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Tuesday, 10 September 2024

ज्येष्ठा गौरी पुजा महापर्व

ज्येष्ठा गौरी (महालक्ष्मी) पुजा महापर्व
प्रिय मित्रों 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में ज्येष्ठा गौरी पुजा महापर्व के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म के त्यौहारों में से एक ज्येष्ठा गौरी (महालक्ष्मी) पुजा महापर्व है जो महाराष्ट्र के मुख्य पर्वों में से एक है। जो हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद में महालक्ष्मी का तीन-दिवसीय पुजन किया जाता है उसे ज्येष्ठा गौरी व्रत भी कहते हैं। मराठी महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती है। विशेषतया यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के दौरान मनाया जाता है और ज्येष्ठा गौरी आवाहन से शुरू होकर तीन दिनों तक मनाया जाता है । मार्गशीर्ष माह के सभी गुरुवारों को भी महालक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। दोनों ही व्रतों को रखने की तिथि और परंपरा अलग-अलग है। तीन दिनों तक मनाई जाने वाली इस ज्येष्ठा गौरी पूजा में भाद्रपद शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र में माता महालक्ष्मी का आगमन होता है ज्येष्ठा नक्षत्र में पूजा और भोग होता है एवं मूल नक्षत्र में उनका विसर्जन होता है। इस बार अनुराधा नक्षत्र 10 सितंबर 2024 को रहेगा। इस दिन ज्येष्ठा गौरी का आगमन, आवाहन और स्थापना की जाती है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के अनुराधा नक्षत्र में भारतीय पुजन पद्धति के अनुसार ज्येष्ठा गौरी( महालक्ष्मी देवी) की प्रतिमा या प्रतीक को स्थापित किया जाता हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र में महालक्ष्मी का पूजन कर महानैवेद्य का भोग लगाया जाता है। तीसरे दिन मूल नक्षत्र में महालक्ष्मी का विसर्जन किया जाता है। ज्येष्ठा गौरी को महालक्ष्मी माना जाता है और चूँकि उनकी पूजा ज्येष्ठा नक्षत्र में की जाती है इसलिए उन्हें ज्येष्ठा गौरी कहा जाता है।
यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इससे घर में सुख, शांति के साथ ही समृद्धि बनी रहती है। महाराष्ट्रीयन परिवारों में भाद्रपद माह में महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्‍ठा गौरी की पूजा करती हैं।
 1. पहला दिन आगम : पहले दिन मां महालक्ष्मी का आह्वान करते हैं जब उनका आगमन होता है और उन्हें विराजमान करके उनकी पूजा करते हैं। इस बार 10 सितंबर 2024 मंगलवार को आगमन रहेगा। इस दिन व्रत रखते हैं।
 2. दूसरा दिन भोग : इस दिन मां महा लक्ष्मी को सभी तरह के भोग लगाएं जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस बार मुख्य पूजा और महानैवद्य 11 सितंबर 2024 बुधवार को रहेगा। 
3. तीसरा दिन विसर्जन : इस दिन माता लक्ष्मी की विदाई होती हैं यानी विसर्जन‍ किया जाता है। 12 सितंबर 2024 गुरुवार को विसर्जन होगा।
 4. 16 दिनी व्रत : कुछ परिवारों में महालक्ष्मी व्रत निरन्तर सोलह दिनों तक मनाया जाता है। इस बार 10 सितंबर से 24 सितंबर मंगलवार तक यह व्रत चलेगा। 
 ज्येष्ठा गौरी स्थापना के शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ गौरी आगमन:10 सितम्बर मंगलवार 2024 को
ज्येष्ठ गौरी आवाहन एवं स्थापना: सुबह 06:25 से शाम 06:45 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त में आवाहन एवं स्थापना: दोपहर 12:10 से 01:00 के बीच।
अनुराधा नक्षत्र प्रारम्भ - 09 सितम्बर 2024 को शाम 06:04 बजे से।
अनुराधा नक्षत्र समाप्त - 10 सितम्बर 2024 को रात्रि 08:04 बजे तक रहेगा।
उपरोक्त समय में ज्येष्ठा गौरी(महालक्ष्मी) को विराजमान कर सकते हैं।
 ज्येष्ठा गौरी पूजा और भोग 11 सितंबर बुधवार 2024 को होगा।
11 सितंबर 2024 की पूजा का शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:32 से 05:18 तक।
प्रातः सन्ध्या- प्रात: 04:55 से 06:04 तक।
अमृत काल- दोपहर 12:05 से 01:46 तक। 
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:22 से 03:12 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:31 से 06:54 तक।
सायाह्न सन्ध्या- शाम 06:31 से 07:40 तक।
ज्येष्ठा गौरी विसर्जन 12 सितंबर बृहस्पतिवार को होगा।
लेखक परिचय- Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच [पुरोहित कर्म (यज्ञ-हवन - पुजा-अनुष्ठान) विशेषज्ञ, वैदिक ज्योतिषी, अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद ]
Nakshatra Jyotish Sansthaan
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान
panditanjanikumardadhich@gmail.com
सम्पर्क सूत्र - 063770 54504
 


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