google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : शरद पूर्णिमा

Friday, 30 October 2020

शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शरद पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनायी जाती है। इसे शरद पूर्णिमा के अलावा कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन शाम को मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन ने पूजा- अराधना करने वाले भक्तों पर मां लक्ष्मी कृपा बरसाती हैं। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं में होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति 16 कलाओं से युक्त होता है वो सर्वोत्तम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्‍ण ने 16 कलाओं के साथ जन्‍म लिया था। मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था।इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन खीर के भोग का भी बहुत महत्व होता है। कुछ लोग चूड़ा और दूध भी भिगोकर रखते हैं।रातभर चांदनी में रखी खीर शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।वहीं श्वांस के रोगियों को इससे फायदा होता है और साथ ही आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है।माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में कभी भी धन की कमीं नहीं रहती।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस रात में माता लक्ष्मी के आठ में से किसी भी स्वरूप का ध्यान करने से उनकी कृपा मिलती है। देवी के आठ स्वरूप धनलक्ष्मी, धन्य लक्ष्मी, राजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चांद की रोशनी में कई रोगों का इलाज करने की खासियत होती है। चंद्रमा की रोशनी इंसान के पित्त दोष को कम करती है। एग्जिमा, गुस्सा, हाई बीपी, सूजन और शरीर से दुर्गंध जैसी समस्या होने पर चांद की रोशनी का सकारात्मक असर होता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सुबह की सूरज की किरणें और चांद की रोशनी शरीर पर सकरात्मक असर छोड़ती हैं।शरद पूर्णिमा को खीर रात भर चांद की रोशनी में रखने के बाद ही खाना चाहिए। इसे चलनी से ढक भी सकते हैं। खीर में कुछ चीजों का होना जरूरी है। जैसे दालचीनी, काली मिर्च, घिसा नारियल, किशमिश, छुहारा। रातभर इसे चांदनी में रखने से रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की पुजा की विधि निम्नलिखित है-
शरद पूर्णिमा के दिन शामको स्नान करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और उन्हें लाल पुष्प, नैवैद्य, इत्र, सुगंधित चीजें चढ़ाएं। आराध्य देव को सुंदर वस्त्र, आभूषण पहनाएं। आवाहन, आसन, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित कर पूजन करें।इसके बाद माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद लक्ष्मी चालीसा या श्रीसुक्त पाठ अवश्य करें और उनकी धूप व दीप से आरती उतारें।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रात्रि के समय गाय के दूध से बनी खीर में घी और चीनी मिलाकर आधी रात के समय भगवान भोग लगाएं।रात्रि में चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर चंद्र देव का पूजन करें तथा खीर का नेवैद्य अर्पण करें। रात को खीर से भरा बर्तन चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें और सबको प्रसाद के रूप में वितरित करें। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर अवश्य रखें और अगले दिन उसे पूरे परिवार के साथ मिल बांटकर खाएं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुननी चाहिए। कथा से पूर्व एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं में पूर्ण होता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा कि किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन की चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। ब्रह्म कमल भी शरद पूर्णिमा की रात खिलता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान कई गुना फल देते हैं।इसी कारण से इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के बेहद पास होता है। जिसकी वजह से चंद्रमा से जो रासायनिक तत्व धरती पर गिरते हैं वह काफी सकारात्मक होते हैं और जो भी इसे ग्रहण करता है उसके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाती है। शरद पूर्णिमा को कामुदी महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakshatra jyotish Hub

No comments:

Post a Comment