शारदीय नवरात्रि
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार माँ देवी भगवती की विशेष पूजा और अर्चना का पर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 अर्थात कल से शुरू हो रहा है। यह पर्व 25 अक्टूबर तक चलेगा। इन नौ दिनों में मां भगवती की भक्ति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाएगा।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्र का व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा-आराधना करते हैं। दरअसल नवरात्र अंत: शुद्धि का महानतम् त्योहार है।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे। इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था।
देवी माँ दुर्गा का वाहन और उसका महत्व
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार देवी दुर्गा का वाहन तो शेर होता है। लेकिन नवरात्र में मां पृथ्वी पर दिनों के अनुसार आती हैं। मान्यता है कि देवी मां किस वाहन से आ रही हैं इसका विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है।ऐसा माना जाता है कि नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार को होती है तो इस दौरान हाथी पर सवार होकर आती है। वहीं अगर शनिवार या फिर मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ होता है तो माता डोली में सवार होकर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन मां नाव को अपनी सवारी बनाती हैं। तो इस बार नवरात्र की स्थापना 17 अक्टूबर 2020 के दिन शनिवार से हो रही हैं तो देवी मां इस बार घोड़े से आ रही हैं।कई धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। घोड़े पर माता का आगमन शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना गया है। इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ता है।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार विजयदशमी 25 अक्टूबर 2020 रविवार के दिन है।रविवार के दिन विजयादशमी होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करेगी । माता की विदाई हाथी पर होने से आने वाले वर्ष में खूब वर्षा होगी और इससे अन्न का उत्पादन अच्छा होता है।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। हम घट स्थापना कर शक्ति की देवी तथा समस्त देवी शक्तियो का आह्वान करते है।
नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी (पाटा) पर लाल वस्त्र बिछा कर मां दुर्गा और गणेश जी की मुर्ति या तस्वीर रखे। सबसे पहले गणेश जी और फिर मां दुर्गा का नाम लें।पंडित अंजनी कुमार के अनुसार कलश स्थापना के लिए एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें।
अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।अब एक नारियल को मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।अब इस कलश को धान की ढेरी बनाकर उस पर रख दे।
अब मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं। अपने कष्ट निवारण या मनोवांछित वर पाने के लिए दुर्गा सप्तशती,अर्गला स्त्रोत्र, किलक स्त्रोत्र, दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच आदि का पाठ कर सकते हैं या दुर्गा माता के नाम की माला का जाप कर सकते हैं।
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार कलश स्थापना महुर्त निम्नलिखित है-
प्रातःकाल 8:12 से 9:37 तक
दोपहर 12:00से 12:46 तक अभिजित महुर्त।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakshatra jyotish Hub
पुर्व पोस्ट
http://astroanjanikumardadhich.blogspot.com/2020/10/blog-post.html
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