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Sunday, 8 September 2024

ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऋषि मुनियों को समर्पित ऋषिपंचमी का त्यौहार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के अगले दिन होता है। इस त्यौहार में सप्त ऋषियों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया जाता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष ऋषि पंचमी का पर्व 08 सितंबर 2024 रविवार को सप्त ऋषियों की पूजा के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सप्त ऋषियों - कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि, और विश्वामित्र की पूजा की जाती है। इनके अलावा देवी अरुंधती की पुजा की जाती है। वैदिक शास्त्रों में इन सभी सात ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश माना जाता हैं और साथ ही इनको ही वेदों और धर्मशास्त्रों के रचयिता माने जाते हैं। ऋषिपंचमी का व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। ऋषि पंचमी के व्रत को विशेषकर महिलाओं के द्वारा अपने पति के प्रति विश्वास, प्रेम तथा दीर्घायु होने की कामना पूर्ति हेतु और मासिक धर्म के दौरान अनजाने में हुए पापों से मुक्ति के लिए किया जाता है। विशेषकर महिलाये मासिक धर्म के बंद होने पर यह व्रत करने की परंपरा है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को कुशा से सप्त ऋषि बनाकर उनका षोडशोपचार पूजन विधि से पूजन करना चाहिए और सप्तऋषि पूजन में चढ़ाए सभी वस्तुओं को किसी जनेऊधारी ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस व्रत को करने के लिए कुछ कठिन नियम है जिनका पालन करना आवश्यक है जो कि निम्नलिखित है - 
✿ कोई भी महिला यह व्रत करना आरम्भ करे तो लगातार पुरे सात वर्ष तक करना चाहिए। यदि कोई भी शारीरिक अस्वस्थता या तकलीफ हो तब यह व्रत बीच में छोड़ सकते है।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को पवित्र मन से और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत करना चाहिए। इस व्रत कोअ करने वाली महिलाओं को शारीरिक संबंध स्थापित नहीं करना चाहिए।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को बिना नमक का फलाहार रुपी भोजन करना होता है। 
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को प्रचलित धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार भोजन में दूध, दही, आलू की सेवई, फल, और भाप या उबाली हुई गाजर,आलू जैसी सब्जियां आदि भोजन रुप में लेने का नियम है।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को हल से जोते हुए खेत का अन्य धान्य भोजन रुप में खाना वर्जित है।
✿ इस व्रत करने वाली महिलाओं को दिन में निराहार रहकर या परिस्थिति वस केवल एक बार भोजन करना होता है।
जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखती है उन्हें अगले दिन ✿ सूर्योदय के बाद ही पारण करके व्रत को समाप्त करना चाहिए क्योंकि बिना पारण के ऋषि पंचमी का व्रत अधूरा माना जाता है।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को झुठ नहीं बोलना चाहिए।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को क्रोध नहीं करना चाहिए।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
✿ इस व्रत को करने वाली महिलाओं को किसी का अपमान या किसी पर नकारात्मक कटाक्ष नहीं करना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ऋषि पंचमी को सप्त ऋषियों की पुजा विधि निम्नलिखित है -
🔅ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
🔅घर व मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें और पूजा स्थान पर एक चौकी रखें।
🔅सभी पूजा सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित कर लें।
🔅चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाने के बाद सप्तऋषि की तस्वीर या कुशा से सप्त ऋषि बनाकर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रख लें। यदि आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।
🔅कलश से जल लेकर सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं।
🔅 अब उनका ( सप्तऋषियों का) रोली, मोली, अक्षत, पुष्पमाला, जनेऊ, फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए षोडशोपचार विधि से पूजन करें।
🔅सप्तऋषियों के मंत्र 
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
या "ओम् सप्तऋषये नमः” मंत्र का कम से कम 11, 21, 51,108 बार जाप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हुए सप्तऋषियों से आशीर्वाद लें।
🔅पूजा के अंत में सभी लोगों में प्रसाद वितरित कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य लें।
लेखक परिचय- पंडित अंजनी कुमार दाधीच 
Pandit Anjani Kumar Dadhich 
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान 
Nakshatra jyotish Sansthan 
panditanjanikumardadhich@gmail.com
सम्पर्क सूत्र - 6377054504

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