सूर्य कवच
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार रविवार के दिन सुबह पहले उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के पश्चात सूर्योदय के समय भगवान सूर्य का कुंकुम,अक्षत, रोली,मोदी, और पुष्प आदि से पुजन कर अर्घ्य देने के बाद याज्ञवल्क्य द्वारा रचित सूर्य कवच का पाठ करने से व्यक्ति की समस्त कष्टों का शमन होता है साथ ही व्यक्ति की यश, कीर्ति फैलती है।सूर्य कवच के पाठ करने से साधक को शारीरिक स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के कैरियर, कारोबार, आत्मविश्वास एवं सम्मान में वृद्धि होती है।
सूर्य कवच
।। अथ श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं॥
ध्यान
रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।
पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः
माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥
श्री सूर्यप्रणामः
जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥
याज्ञवल्क्य उवाच
श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥ १॥
दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥२ ॥
शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥
घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥ ४ ॥
स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥५ ॥
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥६ ॥
सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः।
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥ ७ ॥
॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥
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लेखक परिचय- Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
( कुंडली विश्लेषक वास्तुविद एवं अंक ज्योतिषी)
panditanjanikumardadhich@gmail.com
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