google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : June 2020

Tuesday, 30 June 2020

Vastu Remedies

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर उल्लू को घर के पश्चिम क्षेत्र में रखते हैं तो इससे आपकी दुरदृष्टि तेज, मष्तिष्क के मनोभावों को पढ़ने की क्षमता और धन एवं समृद्धि में वृद्धि में मदद करता है।  
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर अपने भवन के वेस्ट साउथ वेस्ट क्षेत्र में नंदीश्वर की पीतल मूर्ति रखेंगे तो आप अपने व्यवसाय को अप्रत्याशित आपदा या खतरे के खिलाफ सुरक्षित कर उन्नति विश्वास और ईमानदार के साथ व्यवसाय को आगे बढा सकते हैं। 
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 घर या आफिस के उत्तर पश्चिमी दिशा में  आर्टिफिशियल घोड़े का जोड़ा रखें अगर आप कर्ज सेे परेशान है। 
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर आप कोई भी सरकारी अनुबंध प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने घर या कार्यालय के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में अशोक स्तंभ का स्टेच्यु रखें या उसकी तस्वीर लगाएं।
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Monday, 29 June 2020

विद्यार्थी और अध्ययन कक्ष

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर कोई भी विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो उसे उत्तर क्षेत्र में बैठकर अध्ययन करना चाहिए।
 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बच्चो के कमरे की दिवारे हल्के रंग या हरे रंग की हो जो बच्चो की कल्पनाशीलता, ताजगी और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायता होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अध्ययन में वास्तु के हिसाब से सपोर्ट के लिए पढ़ाई करते समय पीठ के पीछे एक ठोस दीवार होनी चाहिए।

Wednesday, 24 June 2020

सफलता पाने के उपाय

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर कभी भी आपके द्वारा किए गए सफलता के सारे प्रयास व्यर्थ जा रहे है तो अपने घर के पश्चिम वास्तु जोन से लाल रंग का कोई भी वस्तु हो तो उसे हटाने पर आपके द्वारा की गई कोई प्रयास बेकार नहीं जाता है। 
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यदि आपके रास्ते में नहीं आ रहे हैं या आपके हाथों से बच रहे हैं तो अपने घर में देखें और अपने घर में उत्तर दिशा से लाल रंग को हटा दें
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर आप कोई भी सरकारी अनुबंध प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने घर या कार्यालय के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में अशोक स्तंभ का स्टेच्यु रखें या उसकी तस्वीर लगाएं।
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Sunday, 21 June 2020

गुप्त नवरात्रि

 गुप्त नवरात्र



जैसा कि सभी जानते है कि हर काली रात के पश्चात एक उजला सवेरा आता है वैसे ही इस कंकणावृति सूर्य ग्रहण की नकारात्मक उर्जा की कालीमा को कुछ हद तक गुप्तनवरात्रि के उपाय कर कम जरूर किया जा सकता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार 21 जून रविवार को आषाढ़ मास की अमावस्या है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी होगा। इसके बाद सोमवार 22 जून से 29 जून तक आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र रहेगी। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माघ नवरात्री उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है।आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में लोकप्रिय है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अब की बार गुप्त नवरात्रि के पहले तीन दिन बेहद विशेष है क्योंकि 22जून सोमवार को प्रतिपदा है और 23जून मंगलवार और 24 जून बुधवार को पुष्य नक्षत्र भी है। दुर्गा सप्तशती,अर्गला स्त्रोत्र, कीलक स्त्रोत्र, देवी कवच, दुर्गा चालीसा के पाठ और "ओम् ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम:" की माला का जाप करेंगे तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होगा। 
इस गुप्त नवरात्रि में एक छोटा सा उपाय जरुर करे जिसके परिणामस्वरूप माता हमारे कष्ट जरूर हर लेगी। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कोई भी पेड़ (वटवृक्ष, बिल्व वृक्ष,अशोका वृक्ष केले का वृक्ष या पिपल वृक्ष आदि) का एक पता लेकर उसे साफ पानी से धोकर अनार वृक्ष की कलम से केसर के द्वारा उस पते पर "ह्रीं " लिखे और माता जी के चरणों में रखकर "ओम् दुं दुर्गाय: नम:" की 5 या 11 माला का जाप नित्य करे और नवमी तिथि तक यह प्रक्रिया दोहराते रहे बाद में सभी पतों को इकट्ठा करके बहते हुए जल या कोई भी पवित्र वृक्ष की जड़ो में विसर्जित कर दे । इसका लाभ अवश्य मिलेगा। 
Pandit Anjani kumar Dadhich
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Friday, 19 June 2020

राशि ज्ञान

बेसिक ज्योतिष: राशियों का ज्ञान

प्रिय पाठकों, 
10 जनवरी 2021,रविवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज ज्योतिषीय राशियों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिष में राशियों की महता सर्व विदित है। राशियों के ज्ञान के बिना ज्योतिष का ज्ञान अधूरा है। राशियों को भलीभाँति समझकर ही ज्योतिष को सम्पूर्णता में जाना जा सकता है। अब इस राशियों से सम्बंधित ज्ञान को सरलता से जान लेना चाहिए। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार साठ विकला की एक कला, साठ कला का एक अंश, तीस अंशों की एक राशि बनती है। ये राशियाँ बारह होती है जो एक भचक्र का निर्माण करती है। बारह राशियों के नाम निम्नलिखित हैं (1) मेष (2) वृष (3)मिथुन (4)कर्क (5)सिंह (6)कन्या (7)तुला (8)वृश्चिक (9)धनु (10)मकर (11)कुम्भ और (12)मीन। 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सताइस नक्षत्रों में प्रत्येक के चार चरण होतें हैं जिनका योग एक सो आठ चरण होता है। इनसे ही बारह राशियाँ बनती है अर्थात नौ चरण की एक राशि होती है। इसी प्रकार सवा दो नक्षत्र की एक-एक राशि बनती है जिनकी अश्विनी नक्षत्र से गणना प्रारंभ करके देखते हैं। 
राशि  - नक्षत्र चरण 
मेष  - अश्विनी 4चरण, भरणी4चरण,                                     कृतिका का 1चरण। 
वृष -कृतिका 3 चरण, रोहिणी4 चरण,                                मृगशिरा 2चरण। 
मिथुन - मृगशिरा 2 चरण, आद्रा 4 चरण,                                 पुनर्वसु 3 चरण। 
कर्क- पुनर्वसु 1 चरण, पुष्य 4 चरण,                                       अश्लेखा 4चरण। 
सिंह -मघा 4 चरण, पूर्वा फाल्गुनी4                                      चरण, उत्तरा फाल्गुनी 1 चरण।
कन्या- उ. फा.3 चरण, हस्त4चरण,                                        चित्रा 2 चरण। 
तुला-चित्रा 2 चरण, स्वाति 4 चरण,                                        विशाखा 3 चरण।
वृश्चिक - विशाखा 1चरण,अनुराधा 4 चरण, ज्येष्ठा 4                     चरण। 
धनु - मूल 4 चरण, पुर्वाषाढा 4 चरण, उतराषाढा 1                 चरण। 
मकर - उत्तराषाढा 3चरण, श्रवण 4चरण, धनिष्ठा 2                                                                      चरण। 
कुम्भ - धनिष्ठा 2 चरण, शतभिषा 4 चरण, पूर्व भाद्रपद                                                               3 चरण। 
मीन - पू.भा 1चरण, उत्तर भाद्रपद 4 चरण, रेवती 4                                                                   चरण। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ज्योतिष के पूरोधा विद्वानों ने प्रत्येक नक्षत्र के चरण अनुसार अक्षरो की परिकल्पना कर एक शतपद चक्र का निर्माण किया और प्रत्येक अक्षर के साथ पांच स्वरो(अ,इ,उ, ए, ओ) के योग से नक्षत्र चरणों में अक्षरों का न्यास किया गया। 
शतपद चक्र को ही "अबकहडा़ चक्र" कहते हैं। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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नक्षत्र ज्योतिष हब
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Wednesday, 17 June 2020

माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए चमत्कारी मन्त्र

माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए चमत्कारी मन्त्र 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माता दुर्गा की कृपा प्राप्ति का का सबसे सरल उपाय दुर्गा सप्तशती का पाठ है। नवरात्र में माँ के कलश स्थापना के साथ शतचंडी, नवचंडी, दुर्गा सप्तशती, देवी अथर्वशीर्ष आदि का पाठ किया जाता है। दुर्गा सप्तशती महर्षि वेदव्यास रचित मार्कण्डेय पुराण के सावर्णि मन्वतर के देवी महात्म्य के सात सौ श्लोक का एक भाग है। 
दुर्गा सप्तशती में कुछ ऐसे परम शक्तिशाली और दुर्लभ स्तोत्र एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत पारायण से मनुष्य की समस्त इच्छित मनोकामना की अवश्य ही पूर्ति होती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार साधक को अपनी आवश्यकता के अनुसार माँ के दिव्य मन्त्र का चयन करके नित्य उसकी 5 माला या कम से कम एक माला का जाप तो अवश्य करना ही चाहिए । 9414863294
जीवन में सर्वकल्याण एवं शुभ फलो की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मन्त्र:-
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥  
जीवन में किसी भी तरह की बाधा से मुक्ति एवं सुख समृद्धि एवं योग्य संतान की प्राप्ति के लिए :-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
जीवन में सर्वबाधा की शांति के लिए :-
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।। 
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए चमत्कारिक मन्त्र इस दिव्य मंत्र को देवी दुर्गा ने स्वयं देवताओं को दिया है:-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ 
माँ के चरणो में स्थान पाने के लिए मोक्ष प्राप्ति के लिए:-
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या।
विश्वस्य बीजं परमासि माया।।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्।
त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।। 
जीवन में शक्ति एवं सम्पन्नता प्राप्ति के लिए :-सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।। 
सभी प्रकार के संकटो से रक्षा का मंत्र:-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।। 
समस्त रोगो के नाश के लिए चमत्कारी मंत्र:- 
रोगान शेषान पहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति।। 
समस्त दु:ख और दरिद्रता के नाश के लिए:-
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:।
स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।
द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकारणाय सदाह्यह्यद्र्रचिता।। 
जीवन में सभी तरह के सुख सौभाग्य, ऐश्वर्य, आरोग्य, धन संपदा एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष के लिए - 
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ 
किसी भी तरह के भय के नाश के लिए दुर्गा मंत्र :- 
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यास्त्रहिनो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते।। 
स्वप्न में अपने कार्यों के फलो को जानने के लिए मन्त्र :-दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके।
मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय।। 
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पेड़ पौधों का ज्योतिषिय एवं वास्तु अनुसार लाभ

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर आप घर में धन की आमद बढाना चाहते हैं तो नार्थ(उत्तर) क्षेत्र में फुलों को रखना लाभकारी होता है। 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नागकेशर का पौधा किसी शुभ मुहूर्त में लाकर घर में लगाए तथा नियमित रुप से उसकी देखभाल करे जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बोनसाई और केक्टस जैसे कंटीले पौधे घर के अंदर नहीं रखे इनके कारण घर में नकारात्मक उर्जा फैलती है। जिससे घर का वास्तु बिगड़ता है। 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार के दिन शमी वृक्ष के निचे सरसों तेल का दीपक जलाकर शमीवृक्ष की पूजा करे इससे दुर्घटना कम होती है और शरीर स्वस्थ रहता है। शनि देव के दोष एवं साढ़े साती के कुप्रभाव से भी बचाव होता है।पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर में शमी का पौधा लगाने से सभी वास्तु दोष और घर की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है। शमी के पौधे के प्रभाव स्वरूप घर के सदस्यों में आपसी तालमेल एवं प्रेम बना रहता है। 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जिसका शुक्र कमजोर हो उसे घर में मनी प्लांट का पौधा लगाना चाहिए क्योंकि शुक्र ही हमारी सुख सुविधाओं और मान सम्मान का कारक होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर की बालकनी में पौधों को लगाने से बहुत लाभ मिलता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अनार का पौधा घर के बगीचे में आग्नेय कोण में लगाने से कर्जे से मुक्ति मिलती है।धनलाभ में स्थिरता आती है। 

पति-पत्नि के संबंध

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर जीवनसाथी के साथ समझ और रिश्ते बेहतर करने हो तो अपनी शादी की तस्वीर दक्षिण -पश्चिम क्षेत्र में रखेंगे तो लाभ अवश्य मिलेगा। 9414863294
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार तलाक की स्थिति होने पर भी पत्नी द्वारा "पार्वती मंगल" का पाठ करने से विवाह-विच्छेद (तलाक) रुक जाता है।
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Tuesday, 16 June 2020

शनि का उपाय

शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय


पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार के दिन कांसी के कटोरी मे तिली का तेल डाल उसमें अपना मुंह देखे और वो तेल दान कर देवे इससे शनि की प्रताड़ना कम होगी।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार को काले कुत्ते और काली गाय को रोटी देने से शनि के द्वारा जीवन में आई रुकावटें दूर होती है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हर शनिवार के दिन सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का रोजाना पाठ करना चाहिए।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी पहनना भी साढ़ेसाती से जारी कष्‍ट में राहत देता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार का व्रत और शनिवार को दान भी शनि साढ़ेसाती में शांति देता है।शनि से जुड़ी वस्तुएं काली उड़द की दाल,तिल,लौह और काले कपड़े का दान करना चाहिए।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनि की शांति के लिए शनि दोष शांति यत्र भी लाभदायक साबित हो सकता है।शनिवार को प्रात: काल पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने से भी शनि पीड़ा कम होती है।

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हत्या एवं आत्महत्या के कारण

हत्या एवं आत्महत्या के कारण
प्रिय पाठकों, 
22 दिसंबर 2020,मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज हत्या एवं आत्महत्या के कारणो के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय के ग्रह योग मानव के जन्म-मृत्यु का निर्धारण करते हैं। शरीर के संवेदनशील अंग मन का स्वामी चंद्रमा होता है। चंद्र अगर शनि,मंगल, राहु-केतु आदि ग्रहों के प्रभाव में हो तो मन व्यग्रता का अनुभव करता है। दूषित ग्रहों के प्रभाव में आने से मन में कृतघ्नता के भाव अंकुरित होते हैं और पाप की प्रवत्ति पैदा होती है और मनुष्य अपराध,आत्महत्या, हिंसक कर्म आदि की ओर उन्मुख हो जाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चंद्र की कलाओं में अस्थिरता के कारण आत्महत्या की घटनाएं अक्सर एकादशी,अमावस्या तथा पूर्णिमा के आस-पास होती हैं। मनुष्य के शरीर में शारीरिक और मानसिक बल कार्य करते हैं। मनोबल की कमी के कारण मनुष्य का विवेक काम करना बंद कर देता है और अवसाद में हार कर वह आत्महत्या जैसा पाप कर बैठता है। आत्महत्या करने वालों में से 60 प्रतिशत से अधिक लोग अवसाद या किसी न किसी मानसिक रोग से ग्रस्त होते हैं। 
❁यदि व्यक्ति का मन अर्थात चंद्रमा कमजोर है तो उसको मानसिक समस्याएं रह सकती हैं। ऐसा व्यक्ति मानसिक तौर पर बहुत कमजोर होता है तथा अत्यंत भावुक होता है। ऐसे में जरा जरा सी परेशानी उसके लिए बड़ी समस्या बनकर सामने आती हैं और उन से डर कर वह जल्दी ही डिप्रेशन (अवसाद) में आ सकता है और आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो सकता है। कुंडली में चंद्रमा और राहु का प्रभाव होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यधिक कमजोर होता है और यदि यह संयोग अष्टम भाव में हो और  इन ग्रहों पर अन्य पापी ग्रहों का प्रभाव भी हो तो व्यक्ति इस दिशा में आगे बढ़ सकता है।
❁पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है और यह व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता को बताता है। ऐसे में बुध की स्थिति कुंडली में अनुकूल होना अत्यंत आवश्यक है। यदि बुध की स्थिति कुंडली में अत्यधिक प्रतिकूल है या बुध बहुत हद तक पीड़ित अवस्था में मौजूद है तो व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता अधिक प्रभावित होने के कारण वह आत्महत्या जैसे कार्य करने का भी निर्णय ले सकता है।अष्टम भाव में बुध ग्रह की अन्य पापी ग्रहों के साथ युति होने पर भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 
❁पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार मुख्य रूप से सूर्य का आत्महत्या से कोई संबंध नहीं होता लेकिन कुंडली में यदि सूर्य की स्थिति कमजोर हो तो व्यक्ति के अंतर्मन में कमजोरी होती है अर्थात व्यक्ति का आत्मबल काफी कम होता है। यही आत्मबल व्यक्ति को प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। सूर्य का पीड़ित या कमजोर होना आत्मबल की कमी के कारण व्यक्ति को परिस्थितियों के आगे हार मानने पर मजबूर कर देता है। सूर्य पर अत्यंत पाप प्रभाव होने से व्यक्ति के मान सम्मान की बार-बार हानि होती है और यह भी उसको अंदर तक तोड़ कर रख देती है, जिसकी वजह से वह आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो सकता है। 
❁शनि को दुख का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में न हो तो व्यक्ति दुखी रह सकता है और अत्यधिक दुखी रहना उसके अंदर अवसाद को जन्म देता है। इसके अतिरिक्त अनुकूल शनि व्यक्ति को आशावादी बनाता है और व्यक्ति किसी भी परिस्थिति का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहता है क्योंकि उसके अंदर अच्छा होने की आशा बनी रहती है। ❁वास्तव में मंगल और राहु ऐसे ग्रह हैं जो व्यक्ति को किसी भी दुस्साहस तक ले जा सकते हैं। यही वजह है कि इन दोनों ग्रहों का राहु और मंगल के साथ होना उन ग्रहों को अधिक पीड़ित कर सकता है। जिससे व्यक्ति दुस्साहसी होकर तथा अत्यंत अवसाद ग्रस्त होकर आत्महत्या की प्रवृत्ति अपने अंतर्मन में महसूस करता है और इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। ऐसे हालात में खुद के अंदर नकारात्मक विचार आने से रोक सकते हैं साथ ही अपनी स्वास्थ्य की रिपोर्ट और चिकित्सक की मदद से बेहद ही सरल कुछ उपायों का पालन करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नज़र बनाये रख सकते है। 
कुंडली का चतुर्थ भाव हमारे सुख को दर्शाता है और यदि चतुर्थ भाव कुंडली में अधिक पीड़ित अवस्था में हो तो व्यक्ति के जीवन में सुख की कमी होती है जो उसे मानसिक रूप से अत्यधिक पीड़ित बनाती है। जो कार्य वह करता है उसमें उसे संतोष नहीं मिलता। 
कुंडली का पंचम भाव हमारी बुद्धि का भाव है और इसी के द्वारा हमारे जीवन में रुझानों को देखा जाता है यदि कुंडली का यह भाव पीड़ित अवस्था में है या अत्यधिक पाप प्रभाव में हैं और इसका स्वामी भी पीड़ित अवस्था में है तो व्यक्ति का रुझान स्वयं को कष्ट पहुंचाने की ओर भी हो सकता है।
कुंडली का अष्टम भाव मनुष्य की आयु का भाव है और इसके द्वारा मृत्यु का कारण पता चलता है। इसके अतिरिक्त इस भाव के द्वारा जीवन में होने वाले बड़े-बड़े परिवर्तनों को भी देखा जाता है। इस भाव के अध्ययन के द्वारा भी यह ज्ञात किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति में क्या आत्महत्या की प्रवृत्ति जन्म दे सकती है। 
❁कुंडली के लग्न और सप्तम भाव में कोई ग्रह नीच अवस्था में हो तथा अष्टम भाव के स्वामी पर पाप ग्रहों का अधिक प्रभाव हो या फिर अष्टम भाव पाप कर्तरी योग में हो।
❁मंगल व षष्ठेश की युति हो, तृतीयेश, शनि और मंगल अष्टम में हों। अष्टमेश यदि जल तत्वीय हो तो जातक पानी में डूबकर और यदि अग्नि तत्वीय हो तो जल कर आत्महत्या करता है।
❁कर्क राशि का मंगल अष्टम भाव में हो तो जातक पानी में डूबकर आत्महत्या करता है।
❁यदि मकर या कुंभ राशिस्थ चंद्र दो पापग्रहों के मध्य हो तो जातक की मृत्यु फांसी लगाकर आत्महत्या या अग्नि से होती है।
❁चतुर्थ भाव में सूर्य एवं मंगल तथा दशम भाव में शनि हो तो जातक की मृत्यु फांसी से होती है। यदि अष्टम भाव में एक या अधिक अशुभ ग्रह हों तो जातक की मृत्यु हत्या, आत्महत्या, बीमारी या दुर्घटना के कारण होती है।
❁यदि अष्टम भाव में बुध और शनि स्थित हों तो जातक की मृत्यु फांसी से होती है। यदि मंगल और सूर्य राशि परिवर्तन योग में हों और अष्टमेश से केंद्र में स्थित हों तो जातक को सरकार द्वारा मृत्यु दण्ड अर्थात् फांसी मिलती है। 
❁शनि लग्न में हो और उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तथा सूर्य, राहु और क्षीण चंद्र युत हों तो जातक की गोली या छुरे से हत्या होती है।
❁यदि नवांश कुंडली के लग्न से सप्तमेश राहु या केतु से युति हो अथवा भाव 6, 8 या 12 में स्थित हो तो जातक की मृत्यु फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने से होती है।
❁यदि चंद्र से पंचम या नवम राशि पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि या उससे युति हो और अष्टम भाव अर्थात 22वें द्रेष्काण में सर्प, निगड़, पाश या आयुध द्रेष्काण का उदय हो रहा हो तो जातक फांसी लगाकर आत्महत्या करने से मृत्यु को प्राप्त होता है। 
❁चोथे और दसवें या त्रिकोण भाव में अशुभ ग्रह स्थित हो या अष्टमेश लग्न में मंगल से युत हो तो जातक फांसी लगाकर आत्महत्या करता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार आत्महत्या से बचने के उपाय निम्नलिखित हैं - 
❖ कोई भी रत्न जिनमें विशेष तौर पर चंद्रमा का रत्न मोती और बुध का रत्न पन्ना बिना किसी ज्योतिषी से सलाह लिए धारण ना करें।
❖ प्रतिदिन नियमित योग करे और भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए।  
❖ मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करें और स्वयं को अकेले में ना रखें। 
❖ भरपूर शारीरिक परिश्रम करें इससे जहां एक ओर आपको अच्छी नींद भी आएगी और आपका मन भी भटकने से बचेगा।
❖ भगवान शिव,भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा एवं आराधना करें इनसे आपको आत्मबल प्राप्त होगा।
❖शराब, धूम्रपान और नशीली वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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नक्षत्र ज्योतिष हब 
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राहु और केतु के उपाय

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार कर्जे एवं अपने पूवर्जो की मुक्ति चाहने वाले व्यक्ति आटे मे शक्कर मिलाकर प्रत्येक दिन चिंटीयो को खिलाऐगे तो उन को लाभ मिलेगा तथा राहू एवं केतु के दोष का प्रभाव में कमी आएगी। 
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संतान हीनता एक ज्योतिषिय विश्लेषण

संतानहीनता एक ज्योतिषिय विश्लेषण


पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार विवाह के उपरान्त संतान न होना एक अभिशाप है। समाज में रहने वाले लोग अगर किसी स्त्री से संतानोत्पत्ति नहीं हो तो लोग टोकने लगते हैं और उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। संतान वंश वृद्धि के लिए आवश्यक है। संतान की उत्पत्ति न हो या बहुत विलंब से हो तो वैवाहिक जीवन नीरस हो जाता है। ईश्वर की कृपा व ग्रहों के आशीर्वाद के बिना संतान का होना संभव नहीं है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार संतानोत्पत्ति के लिए जन्म कुंडली का पंचम भाव, सप्तम,अष्टम व नवम भाव तथा चंद्र, मंगल व गुरु की स्थिति पर विचार करना आवश्यक है। पति-पत्नी दोनों की जन्मपत्रिकाओं के आधार पर संतान-सुख का निर्णय करना चाहिए।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जन्म कुंडली के पंचम भाव से संतान के संबंध में विचार किया जाता है तथा चंद्र लग्न से भी पंचम भाव के बलाबल पर ध्यान देना आवश्यक होता है। संतान के संबंध में स्त्री की जन्म कुंडली में पंचम भाव के अतिरिक्त नवम भाव का भी विचार करना चाहिए। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इसके अतिरिक्त सप्तम व अष्टम भी संतानोत्पत्ति से संबंध रखते हैं क्योंकि कामांग व यौनाचार सप्तम भाव से संबंध रखते हैं और अण्डाशय, गर्भाशय,और अंडवाहिनी आदि का संबंध अष्टम भाव से है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार संतान का कारक ग्रह गुरु है अतः गुरु की स्थिति भी देखनी चाहिए। चंद्रमा नमी तथा गर्भधारण करने की क्षमता का तथा मंगल रक्त का कारक है। अतः गर्भ धारण में एवं प्रसव में चंद्र, मंगल व गुरु की भूमिका प्रमुख है। 

संतान हीनता से बचने के लिए कुछ ज्योतिषिय उपाय -

संतान हीनता से बचने के लिए कुछ ज्योतिषिय उपाय है जिसको करने से संतानोत्पत्ति की बाधा को हटाया जा सकता हैं। जो निम्नलिखित हैं -
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जिनको संतान उत्पन्न होने में बाधा आए उन्हें बाल गोपाल की पूजा के साथ गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
∆ पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार संतान प्राप्ति के लिये संतान बाल गोपाल का मंत्र जाप करना चाहिए। संतान बाल गोपाल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।
∆पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सदगुणी और नेक विचारों वाली संतानोत्पत्ति के लिए हरिवंश महापुराण का पाठ करायें तथा श्रवण करें।
∆पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  अगर 11 प्रदोष व्रत करें और भगवान शिव का अभिषेक करे तो यह भी संतान प्राप्ति के लिए लाभदायक उपाय हैं।
Pandit Anjani kumar Dadhich
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सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार 21जून 2020 को सूर्यग्रहण आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष आमावस्या को आंशिक कंकण(वलयाकार) सूर्यग्रहण होगा। जो भारत देश में यह ग्रहण दिखाई देगा।कही पर खग्रास सूर्य ग्रहण के रूप में भी दिखाई देगा। भारत में देहरादून, सिरसा और टिहरी कुछ ऐसे प्रसिद्ध शहर हैं जहां वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखेगा और देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। इसके अलावा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखाई देगा।  
"शास्त्रानुसार किसी भी सूर्यग्रहण में ग्रहण स्पर्श होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक आरंभ होता है।" पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार  किसी भी ग्रहण का सूतक काल स्पर्श काल और मोक्ष काल अति महत्वपूर्ण माने गए है जो निम्नलिखित हैं-
  1. सूर्य ग्रहण का सूतक काल - 20 जून 2020 रात्रि 10:09 मिनट से आरम्भ। 
  2. सूर्य ग्रहण का स्पर्श समय- 10:09 सुबह 21/06/2020
  3. सूर्य ग्रहण का मोक्षकाल - 1:36 मिनट पर है। 
  4. सूर्य ग्रहण का पर्वकाल - 3:27 मिनट पर माना गया है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र, मिथुन कर्क वृश्चिक मीन राशि पर अपना नेष्ट प्रभाव डालेगा। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि राहु और केतु के दुष्प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक रूप अक्षम हो सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल और सूतक काल में वस्त्र काटने या सिलने, सब्जी काटने और किसी भी तरह की नुकीली वस्तु का प्रयोग करने की मनाही होती है। इसके अलावा सूतक काल लगने से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक तेल मालिश करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन, बालों में कन्घा करना, मञ्जन-दातुन करना तथा यौन गतिविधियों में लिप्त होना प्रतिबन्धित माना जाता है। सूर्य ग्रहण से बारह घण्टे पूर्व से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिये। हालांकि बालकों, रोगियों, गर्भवती महिलाओं तथा वृद्धों के लिये भोजन मात्र एक प्रहर यानी तीन घण्टे के लिये ही वर्जित है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य ग्रहण का राशियाँ पर पड़ने वाला प्रभाव निम्नलिखित हैं - 
मेष- पद-सम्मान की प्राप्ति।
वृषभ- व्यापार में हानि, परेशानी।
मिथुन- घटना-दुर्घटना।
कर्क- चोट की आशंका।
सिंह- जीवनसाथी को सुख।
कन्या- शुभ समाचार।
तुला- वाद-विवाद हो सकता है।
वृश्चिक- परेशानी।
धनु- जीवनसाथी को कष्ट
मकर- शुभ।
कुंभ- तनाव व मानसिक परेशानी। 
मीन- अधिक खर्च रहेगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों में कुछ ऐसे बदलाव होंगे जिससे प्रमुख देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच तनाव और बहस बढ़ सकती है। भारत के आंतरिक और बाहर उथल पुथल हो सकती है। वहीं व्‍यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्‍छा माना जा रहा है। यह ग्रहण बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है, जिसकी वजह से भूकंप आने, भूस्खलन होने, वर्षा की कमी होने और बहुत तेज हवाओं, आंधी या तूफान के योग बन सकते हैं।
उपाय - अपने इष्ट देवता या इष्ट देवी का ध्यान करें और श्रद्धानुसार दान करे। 
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Pandit Anjani kumar Dadhich
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धन की आमद बढाने के लिए

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का पाठ करने से सभी कष्टो का निवारण और धन-धान्य, ऐश्वर्य तथा मान-सम्मान में वृद्धि होती है।9414863294
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार तिजोरी के दरवाजे पर कमल पर बैठी हुई लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाए जिसका अभिषेक सफेद हाथियों के द्वारा हो इससे घर में धन वर्षा होती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
नक्षत्र ज्योतिष हब

बेडरुम के लिए

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शयनकक्ष(बेडरुम)में वस्तुएं इधर उधर बिखरी नहीं रहनी चाहिए। वस्तुओं का बिखराव आपसी सम्बन्धो के लिए सबसे घातक सिद्ध होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गृह स्वामी यानि घर के मुखिया का शयनकक्ष नैऋत्त्य अथवा पश्चिम दिशा में होना बहुत ही फायदेमंद होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार बेडरूम में अटैच बाथरूम के बीच एक चेंज रूम बनाया जाए या बाथरूम पर एक मोटा पर्दा डाल देना ही उचित होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शयनकक्ष में दर्पण नहीं होना चाहिए अगर दर्पण है भी तो उसमें पलंग पर लेटने पर छाया नज़र नहीं आनी चाहिए।हानिकारक होता है।

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शयनकक्ष में बिस्तर के नीचे जूते-चप्पल नहीं रखना चाहिए। इसके कारण रोग एवं मानसिक परेशानियों में वृद्धि होती है।
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