पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला एक बहुमुल्य रत्न है। अनार के दाने-सा दिखने वाला गुलाबी आभा वाला बहुमूल्य रत्न माणिक्य है।
माणिक्य उच्च कोटि का मान-सम्मान एवम पद की प्राप्ति करवाता है। इसीलिए सत्ता और राजनीती से जुड़े लोगो को माणिक्य रत्न को अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि यह रत्न सत्ताधारियों को एक ऊंचे पद तक पहुंचने में बहुत सहायता कर सकता है। इसे (माणिक्य) को सभी रत्नों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार लाल रक्तकमल जैसे सिंदूरी, हल्के नीले आदि रंगों में पाया जाता है पर लाल रंग का माणिक्य सबसे बेहतरीन और मूल्यवान होता है। संसार के विभिन्न जगहों में पाए जाने के कारण और जलवायु परिवर्तन का असर इसके रंगों में भी दिखता है। यह कई अलग-अलग जगहों में लाल रंग से गुलाबी रंगो में निकलता है। आम बोलचाल की भाषा में माणिक्य को माणक भी कहा जाता है और संस्कृत भाषा में इसे लोहित, पद्यराग, शोणरत्न , रविरत्न, शोणोपल, वसुरत्न, कुरुविंद आदि नामों से तथा पंजाबी में चुन्नी, उर्दू- फारसी में याकत नाम से जाना जाता है और माणिक्य को अंग्रेजी में रूबी कहते हैं। इन्हीं सब विशेषताओं के चलते इसे सूर्यरत्न भी कहा जाता है। जो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव में होता है तो उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए ताकि इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा को शांत किया जा सके और माणिक्य सूर्य के प्रभाव को शुद्ध करता है एवं जातक धन आदि की अच्छी प्राप्ति कर पाता है। माणिक्य रत्न किसी भी व्यक्ति को मान-सम्मान,पद की प्राप्ति करवाने में सहायक सिद्ध होता है और माणिक (माणिक्य) से राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिलती है। अगर माणिक पहनना लाभदायक होता है तो जातक के चेहरे पर चमक आ जाती है। इसे कुंडली के अनुसार ही धारण करने का विधान है।
शुद्धता की पहचान - पंडित अंजनी कुमार के अनुसार यदि माणिक्य की शुद्धता की जांच पड़ताल करनी हो तो माणिक्य को गाय के दूध में डाल देंने पर दूध गुलाबी रंग का दिखाई देने लगे तो वो माणिक्य शुद्ध व असली है इसके अलावा शुद्ध माणिक्य को किसी काँच के पात्र में रखने से ऐसा लगेगा कि जैसे उस पात्र में रक्तिम(लाल) किरणें फूट रही हैं।माणिक रक्तवर्धक, वायुनाशक और पेट रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। यह मानसिक रोग एवं नेत्र रोग में भी फायदा करता है। माणिक धारण करने से नपुंसकता नष्ट होती है।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार माणिक्य पहनने से पहले यह अवश्य जान लेना चाहिए कि कि दोषयुक्त माणिक्य धारण करने से वह लाभ की बजाय हानि ज्यादा करता है। इसके अलावा माणिक्य धारण से सिरदर्द, अपयश, आर्थिक नुकसान और पारिवारिक समस्याएं आदि भी पहुंचा सकता है। इसलिए इसे पहनने से पहले निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए -
रत्न ज्योतिष के अनुसार जिस माणिक्य में आड़ी तिरछी रेखाएं या जाल जैसा दिखाई दे तो वह माणिक्य गृहस्थ जीवन को नष्ट करने वाला होता है।
जिस माणिक्य में दो से अधिक रंग दिखाई दें तो जान लीजिए कि वो माणिक्य आपकी लाइफ काफी परेशानियां ला सकता है।
कहा जाता है जिस माणक में चमक नहीं होती ऐसा माणिक्य विपरीत फल देने वाला होता है। तो कभी भी बिना चमक वाला माणिक्य न पहने।
माणिक्य खरीदने से पहले देख लें कि कहीं वो माणिक्य धुएं के रंग का न हो क्योंकि धुएं के रंग के जैसा दिखने वाला माणिक्य और मटमैला माणिक्य अशुभ होने के साथ हानिकारक माना जाता है।
जिस माणिक्य में दो से अधिक रंग दिखाई दें तो जान लीजिए कि वो माणिक्य आपकी लाइफ काफी परेशानियां ला सकता है।
कहा जाता है जिस माणक में चमक नहीं होती ऐसा माणिक्य विपरीत फल देने वाला होता है। तो कभी भी बिना चमक वाला माणिक्य न पहने।
माणिक्य खरीदने से पहले देख लें कि कहीं वो माणिक्य धुएं के रंग का न हो क्योंकि धुएं के रंग के जैसा दिखने वाला माणिक्य और मटमैला माणिक्य अशुभ होने के साथ हानिकारक माना जाता है।
माणिक्य को नीलम, हीरा और गोमेद के साथ पहनना नुकसानदायक हो सकता है। माणिक्य को मोती, पन्ना, मूंगा और पुखराज के साथ पहन सकते हैं।
शनि की राशियों या लग्न में माणिक्य पहनने से पूर्व ज्योतिष की सलाह जरूर लें।
माणिक्य को लोहे की अंगुठी में जड़वाकर पहनना नुकसानदायक है।
माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है। इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए।
किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह से और जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखकर ही इसको धारण करना चाहिए।
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