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Sunday, 28 February 2021

फाल्गुन मास और त्योहार

फाल्गुन मास और त्योहार
प्रिय पाठकों, 
28 फरवरी 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज फाल्गुन मास और इसकेे त्योहारों के बारे में यहाँ सुक्ष्म जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विक्रमी संवत (भारतीय हिन्दू वर्ष) का आखिरी महीना फाल्गुन मास होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इसे फाल्गुन कहा जाता है। फाल्गुन का महीना खुशियों व उल्लास का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि फाल्गुन महीना ग्रीष्म ऋतु यानी गर्मी के आगमन का संकेत देता है।इस माह में कई मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें से मुख्य होली, महाशिवरात्रि, फुलेरा दूज, फाल्गुन पूर्णिमा, फाल्गुन अमावस्या और आमलकी एकादशी हैं। फाल्गुन माह 28 फरवरी से 28 मार्च तक रहेगा। 
इस महिने के दौरान भगवान शिव, श्री कृष्ण, विष्णु व चंद्र देव की भी पूजा करने का विशेष महत्व होता है।फाल्गुन माह के दौरान माता सीता की भी पूजा की जाती है। 
❁महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का दिन होता है। महाशिवरात्रि में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाने चाहिए। 
❁पूरे फाल्गुन महीने में श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है। फाल्गुन माह में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और उनके बालरुप की पुजा के लिए फल फूल अबीर एवं गुलाल से पूजन करना चाहिए।फाल्गुन माह मे पर्व मनाया जाता है जिसे फुलेरा दूज कहा जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण कई शादियां होती है। 
❁फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक रुप में भारत में होली मनाई जाती है। इस दिन लोग गींदड़ और गैर नृत्य करते हुए एक दूसरे को गुलाल एवं रंग लगाते है और इसकी शुरुआत में देवी देवताओं को अबीर और गुलाल जरूर अर्पित करना चाहिए। ❁आर्थिक सुख समृद्धि एवं दांपत्य सुख लिए माता पार्वती, मां लक्ष्मी एवं माता सीता की उपासना करना भी बेहद शुभ माना गया है। उन्हें लाल रंग की चीजें एवं सुहाग की चीजें अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294

Thursday, 25 February 2021

गुरु पुष्य योग

गुरु पुष्य योग और इसके उपाय
प्रिय पाठकों, 
25 फरववरी 2021,बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गुरु पुष्य योग और इसके उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ब्रह्माण्ड में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ और मांगलिक माना गया है और पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। यह नक्षत्र इतना शुभ है कि जिस दिन यह नक्षत्र पड़ रहा हो उस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार को पड़ता है तब इसे गुरुपुष्य योग के नाम से जाना जाता है। 25 फरवरी 2021 गुरुवार को गुरु पुष्य योग बन रहा है जो कि इस साल का दूसरा गुरु पुष्य योग है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवताओं के गुरु बृहस्पति देव हैं। इस दिन पूजा पाठ के अलावा खरीददारी करना भी बेहद शुभ माना जाता है। गुरुवार और पुष्य नक्षत्र से बनने वाले यह संयोग कई शुभ योग भी अपने साथ लेकर आ रहा है। इस दिन चंद्रमा अपनी ही राशि कर्क में रहने वाले हैं। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि नामक योग भी बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्व कई गुणा और बढ़ जाता है। इस दिन रवि योग के साथ अमृत योग भी रहेगा। एक दिन में इन सभी दुर्लभ योगों का एक साथ आना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।गुरुवार को दिन भगवान विष्णु के साथ बृहस्पति देव की भी पूजा की जाती है जिन्हें सुख, वैभव और धन प्रदान करने वाला माना जाता है और इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। इसलिए गुरुपुष्य योग पर शनिदेव और बृहस्पति देव दोनों का प्रभाव रहता है और दोनों के बीच समभाव भी रहता है। शुभ योग के बीच दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सबसे अच्छा दिन रहेगा। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए और उनके उपाय से अपनी सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए खास माना गया है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में यह बेहद दुर्लभ और श्रेष्ठतम योगों में से एक माना गया है। इस दिन नई वस्तु, जमीन-मकान की खरीददारी, वाहन, स्वर्ण आभूषण आदि खरीदने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन अगर नया व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं। इस योग में किया गया धन का निवेश या फिर नया काम धंधा हमेशा फायदा देता है। हालांकि इस योग में विवाह संस्कार जैसे कार्य नहीं किए जाते क्योंकि इस योग ब्रह्माजी का शाप भी मिला हुआ है।
गुरुपुष्य योग के मुहूर्त निम्नलिखित है-
❃गुरु पुष्य योग – सुबह 06 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 01 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
❁सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग – सुबह 06 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 01 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
❁रवि योग – दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ होगा और अगली सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
❁अमृत काल – सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगा और 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुरु पुष्य योग के दिन निम्नलिखित उपाय कर धन धान्य ऐश्वर्य यश, और कीर्ति को प्राप्त किया जा सकता है -
❁गुरु पुष्य योग के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए और धन संबंधित समस्या को खत्म करने के लिए लक्ष्मी नारायण की पूजा करें। पूजा में ‘ओम श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:’ मंत्र का कमलगट्टे की माला के साथ 108 बार जप करें। इस शुभ योग में इस लक्ष्मी मंत्र जप करने से धन प्राप्ति का योग बनने लगते हैं।
❁गुरु पुष्य योग के दिन घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। 
❁इस शुभ योग में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करें और इस शंख से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पानी एवं दुध मिलाकर अभिषेक एवं पूजा करे तथा लक्ष्मीनारायण स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में प्रगति होती है। 
❁गुरु पुष्य योग वाले दिन धन-धान्य में वृद्धि के लिए अपने घर के पुजाघर में श्रीयंत्र की स्थापना कर लक्ष्मी स्त्रोत और कनकधारा स्तोत्र का भी पाठ करना चाहिए। यह पाठ कल्याणकारी माना गया है। इन स्तोत्र के मात्र पढ़ने और सुनने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और आपके आसपास एक सकारात्मक ऊर्जा का चक्र बन जाता है। नियमित इनका पाठ करने से वैभव व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेमभाव बन रहता है। इनका पाठ करने से शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है।इससे ना केवल शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है बल्कि माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है और ऐशवर्य में भी वृद्धि होती है।
 ❁माँ लक्ष्मी श्री सूक्त के पाठ से भी अति प्रसन्न होती है। जो जातक पुष्य नक्षत्र के दिन श्री सूक्त एवं श्री महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करते है करते है माँ लक्ष्मी की उस घर परिवार पर पीढ़ियों तक कृपा बनी रहती है और वह जातक इस जन्म में तो ऐश्वर्य का भोग करता ही है इस पुण्य के कारण अगले कई जन्मो तक भी उस धन की कोई भी कमी नहीं रहती है।
❁कार्यस्थल जैसे दुकान या व्यापार क्षेत्र में पारद लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करने से धन व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से कारोबार में तेजी आती है और आर्थिक संकट दूर होता है। नौकरी प्राप्त करने के लिए या फिर नौकरी में तरक्की के लिए गुरु पुष्य योग में पारद लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं। 
❁गुरु पुष्य योग के दिन व्यापारिक क्षेत्र या दुकान में एकाक्षी नारियल की स्थापना कर उसकी पूजा कर सकते हैं। एकाक्षी नारियल को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इस नारियल की विधि पूर्वक पूजा करने के बाद धन के स्थान पर रखने से घर या व्यापार में कभी पैसे की कमी नहीं रहती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
❁गुरु पुष्य योग के दिन आप मां लक्ष्मी के चमत्कारिक कनकधारा स्तोत्र और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। कनकधारा स्तोत्र के रचियता आदि शंकराचार्य हैं। उन्होंने इस स्तोत्र का पाठ करने से धन की वर्षा करवा दी थी। नियमित इस दोनों का पाठ करने से वैभव व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है।
❁गुरु पुष्य योग के दिन सियार सिंगी, हत्थाजोडी और बिल्ली की जर आदि को मां लक्ष्मी का रुप मानकर विधीवत पुजन अर्चन करना चाहिए। 
❁गुरु पुष्य योग के दिन पांच गोमती चक्र, पांच धनकोड़ी, पांच साबूत हल्दी गांठ, पांच साबूत नमक की डली, थोड़ा हरे मुंग, थोड़े साबूत धनियां एक लाल कपड़े में लेकर उसकी पोटली तैयार कर मां लक्ष्मी की मूर्ति के समक्ष रखकर विधीवत पुजन कर उस पोटली को तिजोरी या गल्ले में रखे। जिससे अक्ष्क्षुण लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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Tuesday, 23 February 2021

बुध प्रदोष व्रत के बारे में

बुध प्रदोष व्रत के बारे में

प्रिय पाठकों, 
23 फरववरी 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज बुध प्रदोष व्रत के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए किया जाने वाला व्रत है। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष का यह व्रत हर माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख, शांति और खुशहाली हमेशा बनी रहती हैं।  इस बार प्रदोष के व्रत तारीख 24 फरवरी बुधवार को रखा जाएगा। माना जाता है कि बुधवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत व्यक्ति को बुध ग्रह की शुभता प्रदान करता है।
किसी भी बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष कहते हैं। वैसे प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। पर यह दोष व्रत बुधवार के दिन आए तो बुध-प्रदोष का शुभ संयोग बन जाता है।
बुध प्रदोष व्रत विशेषकर अपनी संतानों की खुशहाली, सर्वत्र रक्षा और उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है।  बुधवार भगवान श्रीगणेशजी का भी दिन है। इसलिए इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर शिव-गणेश की पूजा करता है। उसकी संतानें हमेशा खुशहाल रहती हैं। भगवान शिव उनकी रक्षा करते हैं और श्रीगणेश उन्हें अच्छी बुद्धि प्रदान करते हैं। जिन लोगों की संतानें गलत रास्ते पर चल पड़ी हैं या जिनकी संतानों को कोई गंभीर रोग है तो उन्हें बुध प्रदोष व्रत करके शिव-गणेश की पूजा अवश्य करना चाहिए।बुध प्रदोष का व्रत करके जीवन में धन की वृद्धि की जा सकती है और सभी रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। बुध प्रदोष व्रत करके भगवान गणेश की विशेष कृपा से हर कार्य का विघ्न भी दूर होता है। 
किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुध प्रदोष व्रत के लाभ निम्नलिखित हैं-
❁बुध प्रदोष व्रत खासतौर पर संतान की कुशाग्र बुद्धि और उनकी रक्षा के लिए किया जाता है।
❁जो बच्चे मंदबुद्धि हैं या जिनका मन पढ़ाई में नहीं लगताहै या जो बच्चे अच्छे अंक नहीं ला पाते है तो उनके माता-पिता दोनों को यह व्रत करना चाहिए।
❁जिन दंपती के बच्चे गलत संगत में पड़ गए हैं और उनका कहना नहीं मानते हैं। नशे के आदी हो गए हैं तो उन्हें भी बुध-प्रदोष व्रत करना चाहिए।
❁जिन दंपती के बच्चों को कोई गंभीर रोग है या बार-बार बीमार पड़ते हैं उन्हें बुध प्रदोष जरूर करना चाहिए।
❁बच्चों की जन्मकुंडली के लग्न स्थान में यदि पापी ग्रह बैठे हों तो वे अक्सर बीमार रहते हैं तो ऐसे बच्चों के माता-पिता को यह व्रत करना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुध प्रदोष के दिन घर के कष्टों को दूर करने का निम्नलिखित उपाय करे-
शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल में कच्चा दूध मिलाकर अभिषेक करें और तिल के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं और ओम् नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके अलावा बुध प्रदोष के दिन ही घर में लाल रंग के भगवान गणेश की पूर्व दिशा में स्थापना कर बुध प्रदोष के दिन से लेकर लगातार 27 दिनों तक उन्हें रोजाना लाल गुड़हल के 11 फूल और हरी दूर्वा की पत्तियां अर्पित कर "ओम् वकतुण्डाय हुम्" मंत्र की एक माला का जाप लाल चंदन की माला से करें और इस दौरान रोज प्रभु से घर के संकट दूर करने के लिए प्रार्थना करें। जाप पूर्ण होने के बाद जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। 
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Wednesday, 17 February 2021

शयनकक्ष के लिए प्रभावी टिप्स

शयनकक्ष के लिए प्रभावी टिप्स
प्रिय पाठकों, 
17 फरववरी 2021,बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज शयनकक्ष के लिए प्रभावी उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हर घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है उस घर का शयनकक्ष या बेडरूम 
क्योंकि यहीं लोग आराम करते हैं और अपने जीवन से जुड़े निजी अनुभव शेयर करते हैं। इंसान के जीवन का एक बहुत बड़ा समय बैडरूम में ही गुजरता है। लेकिन कई बार पलंग के वास्तु विपरीत होने के कारण इसका असर व्यक्ति की कार्यक्षमता और लव लाइफ पर भी पड़ जाता है। यदि वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पति-पत्नी का जीवन स्वास्थ्यपूर्ण व खुशहाल हो सकता है।अतः मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज कुछ शयनकक्ष से सम्बन्धित वास्तु टिप्स की जानकारी दे रहा हूँ जो सुखी और स्वस्थ जीवन दे सकती है। यह निम्नलिखित हैं-
❁अपने बेडरूम में गोल या अंडाकार शेप का बेड न रखें।बेडरूम में बेड(पलंग)आकार में धनुषाकार, अर्धचंद्राकार या वृत्ताकार नहीं होना चाहिए। बेड (पलंग) आयताकार, चौकोर होना ही वास्तु में शुभ माने गए हैं।
❁बेड में हमेशा सिर टिकाने की जगह होनी चाहिए। 
❁कभी भी बेड को बीम के नीचे नहीं लगाना चाहिए। बीम अलगाव का प्रतीक होता है। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो बीम के नीचे बांसुरी या विंड चाइम लटका देना चाहिए।
❁वास्तु के अनुसार बेडरूम में आईना नहीं होना चाहिए। यदि है तो सोते वक्त उसे ढककर अवश्य रखें।
❁वास्तु दोष से बचने के लिए कमरे में लाइट बहुत तेज नहीं होनी चाहिए और न ही पलंग पर सीधा प्रकाश पड़ना चाहिए। प्रकाश हमेशा पीछे या बाई ओर से आना चाहिए।
❁वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण या पूर्व दिशा में सिर करके सोएं ताकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के अनुसार आप दीर्घायु और गहरी नींद प्राप्त कर सकें।
❁शयनकक्ष में बहती नदी या झरने की तस्वीरें, नुकीले बर्फ के पहाड़ या एक्वेरियम कभी न रखें।
❁पूर्वजों की तस्वीरें दीवार पर टंगी हुई नहीं होनी चाहिए।
बेडरूम में मंदिर न रखें।
घर से टूटी हुई चीजों को बाहर फेंक दें।
❁अगर इस्तेमाल में न हो तो अटैच टॉयलेट का दरवाजा बंद रखें।
❁फर्श को सप्ताह में एक बार पानी में समुद्री नमक घोलकर साफ करें क्योंकि यह नकारात्मक ताकतों को दूर करता है।
❁लकड़ी के बेड सबसे अच्छे होते हैं जहां तक मुमकिन हो लोहे के बेड से परहेज करे। 
❁सोते वक्त कभी भी अपने सिर के पीछे की खिड़की खोलकर न सोएं। 
❁बेडरूम में ऐसे दरवाजे नहीं होने चाहिए जो चरचर या किसी अन्य तरह की आवाज करें अगर ऐसा है तो बेडरूम के दरवाजे को जितनी जल्दी हो सके उन्हें ठीक करा लें। 
❁बेडरूम में डबल बेड पर भी सिंगल मैट्रेस बिछाएं, खासकर तब जब यह किसी कपल का बेड हो.
❁अगर अलमारी है तो उसे साउथ/वेस्ट दीवार पर रखें। ❁दक्षिण/ पश्चिम की दीवारें आपके बिस्तर को रखने के लिए सबसे अच्छी हैं। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो दीवार और बिस्तर के बीच चार इंच की दूरी सुनिश्चित करें। 
❁बच्चों के लिए साउथ-वेस्ट में बेडरूम सबसे अच्छा है। 
❁बेडरूम की दीवारों के लिए मिट्टी के रंग जैसे बादामी शेड अच्छे हैं। 
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Tuesday, 16 February 2021

बसंत पंचमी

विश्वविजय सरस्वती कवच
पंडित अंजनी कुमार के अनुसार बसंत पंचमी के दिन विश्वविजय सरस्वती कवच का पाठ करने से साधक में अद्भुत शक्तियों का संचार होता है तथा जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। अत: देवी सरस्वती के इस विश्वविजय सरस्वती कवच का पाठ नित्य प्रातः जरूर करना चाहिए।भगवती सरस्वती के इस अद्भुद विश्वविजय कवच को धारण करके ही व्यास, ऋष्यंश्रृंग,भरद्वाज, देवल और जैगीषव्य आदि ऋषियों ने सिद्धि पाई थी। मां सरस्वती की उपासना काली के रूप में करके ही कविकुलगुरु कालिदास ने ख्याति पाई।
🍂🍂विश्वविजय सरस्वती कवच🍂🍂
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श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वत:।
श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदावतु।।
ऊं सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्र पातु निरन्तरम्।
ऊं श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदावतु।।
ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोवतु।
ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदावतु।।
ऊं श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्ती: सदावतु।
ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदावतु।।
ऊं श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदावतु।
श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्ष: सदावतु।।
ऊं ह्रीं विद्यास्वरुपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्।
ऊं ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदावतु।।
ऊं सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदावतु।
ऊं रागधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदावतु।।
ऊं सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदावतु।
ऊं ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्निदिशि रक्षतु।।
ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।
सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदावतु।।
ऊं ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैर्ऋत्यां मे सदावतु।
कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।
ऊं सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदावतु।
ऊं गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेवतु।।
ऊं सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदावतु।
ऊं ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोध्र्वं सदावतु।।
ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाधो मां सदावतु।
ऊं ग्रन्थबीजरुपायै स्वाहा मां सर्वतोवतु।।
(ब्र. वै. पु. प्रकृतिखंड 4/73-85)
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Sunday, 14 February 2021

बसंत पंचमी और उसके उपाय

बसंत पंचमी और उसके उपाय
प्रिय पाठकों, 
14 फरववरी 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज बसंत पंचमी और उसके उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में बसंत पंचमी पर्व का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी के दिन को ज्ञान की देवी माता सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रुप में माना जाता है और माँ सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनसे विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है।
इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी दिन मंगलवार को रेवती नक्षत्र में मनाई जाएगी। बसंत पंचमी को शुभ कार्य, शादी-विवाह और सभी मांगलिक कार्यो के स्वयं सिद्ध या अबुझ महुर्त माना जाता है। इस बार बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र में मनाई जा रही है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पंचांग की कालगणना के आधार पर 16 फरवरी 2021 को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। इस दिन 11.30 से 12.30 के बीच माँ सरस्वती के पुजन का अच्छा मुहूर्त है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बसंत पंचमी पूजा विधि निम्नलिखित हैं- 
❃ इस दिन लोगों को सुबह सवेरे स्नान करके पीले वस्त्र पहनकर माँ सरस्वती की अराधना करना भी उत्तम रहता है। अतः सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यो से निवृत्ति के पश्चात स्नान करके पीले वस्त्र धारण करे और माँ सरस्वती की पुजा के लिए माँ सरस्वती की मूर्ति का पंचामृत(दूध,दही,घी,शक्कर,शहद आदि) से अभिषेक करे। 
❃ इसके पश्चात माँ सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन,अक्षत पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 
❃ इन के बाद माँ सरस्वती की पूजा के पश्चात वाद्य यंत्र और किताबों की पुजा भी करें। 
❃ माँ सरस्वती की वंदना अथवा पाठ करें। 
 इस दिन विद्यार्थीयों को माँ सरस्वती के लिए व्रत भी रखना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बंसत पंचमी के निम्नलिखित उपायों का उपयोग कर जीवन में आने वाले कष्ट और अज्ञान रूपी अंधकार को दूर किया जा सकता है-
❁ अगर किसी विद्यार्थी का पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो उन्हें बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती के "ओम् ऐं ह्रीं क्लीं महा सरस्वत्यै नम:”अथवा "ओम् सरस्वत्यै नम:" मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य ही करना चाहिए।
इससे बुद्दि का विकास होता है, ज्ञान, यश की प्राप्ति होती है। 
❁ यदि कोई व्यक्ति संगीत के क्षेत्र में सफल होना चाहता है तो उसे माँ सरस्वती का ध्यान करके ‘ह्रीं वाग्देव्यै ह्रीं ह्रीं’ मंत्र का जाप करना चाहिए और बसंत पंचमी के दिन कटु वाणी से मुक्ति हेतु एवं वाणी में मधुरता लाने के लिए देवी सरस्वती पर चढ़ी शहद को नित्य प्रात: सबसे पहले थोड़ा से अवश्य चखना चाहिए साथ ही उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें। 
❁बसंत पंचमी के दिन किसी भी असाध्य कार्य पूरा करने हेतु देवी सरस्वती पर मोर पंख चढ़ा कर उस मोरपंख को तिजोरी में छुपाकर रखना चाहिए।
बंसत पंचमी के दिन से नित्य प्रातः विद्यार्थियों को अपने मस्तक पर केसर अथवा पीले चंदन का त‌िलक करना चाहिए इससे ज्ञान और धन में वृद्धि होती है।
❁ बसंत पंचमी में आप अपने व्यापारिक साझेदार या पार्टनर को कलम,फूलों का गुलदस्ता,खूबसूरत फोटो फ्रेम जिसमें आप दोनों का हँसता-मुस्कुराता फोटो लगा हो उपहार में देना चाहिए जिससे आप दोनों की साझेदारी और भी प्रगाढ़ होगी। 
❁ अगर किसी भी न्यायिक मामलों, पति-पत्नी संबंधी विवादों या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से झुंड रहा है तो उसके समाधान हेतु दुर्गा सप्तशती में वर्णित ‘अर्गला स्तोत्र’ और ‘कीलक स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए और किसी भी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को श्वेत वस्त्र का दान करने से लाभ होगा।
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Tuesday, 9 February 2021

गुप्त नवरात्रि के उपाय

माघ मास गुप्त नवरात्रि के उपाय
प्रिय पाठकों, 
09 फरववरी 2021,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज माघ मास के गुप्त नवरात्रा के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस वर्ष 12 फरवरी 2021 शुक्रवार के दिन से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होने जा रही है। नवरात्रि के यह नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं लेकिन साल की दो नवरात्रि को ही अधिकांश लोग जानते है जो चैत्र और शारदीय नवरात्र कहलाते है वहीं, इन दो नवरात्र के अलावा भी दो नवरात्र होते है जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है यह गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ मास में आते हैं।माघ महीने में पड़ने के कारण इन नवरात्र को माघी नवरात्र भी कहा जाता है। 
हिन्दू कलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक माघ गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं। ये नवरात्रि भी नॉर्मल नवरात्रियों की तरह नौ दिन ही मनाई जाती हैं। गुप्त नवरात्रियों में मां भगवती की पूजा की जाती है। जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुप्त नवरात्रि स्थापना के मुर्ख निम्नलिखित हैं-
नवरात्र प्रारंभ 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार
नवरात्रि समाप्त 21 फरवरी 2021 दिन रविवार
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माघ नवरात्री उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है।आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में लोकप्रिय है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपाय करने चाहिए - 
❁संतान प्राप्ति के लिए- गुप्त नवरात्रि के दौरान संतान प्राप्ति के लिए 9 दिन मां दुर्गा को पान का पत्ता अर्पित करना चाहिए। पान का पत्ता कटा-फटा नहीं होना चाहिए। पूजा के दौरान नन्दगोपगृह जाता यशोदागर्भ सम्भवा ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी मंत्र का जाप करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।
❁नौकरी की समस्या के लिए- नौकरी या जॉब में किसी तरह की समस्या आ रही है तो गुप्त नवरात्रि के दौरान 9 दिन तक मां दुर्गा को बताशे पर रखकर लौंग अर्पित करनी चाहिए। इस दौरान "सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित: मनुष्यो मत्प्रसादेने भविष्यति ना संशय:।" मंत्र का जाप करना चाहिए। 
❁खराब सेहत के लिए- खराब सेहत से छुटकारा पाने के लिए 9 दिन तक देवी मां को लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए। इस दौरान "ओम् क्रीं कालिकायै नम:" मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति स्वस्थ होता है।
❁कर्ज से मुक्ति पाने के लिए- कर्ज या किसी वाद-विवाद से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इसके लिए 9 दिन तक देवी मां के सामने गुग्गल की सुगंध वाला धूप जलाएं। ऐसा करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दौरान "ओम् दुं दुर्गाय नम:" मंत्र का जाप करना चाहिए।
❁विवाह के लिए- अगर विवाह में कोई बाधा आ रही है तो पूरे 9 दिन पीले फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। 
दुर्गा सप्तशती,अर्गला स्त्रोत्र, कीलक स्त्रोत्र, देवी कवच, दुर्गा चालीसा के पाठ और "ओम् ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम:" की माला का जाप करेंगे तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होगा। 
इस गुप्त नवरात्रि में एक छोटा सा उपाय जरुर करे जिसके परिणामस्वरूप माता हमारे कष्ट जरूर हर लेगी। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कोई भी पेड़ (वटवृक्ष, बिल्व वृक्ष,अशोका वृक्ष केले का वृक्ष या पिपल वृक्ष आदि) का एक पता लेकर उसे साफ पानी से धोकर अनार वृक्ष की कलम से केसर के द्वारा उस पते पर "ह्रीं " लिखे और माता जी के चरणों में रखकर "ओम् दुं दुर्गाय: नम:" की 5 या 11 माला का जाप नित्य करे और नवमी तिथि तक यह प्रक्रिया दोहराते रहे बाद में सभी पतों को इकट्ठा करके बहते हुए जल या कोई भी पवित्र वृक्ष की जड़ो में विसर्जित कर दे । इसका लाभ अवश्य मिलेगा। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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