वक्री गुरु(देव गुरु बृहस्पति) का देश दुनिया पर पड़ने वाला प्रभाव
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार देवगुरु बृहस्पति के वक्री होने का यह समय देश दुनिया के लिए चुनौती पूर्ण रहेगा। विश्व के नेताओं की बुद्धि विपरीत होगी। जनता में आक्रोश बढ़ेगा। महंगाई पहले कि अपेक्षा बढ़ेगी।10 सितंबर से 2 अक्टूबर तक शनि, गुरु के साथ बुध ग्रह भी वक्री रहेगा।और शुक्र भी साथ होकर निचभंग राजयोग का निर्माण करेगा। कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन होगा।जिन देशों में युद्ध चल रहा है वहां और परेशानी बढ़ेगी। कुछ दुसरे देशों के बीच भी युद्ध के आसार बनेंगे।
✿ भारत की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति का वक्री प्रभाव✿
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार
भारत देश की कुंडली वृष लग्न की है अतः देव गुरु बृहस्पति लाभ भाव में वक्री हो रहे है जो कि अष्टमेश भी है जिसके निम्नलिखित प्रभाव है-
☞कुछ पुरानी चीजो की तरफ देश का ध्यान आकर्षित होगा।
☞लाभ में पहले की अपेक्षा कमी आएगी।
☞नए कार्य की प्रगति देश के लिए धीमी हो जाएगी और पुराने मामले बाहर आना शुरू हो जाएंगे।
☞ गुरु बली अवस्था में शनि के नक्षत्र में है जिसकी वजह से पुराने मामलो मे तेज़ी आएगी और न्याय भी होता दिख रहा है।
☞ पूरे विश्व में हलचल रहेगी।
☞ धर्म का विरोध बढ़ेगा।
☞ धर्म और सांप्रदायिक घटनाएं बढ़ेगी। आतंकवादी घटनाएं होगी लेकिन सरकार और सेना भी इसका पूरी तरह सामना करेगी।यह गोचर फायदा और नुकसान दोनों लेकर आएगा। लेकिन गुरु शुभ ग्रह है तो इनकी शुभता भी देखने को मिलेगी।
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