गोरोचन और उसके उपाय
प्रिय पाठकों,
10 दिसंबर 2021,शुक्रवार
मैं पंडित अंजनी कुमार दाधीच आज गोरोचन और उसके उपयोग के बारे में यहाँ जानकारी दे रहा हूँ।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन पीले रंग का एक सुगंधित पदार्थ होता है जिसमें हल्की लालिमा होती है। यह मोम की तरह होता है और सूखने पर कड़ा हो जाता है। इसे गो पित्त भी कहा जाता है क्योंकि यह गाय के पित्त में बनने वाला एक पत्थर है जिसे गाय की मृत्यु के बाद निकाला जाता है। गोराचन सभी गायों में नहीं पाया जाता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में ही यह गायों के पित्त में बनता है। यह पूजा-पाठ की सामग्री की दुकान पर मिल जाता है। लेकिन इसे हासिल करने के लिए गाय का वध करना सर्वथा वर्जित है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन के गुणधर्म एवं प्रभाव निम्नलिखित हैं- गोरोचन का रस तिक्त होता है। यह गुण में रुक्ष है। गोरोचन का वीर्य उष्ण होता है। पचने पर गोरोचन का विपाक कटु होता है। गोरोचन पित्त सारक होता है एवं यह वात एवं कफ का शमन करने वाला होता है।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार गोरोचन का औषधि रुप में उपयोग भी किया जा सकता है जो निम्नलिखित हैं- गोरोचन बच्चों के रोगों में उपयोगी होता है। इसके अलावा शिरोरोग, रक्त की कमी, पीलिया, अपस्मार आदि में गोरोचन का प्रयोग किया जाता है।
नोट- गोरोचन की सेवन मात्रा-125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक प्रयोग कर सकते हैं।
पंडित अंजनी कुमार दाधीच के अनुसार घर में गोरोचन रखने के लाभ निम्नलिखित हैं-
☞धन की कमी नहीं रहती।
☞असफलता द्वार पर दस्तक नहीं देती।
☞ घर में पीड़ा नहीं आती।
☞ घर में सरस व मधुर वातावरण बना रहता है।
☞ संतानहीनता, दरिद्रता और क्लेश से छुटकारा मिलता है।
गोरोचन का उपयोग - गोरोचन एक ऐसी सिद्ध वस्तु है जिसका उपयोग अनेक कर्मों में किया जाता है। धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, जमीन में गड़े धन का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रयोग वशीकरण में किया जाता है। इसका तिलक करने से तीव्र वशीकरण और आकर्षण प्राप्त होता है।
❁ गोरोचन को रवि पुष्य नक्षत्र में सिद्ध किया जाता है। जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र हो उस दिन नहाकर अपने पूजा स्थान में बैठकर सोना या चांदी की कटोरी, डिबिया या छोटे पात्र में गोराचन रखकर इसका पंचोपचार पूजन करें। इसके बाद ओम् शांति शांत: सर्वारिष्टनाशिनि स्वाहा: और ओम् श्रीं श्रीयै नम: इन दो मंत्रों की एक-एक माला जाप करने के बाद इसे चांदी की डिबिया में भरकर पुजास्थल पर सुरक्षित रख कर रोज उसका पुजन करे।
❁ आर्थिक स्थिति सुधारने और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए गोरोचन को एक चांदी की डिबिया में भरकर अपने पूजा स्थान में रखें और रोज देवी-देवताओं की तरह इसकी भी पूजा करें। इससे घर में बरकत आने लगती है। घर में यदि कोई वास्तु दोष है तो वह दूर हो जाता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
❁ घर में कोई सदस्य बीमार है तो रविवार या मंगलवार के दिन एक छोटा चम्मक गुलाब जल में थोड़ा सा गोरोचन मिलाकर उस व्यक्ति को पिला दें। गोरोचन का तिलक प्रतिदिन बीमार व्यक्ति को लगाएं तो जल्द ही वह स्वस्थ होने लगेगा।
❁ मिर्गी या हिस्टीरिया के मरीज को गुलाबजल में थोड़ा गोराचन घिसकर तीन दिन तक पिलाने से रोग में आराम मिलता है। लेकिन यह प्रयोग किसी जानकार की देखरेख में ही करें।
❁ समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए गोरोचन को रवि पुष्य नक्षत्र में पंचोपचार पूजन कर चांदी या तांबे के ताबीज में भरकर अपने गले में धारण कर लें। इससे कार्यों में आने वाली बाधाएं समाप्त होंगी और सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
❁ गोरोचन की स्याही बनाकर इससे भोजपत्र पर मोरपंख की कलम से सिद्ध बीसा यंत्र लिखकर पंचोपचार पूजन करके चांदी के ताबीज में बांधकर अपने पास रखें। इससे आर्थिक संकट दूर हो जाता है।
❁ यदि आप अपने आकर्षण प्रभाव में वृद्धि करना चाहते हैं तो गोरोचन के साथ सिंदूर और केसर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चांदी की डिबिया में भरकर रख लें। प्रतिदिन सूर्योदय के समय इसका तिलक करने से आपके वशीकरण प्रभाव में जबर्दस्त तरीके से वृद्धि होगी। हर व्यक्ति आपकी बात मानने लगेगा।