रामचरितमानस की चौपाई का जाप तो बनेंगे बिगड़े काम
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस महाकाव्य की हर एक चौपाई अपने आप में एक सिद्ध मंत्र है अतः हमे भी इनका जाप कर अपने कार्यो को सिद्ध करना चाहिए।
कई बार लोग किसी काम को पूरी मेहनत और लगन से करते हैं लेकिन वो काम बनते-बनते बिगड़़ जाता है अगर आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो सिर्फ एक चौपाई के जाप से आपका काम बन सकते हैं। यह चौपाई सुंदर काण्ड में दी गई है।
चौपाई
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
भावार्थ - किसी भी काम की करने से पहले प्रभु श्रीराम का स्मरण करने से सफलता मिलेगी। जो भी ऐसा करता है उसके लिए विष भी अमृत हो जाता है, शत्रु मित्र बन जाता है, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार ऐसा माना जाता है कि रामचरितमानस की इस चौपाई का पाठ करने से कई फ़ायदे होते हैं जो कि निम्नलिखित है
इस चौपाई का जाप करने से व्यक्ति का कठिन से कठिन काम में सफलता मिलती है और साथ ही यात्रा प्रवास भी सुरक्षित होता है।
इस चौपाई का जाप करने से श्रीराम और हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और समस्याओं का भी निदान हो जाता है।
इस चौपाई के बारे में कुछ जानकारी है जो निम्नलिखित है -
इस चौपाई का पाठ करने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे अच्छा होता है।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद, अपने इष्ट का ध्यान करके चौपाई का पाठ 108 बार करना चाहिए।
जिस स्थान की यात्रा करनी हो, वहां पहुंचते ही उक्त चौपाई को सात बार बोलें।
कहा जाता है कि रामचरितमानस की चौपाइयां इतनी प्रभावशाली हैं कि इसके पाठ मात्र से धन की कामना रखने वाले को धन की प्राप्ति होती है।
मान्यता के अनुसार जब लंका में सीता माता का पता लगाने के लिए हनुमान जी गए थे तब उनके मन में संदेह था कि वो अपने काम में सफल होंगे या नहीं। तब उन्होंने प्रभु श्री राम का ध्यान किया और लंका में प्रवेश किया साथ ही अपने कार्य में सफल भी हुए इसलिए माना जाता है कि अगर आपको भी मन में किसी काम को लेकर अनजाना डर समाए तो इस चौपाई का पाठ करने और श्रीराम के स्मरण मात्र से काम सफल होते हैं।
अतः अगर आप भी किसी भी काम को करने से पहले या इंटरव्यू आदि से पहले भगवान श्रीराम और हनुमान जी को याद कर इस चौपाई को बोलने हर काम बन जाएगा।
रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने महार्षि वाल्मिकी की रामायण को आधार बनाकर की है। सुंदरकांड रामचरितमानस का ही पंचम सोपान है। इसमें हनुमान जी के गुणों और यश के बारे में बताया गया है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच
Pandit Anjani Kumar Dadhich
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान
Nakshatra Jyotish Sansthaan
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