पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार श्राद्ध खत्म होने के बाद 18 सितंबरसे अधिकमास शुरू होंगा जो 16 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अधिक मास को पुरुषोंतम मास भी कहा जाता है। यह मास पुजा पाठ यज्ञ-अनुष्ठान एवं दान पुण्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अधिकमास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग एक दिन और दो दिन पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ईसा कलैण्डर वर्ष की गणना सूर्य राशि के अनुसार की जाती है। इसके एक वर्ष में 365 दिन और करीब 6 घंटे का होते है। जबकि विक्रमी संवत जिसके आधार पर पंचाग का निर्माण होता है। उसकी गणना चंद्र राशि की गणना आधारित है। इस के एक वर्ष में 354 दिन होता है। दोनों सालों के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन साल में करीब एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है।अतिरिक्त संख्या में दिन होने के कारण से अधिकमास का नाम दिया गया।
🌼पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अधिक मास में जो कार्य करने चाहिए वो निम्नलिखित है-
❁अधिक मास में इस पूरे माह में व्रत, तीर्थ स्नान, श्रीमद भगवत गीता,रामायण, रामचरितमानस शिव पुराण तथा दुर्गा सप्तशती आदि ग्रंथों का अध्ययन नियमित रूप से करना चाहिए।
❁शांतियज्ञ, एवं गायत्री यज्ञ आदि किए जा सकते हैं।
जो कार्य पहले शुरु किये जा चुके हैं उन्हें जारी रखा जा सकता है।
❁मंत्रो की साधना तथा सिद्धी करना भी लाभदायक होता है।
❁पशु पक्षियों के लिए अन्न का दान करे। गरीब और बेसहारा लोगों को सहायता और दान देना चाहिए।
❁"ओम् भगवते वासुदेवाय नम:" मंत्र का प्रतिदिन जाप करना भी हितकारी होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में अधिक मास के दौरान सभी पवित्र कर्म वर्जित माने गए हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अतिरिक्त दिनो की संख्या होने के कारण यह मास मलिन होता है। इसलिए इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी आदि आमतौर पर नहीं किए जाते हैं।
Pandit Anjani Kumar Dadhich
Nakshatra jyotish Hub
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