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Friday, 29 July 2022

वक्री गुरु (बृहस्पति)ग्रह के प्रभाव और उपाय

वक्री गुरु (बृहस्पति)ग्रह के प्रभाव और उपाय 
प्रिय पाठकों, 
29 जूलाई 2022, शुक्रवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज वक्री गुरु (बृहस्पति)ग्रह के प्रभाव और उपाय के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
भारतीय वैदिक ज्योतिषशास्त्र में बृहस्पति ग्रह को देव गुरु के नाम से जाना जाता है जो सुख-समृद्धि और सौभाग्य का ग्रह माना जाता है। गुरु(बृहस्पति) को अपना चक्र पूरा करने में लगभग 13 महीने का समय लगता है। शनि ग्रह के बाद में बृहस्पति ऐसा दूसरा ग्रह है जिसकी गोचर की अवधि सबसे लंबी होती है और गुरु साल में कम से कम एक बार को वक्री जरूर होते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वर्तमान समय में गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में ही स्थित हैं और इसी राशि में 29 जुलाई 2022 शुक्रवार के दिन दोपहर 01:33 बजे को वक्री होने वाले हैं। और 24 नवंबर 2022 दिन गुरुवार को 04:36 बजे इसी राशि में मार्गी हो जाएगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गुरु की इस वक्री चाल से कुछ राशियों पर शुभ और कुछ राशियों पर अशुभ प्रभाव पड़ने वाला है।
वक्री गुरु या बृहस्पति के प्रभाव 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार लोग ग्रहों का वक्री होने का नाम सुनते ही भयभीत हो जाते हैं कि अब उनके साथ जीवन में कुछ ना कुछ बुरा ही होता रहेगा लेकिन यह बात पूरी तरह से सत्य नहीं होती है। वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह अच्छी या मजबूत स्थिति में बैठा है और वह वक्री हो रहा है तो ऐसे जातकों को लाभ मिलता है। 
वहीं इसके विपरीत यदि कुंडली में कोई भी शुभ ग्रह अन्य पापी ग्रहों के साथ मौजूद हो और उसके बाद वक्री हो तो उससे व्यक्ति को बुरे प्रभाव मिलने लगते हैं।
वक्री गुरु की तो जिन जातकों की कुंडली में वक्री गुरु मौजूद होता है और गुरु पहले से मजबूत अवस्था में होता है ऐसे जातक दूरदर्शी होते हैं, और लोगों को एक साथ लेकर चलने वाले होते हैं। इन्हें भविष्य के बारे में पहले से ही आभास हो जाता है और उन्हें पता होता है कि कौन सा व्यक्ति इन्हें लाभ देगा और कौन इन्हें धोखा दे सकता है।हालांकि जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ अवस्था में या पापी ग्रहों से पीड़ित बैठा हो और फिर वक्री हो रहा हो ऐसे व्यक्तियों को नकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं। उन व्यक्तियों को नकारत्मक परिणाम बचने के कुछ उपाय करने चाहिए जो निम्नलिखित है-
✷ रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें। 
✷ घर में पीले रंग के फूलों वाले पौधा लगाएं। 
✷विष्णु भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को दान करें। 
✷अगर मुमकिन हो सके तो गुरुवार का व्रत अवश्य करें। 
✷गुरुवार के दिन पूजा में भगवान विष्णु को गुड़ और चने की दाल का भोग लगाएं। 
✷भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हे हल्दी और पीले चंदन और केसर का तिलक लगाएं।
✷ इसके अलावा बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं का दान भी वक्री गुरु के अशुभ प्रभाव को दूर करने में सहायक साबित होता है।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
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