होली पर्व
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच इस लेख में होली पर्व और उसके ज्योतिषीय उपायों की जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व होली है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत और रंगों के त्यौहार के रूप में मनाई जाने वाली होली को वसंत के आरम्भ और शीत ऋतु के समापन के रूप में मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन के महीने में रंगों का सबसे बड़ा त्योहार होली बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। घरों में गुझिया और पकवान बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार तांत्रिक क्रियाओं की दृष्टि से होली का दिन विशिष्ट माना गया है। होली पर्व को तंत्र के अभिचार कर्म का प्रयोग करने के लिए विशिष्ट माना जाता है। तंत्र के अभिचार कर्म का आशय वशीकरण, मोहन, मारण, उच्चाटन, स्तम्भन एवं विद्वेषण से है। होली का पर्व तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा हेतु शुभ मुहूर्त है। तांत्रिक अभिचार कर्मों से मुक्ति के लिए होली के दिन की गई साधनाएं एवं प्रयोग सरलता से सफल होते है। तंत्र शास्त्र के अनुसार होली के दिन कुछ खास उपाय करने से मनचाहा काम हो जाता है। तंत्र क्रियाओं के लिए प्रमुख चार रात्रियों में से एक रात ये भी है।
होलिका दहन क्यों ?
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के बताए मुताबिक वैदिक धर्मग्रंथों के अनुसार होलिका दहन को लेकर माना जाता है कि इस दिन भगवान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद जो भगवान की भक्ति में लीन था। उसे अपनी बहन होलिका के जरिए जिंदा जला देना चाहा था। लेकिन, प्रहलाद की भक्ति की जीत हुई और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों का उत्सव मनाया जाता है। रंग वाली होली को धुलहंडी के नाम से भी जाना जाता है।
होलिका दहन कब
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। दिनांक 24 मार्च को ही होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 बजे से लेकर 12: 27 बजे तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक के आठ दिन भारतीय ज्योतिष में अशुभ माने जाते हैं इनको होलाष्टक नाम से जाना जाता है। इन दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। होलाष्टक के पहले ही दिन (अष्टमी तिथि)पर एक पेड़ की शाखा काटकर उसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े काटकर बांध देते हैं और उसे जमीन में गाड़ते हैं और होलिका दहन के लिए लकड़ियां और घरों में गोबर के थेपले बनाकर रखे जाती है। जिस जगह होलिका दहन होगा उस जगह होली की लकड़ियां रखना शुरू होता है। इन आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक रहता है। होलाष्टक अष्टमी तिथि से आरंभ होता है। अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक अलग-अलग ग्रहों का प्रभाव बहुत अधिक रहता है। जिस कारण इन दिनों में शुभ कार्य न करने की सलाह दी जाती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इन 8 दिनों में ग्रह अपने स्थान में बदलाव करते हैं। इसी वजह से ग्रहों के चलते इस अशुभ समय के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने से व्यक्ति के जीवन में कष्ट, दर्द का प्रवेश होता है। अगर इस समय में कोई विवाह कर ले तो भविष्य में कलह का शिकार या संबंधों में टूट पड़ सकती है। इनमें अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चुतर्दशी को मंगल तो पूर्णिमा को राहू की ऊर्जा काफी नकारात्मक रहती है।
मुहूर्त चिन्तामणि पीयूषधारा संस्कृत टीका शुभाशुभप्रकरण श्लोक सं. 40 की टीका पृष्ठ 34 में लिखा है कि
"शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।
पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।।’’ (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137)
‘‘शुतुद्रयां च विपाशायामैरावत्यां त्रिपुष्करे।
होलाष्टकं विवाहावौत्याज्यमन्यत्र शोभनम्’’ (शीघ्रबोध श्लोक सं. 138)
उपरोक्त प्रमाण श्लोकों की विस्तृत व्याख्या मुहूर्त चिन्तामणि के सुप्रसिद्ध टीकाकार श्री कपिलेश्वर झा जी ने अपनी हिन्दी टीका में इस प्रकार लिखा है। सतलज (शुतुद्री), विपाशा (व्यास), इरावती (रावी) नदियों के तटवर्ती क्षेत्र और त्रिपुष्कर (पुष्कर) क्षेत्र में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा से आठ दिन पहले होलाष्टक के कारण विवाहादि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इनसे भिन्न स्थानों में ही विवाह आदि कार्य करना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार फाल्गुन मास की पुर्णिमा के दिन होलिका का दहन किया जाता है और भगवान नरसिंह एवं भक्त प्रह्लाद की पुजा की जातीं हैं। होलीका दहन के लिए पुजा विधी निम्नलिखित है -
✿ होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है।
✿ स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
✿ पूजा करने के लिए पूजा की सामग्री इकठ्ठा कर लें जिसमें रोली, अक्षत, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
✿ होलिका के प्रतीक रुपी रोपे गए वृक्ष की शाखा (होलिका डांडी)और प्रह्लाद रुपी नारियल की इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करते हुए मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
✿ होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार होली पर किए जाने वाले कुछ अद्भुत उपाय निम्नलिखित हैं -
✷ घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है और साथ ही कष्ट दूर होते हैं।
✷ होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
✷ होली दहन के समय सात गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र दहन में डाल दें।
✷होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
✷ होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का 40 दिन तक नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी।
✷यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो तो 21 गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।
✷ नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए-होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें और होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें।
✷ होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है।
✷ मनोकामना की पूर्ति हेतु- होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं इससे आपकी सारी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होगी।
✷ होली की प्रातः बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मंदिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर अवश्य चढ़ाने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होगी।
✷ स्वास्थ्य लाभ हेतु- मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिए जौ के आटे में काले तिल एवं सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
✷ व्यापार लाभ के लिए- होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखने से व्यवसाय में लाभ होगा।
✷ होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दूकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। आपके लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।
✷ धनहानि से बचाव के लिए- होली के दिन मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर द्विमुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में डाल दें इससे धन हानि से बचाव होगा।
✷दुर्घटना से बचाव के लिए- होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पांचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
✷ होली के दिन प्रातः उठते ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वस्तु न लें, जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर रखें। किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रुमाल नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु या विरोधी से पान, इलायची, लौंग आदि न लें।
✷ अगर आपके घर में कोई शारीरिक कष्टों से पीड़ित और उसको रोग छोड़ नहीं रहे है तो 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र बीमार व्यक्ति के शरीर से 21 बार उसार कर होली की अग्नि में डाल दे शारीरिक कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिल जायेगी।
✷ अगर बुध ग्रह आपकी कुंडली में संतान प्राप्ति में बाधा दाल रहा है तो किसी भी बच्चे वाली गरीब महिला को होली वाले दिन से शुरु कर एक महीने तक हरी सब्जियाँ दें। माता वैष्णो-देवी से संतान की प्रार्थना करें।
✷ शीघ्र विवाह हेतु- जो युवा विवाह योग्य हैं और सर्वगुण संपन्न हैं, फिर भी शादी नहीं हो पा रही है तो यह उपाय करें। होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखें बिना अपने घर लौट आएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ ही समय-समय शुभ मुहूर्त में यह उपाय किया जा सकता है। जल्दी ही विवाह के योग बन जाएंगे।
✷ राहु का उपाय – होलीका दहन के दिन एक नारियल का गोला लेकर उसमे अलसी का तेल भरकर उसी में थोडा सा गुड डाले फिर उस नारियल के गोले को राहू से ग्रस्त व्यक्ति अपने शारीर के अंगो से स्पर्श करवाकर जलती हुई होलिका में डाल देवे। पुरे वर्ष भर राहू से परेशानी की संभावना नहीं रहेगी।
✷ हनुमान जी के लिए उपाय - होली के दिन तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन कर पूआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा सुपारी आदि मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जप करें-
मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर ससम्मान विदा करें। यह उपाय करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी।
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह सारे उपाय करने से दुर्घटना से बचाव होगा और आपकी रक्षा होगी। **********************************************
✷✷✷ध्यान रखने योग्य- ये सारे उपाय सावधानीपूर्वक करें। आत्मरक्षा हेतु किसी को कष्ट न पहुंचाएं, किसी का बुरा न करें और न सोचें।
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