महापर्व की कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
सौभाग्य पंचमी का व्रत रखने से मनुष्य के भाग्य में सौभाग्य की वृद्धि होती है। और व्यक्ति के जीवन में आने वाली प्रत्येक मुसीबत से मुक्ति मिलती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को सौभाग्य पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस बार 19 नवंबर 2020 को सौभाग्य पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सौभाग्य आता है तथा कारोबार में फायदा होता है। सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी मुख्य रूप से इच्छाओं की पूर्ति का त्यौहार होता है। मुख्य रूप से यह पर्व दिवाली का ही एक हिस्सा होता है जिसे व्यापार में वृद्धि तथा तरक्की के तौर पर शुभ मानकर मनाया जाता है। सौभाग्य पंचमी पर शुभ तथा लाभ की कामना से प्रेरित होकर गणेश भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन को ‘ज्ञान पंचमी’, ‘लखेनी पंचमी’, ‘सौभाग्य पंचमी’ या ‘लाभ पंचम’ के रूप में भी जाना जाता है।कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को 'सौभाग्य पंचमी' के नाम से जाता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार लाभ पंचमी के दिन शंकर भगवान की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा इस शुभ दिन गणेश जी की भी पूजा होती है जिससे घर में सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं तथा कारोबार में वृद्धि होती है।
सौभाग्य पंचमी पर प्रातः काल स्नान कर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर व श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। भगवान शंकर को भस्म,बेलपत्र,धतूरा,भांग,सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भगवान शंकर को दुग्ध से निर्मित सफेद पकवानों व गणेशजी को मोदक का भोग लगाना चाहिए और शिवजी को किसी सफ़ेद पकवान का भोग लगाएं।
वैसे तो सौभाग्य पंचमी मनाने का चलन पूरे भारत में है लेकिन यह पर्व गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है तथा वहां का सबसे लोकप्रिय पर्व है। वहां सौभाग्य पंचमी के अवसर पर लोग उत्साह पूर्ण तरीके से नयी ऊर्जा की कामना से प्रेरित होकर भगवान की प्रार्थना करते हैं। सौभाग्य पंचमी की शाम को लोग अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान और दुकान खोलते हैं।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakshatra jyotish Hub
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