अक्षय तृतीया के उपाय
प्रिय पाठकों,
21अप्रैल 2023, शुक्रवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज अक्षय तृतीया के उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया तिथि का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। अक्षय तृतीया एक ऐसी तिथि है जसका कोई क्षय न हो। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया एक ऐसा अबूझ मुहूर्त है जिसमें बिना किसी मुहूर्त या ग्रह दिशा देखे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि किये जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान भी है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन श्री नारायण विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से दसों दिशाओं से सौभग्य जाग उठता है। क्योंकि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु पति-पत्नी हैं। ऐसे में भूलकर भी दोनों की अलग अलग या किसी एक की पूजा ना करनी चाहिए और ऐसा करने से भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और दांपत्य जीवन खुशहाल रहने का आशीर्वाद देती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से आपके घर में कभी धन वैभव की कमी नहीं होती। इसके साथ ही इस दिन गणेशजी का भी आह्वान करना चाहिए। अक्षय तृतीया पर निम्नलिखित उपाय करने से धन लाभ एवं सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है-
✯अक्षय तृतीया के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर के पूजा स्थान पर उन से बना आसन या दरी बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर एक कांसी की थाली में रोली(कुंकुम) से अष्ट दल बना कर मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा और भगवान गणेश की मूर्ति मध्य में रखकर घी का दीप जलाएं। ओम् श्रीं श्रियै नम: इस मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शहद, शक्कर आदि से अभिषेक करने के बाद शुद्ध जल डालें और साथ ही एक दक्षिणावर्ती शंख लेकर उसकी भी पंचोपचार पूजन कर शंख मे साबूत चावल शंख में भरकर उस चावल से भरे शंख से लक्ष्मी और भगवान नारायण का अभिषेक करें। इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान नारायण को मखाने की खीर का भोग लगाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी के कनकधारा स्तोत्र और श्री सुक्त और लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपके घर की संपत्ति में वृद्धि होती है।
✯ अक्षय तृतीया के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर के पूजा स्थान पर उन से बना आसन या दरी बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर एक कांसी की थाली में रोली(कुंकुम) से अष्ट दल बना कर मां लक्ष्मी की मूर्ति के साथ साथ दक्षिणावर्ती शंख श्री लक्ष्मी चरण पादुका, लक्ष्मी जी की मूर्त, अष्टलक्ष्मी यंत्र, रक्त गुंजा, श्रीयंत्र,11गोमती चक्र, काली हल्दी, लक्ष्मीकारक कौडिय़ां, नाग केशर, 11 कौड़ियों आदि को भी पूजा स्थान पर रख सकते हैं जिन्हें सदा ही लक्ष्मी प्रदायक माना गया है। इन सब की पुजा केसर और हल्दी से पंचोपचार विधि से पूजन करें और मां लक्ष्मी की मूर्ति और श्री यंत्र को घरकी आलमारी या तिजोरी में लाल वस्त्र बिछाकर विराजमान कर देवें बाकी सभी वस्तुओं को
लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या पूजा स्थान पर रख देवे। इस से देवी लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होती है।
✯ अक्षय तृतीया पर दान देने वाला सूर्य लोक को प्राप्त होता है। इस तिथि को जो व्रत करता है वह ऋद्धि, वृद्धि एवं श्री से संपन्न होता है। इस दिन किए गए कर्म अक्षय हो जाते हैं। अत: इस दिन शुभ कर्म ही करने चाहिए। इस दिन जौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या आदि बारह वस्तुओं का दान का महत्व है। जो भी भूखा हो वह अन्न दान का पात्र है। जो जिस वस्तु की इच्छा रखता है यदि वह वस्तु उसे बिना मांगे दे दी जाए तो दाता को पूरा फल मिलता है। सेवक को दिया दान एक चौथाई फल देता है। कन्या दान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए इस दिन कन्या का विवाह किया जाता है।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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