धन्वन्तरि उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। 
चूँकि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है। 
इस दिन भगवान धन्वन्तरि की अनिवार्य रूप से पूजा करनी चाहिए। धनतेरस के दिन घर परिवार के सभी सदस्यों के निरोगी जीवन के लिए, सभी सदस्यों की लम्बी आयु , चिर यौवन के लिए भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या फोटो की स्थापना करनी चाहिए। 
शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रभु धन्वंतरि के चित्र के सामने एक चाँदी या ताम्बे के पात्र में जल रखकर, धूप दीप जलाकर,अगर संभव हो तो चांदी के पात्र में खीर या सफेद मिष्ठान रखकर उन्हें भोग लगाएं । उन्हें फल, नैवैद्य, नारियल, पान, लौंग, सुपारी, वस्त्र (मौली) गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पवित्र औषधियां एवं दक्षिणा भी अर्पित करें। 
फिर अपने घर परिवार से रोगो को दूर करने हेतु निम्नलिखित मंत्र की कम से काम दो माला का जाप करें। मंत्र - “ओम् रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।” 
पूजा के बाद भगवान धन्वन्तरि के सामने रखा जल घर के कोने कोने में,छत पर, सभी सदस्यों पर छिड़ककर शेष जल तुलसी के पौधे पर अर्पित कर दें । 
इस प्रकार धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की सच्चे मन से पूजा, अर्चना, प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है और  उस परिवार से रोग दूर ही रहते है।
इस दिन भगवान कुबेर की भी पूर्ण श्रद्धा से पूजन करना अनिवार्य है। भगवान कुबेर धनाध्यक्ष है और सम्पति प्रदान करने वाले है। भगवान कुबेर सच्चे मन से पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुबेर जी अपने भक्तों के समस्त अभावों को दूर करके उनको स्थायी सुख सम्पति प्रदान करते है। आज इनकी आराधना से जातक को महान फल कि प्राप्ति होती है। कुबेर मन्त्र कि साधना से व्यक्ति को जीवन में हर भौतिक सुख समृद्धि कि प्राप्ति होती है जो निम्नलिखित है-
मंत्र- ओम् श्रीं, ओम् ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:
कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।धनतेरस का दिन धन वृद्धि या धन आगमन का दिन माना जाता है। इस दिन दोपहर के बाद बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदने से वर्ष भर घर में सुख सम्पदा स्थायी रूप से बनी रहती है।चाँदी के उपलब्ध न होने पर अन्य धातुओं के बर्तन खरीद सकते है। 
धनतेरस के दिन सोने, चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। सोना चाँदी,आभूषण खरीदना और धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सोना धारण करने से सौंदर्य में वृद्धि तो होती ही है और सोना मुश्किल घड़ी में काम भी आता है। धनतेरस के दिन शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता हैं। माना जाता है कि इस दिन धन को इन चीजो में लगाने से उसमें 13 गुणा की वृद्धि होती है। लोग इस दिन ही दीवाली की रात पूजा करने के लिए लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति भी खरीदते हैं। धनतेरस के दिन बर्तन खरीद कर घर में लाते समय खाली न लाएं उसमें कुछ न कुछ मीठा अवश्य डाल कर लाएं। अगर बर्तन छोटा हो या गहरा न हो तो मीठा उस बर्तन के साथ रख कर लाएं।आपका घर सदैव धन धान्य से भरा रहेगा । 
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन संपदा में वृद्धि होती है। दीपावली के दिन इन बीजों को घर के बाग, गमलो, खेत खलिहानों में लागाया जाता है । ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है। इस दिन स्थिर लक्ष्मी की पूजा करने से घर मे सुख समृद्धि का वास होता है। इस दिन पूजा में माँ लक्ष्मी को भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग करना चाहिए । इस दिन शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी का पूजन करने के साथ-साथ सात धान्यों (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस मांगलिक उत्सव के दिन घर को अन्दर - बाहर से साफ करके यथा संभव सजाना चाहिए , इस दिन घर में कोई भी बिलकुल क्रोध न करें। प्रेम पूर्वक मंगल गायन करने या शुभ संगीत बजाने से सौभाग्य खिंचा चला आता है .एक बात का विशेष रूप से ध्यान दें की इस दिन किसी को भी उधार ना दें और धन के अप्वय्य से यथा संभव बचने का प्रयत्न करें। धनत्रयोदशी के दिन यमराज जी की भी आराधना उनका व्रत किया जाता है । 
इस दिन संध्या के समय घर के बाहरी मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिटटी के दीपक को तेल से भर कर अवश्य ही जलाना चाहिए दीपक को दक्षिण दिशा की तरफ मुंख करके निम्न मन्त्र का जाप करते हुए रखना चाहिए। 
मंत्र- म्रत्युना दंडपाशाभ्याँ कालेन श्याम्या सह, 
त्रयोदश्याँ दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम। 
यह क्रिया यम दीपदान कहलाती है। कोशिश यह करनी चाहिए की दीपक बड़ा हो जिससे वह रात भर जलता रहे ऐसा करने से यमराज जी प्रसन होते है ओर उस घर के सदस्यों को दुर्घटना, बिमारियों आकाल म्रत्यु आदि का कोई भी भय नहीं रहता है और सभी सदस्य निरोगी ओर दीर्ध आयु को प्राप्त करते है। 
धनतेरस से अपने घर से सभी बेकार, खराब और टूटे-फूटे सामान निकाल कर उसे कबाड़ी को बेच दें।आप पूरे घर की अच्छी तरह सफाई अवश्य कर लें। 
धनतेरस के दिन सुबह-सुबह ही घर को साफ करने के बाद घर के अंदर मंदिर में धूप दीप व अगरबत्ती अवश्य जला लें। दीपक में पांच लौंग डालने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। 
इस दिन अपनी नौकरी से इस्तीफा देना, साझेदारी को ख़त्म करना तथा घाटे में चल रहे व्यापार को बंद करने के बारे में बिलकुल भी न सोचे वरन सुख समृद्धि के विचार मन में लाएं। दीपावली के पाँचो पर्व पर घर पर पधारने वाले सभी व्यक्तियों को चाहे वे छोटे बड़े, अमीर गरीब कोई भी हो, 
उन्हें मिष्ठान,फल मिठाई या मेवे आदि जरूर खिलाकर जल पिलाएं इससे स्थाई समृद्धि का वास होता है। इस दिन किसी की आलोचना, झगड़े व वाद - विवाद की बात बिलकुल भी न करें न करें। अगर संभव हो तो पुरानी रंजिश या मन मुटाव को भुलाकर शत्रु को भी मित्र बनाने कि पहल करें इससे देवता प्रसन्न होते है और घर परिवार में शुभता आती है। धनतेरस के दिन अपने दायें हाथ के लिए एक चाँदी का कड़ा बनवाये, इस कड़े को दीवाली वाले दिन माँ लक्ष्मी का पूजन करते समय माँ के चरणों से लगा कर वहीँ पूजा में रख दें और उस पर भी तिलक लगा दें । अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद माँ लक्ष्मी का ध्यान पूजा करने के बाद उसे दाहिने हाथ में धारण कर लें। आप अति शीघ्र अपने अन्दर ज्यादा आत्मविश्वास का अनुभव करेंगे , आपकी आर्थिक स्थिति भी और भी ज्यादा मजबूत होने लगेगी। यदि आपको आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो आप धनतेरस से दीपावली इन दिन संध्या में लगातार श्री गणेश अथर्वशीष स्त्रोत्र का पाठ करें। उसके उपरांत गाय को कोई भी हरी सब्जी या चारा डालें इससे जल्दी ही आपकी आर्थिक बाधाएं हल होने लगेंगी।धनतेरस के दिन अपने लिए तथा अपने परिवार के लिए खरीददारी अवश्य ही करें। लेकिन इस दिन किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए भी उपहार ना खरीदें। अगर आप को किसी को कोई भी उपहार देना है तो उसे आप पहले ही खरीद लें उस दिन ना खरीदें। जीवन में हर प्रकार से उन्नति करने के लिए धनतेरस के दिन व्यक्ति को चाँदी में निर्मित एवं प्राण प्रतिष्ठित नवरत्न लाकेट खरीदकर इसे घर में लाकर मंदिर में रख देना चाहिए। फिर इसे दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी कि पूजा के बाद धारण करना चाहिए। इससे जातक को माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश कि कृपा से सभी दिशाओं से सुख समृद्धि और सफलता कि प्राप्ति होती है। यह लाकेट आप धनतेरस से दीवाली किसी भी दिन खरीद सकते है। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich 
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Monday, 9 November 2020

दिवाली पर लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय -

दिवाली पर लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय - 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज दीपावली पर्व पर कुछ उपायों की जानकारी दे रहा हूँ। 
इस धरती पर हर व्यक्ति धन और ऐश्वर्य की चाह रखता है और इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ साथ तरह तरह के उपाय भी करता है।माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है।कहते है कि माँ लक्ष्मी की आराधना से जीवन में किसी भी भौतिक सुख सुविधा की कमी नहीं रहती है। 
दीवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना का अत्यंत महत्व है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से घर में स्थाई सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शास्त्रों में धन प्राप्ति के लिए उपाय दीपावली के दिन करने से लक्ष्मी प्राप्ति का अति शीघ्र फल मिलता है। जो निम्नलिखित है -
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार   यदि आप गृह कलेश से पीड़ित है आपके घर की सुख शांति दूर हो गयी है तो आप दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के पूजन के बाद २ गोमती चक्र लेकर एक डिब्बी में पहले सिंदूर रखकर उस पर उनको रख दें फिर उस डिब्बी को बंद करके घर के किसी एकांत स्थान में रख दें।इसे घर के किसी भी सदस्य को नहीं बताएं,घर में शीघ्र ही शांति हो जाएगी। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  दिपावाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय २ हकीक लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें। पूजन के पश्चात अर्ध रात्रि को इन दोनों को घर के किसी कोने में भूमि में खोद कर गाड दें बिगड़े काम बनते नजर आयेगें। 
रात्रि की समाप्ति से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में घर की स्त्रियाँ घर के कोने कोने में कुछ खट खट करते हुए यह कहे की हे अलक्ष्मी ! अब आप इस घर से चली जाओ क्योंकि यहाँ पर माँ लक्ष्मी का निवास हो गया है ऐसा करने से उस घर में दिनों दिन लक्ष्मी का भंडार बढ़ता है। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  दीपावली के दिन विष्णु सहस्त्रनाम,लक्ष्मी सूक्त का पाठ अवश्य करें और अगर हो सके तो इनके कैसेट अवश्य चलायें। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  लक्ष्मी पूजन के समय ११ कौड़ियों को गंगाजल से धोकर लक्ष्मी जी को अर्पण करें और उन पर हल्दी कुमकुम लगायें।अगले दिन इन्हें लाल कपडे में बंधकर तिजोरी में रख दें इससे आय में निश्चित वृद्धि होती है।
तंत्र शास्त्र में गोमती चक्र को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। दीपावली की रात में 9 गोमती चक्र लेकर उसे भी पूजा में रखे फिर अगले दिन इन्हें भी अपनी तिजोरी में लाल या पीले वस्त्र में लपेट कर रख दें आपका भाग्य आपका साथ देने लगेगा। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावाली के दिन एक नयी झाड़ू खरीद लायें पूजा से पहले उससे थोड़ी सी सफाई करें फिर उसे एक तरफ रख दें अगले दिन से उसका प्रयोग करें इससे दरिद्रता दूर भागेगी ओर लक्ष्मी का आगमन होगा। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पूजा में माँ लक्ष्मी के चरणों में एक लाल तथा एक सफेद हकिक पत्थर रखें दोनों के योग से चन्द्र मंगल लक्ष्मी योग बनता है,पूजा के बाद इन्हें अपने पर्स में रख लें। 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली में लक्ष्मी जी की पूजा में श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, वीसा यंत्र,दक्षिणवर्ती शंख,एकाक्षी नारियल,हत्था जोड़ी आदि भी रखकर उनकी भी पूजा करनी चाहिए।जिस घर में यह शुभ यंत्र,धनदायक वस्तुएं रहती है उस घर के सदस्यों को धन की कोई भी कमी नहीं रहती है,अगर जातक की कुंडली में निर्धनता लिखी हो तो वह भी बदल जाती है।
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली पर सांयकाल पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाकर पीपल को प्रणाम करके अपनी मनोकामना कहे, माँ लक्ष्मी का भी ध्यान करें फिर लौट जाएँ और पीछे मुड़कर ना देखे।आपको अवश्य ही माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।यह प्रयोग बिल्कुल चुपचाप करें।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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दीपावली पर्व पर कुछ अचूक मन्त्र

दीपावली पर्व पर कुछ अचूक मन्त्र 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज दीपावली पर्व पर कुछ मन्त्रों की जानकारी दे रहा हूँ। 
दीपावली कि रात्रि जागरण कि रात्रि होती है माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती है और जो भी भक्त रात में जागरण करके सच्चे मन से माता कि आराधना करते है।उनका जीवन खुशियों से भर कर अपने भक्तो के यहाँ स्थाई रूप से निवास करने लगती है। इस महानिशा कि रात्रि में कोई भी पूजा, जाप, प्रयोग अति शीघ्र फलदायी होता है।वस्तुत: यह रात्रि हमारे सपनो को पूर्ण करने वाली,जीवन में सुख समृद्धि भरने वाली, सभी संकटों से रक्षा करने वाली हर प्रकार से रिद्धि सिद्धि प्रदान करने वाली है।अत: जो भी भक्त अपने जीवन में सुखद,स्थाई परिवर्तन लाना चाहते है उन्हें इस रात को जागकर इसका पूर्ण लाभ अवश्य ही उठाए। यहाँ पर कुछ बहुत ही आसान मंत्रो के प्रयोग बताया जा रहा है जिसके जाप करने से जातक को उसके अभीष्ट लाभ कि निश्चय ही प्राप्ति होगी-
👉आर्थिक संकट निवारण हेतु मन्त्र-
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावाली कि रात्रि को यहाँ दिए गए सिद्ध लक्ष्मी यंत्र की कम से कम ग्यारह माला तथा उसके बाद प्रतिदिन एक माला जपने से उस व्यक्ति को कभी भी कोई आर्थिक संकट नहीं होता है। 
"ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नम:॥" 
"ॐ श्रीं श्रियै नम: स्वाहा।"
👉व्यापार में लगातार उन्नति हेतु मन्त्र-
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली के दिन हल्दी की 11 गांठों को पीले कपड़े लपेट कर नीचे दिए गए मंत्र की 11 माला का जाप कर उसे धन स्थान पर रखकर रोज़ धूप दिखाने से व्यापार में लगातार उन्नति होने लगती है। 
"ॐ वक्रतुण्डाय हुं।" 
👉दरिद्रता निवारण एवं परिवार में सुख-शांति हेतु अचूक मन्त्र -
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली में दरिद्रता निवारण एवं परिवार में सुख-शांति हेतु यह एक अचूक मन्त्र दिया जा रहा है।धनतेरस से कार्तिक पूर्णिमा तक रोजाना इसकी ग्यारह या कम से कम २ माला का जाप करने से भगवान लक्ष्मी नारायण कि कृपा से जातक के उपरोक्त उददेश्य अवश्य ही पूर्ण होते है। 
"ॐ श्री हीं क्लीं लक्ष्मी नारायणाय नम:।"
👉जीवन में आशातीत सफलता हेतु मन्त्र -
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह एक अत्यंत प्रसिद्ध और सिद्ध धनदायक मन्त्र है। दीपावली कि रात्रि में इसका जप (ग्यारह माला)अत्यंत फल दायक है।इसके प्रभाव से जातक को धन,यश, सफलता और स्थाई संपत्ति कि शीघ्र ही प्राप्ति होती है। दीवाली के बाद यदि इस मन्त्र कि नित्य एक माला का जाप किया जाय तो व्यक्ति को कभी भी धन का आभाव नहीं होता है। 
"ॐ ऐं हीं श्रीं क्लीं सौ: जगत्प्रसूत्यै नम:।" 
👉सर्वमनोकामना पूर्ति हेतु मन्त्र-
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह माता का अत्यंत शक्तिशाली मन्त्र है।दीपावली कि रात्रि को ज्यादा से ज्यादा इस मंत्र कि माला का जाप करने एवं दीपावली से नित्य एक माला के जाप से जातक के जीवन कि सभी मनोकामनाएँ अवश्य ही पूर्ण होती है। हर व्यक्ति को इस मन्त्र का जप अवश्य ही करना चाहिए। 
"ॐ ऐं हीं क्लीं चामुंडायै विच्चै।"
👉बाधाओं(संकटो) से रक्षा हेतु माँ काली का अचूक 
मन्त्र -
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली की रात महानिशा कि रात है इस दिन माँ काली कि पूजा अर्चना महाफलदायी मानी गयी है।माँ लक्ष्मी कि पूजा,जप,ध्यान से भगवान शिव कि भी कृपा प्राप्त होती है।इनकी आराधना से जातक कि सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है। उसे कोई संकट कोई भी आभाव नहीं रहता है।इनकी कृपा से भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त हो जाते है। माँ काली का नीचे दिए गए मन्त्र का रुद्राक्ष कि माला से जाप करने से व्यक्ति कि सभी बाधाओं से रक्षा होती है। 
"क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।" 
"क्रीं क्रीं क्रीं फट स्वाहा।" 
👉 कुबेर मंत्र
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कुबेर देव सुख-समृद्धि और धन प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं। धर्म शास्त्रो में जीवन में धन, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए कुबेर देव की आराधना कही गयी है।शास्त्रों के अनुसार कुबेर देव को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है।अत: धन प्राप्ति के लिए दीपावली के दिन देवी महालक्ष्मी की आराधना करने के साथ साथ धन के देवता कुबेर का भी पूजन अवश्य ही करना चाहिए।
कुबेर देव का दुर्लभ मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:। 
👉इन्द्र देव का मंत्र
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार दीपावली की रात्रि में इन्द्र देवता की भी आराधना अवश्य ही करनी चाहिए।इन्द्र देवताओं के राजा है दीपावली में इनकी आराधना से अटूट धन समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
इंद्र देव का मन्त्र :-" ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्"॥ 
👉पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इन सब के अतिरिक्त जिस घर में दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी सहस्त्रनाम एवं श्री सूक्त का पाठ होता है उस घर में माँ लक्ष्मी का अवश्य ही आगमन होता है।दीपावली की रात्रि में कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ भी अवश्य करे।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Sunday, 8 November 2020

सियार सिंगी से धन प्राप्ति

सियार सिंगी से धन प्राप्ति 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सियार सिंगी से धन प्राप्ति विषय पर चर्चा करेंगे। 
अगर व्यापार न चल पा रह हो या जीवन में उन्नति न हो पा रही हो तो इस साधना को करना चाहिए।कई बार इर्ष्या के कारण कुछ लोग दूूसरे पर तंत्र प्रयोग कर देते हैं जिससे दूकान में ग्राहक नहीं आते अथवा कार्य सफल नहीं होते है। इन परस्थितियों में भी सियार सिंगी का निम्नलिखित प्रयोग राम बाण की तरह असर करता है।
बुधवार के दिन सियार सिंगी को किसी स्टील की प्लेट में स्थापित कर दें। इसपर कुमकुम या केसर का तिलक लगाये। फिर इसपर चावल और फूल अर्पित करें और निम्न मंत्र का जप आसन में बैठ कर करें। 
ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीम् , ॐ हरीम् , पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवे, सर्व जन्य वश्य कुरु कुरु नमः। 
इस मंत्र का मात्र १०८ बार जप २१ दिन इस सियार सिंगी के सामने करें तथा २१ दिन के बाद इसको किसी डिब्बी में संभल कर रख ले।
अगर दूकान न चल रही हो तो दूकान में किसी सुरक्षित स्थल में रख दे और केवल २१ बार इस मंत्र का उच्चारण करें।इस साधना को करने वाले को कभी धन की याचना नहीं करनी पड़ती अपितु धन उसकी और स्वयं ही आकर्षित होता रहता है। सियार सिंगी बहुत ही चमत्कारी वस्तु होती है इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है। सियार सिंगी बालो के एक गुच्छे कि तरह होती है। असल में सियार के सींग नहीं होते परन्तु कुछ सियारों के नाक के ऊपर बालो का एक गुच्छा बन जाता है - धीरे धीरे वह कड़ा और बड़ा हो जाता है और सींग जैसा बन जाता है इसे सियार सिंगी कहते है और यह हजारों में से किसी एक के नाक पर होता है। इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है। यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति हजारों गुना बढ़ जाती है। इसके द्वारा आप किसी से भी अपना मनोवांछित काम करवा सकते है। इसे सिद्ध करने की अनेकों विधियाँ है पर यदि इसे होली या दीपावली के दिन निम्न विधि से सिद्ध किया जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नज़र आता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सियारसिंगी में असली या नकली की पहचान कैसे करें ?
कुछ जानकारी है जिसके आधार पर आप लोग असली और नकली की पहचान कर सकते हैं। परन्तु उसके लिए कुछ समय की जरुरत होती है -
पहिचान- सियारसिंगी के बाल बढ़ते हैं। सियारसिंगी के छोटे-छोटे सीग होते है जों बढ़ते हैं। सियारसिंगी का आकार भी बढ़ता है और उन का जों हिस्सा जहाँ बाल नहीं होते सिंदूर के साथ गीला रहता है। 
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