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Monday, 8 April 2024

नवरात्रि

नवरात्रि पर्व विशेष
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में चैत्र नवरात्रि के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में नवरात्रि के इस त्योहार का बेहद ही खास महत्व होता है। वर्ष में कुल चार नवरात्रि पड़ती हैं जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है और शारदीय और चैत्र नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए शुभ माना जाता है। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्रि गृहस्थ लोग रखते हैं। चैत्र नवरात्रि का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि (नौ दिन) तक मनाया जाता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का त्योहार 9 अप्रैल 2024 मंगलवार से शुरू होगा और नवरात्रि पर्व का समापन 17 अप्रैल 2024 को होगा। इस चैत्र नवरात्रि अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली है। माता के वाहन का चुनाव वार या दिन के हिसाब से किया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि मंगलवार को शुरू हो रही है। अतः मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही है। घोड़े में सवार होने का मतलब है कि सत्ता में परिवर्तन। इसके साथ ही साधकों के जीवन में आने वाले हर कष्टों से निजात मिलेगी।
घट स्थापना मुहुर्त
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 9 अप्रैल 2024 मंगलवार के दिन नवरात्रि है। इस बार चैत्र नवरात्रि मंगलवार को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक पंचक रहने वाला है। इसके बाद ही घट स्थापना करना शुभ रहेगा। इसलिए इससे पहले घट स्थापना (कलश स्थापना) ना करें। वहीं इसके बाद 9 बजकर 11 मिनट तक अशुभ चौघड़िया रहने वाला है। इसलिए घट स्थापना के लिए इस समय का भी त्याग करें। इसके बाद शुभ चौघड़िया 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक है। इस दौरान आप चाहें तो घट स्थापना कर सकते हैं। वैसे घटस्थापना सर्वोत्तम मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यह समय अभिजीत मुहूर्त कहलाता है।अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना या घट स्थापना करना शुभ माना गया है। इस समय वैघृत योग और अश्विनी नक्षत्र का भी संयोग रहने से नवरात्रि पूजा के लिए संकल्प लेना घटस्थापना, अखंड दीपक का संकल्प लेना आदि कर्म करना उत्तम और शुभ फलदायी होगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घटस्थापना में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए -
⁠✿ कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
✿ पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
⁠✿ कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
⁠✿ कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें और वहां पर गंगाजल का छिड़काव करने के बाद ही कलश की स्थापना करें।
⁠✿ कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
⁠✿ कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
⁠✿ लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
⁠✿ सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
✿ पूजा के बाद वेदी के ऊपर एक मिट्टी का कुंडा लेकर उसमें जौं को बो देना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि तिथियां
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि व्रत 9 अप्रैल 2024 - मां शैलपुत्री का पूजन।
चैत्र नवरात्रि द्वितीया तिथि व्रत 10 अप्रैल 2024 - मां ब्रह्मचारिणी का पूजन।
चैत्र नवरात्रि तृतीया तिथि व्रत 11 अप्रैल 2024 - मां चंद्रघंटा का पूजन।
चैत्र नवरात्रि चतुर्थी तिथि व्रत 12 अप्रैल 2024 - मां कुष्माण्डा का पूजन।
चैत्र नवरात्रि पंचमी तिथि व्रत 13 अप्रैल 2024 - मां स्कंदमाता का पूजन।
चैत्र नवरात्रि षष्ठी तिथि व्रत 14 अप्रैल 2024 - मां कात्यायनी का पूजन।
चैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि व्रत 15 अप्रैल 2024 - मां कालरात्री का पूजन।
चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि व्रत 16 अप्रैल 2024 - मां महागौरी की पूजा, अष्टमी पूजन।
चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि व्रत 17 अप्रैल 2024 - मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी पूजन।
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की आराधना करना चाहते हैं और कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र "ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। 
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लेखक परिचय - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
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