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Tuesday, 23 April 2024

हनुमान जन्मोत्सव

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार श्री हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है और श्री हनुमान जी की पूजा करने से हर प्रकार के संकट भय, पीड़ा और बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं। हनुमान जी के जन्मोत्सव पर हनुमान जी की पूजा करने का अपना विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। हिंदू पंचांग और धर्म शास्त्रों के मुताबिक अंजनी पुत्र हनुमान का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इस साल 23 अप्रैल 2024 मंगलवार के दिन है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी की पूजा करना चाहिए। सर्व प्रथम उत्तर-पूर्व दिशा में चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर हनुमान के साथ भगवान राम की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित कर हनुमान जी को लाल और भगवान राम जी को पीले पुष्प और पुष्प माला अर्पित करते हुए उनकी पंचोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। इसके बाद बूंदी, हलवा, लड्डू, और पान के बीडे़ जैसी मीठी चीजों का भोग लगाएं और तुलसी दल भी अर्पित करते हुए हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बंजरग बाण, हनुमान बाहुक, ऋण मोचक मंगल स्तोत्र, एवं हनुमान अष्टक आदि में से कोई एक का पाठ करें।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय भी कर सकते हैं - 
✿ हनुमान जी सिंदूर और चमेली तेल मिश्रित चोला चढ़ाएं और लाल पुष्प की माला अर्पित करें।
✿ हनुमान जी के मंदिर में लाल ध्वजा अर्पित करें।
✿ हनुमान जी के मंदिर में चमेली के तेल का दीपक करे।
✿ हनुमान जी के भक्तों को इस दिन व्रत करने के अलावा  बूंदी, हलवा, लड्डू, और पान जैसी मीठी चीजों का भोग लगाने से हनुमान की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
✿ हनुमान जन्मोत्सव के दिन घी का दीपक जलाकर उसमे दो लौंग डाल दे उसके बाद हनुमान जी का पूजन करे हनुमान चालीसा का पाठ करे कर्ज खत्म होगा।
✿ मंदार के 108 पते पर जय श्री राम लिखकर उन सभी पते को माला बनाकर हनुमान जी को चढ़ाए हनुमान जी प्रसन्न होंगे और सभी समस्या दूर होगी।
लेखक परिचय- Pandit Anjani Kumar Dadhich 
 पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Sansthan 
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान
panditanjanikumardadhich@gmail.com
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Monday, 8 April 2024

नवरात्रि

नवरात्रि पर्व विशेष
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में चैत्र नवरात्रि के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में नवरात्रि के इस त्योहार का बेहद ही खास महत्व होता है। वर्ष में कुल चार नवरात्रि पड़ती हैं जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है और शारदीय और चैत्र नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए शुभ माना जाता है। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्रि गृहस्थ लोग रखते हैं। चैत्र नवरात्रि का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि (नौ दिन) तक मनाया जाता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का त्योहार 9 अप्रैल 2024 मंगलवार से शुरू होगा और नवरात्रि पर्व का समापन 17 अप्रैल 2024 को होगा। इस चैत्र नवरात्रि अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली है। माता के वाहन का चुनाव वार या दिन के हिसाब से किया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि मंगलवार को शुरू हो रही है। अतः मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही है। घोड़े में सवार होने का मतलब है कि सत्ता में परिवर्तन। इसके साथ ही साधकों के जीवन में आने वाले हर कष्टों से निजात मिलेगी।
घट स्थापना मुहुर्त
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 9 अप्रैल 2024 मंगलवार के दिन नवरात्रि है। इस बार चैत्र नवरात्रि मंगलवार को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक पंचक रहने वाला है। इसके बाद ही घट स्थापना करना शुभ रहेगा। इसलिए इससे पहले घट स्थापना (कलश स्थापना) ना करें। वहीं इसके बाद 9 बजकर 11 मिनट तक अशुभ चौघड़िया रहने वाला है। इसलिए घट स्थापना के लिए इस समय का भी त्याग करें। इसके बाद शुभ चौघड़िया 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक है। इस दौरान आप चाहें तो घट स्थापना कर सकते हैं। वैसे घटस्थापना सर्वोत्तम मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यह समय अभिजीत मुहूर्त कहलाता है।अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना या घट स्थापना करना शुभ माना गया है। इस समय वैघृत योग और अश्विनी नक्षत्र का भी संयोग रहने से नवरात्रि पूजा के लिए संकल्प लेना घटस्थापना, अखंड दीपक का संकल्प लेना आदि कर्म करना उत्तम और शुभ फलदायी होगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घटस्थापना में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए -
⁠✿ कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
✿ पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
⁠✿ कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
⁠✿ कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें और वहां पर गंगाजल का छिड़काव करने के बाद ही कलश की स्थापना करें।
⁠✿ कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
⁠✿ कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
⁠✿ लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
⁠✿ सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
✿ पूजा के बाद वेदी के ऊपर एक मिट्टी का कुंडा लेकर उसमें जौं को बो देना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि तिथियां
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि व्रत 9 अप्रैल 2024 - मां शैलपुत्री का पूजन।
चैत्र नवरात्रि द्वितीया तिथि व्रत 10 अप्रैल 2024 - मां ब्रह्मचारिणी का पूजन।
चैत्र नवरात्रि तृतीया तिथि व्रत 11 अप्रैल 2024 - मां चंद्रघंटा का पूजन।
चैत्र नवरात्रि चतुर्थी तिथि व्रत 12 अप्रैल 2024 - मां कुष्माण्डा का पूजन।
चैत्र नवरात्रि पंचमी तिथि व्रत 13 अप्रैल 2024 - मां स्कंदमाता का पूजन।
चैत्र नवरात्रि षष्ठी तिथि व्रत 14 अप्रैल 2024 - मां कात्यायनी का पूजन।
चैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि व्रत 15 अप्रैल 2024 - मां कालरात्री का पूजन।
चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि व्रत 16 अप्रैल 2024 - मां महागौरी की पूजा, अष्टमी पूजन।
चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि व्रत 17 अप्रैल 2024 - मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी पूजन।
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पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार अगर नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की आराधना करना चाहते हैं और कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र "ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। 
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लेखक परिचय - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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Sunday, 7 April 2024

सोमावती अमावस्या

सोमवती अमावस्या
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज सोमवती अमावस्या के बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिन्दू धर्म में अमावस्या का अपना महत्व है और जो सोमवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ती है उसके कारण उस अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है।
इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या 8 अप्रेल 2024 सोमवार के दिन पड़ रही है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नारद पुराण में चैत्र मास की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। धर्म शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ पीपल वृक्ष को कहते है।सोमवार का दिन भगवान शिव का माना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्री अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं साथ ही इस दिन पितृ दोष व काल सर्प दोष के निवारण के लिए पूजा की जाती है। इस दिन व्यक्ति अपने मृतक रिश्तेदारों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदी में डुबकी लगाकर प्रार्थना करते हैं और उनके नाम का दान करते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस बार इसी दिन सूर्य ग्रहण भी है परन्तु यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसी कारण ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन निम्नलिखित उपाय कर सकते है- 
❁ सोमवती अमावस्‍या का व्रत विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन मौन व्रत करने का विधान है। ऐसा करने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करती हैं। इसके बाद 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा कर अपने पति की लम्बी उम्र प्रार्थना करती हैं।
❁ सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य हर रूप से सुखी और समृद्ध होता है।वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त भी होता है। इस दिन पवित्र नदियों के जल में स्नान और तर्पण करने पर पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन किया गया दान खासकर पितृकर्म के निमित्त किया गया दान-धर्म विशेष फल प्रदान करता है।
❁ सोमवती अमावस्या के दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही से अभिषेक करे और चौमुखा दीपक जलाकर ओम् नमः शिवाय की 108 बार माला जाप करने से सारे बिगड़े काम बनते हैं और गरीबी दूर होती है।
❁ सोमवती अमावस्या को स्नान और ध्यान के बाद तुलसी की 108 परिक्रमा की जाए तो इससे दरिद्रता दूर होती है।
❁ सोमवती अमावस्या के दिन आप भगवान गणेश को भी सुपारी चढ़ाएं तथा अमावस्या की रात को गणेश प्रतिमा के आगे दीपक जलाकर रखे और ओम् गं गणपतये नमः मंत्र की कम से कम 11 बार माला फेरे इससे आपको धन लाभ होगा। 
❁ अमावस्या की रात को आप किसी कुएं में एक चम्मच दूध और एक रुपए का सिक्का डाल दें। इससे आपको धन लाभ होने लगेगा। 
❁ सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
❁ विष योग मतलब यह है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि और चंद्रमा की युति विष योग का निर्माण करती है।जिन लोगों की कुंडली में विष योग है वे सभी सोमवती अमावस्या के दिन बहुत उपाय कर सकते हैं जिससे उनको लाभ मिलता है। 
❁ सोमवती अमावस्या के दिन अच्छे कर्म और दान धर्म करके जातक अपने बाधित जीवन को गति प्रदान कर सकते है। 
❁ सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे रात के समय जाकर एक नारियल ले और वह अपने ऊपर से सीधा वार के 7 बार उसे पीपल के नीचे ही तोड़ दें। वह नारियल दो टुकड़े हुए हुए वहीं पर छोड़ कर आए उसे आप नहीं खाएं। इससे आप पर किये कराया और टोने टोटके का प्रभाव खत्म होगा। 
❁ जो एक रुपया, दो रुपये, पांच रुपये या 10 रूपये के सिक्के होते हैं वह सिक्के अपने सर के ऊपर से वार कर गायों के लिए को दान करने चाहिए। आपकी सारी बाधाएं दूर होगी। 
❁ सोमवती अमावस्या के दिन किसी भुखे और गरीब व्यक्ति को खाना खिलाने से पितरो को शांति और तृप्ति मिलती है।   
❁ सोमवती अमावस्ता पर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और शाम को वहां तेल का दीपक लगाकर पीपल के नीचे बैठकर पितृ सूक्त का पाठ करने से पितर प्रसन्न होते हैं और दरिद्रता का नाश होता है।
❁ सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद सरोवर या नदी में आटे से बने दीपक प्रवाहित करें। अमावस्या पर पितर गण धरती पर आते हैं और सूर्यास्त पर अपने लोक लौटते हैं। अतः जब पितृ अपने लोक में लौटते समय उनके रास्ते में अंधेरा न हो इस वजह से ही पितरों के लिए दीप जलाना चाहिए।
❁ सोमवती अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का विनाश होता है।
❁ सोमवती अमावस्या के दिन रात को घर के ईशान कोण यानी उत्तर और पूर्व दिशा के बीच में दीपक जलाने से पितरों और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा मिलती है जिससे धन की समस्या हल होती है।
❁ सोमवती अमावस्या की शाम को लाल रंग के धागे के इस्तेमाल से केसर डालकर घी का दीपक जलाना चाहिए और इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करने से लक्ष्मी जी घर में वास करती हैं।
लेखक परिचय - Pandit Anjani Kumar Dadhich
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Saturday, 6 April 2024

हिन्दू नववर्ष 2081, राजा मंत्री कौन और उनका देश दुनिया पर प्रभाव

हिन्दू नववर्ष 2081, राजा मंत्री कौन और उनका देश दुनिया पर प्रभाव 

प्रिय पाठकों 
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज इस लेख में हिन्दू नववर्ष पर जानकारी दे रहा हूं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रत्येक हिन्दू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। हिन्दू नववर्ष को विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का निर्माण किया था। अथर्ववेद में भी इस बात का संकेत मिलता है। एक हिन्दू नववर्ष या एक विक्रम संवत में 12 महीने होते हैं जिसका आरंभ चैत्र माह से होता है और वहीं फाल्गुन महीना हिंदू कैलेंडर का आखिरी माह होता है। इस बार विक्रम संवत 2081 शुरू हो जाएगा और इस नव संवत्सर को 'क्रोधी' नाम से जाना जाएगा।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू नव वर्ष के दिन सिंधि समाज के लोग चेटीचंड का पर्व, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, कर्नाटक में युगादि और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी, गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग संवत्सर पड़वो कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा का पर्व आदि मनाते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार प्रत्येक वर्ष का एक राजा और एक मंत्री होता है जिनकी स्थिति आपसी सामंजस्य देश दुनिया पर अपना प्रभाव डालती है। अतः इस साल का राजा और मंत्री ज्ञात करे -

इस वर्ष का राजा कौन ?

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को जो वार होता है वही वारेश वर्ष का राजा नियुक्त होता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत 8 अप्रैल 2024 सोमवार को रात्रि 11 बजकर 50 मिनट और 44 सेकंड से होगी और सोमवार का वारेश चंद्र है। इसलिए इस वर्ष का राजा चंद्र होगा।

नववर्ष का राजा चंद्रमा ही क्यों ?

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के मुताबिक हिन्दू पंचांग के अनुसार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक वार नहीं बदलता है जबकि तिथि दिन रात में कभी भी बदल सकती है ऐसा चंद्रमा की असीमित गति के कारण होता है। जब चन्द्रमा सूर्य से १२ अंश के कोण को पूरा कर लेता है तब एक तिथि समाप्त होकर दूसरी तिथि प्रारब्ध हो जाती है। सूर्य की चाल में माइक्रो सेकण्ड का अंतर नहीं पाया गया है। प्रतिपदा तिथि रात्रि में शुरू हो जाएगी तब 8 अप्रैल 2024 को सोमवार ही रहेगा और सोमवार का वारेश चंद्र है इसलिए वर्ष का राजा चंद्र होगा। 

इस वर्ष का मंत्री कौन ?

सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के अनुसार वर्ष का मंत्री नियुक्त होता है। इसके अनुसार इस वर्ष का मंत्री शनि होगा। 

नव विक्रम संवत और ग्रह विष्लेषण 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस हिंदू नव वर्ष 2081 का राजा चंद्र और मंत्री शनि होगा। चंद्र और शनि दोनों एक दूसरे से भिन्न प्रकृति एवं प्रवृति के ग्रह हैं। वर्ष प्रतिपदा की कुंडली में केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह सिर्फ 65 डिग्री के अंशात्मक दूरी में होंगे। वर्षेश चंद्र जलीय राशि में जलीय ग्रह शुक्र के साथ साथ सूर्य और राहु के साथ नजदीकी संबंध में होगा।राजा चंद्र का मीन राशि, रेवती नक्षत्र में, सूर्य, राहु और शुक्र के साथ होगा और मंत्री शनि स्वराशि कुंभ राशि, वायु तत्व राशि में मंगल के साथ होगा। बुध मेष राशि, अग्नि तत्व राशि में वक्री और गंडांत में गुरु के साथ होगा। इसपर वैसे शनि की दृष्टि होगी जो मेष के मालिक मंगल के साथ होगा।

मंत्री शनि और राजा चंद्रमा का विश्व पटल पर प्रकाश 

पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार यह वर्ष काफी कुछ उथल-पुथल वाला हो सकता है। चंद्र और शनि के हाथ में इस वर्ष का कमान आना और शनि का मजबूत होना कहीं न कहीं महापरिवर्तन की दस्तक, हर स्तर पर व्यापक बदलाव का, कशमकश की स्थिति का बनना, असमंजस की स्थिति का बनने का संकेत दे रहे हैं। इस वर्ष के महत्वपूर्ण संकेत निम्नालिखित परिणाम या प्रभाव दे सकते हैं -
✿ ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवातीय तूफान, भूस्खलन, हिमस्खलन, आगजनी जैसे प्राकृतिक उत्पात की घटनाओं में इस वर्ष वृद्धि होगी।
✿ पश्चिमी यूरोपीय देशों और अमेरिका में राजनैतिक उथल पुथल की स्थिति के साथ साथ वैश्विक मंच पर अमेरिका की स्थिति पहले से और कमजोर हो सकती है।
✿ देश, काल का समर्थन प्राकृतिक आपदा के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूल भूमि प्रदान कर रहे हैं।जलवायु परिवर्तन की वजह से स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं में वृद्धि होगी।
✿ लंबी अवधि तक चलनेवाली गर्मी की वजह से हिन्दू कुश रेंज में बाढ़ की स्थिति तो बनेगी ही साथ ही साथ जल संकट की स्थिति बनेगी। हिमस्खलन के लिए अनुकूल माहौल तैयार होगा।
⁠✿ भारतवर्ष के सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में भूकंप, बाढ़ और बादल फटने के साथ साथ जल प्लावन की स्थिति बनेगी।भारत में कुछ क्षेत्रों में अंतर कलह, जातिगत संघर्ष, राजनैतिक द्वैष, आदि की स्थिति पैदा होना। भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
✿ भारत, नेपाल, चीन,जापान के हिमालयन रेंज कुछ क्षेत्रों में भूकंप की स्थिति बनेगी। वहीं टेक्सास, मेक्सिको में आगजनी की स्थिति बनेगी। अमेरिका का टेक्सास और मेक्सिको सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षत्रों में होगा। 
 ✿ इस वर्ष गर्मी सामान्य से अधिक लम्बे समय तक चलेगी।
सूखा संभावित क्षेत्र में वृद्धि के साथ साथ इस वर्ष लंबी अवधि तक चलने वाली गर्मी और अनियमित तथा अनुमान से कम बरसात की वजह से भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की जाएगी।
✿ विश्व के कई हिस्सों में अन्न संकट और आर्थिक संकट उत्पन्न होगा।
✿ इजरायल- ईरान-इराक-फिलीस्तीन आदि देशों में शत्रुता चरम पर। एक दूसरे पर गोलीबारी मिसाइल या बमबारी भी संभव।
✿ कुछ समुद्री जीव जंतुओं जैसे कछुआ, कुछ वन्य जीवों, पशुओं, पक्षीयो के सामने खाद्यान्न संकट के साथ के अस्तित्व पर संकट पैदा होगा।
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ध्यान रखने योग्य - पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार नव वर्ष राजा के निर्धारण के विषय पर चर्चा करनी इसलिए आवश्यक है क्योंकि प्रायः इसकी वजह से वर्षेश भिन्न हो जाता है। सही में कुछ और होता है और गणनात्मक त्रुटि की वजह से कुछ और हो जाता है। इसको बहुत स्पष्टता से समझने की जरूरत है। इस घालमेल की वजह से गलत वर्षेश का निर्धारण हो जाता है। गलत तथ्य के प्रकाशन के साथ साथ भ्रम की स्थिति बन जाती है।

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