google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : रक्षाबंधन पर्व का शुभ मुहूर्त एवं नियम

Sunday, 18 August 2024

रक्षाबंधन पर्व का शुभ मुहूर्त एवं नियम

रक्षाबंधन पर्व का शुभ मुहूर्त एवं नियम 
प्रिय पाठकों 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में रक्षाबंधन पर्व का शुभ मुहूर्त एवं नियम के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारत में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को राखी, श्रावणी, सावनी, और सलूनों के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन राखी के धागे को कवच सा शक्तिशाली माना गया है, जो कच्चे सूत, रंगीन कलावे और रेशमी धागे से निर्मित है। राखी का यह धागा रक्षा के संकल्प का पवित्र प्रतीक है। यह आंतरिक और बाह्य भय के उन्मूलन का पर्व है। इस पर्व भाई-बहन, गुरु-शिष्य, प्रकृति और मनुष्य के मध्य तारतम्य स्थापित करने के लिए भी राखी बांधी जाती है।प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उदघाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में राखी (रक्षासूत्र) बांधी जाती है।
इस साल राखी का त्योहार 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस त्यौहार में सभी  बहने अपने भाईयों को राखी बांधकर और मिठाइयां खिलाकर अपनी खुशी व्यक्त करती हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है-
इस साल राखी का त्योहार सभी के लिए लाभ योग से भरा हुआ है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक मकर राशि में चंद्रमा होने के कारण 19 अगस्त 2024 को पाताल लोक की भद्रा रहेगी जो सुबह में 5:53 मिनट पर प्रारंभ होगी और दोपहर 01: 32 मिनट पर समाप्त होगी। धर्म शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में रक्षासूत्र बांधा जाना अनुचित या अशुभ माना जाता है। अत: भद्रा समाप्ति के पश्चात् ही राखी बांधी जाए।
दिनांक 19 अगस्त 2024 को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:33 से रात्रि 9:07 तक रहेगा।
दोपहर 1:33 PM से 4:19 PM तक।
प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 6:56 PM से रात्रि 9:07 PM तक।
रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं जिसमे रवि योग और सर्वार्थ सिद्ध, शश राजयोग, बुधादित्य और शुक्रादित्य राजयोग आदि योगों का भी नाम शामिल है।इस दिन सूर्य देव भी अपनी स्वराशि में संचरण कर रहे हैं और साथ ही शनि देव भी शश राजयोग बनाकर विराजमान हैं। इसके साथ ही बुध और शुक्र भी इस राशि में होंगे जिससे बुधादित्य और शुक्रादित्य राजयोग का बन रहा है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सनातन धर्म में कलावा (रक्षासूत्र) या राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। यह लाल और पीले रंग का धागा शुभता और ईश्वर की कृपा का माध्यम माना जाता है। वैदिक शास्त्रों में भी रक्षा सूत्र को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। रक्षा सूत्र को लेकर आज भी तमाम लोगों को पूरी जानकारी नहीं है अतः उनके बारे में कुछ ध्यान रखने योग्य जानकारी है जिनका रक्षाबंधन पर्व मनाते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए जो है-
✿ शास्त्रों अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बांधने का विधान है।✿ रक्षाबंधन पर्व पर राखी बाधंते समय आसन के रूप में चौकी या कुर्सी पर बैठाकर ही भाई के हाथ में राखी बांधनी चाहिए।
✿ रक्षाबंधन पर्व पर राखी बाधंते समय थाली में दीपक जरूर जलाना चाहिए क्योंकि दीपक को सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह माना जाता है। 
✿ रक्षाबंधन पर्व पर भाई- बहिन दोनों को कोई भी चमड़े का आयटम, चप्पल या जूते पहनकर रक्षासूत्र नहीं बांधना या बंधवाना चाहिए।
✿ रक्षाबंधन पर्व पर पीले, लाल और गुलाबी रंग के कपड़े सभी को धारण करने चाहिए। काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए क्योंकि हमारे धर्म शास्त्रों में काले रंग को अशुभ माना गया है। 
✿ धर्म शास्त्रों के अनुसार कभी भी खाली हाथ राखी नहीं बांधनी चाहिए। जिस हाथ में रक्षा सूत्र बांध रहे हैं उसमें सबसे पहले रुपए लेकर मुट्ठी बंद कर लेना चाहिए। फिर इसके बाद अपने दूसरे हाथ को अपने सिर पर रख लें और फिर रक्षासूत्र बांधने के बाद हाथ में रखे रुपए अपनी बहिन को भेंट स्वरूप में देना चाहिए।
✿ रक्षा सूत्र या राखी बांधने से पहले बहिन से मौली तीन, पांच या सात बार में कलाई पर जरूर बंधवाएं।
इष्ट देव के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाना -
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रक्षाबंधन के इस शुभ अवसर पर अपने ईष्ट देव या भगवान लड्डू गोपाल को भी राखी बांधने का विधान है जो निम्नलिखित है-
सर्वप्रथम  स्नान आदि नित्यकर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर (केवल काले रंग से परहेज रखें) अपने ईष्ट देव के लिए रक्षासूत्र और मिठाई लेकर थाली सजाए और अपने ईष्टदेव को भक्ति के साथ रोली, चंदन या अष्टगंध का तिलक लगाएं।उनको अक्षत और पुष्प आदि अर्पित करें। फिर घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं और आरती उतारें। अंत में अपने ईष्टदेव की प्रतिमा को राखी बांधते हुए उनके मंत्रों का जाप करें। राखी बांधने के बाद अपने ईष्टदेव से आशीर्वाद लें और अच्छे जीवन की कामना करें। 
ध्यान रखने योग्य - रक्षाबंधन के त्योहार पर सभी को तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए।

No comments:

Post a Comment