google24482cba33272f17.html Pandit Anjani Kumar Dadhich : शनि स्तोत्रम्

Saturday, 15 June 2024

शनि स्तोत्रम्

शनि स्तोत्रम्
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में दशरथ कृत शनि स्तोत्र पाठ के  बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म शास्त्रों में शनिदेव का न्याय का देवता के रूप में बतलाया गया है। शनिदेव किसी भी जातक को उसके कर्म के अनुसार शुभ-अशुभ फल देते हैं। अच्छे कर्म करने पर शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है और वहीं बुरे कर्म करने पर शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति पर शनि की कृपा हो जाए तो उसका भाग्य पलभर में बदल जाता है। लेकिन किसी पर शनिदेव का प्रकोप हो तो उसे बर्बाद होते भी समय नहीं लगता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार शनिवार भगवान शनि को समर्पित दिन है और जो कोई भी जातक शनिदेव के दोष या साढ़े साती और ढैय्या दशा से पिड़ित है वह जातक किसी भी शनिवार के दिन भगवान शनिदेव के मंदिर में जाकर तिल्ली या सरसों का तेल, काले तिल,काले उड़द और निलांजन पुष्प आदि चढ़ाकर पूजा करते हुए भगवान शनिदेव के चरणों का ध्यान करते हुए भगवान राम के पिता राजा दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि भगवान अति प्रसन्न होते है।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि की कुदृष्टि से भी बचाव होता है।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र पाठ 
।। अथ श्री शनि स्तोत्रम्।।
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च
नमः कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते
नमः पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च
अधोदृष्टेः नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते
तपसा दग्ध.देहाय नित्यं योगरताय च
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज.सूनवे
तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्
देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध.विद्याधरोरगाः
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः
प्रसाद कुरु मे सौरे! वारदो भव भास्करे
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः।।
।। इति श्री दशरथ कृत शनि स्तोत्र संपूर्णम।।

**दशरथ स्तुति शनि देव हिन्दी अनुवाद**

हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले॥
स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे॥
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥
हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
हे दीर्घ नेत्र वाले, शुष्कोदरा निराले॥
भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥
हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले॥
तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥
हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ॥
हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हैं पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी॥
विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे॥
अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।
तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी॥
संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।
हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो॥
हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।
वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये॥
उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता॥
डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।
हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर॥
देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥
होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै॥
सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे॥
लेखक परिचय- Pandit Anjani Kumar Dadhich 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच 
 (कुंडली विश्लेषक वास्तुविद एवं अंक ज्योतिषी)
Nakshatra Jyotish Sansthaan, Nagaur 
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान, नागौर 
panditanjanikumardadhich@gmail.com
📱6377054504

No comments:

Post a Comment