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Friday, 7 January 2022

सूर्य शनि की युति

सूर्य-शनि की युति के परिणाम एवं उपाय
प्रिय पाठकों, 
07 जनवरी 2022,शुक्रवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सूर्य-शनि की युति उसका परिणाम एवं उपाय के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वैदिक ज्योतिष के आधार पर सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मा स्वरूप हैं। इसके द्वारा व्यक्ति को जीवन, ऊर्जा प्रकाश एवं बल की प्राप्ति होती है। जबकि वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। पंडित अंजनी कुमार के अनुसार वैदिक धर्मशास्‍त्रों में सूर्य और शनि देव के पिता एवं पुत्र का संबंध हैं किंतु इन दोनों के बीच का संबंध अच्‍छा नहीं है।शनि देव अपने पिता सूर्य से नाराज रहते हैं।वैसे भी अगर दोनों की प्रकृति का विचार करें तो ज्ञान और अंधकार साथ मिलने पर शुभ प्रभाव नहीं देते है सूर्य-शनि युति व्यक्ति के जीवन को पूर्णत: संघर्षमय बनती हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यदि सूर्य शनि की युति हो तो पिता और पुत्र में वैचारिक मतभेद बने रहते हैं। यह युति व्यक्ति के पिता से संबंध, व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा व्यक्ति के अपने कार्यक्षेत्र तथा मान-सम्मान में कमी करती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य-शनि की युति से होने वाले परिणाम निम्नलिखित है- सूर्य-शनि की युति से होने पर शनि के दुष्प्रभाव से युति वाले भाव तथा उससे सप्तम भाव के फलादेश में न्यूनता आती है। सूर्य शनि के एक साथ होने के कारण पिता पुत्र के संबंधों में समस्या पैदा होती है और व्यक्ति के के अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं रहते है। पिता और पुत्र का आपसी व्यवहार अच्छा नहीं होता है और कभी कभी एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। कभी कभी पिता पुत्र में से एक ही उन्नति कर पाता है, अतः इस युति को ‘विच्छेदकारी योग की संज्ञा दी गई हैं।सूर्य के अधिक निर्बल होने पर पिता का साया जल्दी उठ जाता है या व्यक्ति अपने पिता से अलग हो जाता है। इसी प्रकार संबंधियों से भी अलगाव होता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य में भी गड़बड़ रहती है। व्यक्ति की वाणी में संयम नहीं रह पाता है इसी कारण काम बिगड़ सकते हैं। व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। इस युति के कारण वैवाहिक जीवन खराब होता है। कभी कभी दो विवाहों के योग भी बन जाते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार जब यह युति लग्न, पंचम, नवम या दशम में हो व दोनों (सूर्य-शनि) में से कोई ग्रह इन भावों का कारक भी हो तो यह योग जीवन में विलंब लाता है। बेहद मेहनत के बाद कठिनाई से सफलता मिलती है।इस युति से ग्रस्त व्यक्ति लागातार संघर्ष से निराश हो जाता है डिप्रेशन में भी आ जाता हैं। यदि शनि उच्च का हो व कारक हो तो 36वें वर्ष के बाद, अपनी दशा-महादशा में सफलता जरूर देता है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सूर्य शनि युति से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने हेतु कुछ उपाय निम्नलिखित है-
☞सूर्य-शनि युति होने पर व्यक्ति को सतत परिश्रम के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। 
☞अपने पिता से मतभेद टालने चाहिए।
☞अपना ज्यादा समय ज्ञानार्जन में उपयोग करें। 
☞आध्यात्मिक साधना से अपना मनोबल मजबूत करना चाहिए। 
☞सूर्य व शनि शांति के उपाय करने चाहिए।
☞शिव पञ्चाक्षरि मंत्र या महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए।
☞प्रतिदिन सुबह-सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
☞शनिवार को पीपल वृक्ष की शनिवार के दिन जल में कच्चा दूध मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित कर जड़ में तेल का दीपक जलाएं और पीपल की सात परिक्रमा करें।
☞पितरों की पूजा व तर्पण करें।
☞एक मुखी रूद्राक्ष को लाल धागे में डालकर रविवार के दिन गले में धारण करें या पूजा स्थान में स्थापित करें। 
☞शनिवार के दिन गरीबों को कंबल, चप्पल और कपड़े का दान करें। बंदरो को चने और गुड़ खिलाना ही हितकारी रहेगा।
☞सूर्य और शनि दोनों के दोष को दूर करने के लिए हनुमान जी के मंदिर में बैठकर हनुमान चालीसा या रामरक्षास्त्रोत्र का पाठ करना चाहिए।
☞सूर्य और शनि के मंत्र का जप करें, सूर्य मंत्र- ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नम:, शनि मंत्र- ऊँ शं श्नैश्चराय नम: का नित्य जाप करें।"
☞शनि स्तोत्र" का पाठ करे और असहाय लोगों की मदद करें।
☞शाम को तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं।
उपाय करते रहने से सूर्य-शनि के दोष दूर हो जाते हैं।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
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