आंवला नवमी को कैसे मनाए
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज आंवला नवमी या अक्षय नवमी में महापर्व की यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार आंवला नवमी 23 नवंबर मनाई जाएगी। इस दिन मुख्य रूप से आंवले के वृक्ष का पूजन करने का विधान है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आरोग्यता और सुख-समृद्धि बनी रहती है।आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी या अक्षय नवमी अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन दान, जप एवं तप सभी अक्षय होकर मिलते हैं अर्थात इनका कभी क्षय नहीं होता हैं। भविष्य, स्कंद, पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है।इस दिन पूजा करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा भी प्राप्त होती है। आंवला के बारे में उल्लेख मिलता है कि जहां पर आंवला का वृक्ष होता है वहां विष्णु जी का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। महिलाओं सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के आंवले पेड़ की पूजा करती हैं। आंवला नवमी के दिन अगर कोई महिला आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करती है, तो भगवान विष्णु और शिवजी उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु तथा अच्छे स्वास्थ्य लेकर कामना करती हैं। सुबह उठकर स्नानदि करने के पश्चात पहले माँ लक्ष्मी जी की पुुुजा करे उसके बाद आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध अर्पित करें। उसके बाद रोली,अक्षत,पुष्प, गंध चढ़ानी चाहिए। उसके बाद दीपक प्रज्वलित करें और विधिवत रूप से आंवले के पेड़ की पूजा करें और कथा सुने।आंवला नवमी की कथा को सुनने से व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी भी उनके परिवार पर प्रसन्न होती है। इसके बाद सात बार वृक्ष की परिक्रमा अवश्य करें। पूजा के बाद इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है।माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakshatra jyotish Hub
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