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Sunday, 12 February 2023

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि
प्रिय पाठकों, 
12 फरवरी 2023, रविवार 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज महाशिवरात्रि के बारे में जानकारी यहाँ दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारत में सनातन धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से महाशिवरात्रि एक है। भारत में ज्यादातर लोग भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए जाना जाता हैं। हिन्दू धार्मिक पंचांग के मुताबिक महाशिवरात्रि का त्योंहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वैदिक मान्यता हैं कि इस दिन (महाशिवरात्रि के दिन) भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।  पौराणिक कथाओं में ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का धरती पर प्रकाट्य हुआ था साथ ही यह मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान महादेव पृथ्‍वी पर मौजूद प्रत्‍येक शिवलिंग में मौजूद होते हैं। इसी कारण महाशिवरात्रि ‍के दिन शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा-आराधना करना सारे कष्‍ट दूर कर देता है और अपार सुख-समृद्धि देता है।भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि साल का सबसे उत्तम दिन होता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार भारतीय शास्त्रों में महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में करने का विधान है। इस साल 2023 में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी को 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। साधक रात्रि के समय में महादेव और माता पार्वती की भक्ति भाव से पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा, दिन के समय में भी पूजा उपासना कर सकते हैं। वहीं महाशिवरात्रि का व्रत उपवास 18 फरवरी को भी कर सकते हैं।
इस दिन (महाशिवरात्रि के दिन) ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव जी का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें और इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और अब आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद सफेद कपड़े धारण कर सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य देंवे। इसके बाद भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक पूजा के दौरान ओम् नमः शिवाय मंत्र और शिव चालीसा का जाप करने के बाद अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से कामना करें। दिनभर उपवास रखें। निशिता काल में पूजा आरती के पश्चात फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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