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Wednesday, 11 November 2020

धनतेरस कैसे मनाएं

धनतेरस मनाएं
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज धनत्रयोदशी पर्व पर कुछ उपायों की जानकारी दे रहा हूँ। 
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के 5 पर्वो का इसी दिन से प्रारंभ होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुए थे। वे भगवान विष्णु के अशान्श अवतार माने गये है। उनका स्वरूप अत्यंत मनोहर है और वो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है। इस दिन प्रभु धन्वंतरि की सच्चे मन से पूजा,अर्चना, और प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है।
इस संसार में हर मनुष्य को जीवन में किसी ना किसी रोग का अवश्य ही सामना करना पड़ता है और बच्चो एवं बड़े बुजुर्गो तो आसानी से किसी ना किसी रोग की पकड़ में आ ही जाते है। दीपावली से दो दिन पूर्व पड़ने वाले पर्व धनतेरस को वैध शिरोमणि भगवान धन्वन्तरि का दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जिस घर में इनकी विधिवत पूजा,ओरआराधना होती है उस घर पर किसी भी प्रकार के रोग की छाया भी नहीं पड़ती है। 
धन्वंतरी को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। 
इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था। इन्हे भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। भगवान धन्वन्तरि उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। 
चूँकि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है। 
इस दिन भगवान धन्वन्तरि की अनिवार्य रूप से पूजा करनी चाहिए। धनतेरस के दिन घर परिवार के सभी सदस्यों के निरोगी जीवन के लिए, सभी सदस्यों की लम्बी आयु , चिर यौवन के लिए भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या फोटो की स्थापना करनी चाहिए। 
शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रभु धन्वंतरि के चित्र के सामने एक चाँदी या ताम्बे के पात्र में जल रखकर, धूप दीप जलाकर,अगर संभव हो तो चांदी के पात्र में खीर या सफेद मिष्ठान रखकर उन्हें भोग लगाएं । उन्हें फल, नैवैद्य, नारियल, पान, लौंग, सुपारी, वस्त्र (मौली) गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पवित्र औषधियां एवं दक्षिणा भी अर्पित करें। 
फिर अपने घर परिवार से रोगो को दूर करने हेतु निम्नलिखित मंत्र की कम से काम दो माला का जाप करें। मंत्र - “ओम् रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।” 
पूजा के बाद भगवान धन्वन्तरि के सामने रखा जल घर के कोने कोने में,छत पर, सभी सदस्यों पर छिड़ककर शेष जल तुलसी के पौधे पर अर्पित कर दें । 
इस प्रकार धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की सच्चे मन से पूजा, अर्चना, प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है और  उस परिवार से रोग दूर ही रहते है।
इस दिन भगवान कुबेर की भी पूर्ण श्रद्धा से पूजन करना अनिवार्य है। भगवान कुबेर धनाध्यक्ष है और सम्पति प्रदान करने वाले है। भगवान कुबेर सच्चे मन से पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुबेर जी अपने भक्तों के समस्त अभावों को दूर करके उनको स्थायी सुख सम्पति प्रदान करते है। आज इनकी आराधना से जातक को महान फल कि प्राप्ति होती है। कुबेर मन्त्र कि साधना से व्यक्ति को जीवन में हर भौतिक सुख समृद्धि कि प्राप्ति होती है जो निम्नलिखित है-
मंत्र- ओम् श्रीं, ओम् ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:
कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।धनतेरस का दिन धन वृद्धि या धन आगमन का दिन माना जाता है। इस दिन दोपहर के बाद बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदने से वर्ष भर घर में सुख सम्पदा स्थायी रूप से बनी रहती है।चाँदी के उपलब्ध न होने पर अन्य धातुओं के बर्तन खरीद सकते है। 
धनतेरस के दिन सोने, चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। सोना चाँदी,आभूषण खरीदना और धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सोना धारण करने से सौंदर्य में वृद्धि तो होती ही है और सोना मुश्किल घड़ी में काम भी आता है। धनतेरस के दिन शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता हैं। माना जाता है कि इस दिन धन को इन चीजो में लगाने से उसमें 13 गुणा की वृद्धि होती है। लोग इस दिन ही दीवाली की रात पूजा करने के लिए लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति भी खरीदते हैं। धनतेरस के दिन बर्तन खरीद कर घर में लाते समय खाली न लाएं उसमें कुछ न कुछ मीठा अवश्य डाल कर लाएं। अगर बर्तन छोटा हो या गहरा न हो तो मीठा उस बर्तन के साथ रख कर लाएं।आपका घर सदैव धन धान्य से भरा रहेगा । 
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन संपदा में वृद्धि होती है। दीपावली के दिन इन बीजों को घर के बाग, गमलो, खेत खलिहानों में लागाया जाता है । ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है। इस दिन स्थिर लक्ष्मी की पूजा करने से घर मे सुख समृद्धि का वास होता है। इस दिन पूजा में माँ लक्ष्मी को भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग करना चाहिए । इस दिन शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी का पूजन करने के साथ-साथ सात धान्यों (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस मांगलिक उत्सव के दिन घर को अन्दर - बाहर से साफ करके यथा संभव सजाना चाहिए , इस दिन घर में कोई भी बिलकुल क्रोध न करें। प्रेम पूर्वक मंगल गायन करने या शुभ संगीत बजाने से सौभाग्य खिंचा चला आता है .एक बात का विशेष रूप से ध्यान दें की इस दिन किसी को भी उधार ना दें और धन के अप्वय्य से यथा संभव बचने का प्रयत्न करें। धनत्रयोदशी के दिन यमराज जी की भी आराधना उनका व्रत किया जाता है । 
इस दिन संध्या के समय घर के बाहरी मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिटटी के दीपक को तेल से भर कर अवश्य ही जलाना चाहिए दीपक को दक्षिण दिशा की तरफ मुंख करके निम्न मन्त्र का जाप करते हुए रखना चाहिए। 
मंत्र- म्रत्युना दंडपाशाभ्याँ कालेन श्याम्या सह, 
त्रयोदश्याँ दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम। 
यह क्रिया यम दीपदान कहलाती है। कोशिश यह करनी चाहिए की दीपक बड़ा हो जिससे वह रात भर जलता रहे ऐसा करने से यमराज जी प्रसन होते है ओर उस घर के सदस्यों को दुर्घटना, बिमारियों आकाल म्रत्यु आदि का कोई भी भय नहीं रहता है और सभी सदस्य निरोगी ओर दीर्ध आयु को प्राप्त करते है। 
धनतेरस से अपने घर से सभी बेकार, खराब और टूटे-फूटे सामान निकाल कर उसे कबाड़ी को बेच दें।आप पूरे घर की अच्छी तरह सफाई अवश्य कर लें। 
धनतेरस के दिन सुबह-सुबह ही घर को साफ करने के बाद घर के अंदर मंदिर में धूप दीप व अगरबत्ती अवश्य जला लें। दीपक में पांच लौंग डालने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। 
इस दिन अपनी नौकरी से इस्तीफा देना, साझेदारी को ख़त्म करना तथा घाटे में चल रहे व्यापार को बंद करने के बारे में बिलकुल भी न सोचे वरन सुख समृद्धि के विचार मन में लाएं। दीपावली के पाँचो पर्व पर घर पर पधारने वाले सभी व्यक्तियों को चाहे वे छोटे बड़े, अमीर गरीब कोई भी हो, 
उन्हें मिष्ठान,फल मिठाई या मेवे आदि जरूर खिलाकर जल पिलाएं इससे स्थाई समृद्धि का वास होता है। इस दिन किसी की आलोचना, झगड़े व वाद - विवाद की बात बिलकुल भी न करें न करें। अगर संभव हो तो पुरानी रंजिश या मन मुटाव को भुलाकर शत्रु को भी मित्र बनाने कि पहल करें इससे देवता प्रसन्न होते है और घर परिवार में शुभता आती है। धनतेरस के दिन अपने दायें हाथ के लिए एक चाँदी का कड़ा बनवाये, इस कड़े को दीवाली वाले दिन माँ लक्ष्मी का पूजन करते समय माँ के चरणों से लगा कर वहीँ पूजा में रख दें और उस पर भी तिलक लगा दें । अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद माँ लक्ष्मी का ध्यान पूजा करने के बाद उसे दाहिने हाथ में धारण कर लें। आप अति शीघ्र अपने अन्दर ज्यादा आत्मविश्वास का अनुभव करेंगे , आपकी आर्थिक स्थिति भी और भी ज्यादा मजबूत होने लगेगी। यदि आपको आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो आप धनतेरस से दीपावली इन दिन संध्या में लगातार श्री गणेश अथर्वशीष स्त्रोत्र का पाठ करें। उसके उपरांत गाय को कोई भी हरी सब्जी या चारा डालें इससे जल्दी ही आपकी आर्थिक बाधाएं हल होने लगेंगी।धनतेरस के दिन अपने लिए तथा अपने परिवार के लिए खरीददारी अवश्य ही करें। लेकिन इस दिन किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए भी उपहार ना खरीदें। अगर आप को किसी को कोई भी उपहार देना है तो उसे आप पहले ही खरीद लें उस दिन ना खरीदें। जीवन में हर प्रकार से उन्नति करने के लिए धनतेरस के दिन व्यक्ति को चाँदी में निर्मित एवं प्राण प्रतिष्ठित नवरत्न लाकेट खरीदकर इसे घर में लाकर मंदिर में रख देना चाहिए। फिर इसे दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी कि पूजा के बाद धारण करना चाहिए। इससे जातक को माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश कि कृपा से सभी दिशाओं से सुख समृद्धि और सफलता कि प्राप्ति होती है। यह लाकेट आप धनतेरस से दीवाली किसी भी दिन खरीद सकते है। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich 
Nakashtra Jyotish Hub

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