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Thursday, 28 March 2024

अमावस्या योग

अमावस्या योग

प्रिय पाठकों,
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच इस लेख में अमावस्या योग के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्मकुंडली के एक ही भाव में दो या अधिक ग्रहों के एक साथ बैठने को 'युति' कहा जाता है। ग्रहों की युति का असर या प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है जो विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है जैसे - ग्रहों के बीच बनने वाली युति ग्रहों की प्रकृति, एक-दूसरे के साथ उनके संबंध और जिस घर में स्थित हैं, उसके आधार पर ग्रहों की युति हानिकारक या लाभकारी हो सकती है। ग्रह की शक्ति को यह जानने के लिए भी माना जाता है कि ग्रह वक्री है,अस्त है या सीधे है।

 अमावस्या योग  

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार किसी भी जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्रमा दोनों ग्रह युति होती हैं तो इससे बनने वाले योग को अमावस्या योग कहा जाता है और साथ में यह भी माना जाता है कि अमावस्या जैसी तिथि में जन्मे जातक की कुंडली में अमावस्या दोष होता है जिसे अशुभ माना जाता है। क्योंकि अमावस्या की तिथि पर राहु शासन करता है। यह योग मनुष्य के लिए अच्छा नहीं होता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य और चंद्रमा ग्रह एक-दूसरे से जितना दूर होंगे यह जातक को उतना ही शुभ परिणाम देंगे। चंद्रमा सूर्य से जितना दूर होगा उतना ही शक्तिशाली होगा क्योंकि चंद्रमा सूर्य से दूर रहने पर ही शुभ परिणाम देते हैं। मगर यह सूर्य के जैसे-जैसे नजदीक आने लगते हैं तो अपनी शीतलता खोने लगते हैं और जातक के लिए अशुभ स्थितियां निर्मित करते हैं। 

सूर्य- चंद्रमा युति (अमावस्या योग) का प्रभाव 

जन्मकुंडली में इन (सूर्य और चंद्रमा) दोनों ग्रहों की युति होने पर मनुष्य का जीवन परेशानियों से घिरने लगता है। सूर्य और चंद्र की युति से जातक पराक्रमी, अहंकारी, कार्यकुशल, विषयासक्त, चतुर, दुष्ट होता है। मानसिक चिंताएं जातक को परेशान करती हैं। ऐसे लोग काल्पनिक दुनिया में खोकर अपने वर्तमान को खराब कर सकते हैं। इसके साथ ही इन दोनों ग्रहों के साथ होने से बुरी आदतें व्यक्ति को लग सकती हैं। पारिवारिक जीवन में भी ऐसे लोगों को दिक्कतों को सामना करना पड़ सकता है।
अमावस्या योग कुण्डली में होने से कई  मनुष्य को शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अमावस्या योग में सूर्य के प्रभाव के चंद्रमा की शक्तियां क्षीण हो जाती है इसी कारण अमावस्या योग के होने से चंद्रमा के शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं होते है। वहीं जब कुंडली में यह दोनों ग्रह दृष्टि संबंध यानी प्रतियुति बनाते हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति जातक को होती है। इस स्थिति में दोनों ग्रह एक-दूसरे से दूर रहते हैं।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार अमावस्या दोष के अधोलिखित प्रभाव के अलावा कुछ कुप्रभाव निम्नलिखित है-
माता के साथ संबंध अच्छे नहीं खराब हो सकते हैं।
जातक माता के आशीर्वाद से वंचित रह सकता है।
जातक और परिवार पर कई विपत्तियां आ सकती हैं।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।
करियर में बाधाएं आ सकती हैं।

अमावस्या योग के उपाय  

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अमावस्या योग के उपाय निम्नलिखित है -

✷ सूर्य-चंद्र युति के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा कर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हुए ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें क्योंकि शिव चंद्रमा पर शासन करते हैं।
✷ चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। 
✷ ऐसे लोगों को सुबह जल्दी जागना चाहिए और रात को जल्दी सोना चाहिए। 
✷ अमावस्या के दिन ऐसे व्यक्ति को व्रत रखना चाहिए और शाकाहारी भोजन ग्रहण करें और मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
✷ प्रत्येक अमावस्या के दिन पूर्वजों के लिए तर्पण करें।
अपने बड़ों का अर्थात विशेषकर माता-पिता का अनादर न करें।
✷ देवी काली की पूजा करें क्योंकि वह अमावस्या दोष के लिए पूजा की जाने वाली मुख्य देव हैं।
✷ अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को चांदी, सफेद तिल, नमक, रूई, गाय आदि का दान करना चाहिए। इस दिन सफेद रंग की सभी वस्तुएं दान देना शुभ माना जाता है।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294, 6377054504

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