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Monday, 28 February 2022

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि : एक विशेष पर्व और उसका महत्व 
प्रिय पाठकों, 
01 मार्च 2022, मंगलवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज महाशिवरात्रि - शिवभक्ति का महत्वपूर्ण त्यौहार के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। भारतीय कालदर्शक पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 1 मार्च 2022, मंगलवार को मनाया जाएगा। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। इस दिन शिव जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करके व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार पौराणिक कथाओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन,सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उन्‍हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्‍ठान और रुद्राभिषेक व महा महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विशेष महत्‍व होता है और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। इस दिन देश भर में कई स्‍थानों पर शिव बारात निकाली जाती है और धूमधाम से यह त्‍योहार मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के व्रत रखने वालों को सौभाग्य, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। शिव जी को महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ के नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने ही धरती पर सबसे पहले जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया था इसीलिए भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व निम्नलिखित हैं-
महाशिवरात्रि के दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखते हुए रात्रि को शिवजी की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित ब्राहम्णों तथा शारीरिक रुप से अस्मर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महाकल्याणकारी और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है। अलौकिक सिद्धियाँ एवं ऋद्धि- सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह दिन सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है।ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि के समय करोड़ों सूर्य के तेज के समान ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार- चाहे सागर सूख जाए, हिमालय टूट जाए, पर्वत विचलित हो जाएं परंतु शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं जाता। भगवान राम भी यह व्रत रख चुके हैं।
महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा सामग्री निम्नलिखित है -
प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें। कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध,दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें। रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कल्याणकारी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित कार्यो का ध्यान रखना चाहिए जो बहुत महत्वपूर्ण है -  
❃महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के शिवलिंग का पूजन शुभ शुभफलदायी रहता है इसलिए शिवलिंग अवश्य करना चाहिए।  
❃भगवान शिव की पूजा में सफेद फूलों का प्रयोग करना चाहिए और यदि आक के फूल हो तो और भी श्रेष्ठ रहता है।
❃शिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ हैै तो उनकी विवाह की बाधाएं दूर होती है।
❃ महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ नंदी का पूजन अवश्य करना चाहिए क्योंकि नंदी पूजन के बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। 
❃भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन बैल को हरा चारा खिलाना चाहिए।
❃बिल्वपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। बिल्वपत्र पर चंदन से ''ओम् नमः शिवाय: '' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
❃महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के साथ चारो प्रहर की पूजा करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि के अवसर पर निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है - 
❁महाशिवरात्रि के दिन सवेरे बिल्कुल भी देर तक न सोएं। यदि महाशिवरात्रि का व्रत नहीं भी किया है तो बिना स्नान और भगवान शिव के पूजन के बिना भोजन नहीं करें।
❁शिवरात्रि के दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र धारण न करें। 
❁शिवलिंग की परिक्रमा करते समय जल स्थान को भूलकर भी न लांघे।
❁शिव जी की पूजा में हल्दी, तुलसी और कुमकुम का प्रयोग न करें।
❁शिव जी को भूलकर भी शंख से जल न चढ़ाएं।
❁ शिव जी की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है इसके अलावा चंपा के फूल का प्रयोग भी न करें।
❁भगवान शिव पशुपतिनाथ कहलाते हैं इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी किसी पशु-पक्षी को न सताएं।
❁ महाशिवरात्रि पर घर में या आस-पास किसी से भी कलह करने से बचें। किसी को अपशब्द न कहें और न ही निंदा करें।
❁ महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को बिल्कुल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि
 ❁ शिवलिंग पर चढ़ाई चीजों को ग्रहण करना शुभ नहीं माना जाता है।
❁ महाशिवरात्रि पर सात्विकता बनाएं रखें। इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें।
 महाशिवरात्रि पर महादेव की कृपा पाने के लिए करें राशि अनुसार उपाय
मेष राशि: इस दिन मंदिर में या अपने घर में ही भगवान शिव को लाल रंग के गुड़हल फूल चढ़ाएं।
वृषभ राशि: इस दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इसे बेहद ही शुभ माना गया है।
मिथुन राशि: इस दिन भगवान शिव के समक्ष तेल का दीपक जलाएं तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
कर्क राशि- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का दुग्धाभिषेक कर भगवान शिव के लिंगाष्टकम का पाठ करें। 
सिंह राशि: इस दिन प्रात काल उठकर महादेव की पूजा करें और शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। 
कन्या राशि: इस दिन भगवान शिव का पूजन करते हुए ‘ओम् नमः शिवाय’ का 21 बार जप करें। 
तुला राशि- इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव की खास पूजा करें।
वृश्चिक राशि इस दिन भगवान शिव की पूजा करें और गन्ने के रस से अभिषेक करें और नंदी को गुड़ का भोग लगाएं। 
धनु राशि: मंदिर में भगवान शिव को दूध अर्पित करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
मकर राशि: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हुए रुद्राष्टकम का पाठ करें। कुंभ राशि: भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक कर भिखारियों को भोजन कराएं। 
मीन राशि: इस दिन भगवान शिव का अभिषेक कर 11 बिल्व पत्र अर्पित विशेष तौर पर करे तथा अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य लें।
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Nakshatra jyotish Hub
नक्षत्र ज्योतिष हब
📧panditanjanikumardadhich@gmail.com
फोन नंबर - 9414863294

Wednesday, 2 February 2022

गुप्त नवरात्रि

माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए चमत्कारी मन्त्र 

प्रिय पाठकों, 
2 फरवरी 2022, बुधवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गुप्त नवरात्रि और चमत्कारी मंत्र जाप के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार
नवरात्रि यानि नौ दिन मां दुर्गा की पूजा और अराधना के दिन होते हैं। नवरात्रि के दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। एक साल में चार बार नवरात्रि मनाए जाते हैं। दो बार गुप्त नवरात्रि और एक चैत्र एक शारदीय नवरात्रि। साल में दो बार आने वाले नवरात्रि में से एक माघ माह में आने वाले गुप्त नवरात्रि हैं।
भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी 2022 बुधवार से प्रारंभ हो रहे हैं। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार हिंदीके व्याकरण साहित्य में गुप्त शब्द का अर्थ छिपा हुआ होता है। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र एवं मंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र और मंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। गुप्‍त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्‍ति पाई जा सकती है। गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामने से भी की जाती है। इस दौरान 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। 
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार माता दुर्गा की कृपा प्राप्ति का का सबसे सरल उपाय दुर्गा सप्तशती का पाठ है। नवरात्र में माँ के कलश स्थापना के साथ शतचंडी, नवचंडी, दुर्गा सप्तशती, देवी अथर्वशीर्ष आदि का पाठ किया जाता है। दुर्गा सप्तशती महर्षि वेदव्यास रचित मार्कण्डेय पुराण के सावर्णि मन्वतर के देवी महात्म्य के सात सौ श्लोक का एक भाग है। 
दुर्गा सप्तशती में कुछ ऐसे परम शक्तिशाली और दुर्लभ स्तोत्र एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत पारायण से मनुष्य की समस्त इच्छित मनोकामना की अवश्य ही पूर्ति होती है। पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार साधक को अपनी आवश्यकता के अनुसार माँ के दिव्य मन्त्र का चयन करके नित्य उसकी 5 माला या कम से कम एक माला का जाप तो अवश्य करना ही चाहिए ।
जीवन में सर्वकल्याण एवं शुभ फलो की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मन्त्र:-
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥  
जीवन में किसी भी तरह की बाधा से मुक्ति एवं सुख समृद्धि एवं योग्य संतान की प्राप्ति के लिए :-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
जीवन में सर्वबाधा की शांति के लिए :-
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।। 
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए चमत्कारिक मन्त्र इस दिव्य मंत्र को देवी दुर्गा ने स्वयं देवताओं को दिया है:-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ 
माँ के चरणो में स्थान पाने के लिए मोक्ष प्राप्ति के लिए:-
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या।
विश्वस्य बीजं परमासि माया।।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्।
त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।। 
जीवन में शक्ति एवं सम्पन्नता प्राप्ति के लिए :-सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।। 
सभी प्रकार के संकटो से रक्षा का मंत्र:-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।। 
समस्त रोगो के नाश के लिए चमत्कारी मंत्र:- 
रोगान शेषान पहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति।। 
समस्त दु:ख और दरिद्रता के नाश के लिए:-
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:।
स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।
द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकारणाय सदाह्यह्यद्र्रचिता।। 
जीवन में सभी तरह के सुख सौभाग्य, ऐश्वर्य, आरोग्य, धन संपदा एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष के लिए - 
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ 
किसी भी तरह के भय के नाश के लिए दुर्गा मंत्र :- 
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यास्त्रहिनो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते।। 
स्वप्न में अपने कार्यों के फलो को जानने के लिए मन्त्र :-
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके।
मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय।। 
लेखक - Pandit Anjani Kumar Dadhich
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
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