google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : माँ अपराजिता का पुजन

Saturday, 24 October 2020

माँ अपराजिता का पुजन

विजयदशमी और माँ अपराजिता का पुजन 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नवरात्रि के पश्चात अश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजय का पर्व विजयादशमी मनाया जाता है। यह पर्व श्रीराम की रावण पर एवं माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है।इस दिन भगवान श्रीराम,शस्त्रों व शमी के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विजय दशमी के दिन "माता अपराजिता" का पूजन करना अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।माँ अपराजिता ही माता दुर्गा का ही अवतार हैं। रामायण की कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने लंकापति रावण से युद्ध करने के लिए माता अपराजिता का पूजन करके ही प्रस्थान किया था। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माँ अपराजिता को "यात्रा की देवी" माना गया है। समस्त यात्राओं पर अपराजिता देवी का ही अधिकार ही माना गया है। 
शास्त्रो के अनुसार माँ अपराजिता का पूजन का दोपहर के तत्काल बाद करना चाहिए।इसलिए संध्या काल के समय माता अपराजिता की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। अपराजिता पूजा करने के लिए घर के पूर्वोत्तर दिशा में कोई स्थान चुन लें। पूजा का स्थान किसी बगीचे या मंदिर के आसपास भी हो सकती है। पूजा के स्थान को साफ करें  और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र बनाएं। पुष्प तथा अक्षत के साथ अपराजिता की पूजा का संकल्प लें।इसके बाद अपराजिता की दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया शक्ति का आह्वाहन करना चाहिए। इसके बाद तीनों को प्रणाम करते हुए 'अपराजितायै नमः,जयायै नमः,विजयायै नमः’इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उनकी षोडशोपचार के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- "हे देवी अपराजिता मैंने अपनी यथाशक्ति से आपकी पूजा की है जो मैंने अपनी रक्षा के लिये की है उसे स्वीकार कीजिए। हे माँ अपराजिता जिसने कण्ठहार पहन रखा है, जिसने चमकदार सोने की करधनी पहन रखी है जो अच्छा करने की इच्छा रखती है, मुझे विजय दे।" इसके पश्चात अपरिजिता स्त्रोत्र का पाठ करना चाहिए और इसके बाद देवी का विसर्जन करना चाहिए। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विजयदशमी के दिन माँ अपराजिता के पूजन करने से वर्ष भर कार्य आसानी से निर्विघ्न संपन्न होते है और शत्रु परास्त होते है। 
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakashtra Jyotish Hub 

No comments:

Post a Comment